पूरी दुनिया खासतौर से लैटिन-अमेरिकन देशों में जून को ‘प्राइड मंथ’ के रूप में मनाया जाता है. कुछ विशेष समुदायों के द्वारा जून महीने को प्राइड परेड मंथ कहा जाता है. हर साल दुनिया भर में LGBTQ समुदाय और इसे समर्थन देने वाले लोग इसे बड़े उत्साह से मनाते है. प्रदर्शन के दौरान ये लोग हाथो में एक झंडा लेकर चलते हैं जिसे इंद्रधनुष कहते हैं.
क्यों मनाया जाता है प्राइड मंथ?
28 जून 1969 को अमेरिका के मैनहट्टन के स्टोन वॉल में LGBTQ समुदाय के लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, यह छापेमारी गे समुदाय के लोगों के द्वारा लगातार किए जा रहे प्रदर्शनों और धरनों के विरोध में की गई थी. इस छापेमारी के दौरान ही पुलिस और वहां मौजूद लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई. इसके बाद पुलिस ने जब लोगों को गिरफ्तार करना शुरू किया तो हालात नियंत्रण से बाहर हो गए. जिसके बाद इस समुदाय के लोगों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया और यह संघर्ष लगातार तीन दिनों तक चला. इस लड़ाई से न केवल अमेरिका में समलैंगिक आजादी के आंदोलन की शुरूआत हुई, बल्कि बहुत से देशों में आंदोलन शुरू हो गया. इसके बाद इस समुदाय के लोगों ने अपने अधिकारों की मांग और अपनी आइडेंटिटी पर गर्व करने के लिए प्रत्येक साल जून महीने में शांति रूप से प्राइड परेड करने का फैसला लिया.
प्राइड मंथ पर निकलती है लाखों लोगों की परेड
इस मंथ को LGBTQ समुदाय के खिलाफ हो रही यातनाओं के खिलाफ विरोध में भी देखा जाता है. इस महीने का इस्तेमाल राजनैतिक तौर पर LGBTQ कम्युनिटी के बारे में पॉजिटिव प्रभाव डालने के लिए भी होता है. पूरे महीने ये लोग शहर में जगह-जगह परेड निकालते हैं. इस समुदाय के प्रति समर्थन जाहिर करने के लिए भी कई संस्थाएं इनकी परेड में शामिल होती हैं.
अमेरिका में प्राइड मंथ को कब मिली मान्यता?
बिल क्लिंटन साल 2000 ऑफिशियल तौर पर प्राइड मंथ को मान्यता देने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं. साल 2009 से 2016 तक अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा रहें, तो इस दौरान इन्होंने जून माह को LGBTQ के लोगों के लिए प्राइड मंथ की घोषणा की. मई 2019 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ट्वीट के साथ प्राइड मंथ को मान्यता दी. इसमें घोषणा की गई थी कि उनके प्रशासन ने LGBTQ को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी आधिकारिक रूप से ‘प्राइड मंथ’ की घोषणा की है. न्यूयॉर्क प्राइड परेड होने वाली सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध परेड में से एक है.
प्राइड परेड का झंडा कैसा होता है
प्राइड परेड का झंडा साल 1978 में अमेरिका के शहर सैन फ्रांसिस्को के कलाकार गिल्बर्ट बेकर द्वारा डिज़ाइन किया गया था. बेकर द्वारा बनाये गए झंडे में 8 रंग थे – गुलाबी, लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो और वायलेट, लेकिन अगले ही साल से इस झंडे में छह-रंग कर दिए गए जिसमें लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला और वायलेट रंग हैं. ये लोग इसे इंद्रधनुष मानते हुए परेड में शामिल करते हैं. महीने भर चलने वाली इस परेड में कार्यशालाएं, संगीत कार्यक्रम समेत कई अन्य कार्यक्रम शामिल हैं, जो हर जगह लोगों को आकर्षित करते हैं. इस समुदाय के लोग अपने उत्सव में शामिल होने के लिए वेशभूषा, श्रृंगार के साथ तैयार होते हैं.
किसने दिया प्राइड परेड नाम?
इस आंदोलन को ‘प्राइड’ कहने का सुझाव साल 1970 में समलैंगिक अधिकारों के कार्यकर्ता एल क्रेग शूनमेकर ने दिया था. इसका खुलासा उन्होंने दिए एक इंटरव्यू में किया इन्होंने कहा कि इससे जुड़े हुए लोग अंदर ही अंदर संघर्ष कर रहे थे और उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि खुद को समलैंगिक साबित कर अपने पर गर्व कैसे महसूस करें.
भारत में LGBTQ के कानूनी अधिकार क्या हैं?
भारत में आर्टिकल 377 के तहत समलैंगिकता अपराध की श्रेणी में था लेकिन साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता पर लगी धारा 377 को मान्यता दे दी. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत में LGBTQ को संबंध बनाने का क़ानूनी अधिकार दे दिया गया. इस ख़ुशी के मौके पर इसे सेलिब्रेट करने के लिए LGBTQ समुदाय के लोगों ने पूरे देश में एक स्वतंत्र नागरिक होने की हैसियत से मार्च किया.
हालांकि अभी भी भारत में LGBTQ समुदाय के लोगों को शादी करने और बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं है जबकि ऑस्ट्रेलिया, माल्टा, जर्मनी, फिनलैंड, कोलंबिया, आयरलैंड, अमेरिका, ग्रीनलैंड, स्कॉटलैंड समेत 26 देशों में LGBTQ समुदाय के लोगों को शादी करने और बच्चे गोद लेने का अधिकार है.
भारत में कब शुरू हुई प्राइड परेड और इसका इतिहास?
भारत में पहली प्राइड परेड 02 जुलाई, 1999 को कोलकाता में आयोजित की गई थी. इसे तब कोलकाता रेनबो प्राइड वाक नाम दिया गया था. सिटी ऑफ जॉय के नाम से मशहूर कोलकाता में हुई इस परेड में सिर्फ 15 लोग शामिल हुए थे जिसमें एक भी महिला नहीं थी. इसके बाद आने वाले सालों में देश के कई राज्यों में इसका आयोजन किया जाता है.
साल 2008 में दिल्ली और मुंबई में पहली बार LGBTQ समुदाय लोगों ने प्राइड परेड का आयोजन किया था. दिल्ली में इस समुदाय के द्वारा हर साल नवंबर के आखिरी संडे को प्राइड परेड का आयोजन किया जाता है.