दुबई में माइक्रोसौफ्ट कंपनी की नौकरी छोड़ कर मुंबई आ कर बौलीवुड से जुड़ने वाली कुबरा सैट ने लंबा संघर्ष किया है. ‘रैडी’, ‘जोड़ी ब्रेकर्स’, ‘आई लव एन वाय’, ‘सुलतान’ जैसी फिल्मों में छोटेछोटे किरदार निभाने वाली कुबरा इन दिनों अचानक सुर्खियों में हैं और इस का श्रेय जाता है ‘नैटफिलिक्स’ पर प्रसारित वैब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ को, जिस में कुबरा सैट ने एक ट्रांसजैंडर बार डांसर कुकू का किरदार निभा फ्रंट न्यूडिटी का सीन कर हंगामा मचा दिया. यह वैब सीरीज विक्रम चंद्रा की 2006 की इसी नाम की किताब पर आधारित है.
प्रस्तुत हैं, कुबरा सैट से हुए कुछ सवालजवाब:
अच्छी नौकरी छोड़ कर अभिनय की तरफ मुड़ने के पीछे कोई खास वजह रही?
मैं नौकरी करते हुए भी रेडियो पर शो कर रही थी. मुझे अभिनय का शौक बचपन से था. जब मेरी छुट्टियां चल रही थीं, तब मुझे एक ‘ब्यूटी पीजेंट’ का हिस्सा बनने का अवसर मिला. उस के बाद मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म में सिर्फ कैमरे के सामने से गुजरने का सीन करने को मिला, तो मैं ने कर लिया. फिर मैं ने सोचा कि इस संकोच के साथ नौकरी क्यों की जाए. अत: मैं ने नौकरी छोड़ कर खुद को अभिनय के क्षेत्र में आजमाने की सोची.
सोचा यदि अभिनय के क्षेत्र में सफलता नहीं मिली, तो दोबारा नौकरी कर लूंगी. फिर दुबई छोड़ कर मुंबई आ गई.
जब आप छोटे किरदार निभा रहीं थीं, उस वक्त लोगों से किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही थीं?
कोई कुछ नहीं कह रहा था. जब मैं ने फिल्म ‘रैडी’ की तो भी खुश थी, जबकि लोगों ने मुझ से कहा था कि यह गलत कदम है. आप टाइप कास्ट हो जाएंगी. पर मैं आत्मविश्वास से भरी थी कि मैं ने सही कदम उठाया है. मगर मैं अति आत्मविश्वासी नहीं हूं. मुझ में ओवरकौन्फिडैंस नहीं है.
7 वर्षों में आप ने कोई बहुत ज्यादा काम नहीं किया?
हां, मैं ने ‘रैडी’, ‘सुलतान’, ‘क्वीट कमीना’, ‘जोड़ी ब्रेकर’ जैसी फिल्मों में छोटेछोटे किरदार निभाए. जब मैं ने सलमान खान के साथ फिल्म ‘रैडी’ की तब किसी ने मेरे काम की चर्चा नहीं की, पर अब नवाजुद्दीन सिद्दिकी के साथ वैब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ की तो हर तरफ मेरे काम की चर्चा हो रही है. लोग कह रहे हैं कि कमाल है, तुम ने तो नवाजुद्दीन के साथ बहुत बड़ा काम किया है. ‘सेक्रेड गेम्स’ देखते समय नजरें नवाज के बजाय तुम पर ही टिकी रहीं. लेकिन यदि मैं ने पहले सलमान खान के साथ काम न किया होता, तो मैं नवाज के सामने हिल जाती.
जब आप को ‘सेक्रेड गेम्स’ का औफर मिला तब आप की पहली प्रतिक्रया क्या थी?
मुझे लगा कि इसे किया जाना चाहिए. अब तक मैं वही काम कर रही थी, जो मेरी तरफ आ रहा था. शायद अब मेरे कैरियर में इस की वजह से यह बदलाव आ गया है कि मैं किसी के पास जा कर कह सकती हूं कि मेरे काम का स्तर, मेरे अभिनय का स्तर यह है. मुझे पूरे 7 वर्ष लगे यह कहने में कि मैं एक बेहतरीन अदाकारा हूं.
