लेखक- सुरेश सौरभ
‘‘पता नहीं इस बुढि़या ने न जाने कहांकहां और क्याक्या कितना छिपा रखा है. मेरी तो जान आफत में आ पड़ी है. क्या उठाऊं और क्या धरूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
‘‘यह बुढि़या भी बड़ी अजीब थी. जाने कहांकहां का… जाने क्यों ये चिथड़ेगुदड़े संभाल कर रखे हुए थी,’’ भुनभुनाते हुए सुमन अपनी मर चुकी सास के पुराने बक्से की सफाई कर रही थी.
तभी सुमन की नजर बक्से के एक कोने में मुड़ेतुड़े एक तकिए पर पड़ी जिस के किनारे की उखड़ी सिलाई से 500 का एक पुराना नोट बत्तीसी दिखाता सा झांक रहा था.
सुमन ने बड़ी हैरत से उस तकिए को उठाया, हिलायाडुलाया, फिर किसी अनहोनी के डर से जल्दीजल्दी उस तकिए की सिलाई उधेड़ने लगी.
अब सुमन के सामने 1000-500 के पुराने नोटों का ढेर था. वह फटी आंखों से उसे हैरानी से देखे जा रही थी. थोड़ी देर तक उस का दिमाग शून्य पर अटक गया, फिर उस की चेतना लौटी.
सुमन ने फौरन आवाज लगाई, ‘‘अरे भोलू के पापा, जल्दी आओ… जरा सुनो तो…’’
‘‘क्या आफत आ गई. अभी खाना दे कर गई है और पुकारने लगी है. यह औरत जरा भी सुकून से खाना नहीं खाने देती है,’’ पति झुंझलाया.
‘‘अरे, जल्दी आओ,’’ सुमन ने दोबारा कहा.
‘‘पता नहीं, कोई सांपबिच्छू तो नहीं है…’’ बड़बड़ाता हुआ पति वहां पहुंचा. सुमन सिर पर हाथ रखे अपने सामने 1000-500 के पुराने नोटों के ढेर को बड़ी हैरानी से देख रही थी.
पति ने यह नजारा देखा तो उस के भी होश उड़ गए. सारा गुस्सा ठंडा हो गया. फिर अटकतेअटकते वह बोला, ‘‘यह सब क्या है सुमन…’’
‘‘तुम्हारी मां ने बड़े अरमान से हमारी गरीबी दूर करने के लिए ये पैसे जोड़जोड़ कर अपने तकिए में रखे थे. लेकिन 2 साल पहले बेचारी मरते समय यह राज हमें न बता पाई. दिल में यही अरमान रहे होंगे कि बहू, बेटे और उन के बच्चों की इन रुपयों से गरीबी दूर हो जाएगी. पर हाय रे नोटबंदी का दानव मेरी सासू मां के सारे अरमानों को खा गया.’’
यह देख पति भारी मन से बोला, ‘‘अम्मां को मैं ही दवादारू के लिए थोड़ेबहुत पैसे देता रहता था, पर मुझे क्या पता था कि वे हमारी गरीबी दूर के लिए पैसे जोड़ रही थीं.’’
सुमन डबडबाई आंखों से बोली, ‘‘सचमुच अम्मां का दिल बहुत बड़ा था.’’
पति ने कहा, ‘‘हां, शायद हम लोगों से भी
ज्यादा बड़ा…’’
सुमन बोली, ‘‘आप सही कहते हो.’’
अब वहां वे दोनों फूटफूट कर रोने लगे, जिसे सिर्फ घर की दीवारें ही सुन पा रही थीं.
नरेंद्र मोदी की सरकार ने सोचा था कि वह नोटबंदी से अमीरों का काला धन निकालेगी, पर यहां तो गोराचिट्टा धन एक रात में काला हो गया था.