नन्हे मुन्नों के कपड़ों का रखरखाव

मातापिता जब अपनी नन्ही सी जान को अस्पताल से घर ला रहे होते हैं तो उन की खुशियों की कोई सीमा नहीं होती. बच्चे के आने से पहले ही खूबसूरत रंगबिरंगे क्यूट कपड़ों से घर भरा होता है. मगर इन की खरीदारी और धुलाई करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि कपड़ों के साथ जुड़ी होती है बच्चे की सेहत और सुरक्षा.

कपड़े खरीदते समय सावधानियां

फैब्रिक: बच्चे के लिए हमेशा मुलायम और आरामदायक कपड़े खरीदें, जिन्हें धोना आसान हो. फैब्रिक ऐसा हो जिस से बच्चे की त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे. बच्चों के लिए कौटन के कपड़े सब से अच्छे रहते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि कौटन के कपड़े धुलने के बाद थोड़े सिकुड़ जाते हैं.

साइज: बच्चों के कपड़े 3 माह के अंतराल के आते हैं. ये 0-3 माह, 3-6 माह, 6-9 माह और 9-12 माह के होते हैं. बच्चों को ओवर साइज कपड़े न पहनाएं. ऐसे कपड़े गरदन और सिर पर चढ़ सकते हैं, जिस से दम घुटने का खतरा हो सकता है.

सुरक्षा: बीएल कपूर सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल के कंसल्टैंट न्यूनेटोलौजी, डा. कुमार अंकुर कहते हैं कि छोटे बच्चों के लिए हमेशा सिंपल कपड़े खरीदने चाहिए. फैंसी और डैकोरेटिव कपड़े खरीदने से बचें. ऐसे कपड़े खरीदें जिन में बटन, रिबन और डोरियां न हों. बच्चे बटन निगल सकते हैं, जिस से उन का गला चोक हो सकता है. ऐसे कपड़े भी न खरीदें जिन में खींचने वाली डोरियां हों. वे किसी चीज में फंस कर खिंच सकती हैं और बच्चे का गला घुट सकता है.

आराम: ऐसे कपड़े खरीदें जो आसानी से खुल जाएं ताकि कपड़े चेंज कराते वक्त दिक्कत न हो. सामने से खुलने वाले और ढीली आस्तीन के कपड़े अच्छे रहते हैं. ऐसे फैब्रिक के कपड़े लें जो स्ट्रैच हो जाएं ताकि उन्हें पहनाना और उतारना आसान हो, ऐसे कपड़े न खरीदें जिन में जिप लगी हो.

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कपड़े धोने के टिप्स

डा. कुमार अंकुर कहते हैं कि बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है, इसलिए सामान्य डिटर्जैंट का इस्तेमाल न करें. रंगीन और खुशबू वाले डिटर्जैंट तो बिलकुल भी न लगाएं. बेहतर होगा ऊनी कपड़े धोने वाले माइल्ड डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें. छोटे बच्चों के कपड़ों को पानी से अच्छी तरह खंगालें ताकि डिटर्जैंट पूरी तरह निकल जाए. अगर बच्चे की त्वचा अधिक संवेदनशील है तो विशेषरूप से छोटे बच्चों के कपड़ों के लिए मिलने वाले डिटर्जैंट का ही इस्तेमाल करें.

बच्चों के कपड़े छोटे और मुलायम होते  हैं, इसलिए उन्हें वाशिंग मशीन के बजाय हाथ  से धोएं तो ज्यादा अच्छा रहता है. अगर आप मशीन में धो रही हैं तो ड्रायर में न सुखाएं. खुले स्थान पर ताजी हवा और सूर्य की रोशनी में सुखाएं. अगर आप फैब्रिक सौफ्टनर का इस्तेमाल करना चाहती हैं तो बेबी स्पैसिफिक सौफ्टनर का प्रयोग करें.

