पूर्व कथा
कैथरीन को इस बात का बड़ा गुमान था कि अभिजित उस की मरजी के बगैर एक कदम भी नहीं उठा सकता. मगर अचानक उस के व्यवहार में बदलाव आने लगा. इस बदलाव की जड़ थी उसी की एक छात्रा सुहानी, जिसे वह बेहद प्यार करने लगा था और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया था. कैथरीन को इस बात का पता तब चला जब वह अपनी किसी सहेली के साथ शौपिंग के लिए गई. वहां एक कौफी शौप में दोनों को हाथों में हाथ डाले बैठा देख कैथरीन तिलमिला उठी. उस ने अभिजित को सबक सिखाने का मन बना लिया मगर घर पहुंचते ही मामला उलटा पड़ गया. अभिजित ने तलाक की बात कैथरीन से कही तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उस का सारा भ्रम टूट कर चकनाचूर हो गया. कैथरीन को उन दिनों की यादें सताने लगीं जब उस ने उसी कालेज में दाखिला लिया था जहां अभिजित प्रोफैसर था. और फिर एक शर्त के मुताबिक उस ने अभिजित को अपने प्रेमजाल में ही नहीं फंसाया था, बल्कि उस से शादी भी कर ली थी.
सास की हिदायतों से तंग आ कर कैथरीन ने नौकरी करने का मन बना लिया. मगर औफिस में चौधरी ने भी उसे तंग करना शुरू कर दिया. एक रोज लिफ्ट में चौधरी ने कैथरीन को चूम लिया, तो वह तिलमिला उठी. उस की मक्कारी की बात जब उसे अपने सहकर्मियों से पता चली तो उस ने नौकरी छोड़ने का मन बना लिया. मगर उस के औफिस के कुछ लोगों ने, जिन्होंने चौधरी को सबक सिखाने का प्लान पहले से ही बना रखा था, उसे चौधरी को फंसाने के लिए 2 लाख रुपए औफर किए तो वह मना नहीं कर पाई. फिर एक रोज छेड़छाड़ और रेप के मामले में कैथरीन ने चौधरी को फंसा दिया.
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‘यह सब क्या है?’ अभिजित ने पूछा. ‘अभि,’ उस की आंखों से आंसू बह निकले, ‘मैं ने तुम्हें बताया तो था कि मेरा बौस बेहूदा हरकतें करता रहता है. आज वह सारी हदें पार कर गया.’
‘यह खबर और तुम्हारी शक्ल आज सैकड़ों लोगों ने टीवी पर देखी होगी. मेरी तो इज्जत उतर गई. मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहा. कल कालेज में लोग तुम्हारे बारे में उलटेसीधे सवाल करेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगा?’ अभि ने अपना सिर थाम लिया.
कुछ देर बाद उस ने कहा, ‘जाहिर है, मैं अब यहां नौकरी नहीं कर सकता. मुझे अमेरिका से एक औफर आया है विजिटिंग प्रोफैसर की जौब के लिए, हम वहीं चलेंगे.’
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‘और तुम्हारा परिवार?’
‘मैं उन्हें हर महीने पैसे भेजता रहूंगा और साल में एक बार आ कर उन की खोजखबर लेता रहूंगा.’
प्लेन में बैठी कैथरीन बहुत खुश हो रही थी. उस ने अपने मन की मुराद पा ली थी. वह अपनी ससुराल के घुटन भरे माहौल से निकल आई थी. उस ने अभि को देखा, जो मुंह लटकाए बैठा था. उसे अपने घर वालों से बिछड़ने का बहुत दुख था. कैथरीन ने उस के कंधों को घेरते हुए उस की दिलजोई की, ‘उदास क्यों होते हो
डार्लिंग. तुम अपने परिवार के भले के लिए ही तो विदेश जा रहे हो. अमेरिका में मैं भी कोई नौकरी कर लूंगी. हम दोनों जन मिल कर कमाएंगे. मेरे पैसों से घर चलेगा और तुम अपने पैसे घर वालों के लिए जमा करते रहना.’
अभि ने उसे स्नेहसिक्त आंखों से देखा. फिर बोला, ‘तुम मेरे लिए यह सब करोगी?’
‘क्यों नहीं, बीवी हूं तुम्हारी. तुम्हारे सुखदुख की साथी.’
अभि ने उस का हाथ अपने हाथों में ले कर सहलाया, उसे चूमा. वह भावविभोर हो गया था, ‘ओह कैथरीन, आई रियली लव यू. तुम कितनी भली हो. तुम्हें पत्नी के रूप में पा कर मुझे सब कुछ मिल गया.’
कैथरीन खुशी से भर उठी. वह अभि के ऊपर सिर्फ अपना अधिकार चाहती थी. अभि उस के रूप का दीवाना तो था ही पर वह चाहती थी कि उस का पति सिर्फ उसी का हो कर रहे. वह अपने घर वालों को भुला कर केवल उस की ही माला जपे.
अमेरिका में आ कर उसे ऐसा लगा जैसे वह एक निराली दुनिया में आ गई है. उसे और अभि को रहने के लिए एक सुंदर सा बंगला मिल गया. कैथरीन ने एक डिपार्टमैंटल स्टोर में सेल्स गर्ल की नौकरी कर ली और वहीं उस की कुछ गहरी दोस्त बन गईं. वे लंच टाइम में साथ बैठ कर गपशप करतीं.
अभि अपनी नौकरी में व्यस्त रहता पर जब भी अपने घर वालों से फोन पर बात करता तो बहुत उदास हो जाता.
एक दिन कैथरीन ने उसे बियर का गिलास थमाया.
‘यह क्या? तुम तो जानती हो कि मैं शराब नहीं पीता.’