‘सेक्रेड गेम्स’ के किरदार कुकू को आप कैसे डिफाइन करेंगी?
बहुत ही सहानुभूति वाला किरदार है. इन दिनों एक ऐसा दौर चल रहा है, जहां हम सभी सैक्शन 377 की बात कर रहे हैं. हम पूरे विश्व में बदलाव की बात रह रहे हैं. हम चाहते हैं कि हर इंसान को इज्जत मिले. प्यार मिलना चाहिए. आप जैसे भी हैं, आप को होने का हक है. आप जिस तरह से भी प्यार बांटना चाहते हैं, वह आप का हक है. उसी दौर में ‘सेक्रेड गेम्स’ में मेरा कुकू का किरदार आया है. कुकू को अपने शरीर पर, अपने ट्रांसजैंडर होने पर इतना कौन्फिडैंस है कि कोई भी इंसान उस के कौन्फिडैंस पर ही प्यार करने लगे.
उसे इस बात का एहसास है कि वह किसी से भी प्यार कर सकती है और उसे अपनी उंगलियों पर नचा सकती है. यह बहुत बड़ी बात है. यही कौन्फिडैंस मेरे अंदर भी है. कुकू और मुझ में फर्क यह है कि जब कुकू को लगता है कि उस का जादू खत्म हो गया है, तो वह अपना अंत कर लेती है, पर शायद मैं अपना अंत न करती. मैं गिरने के बाद भी उठने की कोशिश करूंगी. कुकू में जो शरारत है, जो खुशी है, जो बात करने का लहजा है, वह बहुत साधारण व प्यारा है.
फिल्मों में अब तक ट्रांसजैडर किरदारों को बड़ी बीभत्सता के साथ पेश किया जाता रहा है. ‘तमन्ना’, ‘संघर्ष’ जैसी फिल्मों में इन किरदारों को बहुत ही ज्यादा हिंसात्मक रूप में पेश किया गया जबकि कुकूका किरदार बहुत प्यारा है. लोग इस के दीवाने हो गए हैं.
कुकू का किरदार बोल्ड है. फ्रंट न्यूडिटी भी है. पटकथा पढ़ते समय क्या कोई हिचकिचाहट हुई थी.
इस किरदार को निभाने का निर्णय मैं ने खुद लिया. मैं ने किसी से भी सलाह नहीं ली, पर मैं ने अपनी मां से कहा था कि आप ने अब तक मेरे हर तरह के काम को पसंद किया, पर इस बार शायद भूकंप आ सकता है.
मां से मैं ने कह तो दिया, पर मुझे नहीं पता था कि लोग इसे इतना पसंद करेंगे. न्यूडिटी या बोल्ड किरदार हो, यह सब मेरे काम का हिस्सा है. यदि आप को कंटैट नहीं चाहिए, तो आप पोर्न बैबसाइट पर जा कर पोर्न फिल्में देखें. जिन्हें सिर्फ न्यूडिटी देखनी है, उन के लिए पोर्न वैब साइटट्स जिंदाबाद. पर यदि आप यह देखना चाहते हैं कि एक किरदार की यात्रा के चलते क्या कुछ हुआ, तो फिर वहां आप के दिमाग में फ्रंट न्यूडिटी वाली बात नहीं आनी चाहिए. आप ‘सेक्रेड गेम्स’ को इस नजरिए से क्यों देखते हैं कि इस में ‘फ्रंट न्यूडिटी’ है?
मैं इस सीन को फ्रंट न्यूडिटी वाला सीन मानती ही नहीं हूं, क्योंकि यह तो रिवौल्यूशनरी मसला है. कुकू, डान गायतोंडे से कहती है कि मैं गे हूं. तू मेरे साथ क्या कर लेगा? वह कपड़े उतार कर साफसाफ कहती है कि देख ले मैं क्या हूं. मैं तुझे बच्चे नहीं दे सकती. जब आप इस परिपेक्ष्य में इस सीन को देखेंगे तो आप को कुकू की मजबूरी, उस का दर्द समझ में आएगा.
