REVIEW: रिचा चड्ढा और अरूणोदय सिंह की बेहतरीन एक्टिंग वाली फिल्म ‘लाहौर कॉन्फिडेंशियल’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः अजय जी राय व जार पिक्चर्स

निर्देशकः कुणाल कोहली

कलाकारः रिचा चड्ढा, अरूणोदय सिंह, करिश्मा तन्ना, खालिद सिद्दिकी

अवधिः एक घंटा नौ मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

हनी ट्रैप के अलावा भारत व पाकिस्तान के बीच दुश्मनी, आतंकवाद और आईएसआई और रॉ को कहानी का केंद्र बनाकर कई फिल्में बनायी जा चुकी हैं. मगर इन्ही विषयों पर कुणाल कोहली एक अलग नजरिए वाली स्पाई फिल्म‘‘लाहौर कॉन्फिडेंशियल’’लेकर आए हैं, जिसे ‘जी 5’पर देखा जा सकता है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है पाकिस्तान स्थित  भारतीय दूतावास से, जहां सभी पाकिस्तानी आतंकवादी  के नए चेहरे वाहिद खान की तलाश है. रॉ एजेंट युक्ति की चालें असफल हो रही हैं. तब रॉ लंबे समय से दिल्ली में मीडिया अटैची के रूप में काम कर रही अनन्या श्रीवास्तव  (ऋचा चड्ढा) को लाहौर भेजता है.  अनन्या शायर मिजाज होने के अलावा संवेदनशील और छोटी-छोटी बात पर इमोशनल हो जाने वाली लड़की है, जिसकी शादी को लेकर मॉं परेशान रहती है. रॉ एजेंट युक्ति (करिश्मा तन्ना) व शमशेर चाहते हैं कि अनन्या लाहौर में रौफ आजमी से दोस्ती बढ़ाकर जानकारी हासिल कर सकती है. क्योंकि रौफ शायर मिजाज है और शायरी की किताबें लिखी हैं. इसके अलावा लाहौर में वह मुशायरे आयोजित करते रहते हैं, जहां पाकिस्तानी सरकार व पाकिस्तानी एजंसी आईएसआई के लोग भी शामिल होते हैं. इधर अनन्या को बताया जाता है कि वह लाहौर जाकर रुचि के अनुसार अपने समय के पाकिस्तानी शायरों पर किताब लिख सकेगी.  अनन्या जाती है मगर उसे पता नहीं कि किस जासूसी योजना के तहत रॉ ने उसे भेजा है. लाहौर में अनन्या की रौफ (अरूणेदय सिंह ) से मुलाकातें होती हैं. रौफ अपनी कुछ नकली हकीकत बयां कर अनन्या का दिल जीत लेता है. युक्ति कहती है कि इस काम में सब कुछ करना पड़ता है. अनन्या व रौफ के बीच प्रेम संबंध बन जाते हैं. अनन्या को पता ही नही चलता कि रौफ उसका उपयोग कर रहा है. पर रॉ के दूसरे अफसर अनन्या की इस गलती का फायदा उठाकर रौफ का असली चेहरा जान जाते हैं. उसके बाद जब अनन्या को पता चलता है कि रौफ ने उसके साथ खेल खेला, तब क्या होता है, यह तो फिल्म देखने पर ही पता चलेगा.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 14: Arshi Khan के उकसाने पर Devoleena को आया गुस्सा, घर में की जमकर तोड़फोड़

लेखन व निर्देशनः

विषय काफी रोचक चुना गया है. मगर अफसोस फिल्म की कहानी और पटकथा काफी कमजोर है. कहानी पाकिसतानी एजेंट व आतंकवादी वाहिद खान की तलाया है, मगर कुछ देर बाद ही कहानी पूरी तरह से रौफ व अनन्या के बीच रोमांस के इर्द गिर्द सीमित रह जाती है. यहां तक कि रौफ के माध्यम से रॉ के बारे में जो कुछ पता चलता है, उससे कई तरह के भ्रम पैदा होते हैं, जो कि लेखक की कमजेारी ही है.

बतौर निर्देशक कुणाल कोहली भी बहुत अद्वितीय काम नही कर पाए. उनका काम काफी साधारण है. इसमें रोमांच व एक्शन पूरी तरह से गायब है. जबकि इस तरह की स्पाई फिल्म में रोमांच व एक्शन बहुत मायने रखता है. क्लायमेक्स अति साधारण है.

इसके कुछ सवांद जरुर अच्छे बन पड़े हैं. मसलन-अपने लिए तो सभी जीते हैं. औरों के लिए जीने का मजा ही कुछ और है. ’’,  ‘‘मुझे किसी कौम से नफरत नहीं, नफरत है इस खूनी खेल से. ’’, ‘‘असलियत छुपाकर मोहब्बत बुझदिल करते हैं. ’’ यह अलग बात है कि यह संवाद गलत किरदार के मुंह से निकलते हैं जो कि विरोधाभासी हैं.

अभिनयः

एक बार फिर रिचा चड्ढा ने अपने सशक्त अभिनय का जादू जगाया है. अति कमजोर पटकथा के बावजूद उनके अभिनय के चलते फिल्म बेहतर बन गयी है. फिल्म मे एक शायराना अंदाज,  तहजीब,  विनम्रता व दया के भावों को उन्होने बड़ी खूबी से अपने अभिनय से उभरा है. रिचा ने अपने हाव भाव व बौडी लैंगवेज से किरदार को नया आयाम दिया है. रौफ के किरदार में अरूणोदय सिंह का अभिनय भी कमाल का है. उनके अभिनय को देखकर अहसास होता है कि अभी तक बौलीवुड के फिल्मकार उनकी प्रतिभा का उपयोग करने से वंचित रहे हैं. रिचा चड्ढा व अरूणोदय सिंह के बीच की केमिस्ट्ी काफी जानदार है. युक्ति के किरदार में करिश्मा तन्ना अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं.

ये भी पढ़ें- अनुपमा को तलाक देने से मना करेगा वनराज, काव्या होगी हैरान

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें