घर की सफाई का रखें ख्याल

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है तथा इस की शुरुआत घर से ही होती है,जहां हम अपना अत्यधिक समय व्यतीत करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े दर्शाते हैं कि विश्व में लगभग 3.2% मृत्यु एवं 4.2% अशक्तता असुरक्षित जल, साफसफाई एवं स्वच्छता के कारण होती है, जिन में से 99.8% घटनाएं विकासशील देशों में होती हैं संक्रमण से संबंधित अधिकांश अनुसंधान, अस्पतालों, डे-केअर सुविधाओं तथा स्कूल तक ही सीमित रहे हैं और घरों पर बहुत कम ध्यान दिया गया है.

हालांकि घर में रोगाणुओं के पनपने एवं संक्रमण को फैलाने के लिए प्रचुर अवसर उपलब्ध रहते हैं. घर के वातावरण के अलावा परिवार के किसी सदस्य के द्वारा बाहर से संक्रमण के फलस्वरूप अन्य सदस्यों में भी इस के फैलने के अवसर बढ़ जाते हैं. अत: यह जानना आवश्यक हो जाता है कि घर में संक्रमण फैलने के कौनकौन से स्थान हैं तथा स्वच्छ वातावरण बना कर इन पर कैसे नियंत्रण रखा जा सकता है.

संक्रामक रोग जीवाणुओं, विषाणुओं अथवा प्रोटोजोआ संक्रमण के कारण उत्पन्न होते हैं. प्रमुख जीवाणुओं में सालमोनेला, कैम्पाइलोबैक्टर, ई-कोलि, स्टेफाइलोकोकस आदि शामिल हैं, जबकि कवक के अंतर्गत कैंडिडा, एस्परजिलस एवं विषाणुओं के अंतर्गत नोरोविषाणु, रोटाविषाणु, कोल्ड, फ्लू एवं मीजल्स आदि के विषाणु शामिल हैं. घर पर इन सब के उपस्थित रहने के अवसर रहते हैं.

खूबसूरत किचन

अकसर हम अपने घर के कमरों, खिड़कियों, दरवाजों की साफसफाई तो करते हैं लेकिन अपनी चमकदार टाइल्स और सुंदर, सुसज्जित बने किचन की सफाई की ओर ध्यान नहीं देते या यह सोच कर कि किचन में कौन  आएगा, किचन की सफाई को नजरअंदाज कर  जाते हैं. आप के इस प्रकार के विचार की वजह से ही आप अपने घर के सदस्यों और मेहमानों के बीच तारीफ पाने से वंचित रह जाती हैं. हैरान न हों, हम ले कर आए हैं आप के लिए कुछ खास टिप्स:

– किचन में जब भी प्रवेश करें, गैस को पोंछें. फिर किचन के फर्श पर झाड़ूपोंछा दोनों लगाएं. इस से आप दिन भर ताजगी महसूस करेंगी. कभीकभी फ र्श को फिनाइल से भी धोएं.

– किचन में प्रयोग की जाने वाली चप्पल अलग रखें.

– खाना बनाते समय किचन की खिड़की और दरवाजे को हमेशा खुला रखें.

– किचन में यदि नल नहीं है और आप का किचन छोटा है तो खाने की तैयारी जैसे सब्जी काटने, आटा गूंधने आदि कामों को अलग स्थान पर पूर्ण कर किचन में खाना बनाने जाएं.

– किचन में मकड़ी का जाला दिखाई दे तो उस की तुरंत सफाई करें अन्यथा वह आप के खाने को नुकसान पहुंचा सकता है.

– किचन में कभी भी न खाएं क्योंकि चूहे, काकरोच आदि कीट फर्श पर गिरे खाद्यपदार्थ को इधरउधर ले जा कर नुकसान पहुंचाते हैं.

– खाना बनाने के बाद खाने को सदैव ढककर रखें.

– यदि आप किचन में बरतन साफ करती हैं तो खाना बनाने के बाद बरतनों को साफ कर के रखें ताकि मक्खी आदि का आगमन न हो.

– किचन में प्रयोग में आने वाले चीनी, चाय, मसाले आदि के डब्बों को महीने में एक बार खाली कर के उन्हें अवश्य साफ कर लें, साथ ही मसाले, चाय, चीनी आदि का इस्तेमाल सदैव चम्मच से करें.

– यदि कड़ाही में तलने वाला व्यंजन बनाएं,तो उसे जालीदार कलछी से निकालें ताकि तेल बाहर न गिरे और सफाई में भी दिक्कत न हो.

– कभीकभी महिलाएं किचन के शैल्फ पर ही रोटियां बेलती हैं, लेकिन उस के बाद उसे साफ नहीं करतीं. रोटियां बनाने के बाद वहां गीले कपड़े से अवश्य सफाई करें.

– किचन में यदि सब्जी काटने और मसाला तैयार करने के कार्यों को करें तो छिलके नियमित स्थान पर और मिक्सी को धो कर रखना न भूलें.

– खाना पूरा बनाने के बाद गैस और किचन की पुन: सफाई करना कभी न भूलें.

– किचन में प्रयोग की गई चीजों को सदैव नियमित स्थान पर रखें ताकि आप की अनुपस्थिति में आप की किचन में किसी को कोई दिक्कत न हो.

– किचन में सदैव ताजे फूल रखें ताकि आप जब भी वहां जाएं तो फूलों की तरह प्रफुल्लित मन से खाना बनाएं.

