भारतीय समाज में मौजूदा समय को कलियुग या यों समझें नकारात्मकता का दौर कहा जाता है. इस बीच, कोरोना के कोहराम ने और भी तबाही मचा दी. दुनियाभर में चिंता व अफरातफरी का माहौल है. सभी को नुक्सान उठाना पड़ रहा है.
भारत में पहले से ही आर्थिक मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर की तो अब मानो कमर ही टूट गई है. सरकार ने, हालांकि, अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए महीनों पहले कुछ इंसेंटिव का एलान किया था लेकिन अब दुनियाभर में उभरे नोवल कोरोनावायरस के संकट से रियल एस्टेट सेक्टर की हालत और भी खराब हो गई है.
रियल एस्टेट सेक्टर को हमेशा से बेहतरीन कमाई का व्यवसाय माना जाता है. सच भी है. लेकिन, ताजा संकट के चलते इस सेक्टर में अब फिलहाल बेहतरीन कमाई नहीं होगी.
देश की जीडीपी गिरती जा रही हो, देशवासियों के पास पैसे न हों, तो वे घर या फ्लैट या जमीन कैसे खरीदेंगे. और जब डिमांड कम होगी तो डेवलपर्स, बिल्डर्स को कीमतें कम करनी पड़ेंगी ही.
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देश की बड़ी मोर्गेज कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन या एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा है कि कोरोना वायरस नाम की महामारी और इसकी वजह से देशभर में किए गए लॉकडाउन की वजह से रियल एस्टेट की कीमतें 20 फीसद तक गिर सकती हैं.
नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के एक वेबिनार में पारेख ने रियल एस्टेट डेवलपर्स को संबोधित करते हुए कहा, “रियल स्टेट की कीमतें गिरेंगी और आगे इसमें और कमी आ सकती है.”
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के जॉब सुरक्षित हैं या जिनके पास नकदी की आवक ठीक-ठाक है, उनके लिए आने वाला समय घर खरीदने के लिए बेहतरीन समय हो सकता है.
देश में रियल स्टेट मार्केट पहले ही कई वजहों से दबाव से गुजर रहा है, इसकी वजह बहुत सारी हैं. इनमें नकदी की उपलब्धता नहीं होना, एनपीए का बढ़ना और कुछ सगमेंट में वित्तीय दबाव का बढ़ना जैसे मामले शामिल हैं.
एचडीएफसी का कहना है, “हाल में ही सरकार ने सस्ते घरों को बढ़ावा देने के लिए बहुत से प्रावधान किए हैं, लेकिन उसके बाद भी रियल एस्टेट सेक्टर लगातार मुसीबतों के दौर में फंसता जा रहा है.”
रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म लायसेस फोरास के सीईओ पंकज कपूर कहते हैं, ”देशभर में प्रॉपटी की कीमतें 10-20 फीसदी तक घट सकती हैं. वहीं, जमीन के दाम 30 फीसदी तक नीचे आ सकते हैं.” उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी में इस तरह की कमी वैश्विक आर्थिक संकट के समय भी नहीं देखने को मिली थी.
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रहेजा रियलिटी कंपनी के राम रहेजा कहते हैं, ”बाजार अब पूरी तरह से खरीदने वालों के लिए बन गया है. अगर किसी को वाकई प्रॉपटी या जमीन की बिक्री करनी है तो उसे कीमतों को घटाना होगा.”
स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि देशभर में चार से पांच साल की इंवेंट्री बन गई हैं. यह ऑल टाइम हाई है. देश के नौ प्रमुख शहरों में 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य के मकान अब तक नहीं बिके हैं. ऑनलाइन रियल एस्टेट पोर्टल प्रॉपटाइगर की जनवरी की रिपोर्ट से इस का पता चलता है.
ऐसे में यह साफ है कि कोरोनावायरस के कहर के चलते जमीन-फ्लैट-मकान के भावी खरीदारों को मौका मिला है कि वे लौकडाउन खत्म होने के बाद घटती कीमतों का फायदा उठाएं. प्रौपर्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रौपर्टी की कीमतें कई महीनों तक बढ़ेंगी नहीं.