ट्रोल होने पर क्यों हुई एक्ट्रेस Raima Sen को ख़ुशी, पढ़ें इंटरव्यू

हिंदी और बांग्ला फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री मुनमुन सेन की बेटी राइमा सेन एक बहुत ही खुबसूरत,हंसमुख, शालीन और मृदुभाषी अभिनेत्री है. करीब 20 सालों तक फिल्मों में काम करने के बाद अब उन्हें हिंदी और बांग्ला वेब सीरीज में काम करने की इच्छा है, क्योंकि ओटीटी की फिल्मों की कहानियाँ, वास्तविक और रियल होती है, जिसे करना उनके  लिए चुनौती होती है. उनका चेहरा बंगाल की लिजेंडअभिनेत्री और नानी सुचित्रा सेन की तरह है, इसलिए उन्हें हमेशा शालीन और चुपचाप भारतीय नारी की भूमिका ही फिल्मों में मिला करती थी.

बार-बार ट्रेडिशनल भारतीय नारी की भूमिका निभाकर परेशान हो चुकी राइमा ने एक सेक्सी फोटोशूट करवाया और डिजिटल मिडिया ट्रोल हुई पर सबसे अधिक लाइक्स मिले,जबकि पहले उन्ही फैन फोलोइंग बढ़ नहीं रही थी. फ़िल्मी माहौल में पली और बड़ी हुई राइमा सेन  शुरू से अभिनय के अलावा कुछ दूसरा काम करने के बारें में नहीं सोचा था. 17 साल की उम्र में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘गॉडमदर’ में काम शुरू किया था. उनका फ़िल्मी जीवन कमोवेश सफल रहा, लेकिन उनके निजी जीवन में सफलता नहीं मिली, उनका नाम व्यवसायी वरुण थापर, अभिनेता कुनाल कपूर और राजनेता कलिकेश नारायण सिंह देव के साथ जुड़े, पर उन्होंने अपने काम को अधिक महत्व दिया.

उनकी फिल्म माई’ रिलीज पर है,जिसमे उन्होंने नीलम की भूमिका निभाई है, आइये जाने उनके जीवन से जुडी कुछ बातें.

सवाल – आपकी जर्नी से आप कितनी संतुष्ट है, क्या कोई मलाल रह गया है?

जवाब – मैंने सारे बड़े निर्देशकों के साथ काम किया है, इसलिए किसी प्रकार की रिग्रेट अब नहीं है. इस फिल्म में नीलम की भूमिका करने के बाद, आगे दर्शक मुझे अलग भूमिका में देखना चाहे और मुझे वैसी चुनौतीपूर्ण भूमिका मिले, इसकी कोशिश रहेगी.

सवाल – किसी चरित्र को करने के बाद उससे निकलना कितना मुश्किल या आसान होता है?

जवाब – मेरे लिए निर्देशक का अच्छा होना बहुत जरुरी है, ताकि मैं उनकी आँखों से मेरी भूमिका को देख सकूँ. इस फिल्म के साथ हम सभी 2 साल तक जुड़े रहे, क्योंकि कोविड था, इसलिए इसके ख़त्म होने के बाद सभी को लगने लगा कि अब आगे क्या करें? लेकिन एक राहत थी कि फिल्म पूरी हो गयी और मैं अपने घर चली गयी. चरित्र से निकलना मुश्किल नहीं होता.

सवाल – आपका चेहरा आपकी नानी और अभिनेत्री सुचित्रा सेन से मेल खाती है, क्या इसका फायदा आपको मिला?

जवाब – 17 साल की उम्र में जब मैं अभिनय करने आई थी, तो बंगाल में मेरे ऊपर बहुत बड़ा प्रेशर, तुलना, आशाएं बहुत थी.  मैं बहुत घबरा गयी थी, क्योंकि सुचित्रा सेन की नातिन और मेरी पहली फिल्म ‘गॉडमदर’ थी, लोगों ने मुझे बहुत कुछ भला-बुरा कहा, लेकिन ‘चोखेर बाली’ फिल्म के बाद लोगों ने मुझे राइमा सेन नाम से माना.

सवाल –इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

जवाब – मुझे कास्टिंग डायरेक्टर और निर्देशक अतुल मोंगिया के साथ काम करने की बहुत इच्छा थी और पहले मैं उनके साथ एक एक्टिंग वर्कशॉप करना चाहती थी, लेकिन उसी दौरान उनके ऑफिस से मुझे फ़ोन आया कि वे एक फिल्म ‘माई’ बनाने जा रहे है और मेरा स्क्रीन टेस्ट करना चाहते है,मुझे बहुत ख़ुशी हुई. मैं ऑफिस पहुंची और स्क्रीन टेस्ट दिया. जब मैं सेलेक्ट हुई तो मुझे स्क्रिप्ट दिया गया. मुझे मेरी भूमिका बहुत अच्छी लगी, क्योंकि पुरुषों की दुनिया में एक स्ट्रोंग महिला और मैंने ऐसी भूमिका कभी नहीं की थी.

सवाल –आपकी सीधी-सादी इमेज से निकलकर इस तरह की भूमिका को करने के लिए कितनी तैयारियां करनी पड़ी?