‘लेकिन यह शराब नहीं है. इस से नशा बिलकुल नहीं होता. कम औन डियर. मुझे कंपनी देने के लिए ही सही, एकआध घूंट तो पियो.’
गम भुलाने के लिए अभि ने बियर पी तो ली मगर धीरेधीरे उसे इस की लत पड़
गई. बियर से नशा चढ़ना कम हुआ तो शराब का सहारा लिया. कैथरीन भी उस का साथ देती.
समय बीतता गया. कुछ ही साल में अभि ने अपनी बहनों की शादी कर दी. उस की दादी, नानी व पिता एक के बाद एक चल बसे. बूआ के बेटों की नौकरी लग गई और वे अपनी मां को ले कर चले गए.
अभि को मां की चिंता लगी. मां का अमेरिका आने का बिलकुल मन न था. कुछ साल वे बेटियों के घर पर रहीं. जब बहुत अशक्त हो गईं तो उन्होंने बेटे को पत्र लिखा कि अब खानाबदोशों की तरह इधरउधर भटका नहीं जा रहा, शरीर बहुत कमजोर हो गया है. मुझे लगता है कि मेरा अंतिम समय आ पहुंचा है. मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं अपने बेटे की गोद में सिर रख कर मरूं. इसलिए मैं ने अमेरिका आने का फैसला कर लिया है.
अभि खुशी से नाच उठा. पर कैथरीन चिंतित हो गई. उस ने अपनी सहेलियों को यह समाचार दिया तो वे सब एक सुर में बोलीं, ‘अरी कैथरीन, अपनी सास को बुलाने की गलती न करना वरना पछताएगी. तू अपनी नौकरी करेगी, घर संभालेगी या बीमार सास की सेवाटहल करेगी?’
कैथरीन ने मन ही मन तय कर लिया कि यदि अभि की मां यहां आ धमकीं तो वह उन से साफ शब्दों में कह देगी कि अम्मां, यह मेरा घर है और यहां सिर्फ मेरी मरजी चलेगी. मैं अपने घर में जो चाहे करूं, जो चाहे पकाऊंखाऊं, जो चाहे पहनूं मिनी ड्रैस या टौपलैस, मुझे पूरा हक है.
पर इस की नौबत ही नहीं आई. कुछ ही दिनों में अभि को समाचार मिला कि उस की मां का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.
फूटफूट कर रोता अभि अपनेआप को कोसता रहा. ‘अब मेरा यहां बिलकुल मन नहीं लगता. बहुत अकेलापन महसूस होता है,’ वह बोला.
‘ऐसा मत कहो डार्लिंग,’ कैथरीन ने उस से लिपट कर कहा.
‘हम ने यहां आ कर कौन सी जायदाद खड़ी कर ली. अपने परिवार से दूर बेगानों
की तरह पड़े हैं. दिन भर जानवरों की तरह खटते हैं. क्यों करते हैं हम इतनी दौड़धूप, इतनी मेहनतमशक्कत? किस के लिए करते हैं? मुझे तो लगता है कि अब हमारा एक बच्चा होना चाहिए. बिना बच्चे के घर सूना लगता है.
‘तुम ठीक कहते हो.’
दूसरे दिन कैथरीन ने अपनी सहेलियों से कहा, ‘मेरा पति चाहता है कि हमारा एक बच्चा हो.’
‘और तू क्या चाहती है?’ डोरिस ने पूछा.
‘मैं अभी से यह जंजाल पालना नहीं चाहती.’
‘बिलकुल ठीक. बच्चा होने के बाद औरत घर से बंध कर रह जाती है. उस का बदन ढीला पड़ जाता है. मर्दों का क्या जाता है. बस हुक्म चला दिया कि एक बच्चा होना चाहिए. आफत तो हम औरतों की होती है.
जरा सोचो, शिशु को 9 महीने कोख में रखो, प्रसव पीड़ा सहो, मरमर कर उसे पालो और जब वह बड़ा हो जाए और मुंह फेर कर चल दे तो कुछ न कर सको. ‘होता तो यही है. बच्चे पीछे मुड़ कर देखते भी नहीं कि मांबाप जी रहे हैं कि मर गए. मांबाप बूढ़े और लाचार हो जाएं तो उन्हें वृद्धाश्रम में डाल कर सोचते हैं कि उन का कर्तव्य पूरा हो गया. ऐसी औलाद होने से तो बेऔलाद ही भले.’
‘हां,’ रूबी ने डोरिस की हां में हां मिलाई, ‘घरघर की यही कहानी है, लेकिन वे भी क्या करें. यहां एक आदमी की तनख्वाह से गुजारा होता नहीं.’ मियांबीवी दोनों को नौकरी करनी पड़ती है. मांबाप की देखभाल करना उन के लिए मुमकिन नहीं, इसीलिए वृद्धाश्रम की शरण लेते हैं. इस देश की यही प्रथा है.
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‘हमारी युवा पीढ़ी तो हम से भी एक कदम आगे है. उन की तो शादी की संस्था में भी आस्था नहीं है. किसी से प्रेम हुआ तो साथ रहने लगे. तकरार हुई तो अलग हो गए. बच्चों की चाह हुई तो ही शादी करते हैं नहीं तो वे सिर्फ अपने लिए ही जीते हैं. भरपूर ऐश करते हैं. खूब मौजमस्ती करते हैं. जिंदगी का पूरा लुत्फ उठाते हैं.’
‘यही तो सही अंदाज है जीने का.
लेकिन इधर मेरा पति बच्चे के लिए मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ा है,’ कैथरीन मुंह बना कर बोली.
‘उसे बहलाना कौन सी बड़ी बात है. तू चुपचाप गर्भनिरोधक गोलियां खाती रह.