कपड़े धोने के अन्य टिप्स

आइए, जानते हैं कि बच्चों के कपड़ों की साफसफाई किस तरह करें कि उन्हें त्वचा या अन्य किसी तरह का रोग न हो:

  1. कपड़े पर लगे लेबल को ध्यान से पढ़ें. बच्चे के डौलिकेट बेबी क्लोथ्स पर लिखे निर्देशों के हिसाब से चलें.
  2. ज्यादातर कपड़े ज्यादा तापमान से खराब हो जाते हैं. इसलिए कपड़े धोते समय ज्यादा गरम पानी का इस्तेमाल न करें. कुनकुने या ठंडे पानी से ही धोएं.
  3. बच्चों के कपड़ों को रंग, फैब्रिक और दागदब्बों के आधार पर 2-3 हिस्सों में बांट लें. एक तरह के कपड़ों को एकसाथ धोएं. इस से धोने में सुविधा होगी और कपड़े भी सुरक्षित रहेंगे.
  4. बच्चे के कपड़ों में यदि दागधब्बे लग गए हैं तो उन पर बेबी फ्रैंडली माइल्ड डिटर्जैंट लगा कर हलके से रगड़ें, इस से दाग हलके हो जाएंगे. बाद में सामान्य तरीके से धो लें.
  5. डौक्स ऐप की डा. गौरी कुलकर्णी कहती हैं कि जब बच्चे के लिए नए कपड़े खरीदें तो उन्हें पहनाने से पहले धो लें. इस से कपड़े बनाते वक्त काम में लिए गए रसायन शिशु को हानि नहीं पहुंचा पाएंगे. यही नहीं, कपड़ों पर यदि किसी तरह की गंदगी या धूलमिट्टी लगी होगी तो वह भी धुल जाएगी. सिर्फ कपड़े ही नहीं,  केट, चादर, बिस्तर आदि जो शिशु की त्वचा के सीधे संपर्क में आते हैं, प्रयोग से पहले धो लें. ऐसा न करने पर संभव है कि बच्चे की कोमल त्वचा पर खुजली या रैशेज की समस्या पैदा हो जाए.
  6. बच्चे के कपड़ों को कीटाणुओं से मुक्त रखने के लिए कुछ महिलाएं उन्हें ऐंटीसैप्टिक सौल्यूशन में भिगोती हैं. यह उचित नहीं. इस से बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है.
  7. कपड़ों को फर्श पर रख कर रगड़ने के बजाय हाथ या रबड़ शीट अथवा मशीन के ढक्कन पर रख कर साफ करें.
  8. बच्चों के कपड़ों को घर के दूसरे सदस्यों के कपड़ों से अलग धोएं. अकसर बड़ों के कपड़ों में गंदगी ज्यादा होती है. सभी कपड़े साथ धोने पर उन के कीटाणु बच्चों के कपड़ों में आ सकते हैं.
  9. कपड़े सूख जाएं तो उन्हें प्रैस कर लें ताकि रहेसहे कीटाणु भी मर जाएं.
  10. कपड़ों को तह लगा कर कवर में या कौटन के कपड़े में लपेट कर रखें.

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13 टिप्स: Washing Machine में कपड़े धोने के टिप्स

क्या आप जानती हैं कि कपड़ों की सही धुलाई के साथसाथ उन की क्वालिटी को भी कैसे बरकरार रखा जा सकता है? अगर नहीं तो परेशान न हों. हम आप को बता रहे हैं कि कपड़ों की सही धुलाई कैसे करें:

1. कपड़ों को धोने से पहले उन्हें अलग-अलग करें जैसे ज्यादा गंदे कपड़ों को अलग धोएं तो कम गंदे कपड़ों को अलग. इसी तरह ऊनी और सूती कपड़ों को भी अलग कर लें. कमीजों, पैंटों, नए सूती कुरतों आदि को अलग धोएं तो चादरों, तौलियों और नाइट सूटों को अलग से धोएं. सभी कपड़ों को एकसाथ मशीन में भर देना उचित नहीं है.

