रहे चमकता अक्स: भाग-3

दिल्ली पहुंच कर वे एक होटल में ठहरे. वहां पहुंचने के अगले दिन ही अनन्या ने अपने दोस्तों को लंच पर बुलाने का कार्यक्रम रखा. जिस होटल में वह ठहरी हुई थी, उस का पता सब को बता कर उस ने वहां के डाइनिंग हौल में ही टेबल्स बुक करवा दीं. अपनी मनपसंद ड्रैस पहन अनन्या बेसब्री से दोस्तों का इंतजार करने लगी.

मनीष ने सब से पहले आ कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. अनन्या उसे देखते ही खिल उठी. पर मनीष ने उसे देख मुंह बना कर आंखें सिकोड़ते हुए कहा, ‘‘अरे, यह क्या? तू… तू इतनी मोटी? क्या कर लिया?’’

इस से पहले कि अनन्या कोई जवाब देती, नमन भी आ पहुंचा. फिर 1-1 कर के सब आ गए.

‘‘मैं अनन्या से मिल रहा हूं या किसी बहनजी से… कैसी थुलथुल हो गई इतने दिनों में… आलसियों की तरह पड़ी रह कर खूब खाती है क्या सारा दिन?’’ नमन हंसते हुए बोला.

अनन्या रोंआसी हो गई, ‘‘अरे, नहीं. न मैं आलसी हूं और न ही कोई डाइटवाइट बढ़ी है मेरी… हाइपोथायरायडिज्म की प्रौब्लम हो गई है… बताया तो था नमन तुम्हें कुछ दिन पहले.’’

‘‘यह मेरी भाभी को भी है, पर तू तो कुछ ज्यादा ही…’’ अपने गालों को फुला कर दोनों हाथों से मोटापे का इशारा करती हुई स्वाति ठहाका लगा कर हंस पड़ी.

सब की बातों से उदास अनन्या ने वेटर को खाना लगाने को कहा. खाना खाते हुए भी दोस्त ‘मोटी और कितना खाएगी’ जैसी बातें करते हुए उस का मजाक उड़ाने से बाज नहीं आ रहे थे. नमन भी उन का साथ देते हुए ‘बसबस… बहुत खा लिया’ कह कर बारबार उस की प्लेट उस के सामने से हटा रहा था. खाना खाने के बाद अनन्या बाहर तक छोड़ने आई.

‘‘ओके… बाय चुनचुन… नहीं टुनटुन…’’  नमन के कहते ही सब जाते हुए खूब हंसे, पर अनन्या का मन छलनी हुआ जा रहा था. उदास मन से वह अपने कमरे में आ कर बैठ गई.

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घर पहुंच कर नमन ने उसे कोई मैसेज

नहीं किया और न ही उस के किसी मैसेज का जवाब दिया.

अगले दिन दोपहर में जब अनन्या ने उसे फोन किया तो ‘बहुत बिजी हूं आजकल… टाइम मिलेगा तो खुद कर लूंगा कौल,’ कह कर उस ने फोन काट दिया.

अनन्या रोज प्रतीक्षा करती, लेकिन न फोन और न ही मैसेज आया नमन का और फिर वापस जाने का दिन भी करीब आ गया.

अनन्या ने लौटने से 1 दिन पहले नमन को शिकायत भरा मैसेज भेजा.

कुछ देर बाद नमन का जवाब भी आ गया, ‘इतना गुस्सा क्यों दिखा रही हो? तुम्हारा मैसेज देख कर तो ‘जवानीदीवानी’ फिल्म का गाना याद आ रहा है- ‘खल गई, तुझे खल गई, मेरी बेपरवाही खल गई… मुहतरमा तू किस खेत की मूली है जरा बता?’ और इसे मजाक का रूप देने के लिए जीभ निकाल कर एक आंख बंद किए चेहरे वाली इमोजी जोड़ दी साथ में.