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खतरे का आकलन

खाद्यपदार्थों एवं उत्पादन से संबंधित वातावरण में सूक्ष्म जीवों के खतरे के नियंत्रण के लिए हेजार्ड एनालिसिस क्रिटिकल कंट्रोल प्वाइंट को प्रयोग किया गया है. घर के अंदर प्रदूषित खाद्यपदार्थ, संक्रमित व्यक्ति, पालतू जानवर, कीट रोगवाहक, कभीकभार प्रदूषित वायु तथा जल इन रोगाणुओं के प्राथमिक स्रोत होते हैं. अन्य दूसरे स्रोतों के अंतर्गत ऐसे स्थल, जहां पानी की अधिकता हो, जैसे सिंक, टायलेट, कपड़े धोने का स्थान आदि हैं, जो जीवाणुओं एवं कवकों को पनपने का मौका प्रदान करते हैं.

संक्रमण फैलाने के स्रोत

हाथों की स्वच्छता :

हाथों के संक्रमित होने से रोगाणु अन्य स्थलों तक पहुंच सकते हैं. हाथों को साबुन एवं गरम पानी से धोना चाहिए ताकि रोगाणु नष्ट हो जाएं. हाथों को ठीक तरह से सूखने देना चाहिए. बेहतर हो कि लिक्विड सोप या एंटीसेप्टिक सोप का प्रयोग हो. बिना धुले हाथों के कारण सालमोनेला, मीजल्स, ई-कोलि तथा स्टेफाइलोकोकस जैसे जीवाणु, रोटाविषाणु एवं नोरोविषाणु अन्य लोगों, सतहों तथा खाद्यपदार्थों में पहुंच सकते हैं. कुछ रोगाणु सीधे हाथ से मुंह एवं आंखों के रगड़ने से अन्य स्थलों पर पहुंच सकते हैं.

कपड़े तथा सफाई के साधनों की स्वच्छता :

कपड़ों, बरतन पोंछने के कपड़ों, पोंछे तथा अन्य साधनों में भी रोगाणुओं के पनपने का बेहतर वातावरण होता है. इन के द्वारा क्रास प्रदूषण का उच्च खतरा बना रहता है. इन को हाथ से छूने पर हाथों में प्रदूषण अथवा बरतनों को पोंछने पर वहां संक्रमण हो सकता है. कपड़े धोने के लिए बाजार में तरहतरह के डिटरजेंट, ब्लीचिंग एजेंट आदि उपलब्ध हैं. ये क्लोरीन बेस्ड, सोडियम हाइपोक्लोराइड या आक्सीजन बेस्ड होते हैं.

सामान्य हाथों के संपर्क में आने वाली सतह :

घरों में बहुत सी ऐसी सतहें होती हैं जिन्हें हमें बारबार हाथ से छूना पड़ता है जैसे- पानी के नल, टायलेट हैंडल, टायलेट सीट कवर, कपबोर्ड, ओवन, फ्रिज आदि के हैंडल, खिलौने, टेलीफोन, कंप्यूटर, सब्जी या मीट आदि काटने के बोर्ड आदि. इन सतहों पर रोगाणु काफी समय तक जीवित रह सकते हैं. इन सतहों को हाथ से छूने पर ये दूसरे लोगों व अन्य जगहों पर फैल सकते हैं.

टायलेट, पैड्स एवं मैट्स की साफ-सफाई :

यह स्थान संक्रमण फैलने के मुख्य स्रोत होते हैं. अत: बेहतर है कि इन की सफाई के समय दस्तानों का प्रयोग किया जाए. बाथरूम को भी साफसफाई के पश्चात हवा में सूखने देना चाहिए. सफाई के लिए पानी में क्लोरीन का प्रयोग करना चाहिए. नैपीज को उचित स्थान पर रखना चाहिए तथा डिस्पोजेबल नैपीज का प्रयोग करना चाहिए.

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फर्श एवं सजावट के साधनों की  स्वच्छता :

सूक्ष्म जीव घर के फर्श पर प्राय: जूतेचप्पलों, पालतू जानवरों के पैरों आदि से प्रवेश कर जाते हैं. वायु द्वारा भी प्रदूषण का खतरा रहता है. धूलकण परदों व अन्य सामान पर जमा होते रहते हैं. डिसइन्फेक्शन के साथ फर्श की सफाई नियमित रूप से करनी चाहिए.

खाद्य संदूषण:

खाद्यपदार्थों के द्वारा संक्रमण का खतरा सर्वाधिक होता है, जिसे आम भाषा में फूड पौयजनिंग कहा जाता है. फूड (खाद्य) विषाक्तता जीवाणुओं, विषाणुओं, कवकों एवं प्रोटोजोआ के संक्रमण/प्रदूषण के द्वारा होती है. इस के अतिरिक्त जहरीले पादपों, रसायनों एवं कुछ खाद्यपदार्थों के प्रति एलर्जी के कारण भी संक्रमण हो सकता है. खाद्य विषाक्तता होने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं- इस का ठीक से नहीं पकाया जाना, खाने को बहुत पहले से ही तैयार कर के रख देना, खाने को गलत तरीके से रखना, रसोई में प्रदूषण होना अथवा खाना बनाने वाले एवं उस को हैंडल करने वाले व्यक्ति का संक्रमित होना.

कई सब्जियों में प्रदूषित पानी से सिंचाई के कारण उन में अनेक प्रकार के रोगाणु प्रवेश कर जाते हैं. देखा गया है कि कच्चा सलाद खाने से कभीकभार टीनिया सोलियम का संक्रमण हो जाता है एवं सिस्टीसर्कोसिस जैसी गंभीर बीमारी उत्पन्न हो जाती है.अत: खाद्यपदार्थ की उचित देखभाल जरूरी है.

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