2. मशीन में कपड़ों को डालने का भी एक तरीका होता है जैसे कि बड़े कपड़े सब से पहले फिर उन से छोटे और फिर उन से छोटे. कपड़ों की तह को खोल कर डालें. अगर कपड़ों को यों ही मशीन में भर देंगी तो वे आपस में उलझ जाएंगे और फिर जिस समय मशीन स्पंज करती है, तो उन के फटने और मशीन में एरर आ कर रुक जाने की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है.

3. कोई भी नया कपड़ा डालने से पहले चैक कर लें कि उस का रंग तो नहीं निकल रहा, क्योंकि अगर रंग निकलने वाला कपड़ा हुआ तो मशीन में डाले गए सारे कपड़े खराब हो जाएंगे.

4. डिटर्जैंट पाउडर या साबुन का इस्तेमाल कपड़ों के हिसाब से करें. ज्यादा डिटर्जैंट के इस्तेमाल से ऊनी और सिल्क के कपड़ों को नुकसान पहुंच सकता है.

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5. हर मशीन की डिटर्जैंट लेने की अपनी क्षमता होती है, इसलिए अगर मशीन में 1 ढक्कन डिटर्जैंट डालने के लिए लिखा है, तो उतना ही डालें.

6. कई मशीनों की बुकलेट में लिखा होता है कि नौर्मल डिटर्जैंट के साथ आधा ढक्कन मशीन का डिटर्जैंट भी डालें, जो अलग से खरीदना होता है. लेकिन कई बार महिलाएं सोचती हैं कि इसे खरीदने की क्या जरूरत है. मगर यह सोच ठीक नहीं है, क्योंकि उस डिटर्जैंट की वजह से ही तो कपड़े ज्यादा साफ होते हैं.

7.  डिटर्जैंट चुनते वक्त पहले यह तय कर लें कि पाउडर का इस्तेमाल करना है या लिक्विड डिटर्जैंट का. लिक्विड डिटर्जैंट अपेक्षाकृत ज्यादा महंगा होता है पर इस बात को भी ध्यान में रखें कि अगर आप कपड़े धोने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करती हैं तो पाउडर पानी में आसानी से नहीं घुलेगा. बेहद मुलायम कपड़ों को धोने के लिए लिक्विड डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें.

8.  डिटर्जैंट का इस्तेमाल करते समय फैब्रिक का भी ध्यान रखें. सिल्क या ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए मुलायम डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें. बच्चों के कपड़ों की धुलाई के लिए बेहद मुलायम डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें, क्योंकि बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है. सफेद कपड़ों की धुलाई के लिए ब्लीच फौर्मूला वाले डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें तो रंगीन कपड़ों की धुलाई के लिए ऐसे डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें जिस से कि कपड़ों में चमक आ जाए.

9. वाशिंग मशीन में कपड़े धोते वक्त सब से पहले डिटर्जैंट डालें और फिर कपड़े, क्योंकि कपड़ों के ऊपर डिटर्जैंट डालने से न सिर्फ कपड़ों में डिटर्जैंट के चिपके रहने की आशंका रहती है, बल्कि कपड़ों का रंग भी उड़ जाता है.

10. कपड़ों को वाशिंग मशीन में डालने से पहले उन पर लगे दागधब्बों को हाथ से छुड़ा लें. दरअसल, वाशिंग मशीन में दाग लगे कपड़ों को सीधा डालने से निशान और गहरे हो जाते हैं.

11. अगर मशीन सेमीऔटोमैटिक है तो कपड़े धुल जाने के बाद अलार्म बजेगा. तब आप को कपड़ों में पानी निकालने के लिए ड्रायर में कपड़े भरने होंगे. इस में 5-10 मिनट लगेंगे. उस के बाद कपड़े सूखने डाल दें.

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12. कपड़े धोने के बाद वाशिंग मशीन का डिटर्जैंट बौक्स भी साफ करना जरूरी है. उस में बचा वाशिंग पाउडर जरूर निकाल लें और अच्छी तरह साफ करें. यदि संभव हो, तो पूरे बौक्स को बाहर निकाल लें और किसी पुराने टूथब्रश से साफ कर लें.

