Coolie no 1: फिल्म देखने से पहले यहां पढ़ें वरूण और सारा की फिल्म का रिव्यू

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः दीपशिखा देशमुख, वासु भगनानी और जैकी भगनानी

निर्देशकः डेविड धवन

कलाकारः वरूण धवन, सारा अली खान,  परेश रावल, जावेद जाफरी,  राजपाल यादव, जानी लीवर.

अवधिःदो घंटा 14 मिनट तीस सेकंड

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम वीडियो

1993 की सफलतम तमिल फिल्म‘‘चिन्ना मपिलाई’’का 1995 में डेंविड धवन ने गोविंदा व करिश्मा कपूर के साथ हिंदी रीमेक ‘कुली नंबर वन’ बनायी थी. अब पच्चीस वर्ष बाद अपनी 1995 की ही फिल्म का उसी नाम से डेविड धवन ने ही रीमेक किया है, जिसमें वरूण धवन व सारा अली खान की जोड़ी है. 1995 की फिल्म के पटकथा लेखक कादर खान थे, जबकि इस बार रोमी जाफरी है.  बाप बेटे यानी कि डेविड धवन व वरूण धवन की जोड़ी की यह अति कमजोर फिल्म है.

ये भी पढ़ें- पति की मौत के बाद ससुरालवालों ने किया था सोनाली फोगाट को टौर्चर, बिग बौस में किया खुलासा

कहानीः

यह कहानी पैसे के घमंड में चूर जोफरी रोजोरियो(परेश रावल)अपनी मॉं(भारती आचरेकर)और दो बेटियो साराह रोजोरियो (सारा अली खान)और अंजू रोजोरियो(शिखा तलसानिया) के संग रहते हैं. वह अपनी बेटियों की शादी करोड़पति परिवार में करना चाहते है. पंडित जयकिशन( जावेद जाफरी)एक दिन बड़ी बेटी साराह रोजोरियो के लिए एक रिश्ता लेकर आते हैं. साथ में लड़का व लड़के के माता पिता भी होते हैं. मगर जोफरी रोजोरियो उस लड़के व उसे माता पिता का अपमान कर घर से निकाल देते हैं. पंडित जयकिश को बुरा लगता है और वह सोच लेते हैं कि अब वह उनकी बेटी की शादी ऐसे लड़के से कराएंगे, जिससे उनका घमंड चूर हो जाएगा. पं. जयकिशन के हाथ में साराह रोजोरियो की तस्वीर है. अचानक स्टेशन पर पहॅुचते ही जयकिशन के हाथ से वह तस्वीर छूटती है और हवा के झोकों से स्टेशन पर कुली नंबर वन के रूप में मशहूर कुली राजू (वरूण धवन)के उपर गिरती है. राजू उस तस्वीर को देखते ही उस पर लट्टू हो जाता है और तय करता है कि वह इसी लड़की से शादी करेगा. इससे पहले कई लड़कियों के माता पिता ने कुली होने के कारण अपनी बेटी की शादी राजू के साथ करने से मना कर चुके हैं. राजू का दोस्त व कार मैकेनिक दीपक(साहिल वैद्य)भी राजू की शादी कराने के कई असफल प्रयास कर चुका है. तस्वीर के पीछे भागते हुए पं. जयकिशन, राजू के पास पहुंचकर फोटो वापस मांगते हैं. राजू कहता है कि यह तो उसकी है और इसी से शादी करेगा. तब जयकिशन के दिमाग में योजना जन्म लेती है. फिर पं. जयकिशन, राजू व दीपक के साथ योजना बनाते हैं. तीनों अमीर होने का ढोंग रच अपना हुलिया बदलते हैं. दीपक अपने गैरेज से राजा महेंद्रप्रताप सिंह की आलीशान निकालता है. राजू अपना नाम व हुलिया बदलकर कुंवर राज प्रताप सिंह बन जाता है. जयकिशन,  कुंवर के सेके्रटरी जैक्सन व दीपक उनका ड्रायवर बन जाता है. तीनों  जोफरी के होटल पहुंचते हैं. पहली ही नजर में साराह,  कुंवर को अपना दिल दे बैठती है. जोफरी यह जानकर खुश होते हैं कि कुंवर के पिता राजा हैं और वह वहां गोवा में अपना नया पोर्ट बना रहे हैं. इतना ही नही मुंबई में शूटिंग के लिए किराए पर मिलने वाला बंगला लेकर कुंवर, जोफरी के परिवार को अपना बंगला दिखाते हैं. अब जोफरी अपनी बेटी साराह की शादी कंुवर राज प्रताप से करना चाहते हैं, इसके लिए वह सेक्रेटरी जैक्सन को घूस के तौर पर लंबी रकम दे देते हैं. साराह और कुंवर राज प्रताप की शादी हो जाती है. इस बीच अंजू व दीपक के बीच प्रेम पनप चुका होता है.

