शाम 7 बजे प्रिया जैसे ही घर में घुसी उस की भाभी नताशा सामने खड़ी हो गई. प्रिया नजरें चुराती हुई अंदर जाने लगी, तो नताशा ने टोका, “ननद जी, जरा यह तो बताइए कि इतनी देर तक आप कहां थीं?”
“भाभी, मैं वह… एक्चुअली वह मैं… हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी.”
“अच्छा, किस विषय की ?”
“भाभी, …वह… फिजिक्स की. निभा मैम हैं न, उन्होंने कहा था कि आज शाम को एक्स्ट्रा क्लास लेंगी, तो सारी लड़कियां वहीं चली गई थीं.”
“मगर तुम्हारी सहेली तो कुछ और ही कह रही थी.”
प्रिया पर नजरें जमाए नताशा ने पूछा तो प्रिया हड़बड़ा गई. सच उस की जबान पर आ गया. “जी भाभी, मैं अपनी फ्रेंड के साथ बर्थडे पार्टी के लिए गई थी. रजनी का बर्थडे था. वही हमें जिद कर के मौल ले गई थी.”
“प्रिया, तुम मौल गई या बर्थडे पार्टी में शामिल हुई या कुछ और किया, इस से मुझे कोई प्रौब्लम नहीं है. मुझे प्रौब्लम है झूठ बोलने से. मैं कई बार पहले भी कह चुकी हूं कि मुझ से हमेशा सच बोला करो.”
“जी भाभी, आइंदा खयाल रखूंगी,” कह कर प्रिया तेजी से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गई.
विकास ने प्यार से पत्नी नताशा को निहारते पूछा, “नताशा, तुम्हें यह पता कैसे चल जाता है कि प्रिया झूठ बोल रही है या सच? मैं होता तो तुरंत उस की बात मान लेता कि वह एक्स्ट्रा क्लास के लिए ही गई होगी. तुम ने पहले भी कई दफा उस का झूठ पकड़ा है और एकदो बार मेरा झूठ भी. पर मैं समझ नहीं पाता कि तुम्हें पता कैसे चल जाता है?”
हंसते हुए नताशा ने कहा,” देखो विकास, झूठ पकड़ना बहुत आसान है. सामने वाला बंदा झूठ बोल रहा है या सच, इस का इशारा वह खुद देता है.”
“इशारा, वह कैसे?”
“दरअसल, सच या झूठ का अंदाजा आप उस की बौडी लैंग्वेज यानी शरीर के हावभाव से लगा सकते हैं. इस के लिए सामने वाले बंदे की बौडी लैंग्वेज पर गौर करना पड़ता है. साधारणतया बंदा सच बोल रहा है, तो बात करते समय कुछ समझाने के लिए वह अपने हाथों का उपयोग करता है. इस समय उस के हाथ काफी हिलते हैं. मगर झूठा इंसान अपने हाथों के साथसाथ पूरे शरीर को स्थिर कर लेता है.”
ये भी पढ़ें- क्यों बनते हैं विवाहेत्तर संबंध
नताशा की कही इस बात में काफी सचाई है. वाकई, हम झूठे इंसान को उस के हावभाव से पहचान सकते हैं. झूठ पकड़ने के लिए हाथों के अलावा कुछ और भी हावभाव हैं जिन पर गौर करना जरूरी है.
अमेरिकन बिहेवियरल एनालिस्ट (बौडी लैंग्वेज एक्सपर्ट) और ‘बौडी लैंग्वेज औफ लायर्स’ की औथर डाक्टर लिलियन ग्लास कहती हैं कि जब कोई आप से झूठ बोलता है तो उस की सांसें भारी हो जाती हैं. जब सांस की गति बदलती है तो उस का कंधा ऊपर उठता है और आवाज धीमी हो जाती है. संक्षेप में कहा जाए तो उस का अपनी सांसों पर नियंत्रण नहीं रह जाता. ऐसा उस के हार्टरेट और ब्लडफ्लो में आए परिवर्तन के कारण होता है. इस तरह के परिवर्तन नर्वस होने या तनाव में रहने पर होता है.
शरीर स्थिर कर लेना
सामान्य रूप से माना जाता है कि नर्वस व्यक्ति का शरीर अधिक हरकतें करता है, यानी वह चंचल होता है. मगर डाक्टर ग्लास कहती हैं कि आप को ऐसे लोगों पर भी ध्यान देना चाहिए जो बिलकुल स्थिर हो कर बात कर रहे हों. इसे एक तरह के न्यूरोलौजिकल फाइट का साइन माना जा सकता है, यानी व्यक्ति अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा है.