इस सीन को देख कर आप की मम्मी व आप के भाई ने क्या कहा?
मेरी मां खुश हैं. उन्हें गर्व है कि मैं ने इस तरह के किरदार को इतनी डिग्रिटी के साथ परदे पर पेश किया. मेरी जिंदगी में अपने भाई व मां दोनों की राय अहमियत रखती है. यदि ये खुश हैं, तो मैं ने सही काम किया है.
न्यूडिटी को ले कर आप की अपनी सोच क्या है?
आप मेरे घर के अंदर बैठे हुए हैं. आप देख रहे हैं कि कितनी बड़ीबड़ी खिड़कियां हैं. मैं ने किसी भी खिड़की पर कोई परदा नहीं लगाया है. देखिए, यह मेरा अपना शरीर है. यही शरीर आप के पास है तो आप क्या देख लोगे? मैं तो कहती हूं कि जिन्हें न्यूडिटी देखने की लत लगी हो, उन्हें पोर्न साइट पर जाना चाहिए. देखिए, हर चीज के लिए एक माहौल होता है. यदि मैं समुद्री बीच पर जाऊंगी, तो वहां बिकिनी पहनने में सहज महसूस करूंगी, तो बिकिनी ही पहनूंगी. मेरे लिए न्यूडिटी रोड ब्लौक नहीं है, पर इस के यह माने भी नहीं हैं कि मैं हर फिल्म में न्यूडिटी वाले सीन करूंगी.
यदि यही सीन किसी फिल्म में होता, तो सैंसर बोर्ड पारित करता?
देखिए, आथौरिटी गाइड लाइंस पर काम करती है, जो गलत है. जिन चीजों को दर्शक इंटरनैट पर देख रहा है, उन्हें आप फिल्म में देखने से कैसे रोक सकते हैं? हौट स्टार पर सब कुछ दिखाया जा रहा है. पूरी दुनिया देख रही है. पर हमारा भारतीय सैंसर बोर्ड नहीं देखने देगा. जबकि सैंसर बोर्ड को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहानी व किरदार की मांग क्या है?
मगर सैक्स और फ्रंट न्यूडिटी को भारतीय संस्कृति में गलत माना जाता है. क्या यह संस्कृति की कमी है?
आप रूल बुक की बात कर रहे हैं. देखिए, भारतीय संस्कृति भी रूल बुक है. आप अजंताएलोरा या ऐलिफैंटा की गुफाओं या खजुराहो जा कर क्या देखते हैं? वहां तो जाने के लिए उम्र की बंदिश तक नहीं है. ‘कामसूत्र’ भी भारत में लिखा गया, पर आवाम ने आज तक ‘कामसूत्र’ नहीं पढ़ा है. हमारी भारतीय संस्कृति में सब कुछ सदियों से है. पर हमारा समाज उस पर पाबंदी लगाता है. हमारा समाज और हमारी संस्कृति दोनों अलगअलग धाराएं हो गई हैं.
आने वाली दूसरी फिल्म कौन सी है?
रणवीर सिंह और आलिया भट्ट के साथ जोया अख्तर के निर्देशन में फिल्म ‘गली बौय’ कर रही हूं. रणवीर सिंह के साथ काम करते हुए मैं ने काफी ऐंजौय किया. उन के अंदर जबरदस्त ऐनर्जी है. इस के अलावा एक और वैब सीरीज करने वाली हूं. मैं अभिनय की क्लासेज भी शुरू करने वाली हूं.
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग को ले कर क्या कहेंगी?
मैं अनदेखा करती हूं, क्योंकि इन ट्रोलर्स के पास न तो कोई राजनीतिक सोच है, न ही सामाजिक. मैं लोगों से कहती हूं कि अपने काम को ईमानदारी से कीजिए. समाज बदल जाएगा. मैं किसी को बदलने की इच्छा नहीं रखती. मैं किसी को अपमानित करने की कोशिश नहीं करती.