उसे पता भी न चलेगा. अब तुझे इतनी सी बात भी समझानी पड़ेगी क्या?’ डोरिस बोली.
‘मेरी मान, तू अपने पति को एक कुत्ते का पिल्ला भेंट कर दे. उस का दिल लग जाएगा. किस्सा खत्म,’ रूबी बोली तो सभी ठहाका लगा कर हंस पड़े.
दिन अच्छेभले गुजरते जा रहे थे. कैथरीन अपनी ही दुनिया में मस्त थी. तंद्रा भंग होते ही कैथरीन अभि और सुहानी के बीच जो खिचड़ी पक रही थी उस के बारे में सोचने लगी. उसे बिलकुल भी इस स्थिति का अंदाजा न था. अभि ने सहसा तलाक का नाम उछाल कर उसे सकते में डाल दिया था.
अभि का हाथ थाम कर वह अपने परिवार से दूर, अपने देश को छोड़ इतनी दूर चली आई थी. उसी अभि ने उसे बीच भंवर में ला कर उस से किनारा कर लिया था. कहां गए उस के लंबेचौड़े वादे. आजन्म साथ निभाने की कसमें. एक क्षण में उस का प्यार काफूर हो गया था.
उसे अपने हाल पर रोना आया. उस ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उसे यहसजा मिली? उस ने सोचा. उस के मन ने उस की भर्त्सना की. क्या उस ने चौधरी पर झूठा इलजाम लगा कर उसे बेइज्जत नहीं किया? उसे नौकरी छोड़ने पर मजबूर नहीं किया? उस का पारिवारिक सुखचैन नष्ट नहीं किया? उस ने सुना था कि चौधरी की पत्नी ने उसे तलाक दे दिया था. यह सब मेरी वजह से हुआ, उस ने अपनेआप को धिक्कारा.
उसे बाद में जा कर पता लगा था कि दफ्तर में कुछ लोगों की चौधरी से दुश्मनी थी. उन्होंने जानबूझ कर उसे सरेआम बेइज्जत करने का प्लान बनाया था और इस काम के लिए कैथरीन को मुहरा बनाया गया था.
चंद रुपयों की खातिर मैं ने ऐसा किया, उस ने सोचा. आज मेरे पास पैसा है पर मन की शांति नहीं. मैं ने किसी और का घर उजाड़ कर अपना आशियाना बसाना चाहा था, आज मेरे पास घर है पर घर वाला जा चुका है.
कैथरीन ने चारों तरफ नजरें घुमाईं. शाम के झुटपुटे में उस का घर उजड़ा हुआ लग रहा था और उस के अंतरमन में एक गहन सन्नाटा पसरा हुआ था. उस के मन से एक हूक निकली, उस का इतनी लगन से सजाया घर आज सूना पड़ा था. अब उसे इस घर में अकेले रहना था. बिलकुल अकेले.
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पूर्व कथा
कैथरीन को इस बात का बड़ा गुमान था कि अभिजित उस की मरजी के बगैर एक कदम भी नहीं उठा सकता. मगर अचानक उस के व्यवहार में बदलाव आने लगा. इस बदलाव की जड़ थी उसी की एक छात्रा सुहानी, जिसे वह बेहद प्यार करने लगा था और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया था. कैथरीन को इस बात का पता तब चला जब वह अपनी किसी सहेली के साथ शौपिंग के लिए गई. वहां एक कौफी शौप में दोनों को हाथों में हाथ डाले बैठा देख कैथरीन तिलमिला उठी. उस ने अभिजित को सबक सिखाने का मन बना लिया. मगर घर पहुंचते ही मामला उलटा पड़ गया. अभिजित ने तलाक की बात कैथरीन से कही तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. कैथरीन का सारा भ्रम टूट कर चकनाचूर हो गया. कैथरीन को
उन दिनों की यादें सताने लगीं जब उस ने उसी कालेज में दाखिला लिया था जहां अभिजित प्रोफैसर था. और फिर एक शर्त के मुताबिक उस ने अभिजित को अपने प्रेमजाल में ही नहीं फंसाया, बल्कि उस से शादी भी कर ली थी.
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शादी के बाद हनीमून मना कर वे घर में दाखिल हुए तो कैथरीन की सास जानकी ने उस से कहा, ‘देखो कैथरीन, अब तुम इस घर की बहू हो. पर एक बात मैं तुम्हें साफसाफ बता देना चाहती हूं. मेरी रसोई में प्रवेश न करना. मेरी सास छुआछूत बहुत मानती हैं और किसी का छुआ नहीं खातीं.’
‘जी,’ कैथरीन बोली. पर उस का सर्वांग सुलग उठा.
‘एक बात और सवेरे जब उठो तो अपनी नाइटी बदल कर सलवारकमीज या साड़ी पहन कर बाहर आना. घर के बड़ेबूढ़ों का थोड़ाबहुत लिहाज तो करना ही पड़ेगा.’
‘जी,’ कैथरीन बोली.
उस ने मन ही मन अपने दांत पीसे. घर में घुसते ही इतनी हिदायतें, बंदिशें. घर भी क्या था एक खंडहर. बदरंग दीवारें, जगहजगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ. दड़बे जैसे कमरे. उसे और अभि को सब से अच्छा कमरा दिया गया था. कमरा क्या एक कोठरी थी.
एक बात उसे बहुत अखरती थी. देर रात तक घर के लोग जागते रहते थे. अभि के पिता दमे के मरीज थे और निरंतर खांसते रहते थे. सवेरे 5 बजे सास उठ जातीं और किचन में खटरपटर करने लगतीं.
अभि कैथरीन को अपनी बांहों में लेता तो वह उसे परे धकेलती, ‘रुको, अभि, घर में सब जाग रहे हैं.’