जब व्यक्ति सामान्य अवस्था में बातें करता है तो यह स्वभाविक है कि उस के शरीर के कुछ हिस्से खासकर हाथों में स्वत ही मूवमेंट होते हैं. मगर जब किसी शख्स ने खुद को कंट्रोल किया हुआ हो और वह बिलकुल भी हिलडुल नहीं रहा और अपने हाथों को बांध कर रखा हो तो समझ जाइए कि दाल में कुछ काला है.
विस्तार से बताना
जब कोई शख्स बिना जरूरत किसी चीज के बारे में आप को बहुत विस्तार से बताए और तो बहुत संभावना है कि वह सच नहीं बोल रहा है. डाक्टर ग्लास कहती हैं कि झूठे अकसर बहुत ज्यादा बातें करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि खुद को काफी ओपन दिखाने से सामने वाला शख्स उन पर विश्वास कर लेगा.
लगातार देखना
जब इंसान झूठ बोलता है तो नजरें नहीं मिलाता, मगर कई दफा झूठा इंसान आप से और भी ज्यादा आई कांटेक्ट बनाता है और लगातार देखता है ताकि वह आप को कंट्रोल और मैनिपुलेट कर सके. डाक्टर ग्लास कहती हैं कि जब इंसान सच कहता है तो वह कभी आप की तरफ देखता है और कभी इधरउधर. मगर एक झूठा शख्स लगातार आप की तरफ देख कर बात करेगा ताकि वह आप को काबू में कर सके.
अपने हाथ पॉकेट में रखना
वर्ष 2015 में यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि झूठे लोग अपने हाथों को आप से दूर रखते हैं. हो सकता है कि वे अपने हाथ पौकेट के अंदर या टेबल के भीतर छिपा लें. यह भी एक सिग्नल है यह समझने के लिए कि सामने वाला शख्स आप से अपनी फीलिंग्स और जानकारियां छिपा रहा है, यानी वह आप से झूठ बोल रहा है.
सहजता की कमी
अकसर देखा गया है कि झूठा व्यक्ति सहजता से नहीं बोल पाता. वह ठहरठहर कर बोलता है. दरअसल, तनाव के समय हमारा औटोमेटिक नर्वस सिस्टम लार का स्राव घटा देता है जिस से मुंह सूखने लगता है. कई बार व्यक्ति होंठों को दांतों से काटने लगता है.
शब्दों को बारबार दोहराना
अगर कोई व्यक्ति आप को कनविंस करने के लिए कुछ खास शब्दों या बात को बारबार दोहराता है तो समझ जाइए कि मामला गड़बड़ है.
हाथ फिराना
झूठ बोलने वाले व्यक्ति की पहचान यह भी होती है कि वह झूठ बोलते समय अपने गले, सिर या सीने पर बारबार हाथ फिराता है. वह अपने मुंह पर भी हाथ रखता है.
पैरों की पोजीशन में बदलाव
इंसान झूठ तभी बोलता है जब वह कुछ छिपा रहा होता है. ऐसे में जब उस से कोई सवाल पूछा जाता है तो वह झूठ बोल कर उस स्थिति से बचने की कोशिश करता है. इस दौरान वह काफी नर्वस रहता है जिस के कारण वह अपने पैरों की पोजीशन लगातार बदलता रहता है.
यह सच है कि कई दफा एक छोटा सा झूठ भी किसी रिश्ते को खत्म करने के लिए काफी होता है. फिर भी हम आमतौर पर किसी न किसी परिस्थिति में फंस कर या किसी कारणवश झूठ बोल जाते हैं. वहीँ, यह भी देखा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा झूठ बोलते हैं.
ये भी पढ़ें- इन 8 टिप्स को फौलो कर आप भी बन सकती हैं सफल गृहिणी
यूनिवर्सिटी एम्हर्स्ट मैसेचेट ने 2002 में एक रिपोर्ट जारी की थी. उस के मुताबिक, 10 मिनट की बातचीत के दौरान करीब 60 फीसदी लोग झूठ बोलते हैं. इस दौरान उन की 2 या 3 बातें झूठी निकलती हैं.
ब्रिटेन की पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब झूठ बोलने की बात आती है तो महिलाओं के मुकाबले पुरुष अधिक झूठ बोलते हैं. झूठ बोलने में माहिर पुरुष आमनेसामने ज्यादा झूठ बोलते हैं, लेकिन वे सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत कम करते हैं.
वजह कुछ भी हो और झूठ कोई भी बोल रहा हो, सीधी सी बात है कि सच सामने आ ही जाता है. और तब व्यक्ति सामने वाले की नजरों में अपना सम्मान खो देता है. इसलिए, हमें झूठ बोलने से हमेशा बचना चाहिए.