जवाब – 10 दिन का मैंने मैडिटेशन किया जिसमे वर्कआउट से लेकर स्क्रिप्ट को पढना एक्टिंग की प्रेक्टिस सब थी. ऐसे वर्कशॉप से अंतरात्मा में बहुत सुकून मिलता है, जिससे किरदार में जाना आसान होता है. हम सभी ने लखनऊ शूटिंग में जाने से पहले किये थे, जिसका फायदा मुझे मिला. इसके अलावा मुझे इस भूमिका में हेयर कट करवाने थे, जबकि मेरे केश तो हमेशा लम्बे ही रहे है, लेकिन हेयर कट से मेरे अंदर उस भूमिका के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस आ गया था.

सवाल – इस भूमिका से आप कितना रिलेट कर पाती है?

जवाब – नीलम की भूमिका से मैं बहुत हद तक रिलेट कर पाती हूँ, क्योंकि नीलम अपने इमोशन को कभी शो नहीं करती,केवल एक ही व्यक्ति केशव को वह अपना इमोशन जाहिर करती है. मैं भी बहुत हद तक अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं करती. इसके अलावा इतने साल काम करने के बाद भी मुझे लगता है कि मैं पुरुषों के क्षेत्र में एक महिला हूँ और मैं  पुरुषों को हैंडल करना जानती हूँ.

सवाल – क्या आप हिंदी और बांग्ला फिल्मों में कुछ अंतर महसूस करती है?

जवाब – सिर्फ भाषा अलग है, लेकिन शूटिंग एक जैसे ही है. काम वैसे ही होता है. वहां पर भी प्रेशर काम का होता है, यहाँ भी काम का प्रेशर होता है. कहानियों में बदलाव आने से सभी को अलग-अलग वेरायटी के किरदार मिलते है. किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं होती और सभी कलाकार अपनी इच्छा के अनुसार सब कर सकते है. मेरे हिसाब से यही भविष्य है.

सवाल – आप अपनी माँ मुनमुन सेन की काम से कितनी प्रभावित है, उनकी कौन सी ऐसी बात है, जिसे आप हमेशा याद रखती है?

जवाब – मेरी माँ अभी भी मेरी क्रिटिक है. जब भी मेरी सिनेमा देखती है, तो एक्टिंग सही न होने पर उसे करने का तरीका बताती है. इसके अलावा कई बांग्ला फिल्मों में मेरी माँ ने ड्रेस की स्टाइलिंग भी की है, इससे मुझे अपने चरित्र में घुसना आसान होता है.

सवाल – इतनी सारी फिल्मों में कौन सी फिल्म दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – मेरी पहली फिल्म ‘गॉडमदर’ और टर्निंग पॉइंट ‘चोखेर बाली’ थी. अभी मेरी फिल्म ‘माई’ है, जिसे लेकर मैंने 2 साल बिताया है.

सवाल – आपकी ब्यूटी मंत्र क्या है?

जवाब – इसमें मेरी माता-पिता को धन्यवाद् देती हूँ, उनकी जींस मुझे और मेरी बहन रिया को मिली है, किसी को कुछ लगाने की जरुरत नहीं. साधारण खान पान और नीद पूरी करने पर स्किन में चमक रहती है. इसके अलावा मैं बहुत फूडी हूँ, डाइट नहीं करती और हर तरह के व्यंजन खाती हूँ. इसलिए समय मिलने पर सप्ताह में 3 से 4 दिन जिम में अवश्य चली जाती हूँ.

सवाल – आगे कौन-कौन सी फिल्में है?

जवाब – आगे मैं एक बांग्ला वेब सीरीज ‘रक्तो करबी’ और तमिल फिल्म आगे आने वाली है.

सवाल – आपकी एक बोल्ड शूटकी वजह से कंट्रोवर्सी की शिकार बनी, इस बारें में आप क्या कहना चाहती है?

जवाब – मैंने इसे जान-बुझकर इस शूट को करवाया था, ताकि लोगों के मन की बात समझ सकूँ. कंट्रोवर्सी चाहे कितनी भी हो, लेकिन उसमें सबसे अधिक लाइक्स मिले. अब तक मैंने जितनी भी भूमिकाएं की थी, मेरे फैन्स की संख्या नहीं बढ़ी थी, लेकिन इस शूट के बाद इतनी लोगों की लाइक्स को देखकर मुझे समझ में आया कि दर्शक मुझे इस अवतार में भी देखना चाहते है. असल में कम्फर्ट जोन से निकलकर काम हमेशा करनी चाहिए.

सवाल – आजकल महिलाओं के इतनी जागरूक होने के बाद भी उनपर घरेलू हिंसा,अत्याचार बहुत दिखाई पड़ रहा है, इसकी जिम्मेदारी किसकी मानती है, समाज, परिवार या धर्म?

जवाब –असल में आज की महिलाएं आगे आकर बोल सकती है, जो पहले संभव नहीं था. उनके आवज को दबा दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता. ओटीटी ने इसकी जिम्मेदारी अच्छी तरह से ले ली है. अब महिलाएं अपनी बाते सबके सामने कह सकती है. जिम्मेदारी सभी की होती है, क्योंकि सब मिलकर ही एक बच्चे की परवरिश करते है.

सवाल – एक मेसेज मदर्स के लिए क्या देना चाहती है?

जवाब – मेरा सभी माओं से कहना है कि माँ कभी कमजोर नहीं होती. उनका प्यार उनकी जर्नी, उनका दुःख दर्द उन्हें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की साहस देती है. आजकल प्रताड़ित माताओं को कई एनजीओ की तरफ से अच्छी तरह रखा जाता है, उन्हें कई सुविधाए दी जाती है, ताकि वे कुछ कमाकर आत्मनिर्भर बने.

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