‘तो क्या हुआ, हम पतिपत्नी हैं और अपने कमरे में बंद हैं. हमें किसी से क्या लेना?’
‘नहीं, मुझे शर्म आती है.’
‘ओहो, यह क्या गंवारों जैसी बातें कर रही हो. कम औन यार, वक्त जाया न करो. मेरी बांहों में आओ. आज रविवार है,’ अभि ने कहा.
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‘तो?’
‘आज का दिन तुम्हारे नाम. हम पूरा दिन साथ बिताएंगे. पहले एक बढि़या से रेस्तरां में तुम्हें खाना खिलाएंगे. उस के बाद पिक्चर देखेंगे और शाम को पार्क में टहल कर घर लौटेंगे.’
कैथरीन उस से लिपट गई, ‘ओह अभि, तुम कितने अच्छे हो.’
पार्क में बैठेबैठे उस ने अभि के कंधे पर सिर रख दिया.
‘अभि, आज का दिन कितना अच्छा गुजरा. काश हमें एकांत खोजने के लिए घर से बाहर न आना होता. क्यों अभि, क्या हम अलग मकान में शिफ्ट नहीं कर सकते? छोटा सा 1 बैडरूम वाला, किराए का ही सही.’
‘यह कैसे संभव है डार्लिंग? 2 घर चलाना मेरे लिए मुमकिन नहीं और मैं एकएक पैसा अपनी बहनों की शादी के लिए जोड़ रहा हूं. किराए के घर के लिए भी डिपौजिट की जरूरत पड़ती है. वह कहां से लाएंगे?’
‘ओह,’ कैथरीन ने एक ठंडी सांस भरी, ‘तो सारा खेल पैसों का है.’
अगर उस का बस चलता तो वह अभि के परिवार को घर से चलता कर देती. घर मकान मालिक को लौटा कर बदले में एकमुश्त पैसे ले कर एक अलग घर बसाती, जहां वह और अभि आनंद से रहते.
पर यह सब एक आकाश कुसुम जैसा था.
‘तो कम से कम मुझे ही कोई नौकरी कर लेने दो,’ उस ने कहा, ‘घर पर तो अम्मां मुझे किसी काम को हाथ लगाने नहीं देतीं और मैं दिन भर बैठी बोर होती रहती हूं.’
‘तुम नौकरी करोगी?’
‘हां, इस में हरज ही क्या है. मैं ग्रैजुएट हूं और मैं ने सैके्रेटरी का कोर्स भी किया हुआ है. उस रोज मेरी सहेली शीला मिली थी. वह बता रही थी कि वरली में एक प्राइवेट कंपनी में रिसेप्शनिस्ट की पोस्ट खाली है. वेतन भी ठीक है और काम भी हलका है. क्या कहते हो?’
‘ठीक है. तुम्हें जंचे तो कर लो.’
कैथरीन अपनी नई नौकरी पर गई तो उसे बहुत अच्छा लगा. उस के सहकर्मी बड़े मिलनसार थे. पर अपने बौस चौधरी को ले कर वह तनिक उलझन में पड़ गई. उस के बौस जरा रंगीन मिजाज के थे. उन की आदत थी कि दफ्तर में घुसते ही स्टाफ की लड़कियों को छेड़ते, उन से चुहल करते. सब से हायहैलो करते. वे कैथरीन की मेज पर रुकते, उस से थोड़ी देर बतियाते, फिर अपने कैबिन में दाखिल होते.
‘इस रोमियो से जरा बच कर रहना,’ उसे उस के सहकर्मियों ने आगाह किया, ‘यह सब लड़कियों से फ्लर्ट करता है, उन के करीब आने की कोशिश करता है. इस से दूरी बनाए रखना.’
एक दिन चौधरी ने उसे बुलाया,
‘मिस कैथरीन, मुझे मालूम हुआ है कि तुम ने सैके्रटरी का कोर्स किया हुआ है. मेरी स्टैनो छुट्टी पर गई हुई है. अगर कुछ दिन तुम उस का काम भी संभाल लो तो मैं तुम्हारा आभारी होऊंगा.’
भला वह कैसे इनकार कर सकती थी. जबतब उस का इंटरकौम बज उठता, ‘कैथरीन, मेरे कैबिन में आना. एक लैटर डिक्टेट करना है.’
एक बार तो वह लिफ्ट से नीचे जा रही थी कि चौधरी भी लिफ्ट में आ गया.
‘तुम घर ही जा रही हो न. कहो तो मैं तुम्हें ड्रौप कर दूं.’
‘नहीं सर, मैं चली जाऊंगी.’
लेकिन चौधरी ने उस की एक न सुनी.
यहां तक तो ठीक था पर एक दिन लिफ्ट में उसे अकेली पा कर चौधरी ने उसे चूम लिया. वह हड़बड़ा गई.
‘सौरी डियर, तुम जब मुसकराती हो तो तुम्हारे गालों में जो गड्ढे पड़ते हैं वे इतने प्यारे लगते हैं कि मैं खुद को रोक न सका,’ चौधरी ने सफाई दी.
वह कैंटीन में बैठी घर से लाया हुआ सैंडविच खा रही थी कि उस के सहकर्मियों ने प्रवेश किया.
‘हैलो कैथरीन, कैसा चल रहा है?’
‘ठीक है.’
‘क्या बात है, तुम कुछ परेशान सी लग रही हो?’ शुक्ला ने कहा, ‘लगता है अपने दिलफेंक आशिक ने कोई गुस्ताखी की है.’
कैथरीन की आंखों में आंसू छलक आए.
‘मैं यह नौकरी छोड़ दूंगी,’ वह बोली.
‘तुम क्यों नौकरी छोड़ोगी? नौकरी तो उसे छोड़नी होगी.’
‘हां, हम सब उस के बरताव से तंग आ गए हैं,’ बनर्जी ने कहा, ‘हम उसे ऐसा सबक सिखाना चाहते हैं कि वह दोबारा कभी लड़कियों को छेड़ने की हिम्मत नहीं करेगा.’
‘हम ने एक प्लान बनाया है,’ गोडबोले ने कहा, ‘तुम साथ दो तो ही इसे अंजाम दिया जा सकता है.’
‘क्या मतलब?’
उन्होंने उसे बताया.
वह सोच में पड़ गई.
‘ओह, मुझे नहीं लगता कि मैं यह सब कर पाऊंगी,’ वह बोली.
‘सोच लो. हम तुम्हें इस काम के लिए 2 लाख रुपए देंगे.’
‘2 लाख?’ वह चकित हुई.
‘हां, हम ने ये रुपए चंदा मांग कर इकट्ठे किए हैं. हम किसी भी कीमत पर चौधरी को यहां से भगाना चाहते हैं. उस ने मेरी बहन का जीवन बरबाद कर दिया. वह इस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ गई और इसे दिल दे बैठी. वह सोचती थी कि यह अपनी पत्नी को तलाक दे कर उस से शादी कर लेगा. पर इस ने उसे धोखा दिया. मेरी बहन अपना मानसिक संतुलन खो बैठी है.’
‘लेकिन इस काम में बड़ा जोखिम है,’ उस ने आपत्ति की.
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‘बिलकुल नहीं. बात हम चारों के बीच रहेगी. किसी और को कानोंकान खबर भी न होगी, सोच लो. 5 मिनट के काम के लिए 2 लाख मिल रहे हैं.’
वह उधेड़बुन में पड़ी रही. बड़ी विषम परिस्थिति थी. पैसा उस की कमजोरी था. इतने सारे पैसे हाथ आ गए तो उस की सारी मुश्किलें दूर हो जाएंगी. वह और अभि एक अलग मकान किराए पर ले लेंगे और जिंदगी का भरपूर आनंद उठाएंगे. काफी सोचविचार के बाद उस ने निश्चय कर लिया.
हमेशा की तरह चौधरी ने उसे बुलाया. वह शौर्टहैंड की नोटबुक ले कर गई. फिर चौधरी ने साथ कौफी पीने की फरमाइश की. वह उसे कौफी का प्याला थमा रही थी कि प्याला छलक गया और गरमगरम कौफी उस के हाथों पर गिर गई. प्याला उस के हाथ से छूट कर छन्न से जमीन पर जा गिरा. उस के मुंह से चीख निकली.
‘अरे, जरा सी कौफी ही तो गिरी है. इस में इतना परेशान होने की क्या बात है?’ चौधरी ने कहा.
पर उस पर तो जैसे पागलपन सवार हो गया था. वह फिर जोर से चीखी.
‘क्या हुआ, हाथ जल गया क्या? देखूं तो,’ चौधरी ने उस का हाथ थामा.
उस ने उस का हाथ झटक दिया, ‘मुझे हाथ मत लगाना. मुझ से दूर रहो बदमाश कहीं के.’
चौधरी हक्काबक्का रह गया.
‘यह क्या बक रही हो? तुम होश में तो हो?’
तभी अचानक कैबिन का द्वार खुला और 4 लोग अंदर घुस आए.
‘क्या बात है? यह हंगामा कैसा है?’
कैथरीन उन लोगों को देख कर रोते हुए बोली, ‘इस आदमी ने मुझे रेप करने की कोशिश की.’
चौधरी का चेहरा पीला पड़ गया.
‘यह झूठ है. मैं ने इसे हाथ भी नहीं लगाया.’
‘इस ने मुझ से हाथापाई की. मुझे अपनी बांहों में लेना चाहा. मेरे कपड़े फाड़ दिए.’
‘झूठ, सरासर झूठ,’ चौधरी ने सिर हिलाया.
कैथरीन फूटफूट कर रोने लगी.
कैबिन में भीड़ इकट्ठा हो गई थी. कुछ के हाथों में कैमरे थे. वे धड़ाधड़ तसवीरें ले रहे थे. दरअसल, वे टीवी और अखबार वाले थे.
‘हम ने पुलिस को खबर कर दी है,’ किसी ने कहा.
‘नहीं, पुलिस मत बुलाओ,’ चौधरी गिड़गिड़ा रहा था, ‘आप लोग जानते हैं कि यह इलजाम सरासर झूठा है. आप जो चाहें मैं करने के लिए तैयार हूं. मैं इज्जतदार आदमी हूं.’
कैथरीन जब घर पहुंची तो घर के लोग टीवी के इर्दगिर्द बैठे थे. अभि का चेहरा उतरा हुआ था.
– क्रमश:
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अभी अभी कैथरीन और अभिजित में घमासान हो चुका था. अभिजित तैश में आ कर दरवाजा धड़ाम से बंद कर बाहर जा चुका था और कैथरीन चाय का खाली प्याला हाथ में थामे बुत बनी बैठी थी. उस का दिमाग एकदम सुन्न पड़ गया था. इस अप्रत्याशित प्रहार से वह एकदम बौखला गई थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अभि उसे यों छोड़ जाएगा. एक ही झटके में उस ने सारे रिश्तेनाते तोड़ दिए थे.
कैसी विडंबना थी कि जो व्यक्ति उस की मरजी के बिना एक कदम भी न उठाता था, वह उसे आज यों ठुकरा कर चला गया था. जो पुरुष उस के बिना एक पल भी नहीं रह पाता था, उसे अब उस की शक्ल तक देखना भी गवारा न था.
अभि में यह बदलाव धीरेधीरे आया था. पहले उस की दिनचर्या बदली थी.