शादी के बाद साराह चाहती है कि वह कुंवर राज प्रताप के बंगले में जाकर रहे. पहले तो कुंवर बहाना करते हैं. फिर लेकर जाते हैं और बंगले के सामने पहुंचकर खुद जैक्सन के साथ अंदर जाते हैं, जहां महेंद्रप्रताप सिंह और उनके बेटे महेश (विकास वर्मा)के बीच झगड़ा हो रहा होता है, उसे देखकर दोनो वापस आ जाते हैं कि पिता बहुत नाराज हैं और घर से निकाल दिया. अब कुंवर किराए के मकान में साराह के साथ रहने लगता है और रोज रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर पैसा कमाता है. एक दिन बेटी का हाल चाल जानने जब जोफरी रोजोरियो स्टेशन पहुंते हैं, तो वह कुली राजू से मिलते हैं. उस वक्त राजू कहता है कि वह कुंवर राज नही है, कुंवर राज तो उसका जुड़वा भाई हैं. फिर कहानी कई मोड़ों से होकर गुजरती है. इधर लालच में जोफरी अपनी दूसरी बेटी अंजू की शादी कुली राजू से कराना चाहते हैं. वह सोचते हैं कि एक दिन महेंद्र प्रताप की मौत के बाद दोनो भाईयों को आधी आधी संपत्ति मिलेगी. हास्य के कई घटनाक्रम तेजी से घटित होते हैं. अंततः सारा सच सामने आता है. अंजू की शादी दीपक से हो जाती. मरने से पहले महेंद्र प्रताप अपनी जायदाद अपने बेटे की बजाय राजू को दे देते हैं.

ये भी पढ़ें- Anupamaa: काव्या देगी वनराज को धोखा तो किंजल की प्रेग्नेंसी से Shocked होंगे घरवाले

लेखन व निर्देशनः

उटपटांग पटकथा पर बनी बनी उटपटंाग फिल्म है. पटकथा लेखक रोमी जाफरी ने कुछ दृश्य ज्यों का त्यों उतार दिए हैं. संवाद लेखक फरहाद समजी के संवाद भी घटिया हैं. अफसोस की बात यह है कि डेविड धवन की 1995 की ‘कुली नंबर वन’ के मुकाबले उन्ही के निर्देशन में बनी यह ‘कुली नंबर वन’ किसी भी पैमाने पर खरी नही उतरती है. गोविंदा संग दुश्मनी शुरू होने के बाद से डेविड धवन लगातार अपने बेटे वरूण धवन को गोविंदा का पर्याय बनाने का असफल प्रयास कर रहे हैं. जबकि अभिनय के मामले में वरूण धवन,  गोविंदा से कोसों दूर हैं. कहानी में कहीं कोई सहजता नही है. पूरी फिल्म में कुछ भी लॉजिक नही है. अति लाउड कॉमेडी है. फूहड़ता चरम सीमा पर है. बतौर निर्देशक डेविड धवन कोई कमाल नही दिखा पाएं.

अभिनयः

जब आप किसी दूसरे के जूते में पैर डालकर सुख का आनंद लेना चाहते हैं, तो अक्सर फजीहत ही झेलनी पड़ती है. क्योंकि जूता आपके पैर की साइज से बड़ा होता है. ऐसा ही कुछ इस फिल्म में वरूण धवन ने किया है. गोविंदा के जूतों में पैर रखने का आनंद प्राप्त करने में वरूण धवन बुरी तरह से मात खा गए हैं. उन्होने सिर्फ गोविंदा ही नही, बल्कि अमिताभ बच्चन, सलमान खान, मिथुन चक्रवर्ती ही नहीं बल्कि दिलीप कुमार की भी मिमिक्री कर डाली. वरूण भूल गए कि मिमिक्री व अभिनय में बड़ा अंतरहोता है. नकल कभी साथ नहीं देती. कॉमेडी के नाम पर वरूण धवन महज उछलकूद करते नजर आते हैं. उन्हे संवाद लेखक फरहाद शामजी के संवादों का भी सहयोग नहीं मिला. सारा अली खान को अभी भी अभिनय के गुण सीखने होंगे. परेश रावल की लापरवाह अदाएं और राजपाल यादव का तुतलाना रोना फिल्म के स्तर को लगातार नीचे गिराता जाता है. अफसोस की बात है कि फिल्म दर फिल्म राजपाल यादव के अभिनय का स्तर गिरता ही जा रहा है. कुछ हद त कजावेद जाफरी और जानी लीवर अपने अभिनय से इस फिल्म को संभालते हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें