रेटिंगः एक स्टार
निर्माताः भूषण कुमार और दिनेश वीजन
निर्देशकःरोहित जुगराज
कलाकारः दिलजीत दोशांझ, कृति सैनन, सीमा पाहवा,वरूण शर्मा.
अवधिः एक घंटा 47 मिनट
इन दिनों बौलीवुड में हास्य के नाम पर कुछ भी परोसा जाने लगा है.इसके पीछे फिल्मकारों की एकमात्र सोच यही रहती है कि दर्शक तो सिर्फ मनोरंजन करने थिएटर के अंदर आता है. मगर वह भूल जाता है कि दर्शक स्वस्थ मनोरंजन के साथ एक अच्छी कहानी देखना चाहता है. दर्शक को बेसिर पैर की कहानी और घिसे पिटे चुटकुले नही चाहिए. मगर अफसोस की बात यह है कि फिल्म ‘‘अर्जुन पटियाला’’ के निर्देशक ने बेसिर पैर की कहानी व घिसे पिटे चुटकुले परोसकर दावा कर रहे है कि उन्होने एक हटकर अच्छी फिल्म बनायी है. इस फिल्म के ट्रेलर से फिल्म को लेकर जो उम्मीदें बंधी थीं, वह उन उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतरती. दिलजीत दोसांझ, वरूण शर्मा व कृति सैनन जैसे कलाकार भी इस फिल्म को तहस नहस होने से नही बचा पाए.
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कहानीः
पंजाब के फिरोजपुर इलाके में हंैडसम पुलिस अफसर यानी कि एसीपी अर्जुन पटियाला(दिलजीत दोशांझ)को थाना प्रभारी नियुक्त करके भेजा जाता है.वह अपने गुरू आईपीएस गिल (रोनित रौय)के नक्शे कदम पर चल कर पूरे इलाके को अपराध मुक्त बनाना चाहता है.उसका एक सहायक है डीसीपी ओनीडा सिंह (वरूण शर्मा),जो उसके हर काम का भागीदार है.अर्जुन पटियाला को जहां टीवी चैनल रिपोर्टर रितु रंधावा (कृति सैनन)भाव देती है,वहीं ओनीडा को इलाके की कोई भी लड़की घास तक नहीं डालती.इसलिए वह भैंस को ही अपनी पे्रमिका बना लेता है. अर्जुन पटियाला फिरोजपुर इलाके को अपराध मुक्त करने के लिए सबसे पहले टीवी पत्रकार रितु रंधावा से क्षेत्र के गुंडो की जानकारी हासिल करता है.फिर उन्हें आपस में ही भिड़ा कर उनके खात्मे की जुगत लड़ाता है.जबकि उस क्षेत्र की एमएलए प्राप्ति मक्कड (सीमा पाहवा )सारे गुंडों का सफाया करके खुद सबसे बड़ी माफिया डौन बनने का सपना देख रही हैं.उसके रास्ते के सभी कांटों को अर्जुन और ओनीडा हटाते जाते हैं.लेकिन अपनी गुंडाई के दम पर पैसों की उगाही करने वाला गुंडा सकूल (मोहम्मद जीशान अयूब)कुछ ज्यादा चालाक साबित होता है.
लेखन व निर्देशनः
बेसिर पैर की कहानी,घिसे पिटे जोक्स,अति कमजोर कहानी का मुरब्बा है फिल्म ‘‘अर्जुन पटियाला’’. निर्देशक के तौर पर रोहित जुगराज भी बुरी तरह से परास्त हुए हैं.
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अभिनयः
पूरी फिल्म में कृति सैनन के पास संुदर दिखने के अलावा कुछ करने को रहा ही नही.पंकज त्रिपाठी,मोहम्मद जीयान अयूब व सीमा पाहवा की प्रतिभा को जाया किया गया है.दिलजीत दोसांझ व वरूण शर्मा निराश करते हैं.दिलजीत दोशांझ ने पुलिस अफसर अर्जुन पटियाला को एकदम बनावटी बना दिया है.वरूण शर्मा तो हर दृश्य में अपने आपको दोहराते हुए नजर आए हैं.