आजकल रोमांस के तरीके बदल गए है – कुमार सानू

एक दिन में 28 गाना गाकर गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाले गायक कुमार सानू (Kumar Sanu) कोलकाता के है. उन्हें गायिकी के अलावा तबला बजाना भी आता है. उन्हें साल 2009 में पद्मश्री की उपाधि मिली है. फिल्म जुर्म की संगीत ‘जब कोई बात बिगड़ जाए’ और फिल्म आशिकी के गीत ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया और वे एक के बाद एक सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए. आज भी उनके गानों में वही मिठास और सुरीलापन है, जिसका आज कम होने को वे इंडस्ट्री के लिए खतरा मानते है. अभी वे ‘जी टीवी’ पर ‘सारेगामापा लिटिल चैंप्स’ (sa re ga ma pa lil champs 2020) के जज बने है और आने वाले भविष्य के बच्चों के टैलेंट को देखने के लिए उत्सुक है. उनसे शो और उनकी जर्नी के बारें में बात हुई पेश है अंश.

सवाल- इस तरह की रियलिटी शो को जज करने के लिए आप कितने उत्सुक है?

इसमें जज करने से भी अधिक अलका याग्निक, उदित नारायण के साथ 30 साल बाद फिर से एक साथ मिलना है. ये नयापन है और इसमें हम अपने जीवन से जुड़े यादगार लम्हों को उजागर करेंगे, जिसे लोग आजतक जानते नहीं है. उस समय कई घटनाएं हमारे साथ घटित हुई थी, जो अच्छे और ख़राब दोनों है. इसके अलावा हम सब साथ में गाना भी गायेंगे,जो काफी साल बाद एक बार फिर से मंच पर दिखाया जायेगा. साथ ही छोटे-छोटे बच्चों की प्रतिभा को भी देखने का अवसर मिलेगा.

सवाल- छोटे बच्चे बहुत इमोशनल होते है, उन्हें आप कैसे जज करेंगे, किस बात का ध्यान रखेंगे, ताकि वे आहत न हो?

कुछ बच्चे जन्म से ही प्रतिभावान होते है, तो कुछ बच्चे सीखकर अपनी प्रतिभा को आगे बढाते है. दोनों को समझना मुश्किल नहीं. मैं उनके सुर, ताल और टोनर क्वालिटी को अधिक देखने की कोशिश करूँगा. इसके अलावा थोड़ी बहुत परफोर्मेंस को देखेंगे. कई बच्चे छोटे होने पर भी बहुत अच्छा परफोर्मेंस देते है, जो काबिलेतारीफ होती है. ‘ना’ कहने के बाद बच्चे आहत न हो इसके लिए मैं उन्हें पूरी बात एक्सप्लेन करूंगा. इसमें माता-पिता को भी हम समझाते है कि वे संगीत को उनपर थोपे नहीं, बल्कि उनकी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें उस दिशा में निर्देश दें. जो गलतियाँ माता-पिता सदियों से करते आ रहे है, वे अब आगे न करें. मैंने देखा है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को उनकी मर्ज़ी जाने बिना डॉक्टर, इंजीनियर आदि बनाने की कोशिश करते है. इससे बच्चा न तो डॉक्टर बन पता है और न कुछ, बल्कि बीच में फंसा रह जाता है. इन्ही चीजों को हम सभी माता-पिता को समझाते है. संगीत अगर उनमें नहीं है, तो उन्हें उसे थोपना ठीक नहीं.

 

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सवाल-ऐसे रियलिटी शो में बच्चे आते है, पर वे बाद में कहीं नहीं दिखते, ऐसे में उनके भविष्य को निखारने के लिए क्या करना जरुरी है?