‘‘डार्लिंग,’’ अभि ने कहा था, ‘‘हमारा रविवार का पिक्चर का प्रोग्राम कैंसिल. मुझे कुछ छात्रों के शोधकार्य जांचने हैं, उन का मार्गदर्शन करना है.’’
‘‘ठीक है,’’ उस ने सिर हिलाया. यह सब तो एक कालेज के प्रोफैसर की कार्यशैली में शामिल ही था. इस में कोई नई बात न थी.
फिर नित नए बहाने बनने लगे. आज स्टाफ मीटिंग है तो आज कुछ और.
इस पर भी उसे कोई शक नहीं हुआ. पर एक दिन उस ने अभिजित को रंगे हाथों पकड़ लिया. कैथरीन अपनी अमेरिकन सहेली डोरिस के साथ सुपर मार्केट में खरीदारी कर रही थी कि डोरिस ने उसे कोचते हुए कहा, ‘‘कैथी, उधर देख तेरा मियां बैठा है. वहां, उस कौफी शौप में. और यह उस के साथ कौन है भई? यह तो कोई स्टुडैंट दिखती है. पर इन्हें देखने से तो नहीं लगता कि ये पढ़ाईलिखाई की बातें कर रहे हैं. कैथी, मुझे तो कुछ दाल में काला नजर आता है. सच तो यह है कि मैं ने एक उड़ती हुई खबर सुनी थी कि तेरे पति का किसी छात्रा के साथ चक्कर चल रहा है. आज अपनी आंखों से देख भी लिया.’’
कैथरीन का चेहरा फक पड़ गया था.
‘‘कैथी, तू ने गौर किया किस तरह ये दोनों दीनदुनिया से बेखबर, एकदूसरे की आंखों में आंखें डाले ऐसे बातें कर रहे हैं जैसे पे्रमी हों. मुझे तो आसार अच्छे नजर नहीं लगते. कैथी, तू अपने पति की लगाम कस कर रख, नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा.’’
कैथरीन गुस्से से होंठ चबाते हुए बोली, ‘‘आने दो अभि को घर पर. आज उस की ऐसी खबर लूंगी कि जिंदगी भर याद रखेगा. उसे अपने पद की गरिमा का भी खयाल नहीं. इस तरह खुलेआम, दिनदहाड़े अपनी छात्रा के साथ रोमांस लड़ाने का क्या मतलब?
‘‘आज मैं ने तुम्हें नौर्थ मौल में देखा. वह लड़की कौन थी जिस के साथ तुम बैठे कौफी पी रहे थे?’’ कैथरीन ने सवाल दागा.
अभि चौकन्ना हो गया, ‘‘वह तो सुहानी है मेरी एक स्टुडैंट. शोधकार्य कर रही है और जबतब मुझ से मदद मांगने आ जाती है.’’
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‘‘लेकिन यह काम कालेज में या अपने घर में भी तो हो सकता है. तुम जानते हो पब्लिक प्लेस में तुम्हें किसी लड़की के साथ देख कर लोग इस का गलत मतलब निकाल सकते हैं.’’
‘‘ओह,’’ अभि ने मुंह बिचकाया, ‘‘लोगों का क्या, उन्हें तो तिल का ताड़ बनाने में देर नहीं लगती और तुम भूल रही हो कि यह अमेरिका है, इंडिया नहीं. यहां लड़कालड़की साथ बैठे हों तो कोई परवाह नहीं करता.’’
‘‘सो तो है पर फिर भी हमें सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी को उंगली उठाने का मौका न मिले?’’
वह खोदखोद कर अभि से सवाल पूछती रही. आखिर सचाई सामने आ ही गई.
‘‘अब असली बात सुन ही लो तो बेहतर है. मैं तुम्हें कई दिनों से बताना चाह रहा था और सही मौके की तलाश में था. मैं और सुहानी एकदूसरे को चाहते हैं. हम एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते.’’
उसे एक झटका लगा.
‘‘यह क्या कह रहे हो अभि? यह क्या तुम्हारी प्यार करने की उम्र है?’’
‘‘प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती,’’ अभि ने कहा.
‘‘ठीक है, पर जरा अपनी मानमर्यादा का तो खयाल करो. वह लड़की तुम से उम्र में करीब 20 साल छोटी है.’’
‘‘इस से क्या होता है?’’
‘‘अभि पागल न बनो,’’ उस ने उसे प्यार से समझाना चाहा.
पर अभिजित अपनी बात पर अड़ा रहा.
‘‘ठीक है,’’ कैथरीन ने मौके की नजाकत समझते हुए हथियार डाल दिए. उस ने स्थिति से समझौता करने की सोची, ‘‘मैं तुम्हारी भावनाओं की कद्र करती हूं. तुम उस लड़की के प्रति आकर्षित हो और वह भी तुम्हें शह दे रही है. हमारी शादी को 14 साल हो गए और हो सकता है कि तुम अपनी जिंदगी में कुछ नयापन चाह रहे हो. खैर, जो हुआ सो हुआ. मैं तुम्हारी इस क्षणिक कमजोरी को, इस गलती को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हूं. अब यह नादानी छोड़ो और उस मुई सुहानी को अलविदा कह कर मेरे पास वापस आ जाओ.’’
‘‘नहीं, हम ने तय कर लिया है कि हम एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते. मुझे तुम से तलाक चाहिए.’’
‘‘तलाक,’’ कैथरीन के दिमाग में जैसे एक हथौड़ा लगा. एकबारगी तलाक की मांग. तो मामला यहां तक पहुंच चुका है, उस ने सोचा.
‘‘अभि, यह तुम क्या कह रहे हो?’’ उस के होंठ थर्राए, ‘‘हम ने प्रेम विवाह किया था. इतने साल साथ बिताए हैं. क्या यह बात तुम्हारे लिए कोई माने नहीं रखती?’’