13. वाशिंग मशीन के अंदर का ड्रम भी साफ करती रहें ताकि मशीन साफ रहे. उस में कई सारे छोटेछोटे छिद्र होते हैं, जिन में कीटाणु जमा हो जाते हैं. बेहतर है हर महीने खाली मशीन चला दें. इस के लिए डिशवाशर टैबलेट और गरम पानी का इस्तेमाल करें.

Washing Machine में कपड़े धोते समय ध्यान रखें ये 8 बातें

आजकल घरों में मशीन होना एक आम बात है. आमतौर पर घरों में सेमी ऑटोमेटिक और फुली ऑटोमेटिक मशीन होतीं हैं. सेमिऑटोमेटिक मशीन में पानी  भरना पड़ता है और पानी भरने, वाशर में से कपड़े ड्रायर में डालने जैसे काम मेन्युली करने पड़ते हैं वहीं फुली ऑटोमेटिक मशीन सारे काम खुद ही कर लेती है परन्तु चूंकि दोनों ही हैं तो मशीनें ही इसलिए दोनों में ही कपड़े धोते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक है-

1. कुछ लोगों की धारणा होती है कि ज्यादा मात्रा में डिटर्जेंट डालने से कपड़े ज्यादा अच्छे साफ होंगे जब कि इसके उलट ज्यादा मात्रा में डाला गया डिटर्जेंट पूरी तरह कपड़ों में से निकल नहीं पाता और कपड़ों में ही चिपक जाता है. कपड़े कैसे भी हों परन्तु एक बाल्टी कपडों के लिए आधा चम्मच डिटर्जेंट ही पर्याप्त रहता है.

2. जिन कपड़ों पर ओनली ड्राइक्लीन लिखा रहता है उन्हें भूलकर भी मशीन में न धोयें. इसके अतिरिक्त अधिक लिनन, लेदर, सिल्क, शिफॉन जैसे फेब्रिक के महंगे कपड़ों को भी मशीन में धोने की अपेक्षा हैंडवाश करके केवल स्पिन करके सुखा लें इससे उनकी चमक और रंगत बरकरार रहेगी.

3. ज़िप वाले कपड़ों की ज़िप बंद करके ही दूसरे कपड़ों के साथ डालें अन्यथा इनकी ज़िप दूसरे कपड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है.

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4. अक्सर हम बटन और हुक्स को खोले बिना ही कपड़े मशीन में डाल देते हैं इससे कपड़े खिंचते हैं और बटन टूटने के साथ कई बार बटन वाली जगह से कपड़ा फट भी जाता है इसलिए बटन खोलकर ही कपड़े मशीन में डालें .

5. लेस, कढ़ाई और हैवी वर्क वाले कपड़ों को भी मशीन में धोने की अपेक्षा हाथ से ही धोकर सुखायें इससे उनकी लाइफ अच्छी रहती है.

6. या तो सभी मोजों को एक साथ धोयें अथवा सभी मोजों को कपड़े के छोटे बैग में भरकर अन्य कपड़ो के साथ डालें इससे वे एक साथ रहेंगे और उनकी इलास्टिक आदि फैलेगी भी नहीं.

7. कपड़ो को धोने से पूर्व कैटेगरी वाइज डिवाइड कर लें मसलन रंगीन, सफेद अलग करके इनमें भी हल्के और गहरे रंग के कपड़े अलग अलग धोयें. पेंट्स, शर्ट्स, चादर, कुर्ते, डेनिम जीन्स और हौजरी के कपड़े सभी उनकी कैटेगरी के अनुसार दूसरों से अलग करके ही धोयें.

8. जूते, चप्पल और डोरमैट आदि को मशीन में डालने से बचें अन्यथा इनसे निकली गंदगी मशीन के अंदर फंसकर पानी निकलने में व्यवधान उत्पन्न कर सकती है.

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