इसमें बच्चों की प्रतिभा और उनके माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि बच्चा इस मंच से निकलकर बाद में उनकी जिंदगी को कैसे निखारे. कुछ बच्चों के माता-पिता उन्हें लेकर पैसा कमाने की सोचते है, ऐसे में या तो उनके फ्यूचर कमाए या पैसा कमाए. पैसे पर अधिक माता-पिता का ध्यान होता है, जिससे उनका फ्यूचर नहीं बन पाता. बच्चे में अगर प्रतिभा है तो हम उन्हें आगे बढ़ने में मदद करते है. मसलन संगीत से जुड़े वाद्ययंत्र उन्हें देते है, ताकि उनका भविष्य अच्छा हो, लेकिन इसमें मातापिता को ध्यान देना है कि उस बच्चे को संगीत की अच्छी तालीम देने के बाद उन्हें आगे बढ़ाये. कुछ माता-पिता औटोग्राफ और फोटोग्राफ से ही संतुष्ट हो जाते है, जबकि तब उसे रोककर उन्हें संगीत को अपने जीवन में उतारने की जरुरत है.

सवाल-फिल्मों में सुरीले गानों का दौर कम होने की वजह क्या मानते है? रोमांटिक गाने भी अलग बन रहे है, क्या सोच रखते है?

सुरीले गाने आज भी बन रहे है, पर पहले की तुलना में कम अवश्य हो गए है. आज अच्छे संगीत बनाने वाले संगीतकारों की संख्या कम हो चुकी है. आज एडॉप्शन वाले संगीतकार है, क्योंकि किसी गाने को क्रिएट करने में बहुत सारा समय और डेडिकेशन की जरुरत होती है. उसे हम मिस करते है. कुछ अच्छे गाने आज भी मैं फिल्मों के लिए गा रहा हूं. संगीतकार और गायक की क्षमता से ही एक अच्छी गीत बनती है. ये एक समस्या है.

आजकल रोमांस के तरीके बदल गए है. इसलिए गाने भी अलग हो गए है. पहले रोमांस सॉफ्ट तरीके से होता था, जो अब थोड़े बोल्ड तरीके से होने लगा है. इसको टीवी, मीडिया, सोशल मीडिया आदि सभी के ज़रिये तवज्जों देने की जरुरत नहीं. तभी इसका अच्छा रूप हमें देखने को मिल सकेगा. ये बीमारी फैलने से रुकेगी.

 

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सवाल-क्या किसी संगीतकार को आप मिस करते है?

अवश्य मिस करता हूं. पंचम दा यानि आर डी बर्मन के जाने के बाद म्यूजिक इंडस्ट्री ख़त्म हो गयी. इसके अलावा गुलशन कुमार की मृत्यु और नदीम श्रवण का अलग हो जाना भी संगीत की दुनिया को डुबो दिया.

सवाल-अभी आप क्या कर रहे है?

कई सिंगल्स और फिल्मों के कई गाने गा रहा हूं और बहुत व्यस्त भी हूं.

सवाल-कई बार फिल्मों में गीत गाने के बाद उसे फिल्म से बाद में निकाल दिया जाता है, क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ?

ऐसा बहुत बार मेरे साथ हुआ है. ये कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि पहले गाने को गवा लेते है, बाद में फिट न होने पर उसे निकाल लेते है. हजारों गाने ऐसे है, जो प्रयोग नहीं हुए है. गुलशन कुमार की एक म्यूजिक बैंक हुआ करती थी, जिसमें मैंने पंचमदा के 40 गाने गाये हुए पड़े है. रिलीज नहीं हुई. मैंने उस बारें में कुछ नहीं कहा. वे ऐसे गाने बनाकर रखते थे और फिल्मों के अनुसार उसका प्रयोग करते थे. गुलशन कुमार की मृत्यु से म्यूजिक इंडस्ट्री को बहुत बड़ा लॉस हुआ है. उन्होंने संगीत कार और गायकों का ओहदा जो बढ़ा दिया था. वह उनके जाने के बाद नहीं रही.

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सवाल-रिमिक्स का दौर कैसा लगता है?

ये नए जेनरेशन की मांग है और इसके द्वारा मैं उनतक पहुँच पा रहा हूं.

सवाल-आपकी फिटनेस का राज क्या है?

मैं मन को सही रखना चाहता हूं, क्योंकि वह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आइना है. वह अगर साफ़ हो, तो आप हमेशा फिट रहते है.

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