‘‘मैं तुम से बहस नहीं करना चाहता.
मैं तुम्हें सिर्फ इतना बताना चाहता हूं कि मेरा इरादा अटल है. मुझे तुम से तलाक चाहिए,
बस. मैं और सुहानी शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं.’’
‘‘अभि,’’ उस के मुंह से एक हृदयविदारक चीख निकली पर अभि कहां पसीजने वाला था. कैथरीन के गिड़गिड़ाने और उस के आंसुओं का उस पर कोई असर नहीं हुआ. वह टुकुरटुकुर देखती रही और अभिजित एक छोटी अटैची में अपना सामान भर कर चला गया.
अब क्या करे वह? उस ने अपने से सवाल किया. इस देश में यह सब होता ही रहता था. रोज जोड़े बदलते हैं, मानो जुराब के जोड़े हों. शादी के बंधन की कोई मान्यता ही न थी. मन भर गया तो अलग हो गए. आज इस के साथ तो कल किसी और के साथ.
अब वह भी उस जमात में शामिल हो जाएगी. तलाकशुदा, परित्यक्ता, पति की ठुकराई हुई, अकेली, गतिहीन. एक बिना मस्तूल की नाव की तरह डूबतीउतराती…
कल तक उस की सखीसहेलियां उस से रश्क करती थीं. आपस में बातें करते हुए वे कहतीं, ‘‘कितना सीधा पति मिला है कैथरीन को. उस के इशारों पर नाचता है. सब से बड़ी बात यह कि वह कैथी को छोड़ किसी और की तरफ देखता भी नहीं. भई कैथरीन, हमें भी यह गुर बताओ कि अपने पति को कैसे वश में रखा जाता है?’’
कैथरीन हंस देती, ‘‘मेरा मियां शादी से पहले अपनी मां का पल्लू थामे रहता था. अब मेरे आंचल से बंधा हुआ है.’’
वे सब ठहाका लगा कर हंसतीं और कैथरीन फूली न समाती. पर पलक झपकते
ही उस का नीड बिखर गया था. उस के सपनों का महल ताश के पत्तों सा भरभरा कर गिर गया था.
अब क्या करे वह? इंडिया चली जाए? पर वहां उस के लिए कौन बैठा था. एक मां थी, जो कभी की चल बसी थी और ससुराल में उस के लिए कोई जगह न थी. उसे अभि के शब्द याद आए, ‘मैं सुहानी के बिना जी नहीं सकता.’ वह विद्रूप सी हंसी हंसी. यही सब तो अभि ने एक दिन उस से भी कहा था.
कैथरीन अचानक पिछली यादों में खो गई.
वह उस समय सुहानी की उम्र की ही थी. कालेज में पहले ही दिन उस की सहेलियों ने उस से कहा, ‘तुझे खुश होना चाहिए कि तू इंगलिश में औनर्स कर रही है और तेरा प्रोफैसर है अभिजित अय्यर.’
‘क्यों, कोई तोप है वह?’ उस ने लापरवाही से कहा.
‘अरे तू उसे देख लेगी तो अपने होश खो बैठेगी. कितना हैंडसम है वह.’
‘फिल्म स्टार है क्या?’
‘अरी, फिल्म स्टार से भी बढ़ कर है. फिल्म स्टार में सिर्फ शक्ल होती है. इस में शक्ल और अक्ल दोनों हैं. कालेज की लड़कियां उस के आगेपीछे मंडराती हैं पर वह है कि किसी को घास नहीं डालता.’
‘क्यों भला?’ उसे कुतूहल हुआ.
‘क्या बताएं, बड़ा ही रूखा है. एकदम नीरस, घुन्ना. बस यों समझो कि किताबी कीड़ा है. नाक की सीध में क्लास में आता है और पढ़ा कर चला जाता है. न किसी से लेना न देना. किसी लड़़की की ओर ताकता भी नहीं.’
‘अच्छा.’
‘हां, हम सब कोशिश कर के हार गईं, किसी को लिफ्ट नहीं देता. बड़ी टेढ़ी खीर है.’
‘अभी उस का पाला कैथरीन नामक लड़की से नहीं पड़ा है,’ वह मुसकरा कर बोली.
‘अच्छा जी, इतना गुमान है अपने रंगरूप पर? मैं शर्त बदती हूं कि तू उसे डिगा नहीं सकेगी. मुंह की खाएगी और अपना सा मुंह ले कर आएगी,’ शीला ने कहा.
‘लगी शर्त. मैं दावे से कहती हूं कि फर्स्ट ईयर खत्म होतेहोते प्रोफैसर साहब मेरी जेब में होंगे. अगर जीत गई तो तुम्हें मुझे ताज होटल में दावत देनी होगी.’
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‘और अगर ऐसा नहीं हुआ तो?’
‘तो मैं तुम लोगों को चौपाटी पर चाट खिलाऊंगी.’
‘डन,’ उन्होंने परस्पर हाथ मिलाया.
अब ‘औपरेशन अय्यर’ शुरू हुआ. कैथरीन जानबूझ कर अभिजित का ध्यान अपनी तरफ खींचने का प्रयास करती. वह क्लास में कोई सवाल पूछता तो झट अपना हाथ उठा देती. उस के सवालों का उलटापुलटा जवाब देती. बाकी विद्यार्थी हंसते और अय्यर खिसियाता. उसे अपने चश्मे के अंदर से घूरता. क्लास में देर से आती ताकि अभिजित का ध्यान उस की तरफ खिंचे. जब उस ने सुना कि अभिजित शेक्सपीयर के एक नाटक का निर्देशन करने वाला है, तो झट नाटक में भाग लेने पहुंच गई. उस के बाद वह उस के पास जबतब अपने प्रश्नों के समाधान के लिए पहुंच जाती.