जवाब देख कर अनन्या को बहुत गुस्सा आया कि कहां तो नमन मेरे दिल्ली पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था और अब बात करना तो दूर… किस तरह मुझे बेइज्जत कर

रहा है. मैं तो वही हूं न जो पहले थी… क्या

बाहर की खूबसूरती नमन के लिए इतनी अहमियत रखती है कि उस के लिए अनन्या मतलब गोरे रंग की 5 फुट 1 इंच की स्लिम सी लड़की थी बस… वह लुक नहीं रहा तो अनन्या, अनन्या नहीं…

रात को सोने के लिए जब वह बैड पर लेटी तो अभिनव के करीब जा कर उस के सीने में अपना मुंह छिपाए चुपचाप लेट गई.

‘‘क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है? कल वापस जा रहे हैं, इसलिए उदास हो शायद?’’ अभिनव उस की पीठ पर हाथ रख कर बोला.

अनन्या कुछ देर यों ही रहने के बाद अभिनव की ओर देखते हुए बोली, ‘‘एक बात पूछूं अभिनव? क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि मैं इतनी मोटी हो गई हूं? फेस भी सूजा सा, कुछ बदलाबदला सा लग रहा है… तुम ने तो एक स्लिमट्रिम, गोरी लड़की से शादी की थी, पर वह क्या से क्या हो गई.’’

‘‘हा… हा…’’ पहले तो अभिनव ने एक जोरदार ठहाका लगाया. फिर मुसकरा कर अनन्या की ओर देखते हुए बोला, ‘‘उफ, अनन्या कैसा सवाल है यह? यह सच है कि तुम्हें एक बीमारी हो गई है और उस में वेट कंट्रोल करना मुश्किल होता है… पर यह बताओ कि क्या हम हमेशा वैसे ही दिखते रहेंगे जैसे शादी के वक्त थे? मेरे बाल अकसर झड़ते रहते हैं. अगर मैं गंजा हो जाऊंगा या फिर बुढ़ापे में जब मेरे दांत टूट जाएंगे तो मैं तुम्हें खराब लगने लगूंगा?’’

‘‘तुम मुझे प्यार तो करते हो न?’’ अनन्या के चेहरे पर निराशा अभी भी झलक रही थी.

अभिनव एक बार फिर खिलखिला कर हंस पड़ा, ‘‘अनन्या सुनो, तुम इतनी समझदार हो कि मैं कब तुम से पूरी तरह जुड़ गया मैं समझ ही नहीं पाया. तुम मेरी केयर तो करती ही हो, मुझ से हर बात शेयर करती हो, बिना वजह कभी झगड़ा नहीं करती… मैं औफिस के काम में इतना बिजी रहता हूं फिर भी झेलती हो मुझे. तुम सच में अपने नाम की तरह ही सब से बिलकुल अलग, बहुत खास हो.

‘‘पर इस से पहले तो आप ने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा?’’ अभिनव की प्रेममयी बातें सुन भावविभोर हो अनन्या बोली.

‘‘मैं हूं ही ऐसा… बोलना कम और सुनना बहुत कुछ चाहता हूं… अनन्या यकीन करो, मुझे बिलकुल तुम जैसी लाइफपार्टनर की जरूरत थी.’’

अनन्या मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी.

‘‘एक बात और कहूंगा… अपने शरीर का ध्यान रखना हम सब के लिए जरूरी

है पर तन की सुंदरता कभी मन की सुंदरता पर हावी नहीं होनी चाहिए… तुम जब भी मेरे इस मन में झांक कर अपनी सूरत देखोगी, तुम्हें अपनी वही सूरत दिखाई देगी जो कल थी, आज भी वही और आने वाले कल भी…’’

‘ओह, अभिनव… और कुछ नहीं चाहिए अब… कोई मुझे कुछ भी कहता रहे परवाह नहीं… बस तुम्हारे दिल के आईने में मेरा अक्स यों ही चमकता रहे,’ सोचती हुई अनन्या नम आंखों को मूंद कर अभिनव से लिपट गई. अभिनव के प्रेम की लौ में पिघल कर वह बहुत हलका महसूस कर रही थी.

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