एक दिन उस ने केक का डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘लीजिए सर.’
‘यह क्या है?’
‘आज मेरा जन्मदिन है. यह मेरी मां का बनाया हुआ केक है, जो उन्होंने गोवा से भेजा है और मैं आप के लिए लाई हूं.’
‘ओह धन्यवाद,’ उस ने केक का टुकड़ा मुंह में भर लिया.
दूसरे दिन वह गेट के बाहर निकली तो अभिजित ने उसे अपनी खटरा कार से आवाज दी, ‘सुनिए मिस कैथरीन.’
कैथरीन ने चौंकने का नाटक किया, ‘ओह सर आप हैं. कहिए, मुझ से कोई काम था?’
‘हां, मैं तुम्हारे लिए फूल लाया था,’
उस ने गुच्छा आगे किया, ‘तुम्हारे जन्मदिन का तोहफा.’
‘ओह,’ वह हर्ष से किलकी, ‘कितने सुंदर फूल हैं, वे भी लाल गुलाब के, जो मुझे बेहद पसंद हैं.’
‘क्या मैं आप को कहीं ड्रौप कर सकता हूं?’ अभि ने झिझकते हुए कहा.
‘ओह शुक्रिया सर, पर आप को मेरी वजह से परेशानी होगी. मैं मरीन ड्राइव पर लेडीज होस्टल में रहती हूं.’
‘मैं मलाबार हिल पर रहता हूं. आप को रास्ते में छोड़ता चला जाऊंगा.’
‘ओह मलाबार हिल तो बड़ा शानदार एरिया है. वहां चीफ मिनिस्टर की कोठी और उद्योगपतियों के बंगले हैं.’
‘हां, उन्हीं बंगलों के बीच मेरा किराए का मकान है, जो जीर्णशीर्ण और शायद 100 साल पुराना है. गगनचुंबी, चमचमाती इमारतों के बीच एक धब्बे जैसा. उस में मेरे बाप दादा आ कर बस गए थे. मैं अपने सम्मिलित परिवार के साथ वहां रहता हूं.’
‘सम्मिलित परिवार के माने…?’
‘मैं, मेरे मातापिता, मेरी 2 छोटी बहनें, एक विधवा बूआ, उन के 2 बेटे, एक दादी व एक नानी.’
‘इतने सारे लोग एकसाथ,’ उस ने अपना सिर थाम लिया. ‘मेरा मतलब, मुझे देखिए सर मेरा इस दुनिया में एक मां को छोड़ कर और कोई नहीं है. भाईबहन का न होना मुझे बहुत खलता है.’
‘क्या तुम कभी मेरे परिवार से मिलना चाहोगी?’
‘अवश्य, जब आप कहें… यहां गाड़ी रोक लीजिए. इन फूलों के लिए अनेक धन्यवाद. बाई द वे सर क्या आप जानते हैं कि लाल गुलाब प्यार का प्रतीक होता है?’
‘अच्छा? यह बात मैं नहीं जानता था.’
‘हां, लाल गुलाब खासकर उन्हीं लोगों को दिया जाता है, जिन के लिए मन में प्यार हो मसलन प्रेयसी या पत्नी.’
वह उस की ओर विमूढ़ सा देखता रह गया. कैथरीन खिलखिलाते हुए होस्टल के गेट के अंदर दाखिल हो गई.
उस की सहेलियों ने उसे ताज होटल में खाना खिलाया और बीए की परीक्षा पास कर के वह निकली तो दीक्षांत समारोह के दिन उस के एक हाथ में कालेज की डिगरी थी और दूसरे हाथ की उंगली में अभिजित की दी हुई सगाई की अंगूठी झिलमिला रही थी.
पहला झटका उसे तब लगा जब उस ने जाना कि अभि के मातापिता उन दोनों की शादी के खिलाफ हैं.
‘क्या इस पूरे शहर में तुझे इसे छोड़ और कोई लड़की नहीं मिली?’ मांबाप ने लताड़ा, ‘हम उच्च कोटि के ब्राह्मण हैं और वह क्रिश्चियन. कैसे जमेगा? हमारे खानपान, रहनसहन में जमीनआसमान का अंतर है.’
अभि ने अपने पिता को किसी तरह समझाबुझा लिया था पर मां अड़ के बैठी थीं.
‘अरे सिर्फ सुंदर और पढ़ीलिखी होने से क्या होता है,’ उन्होंने बहस की थी, ‘शादी के लिए लड़की का कुल, गोत्र और खानदान देखा जाता है, कुंडलियां मिलाई जाती हैं. क्या हम नहीं जानते कि ईसाई लोग क्या हैं. ये पिछड़ी जाति के लोग पहले अंगरेजों के यहां बैरा और बावर्ची का काम किया करते थे. फिर बपतिस्मा पढ़ कर ईसाई बन कर अंगरेजों के बराबर कुरसी पर जा डटे. इन्हें हम काले साहब कहा करते थे पर ये लोग अपने को अंगरेजों से कम नहीं समझते थे.’
यह सब कैथरीन ने सुना तो तिलमिला कर बोली, ‘अपनी मां से कहो कि मेरे दादा अंगरेज थे और मेरी दादी ब्राह्मण. उन का प्रेम विवाह हुआ था. मेरी मां के पूर्वज पुर्तगाली थे.’
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‘छोड़ो यह सब. इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं ने मां से साफ कह दिया कि मैं शादी करूंगा तो केवल तुम से. आखिर मैं अपनी मां का इकलौता लाड़ला बेटा हूं और यह घर भी मेरी बदौलत चलता है, इसलिए मां को मेरी बात माननी ही पड़ी.’
– क्रमश: