REVIEW: जानें कैसी है Akshay Kumar की फिल्म Rakshabandhan

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताःजी स्टूडियो, कलर येलो प्रोडक्शन और अलका हीरानंदानी

निर्देशकः आनंद एल राय

लेखकः कनिका ढिल्लों और हिमांशु शर्मा

कलाकारः अक्षय कुमार, भूमि पेडणेकर, सहजमीन कौर, साहिल मेहता, दीपिका खन्ना, सदिया खतीब,  स्मृति श्रीकांत, सीमा पाहवा, नीरज सूद व अन्य.

अवधिः एक घंटा पचास मिनट

बौलीवुड में आनंद एल राय की गिनती सुलझे हुए, बेहतरीन व समझदार निर्देशक के रूप में होती है.  ‘तनु वेड्स मनु’,  ‘रांझणा’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’जैसी सफलतम फिल्मों के निर्देशन के बाद वह फिल्म निर्माण में व्यस्त हो गए. आनंद एल राय ने ‘निल बटे सन्नाटा’, ‘हैप्पी भाग जएगी’’,  ‘शुभ मंगल सावधान’ व तुम्बाड़’जैसी बेहतारीन व सफल फिल्मों का निर्माण किया. इसके बाद उनके अंदर अजीबोगरीग परिवर्तन नजर आने लगा. और पूरे तीन वर्ष बाद जब बतौर निर्माता व निर्देशक ‘जीरो’ लेकर आए, तो यह फिल्म बाक्स आफिस पर भी ‘जीरो’ ही साबित हुई. इसके बाद फिल्मकार के तौर पर उनका पतन ही नजर आता रहा है. बतौर निर्देशक उनकी पिछली फिल्म ‘अतरंगी रे’’ भी नही चली थी. अब बतौर निर्माता व निर्देशक उनकी उनकी नई फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ 11 अगस्त को सिनेमाघरों में पहुंची है. इस फिल्म से भी अच्छी उम्मीद करना बेकार ही है. सच यही है कि ‘तनु वेड्स मनु’ या ‘रांझणा’ का फिल्मकार कहीं गायब हो चुका है. मजेदार बात यह है कि फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ के ट्ेलर को दिल्ली में आधिारिक रूप से रिलीज करने से एक दिन पहले मुंबई में ट्ेलर दिखाकर अनौपचारिक रूप से जब अनंद एल राय ने हमसे बातें की थी, तो उस दिन उन्होने काफी समझदारी वाली बातें की थी. हमें लगा था कि उनके अंदर सुधार आ गया है. मगर दिल्ली में ट्रेलर रिलीज कर वापस आते ही वह एकदम बदल चुके थे. फिर उन्होने  अपनी फिल्म को लंदन व दुबई में जाकर प्रमोट किया. दिल्ली,  इंदौर,  लखनउ,  चंडीगढ़,  जयपुर, कलकत्ता,  पुणे,  अहमदाबाद,  वडोदरा सहित भारत के कई शहरों में ‘रक्षाबंधन’’ के प्रमोशन के लिए सभी कलाकारांे के साथ घूमते रहे. कलाकारों के लिए बंधानी साड़ी से जेवर तक खरीदते रहे. हर इंवेंअ पर लाखों लोगों का जुड़ा देख खुश होेते रहे. पर अब उन्हे ख्ुाद सोचना होगा कि हर शहर में जितनी भीड़ उन्हे देखने आ रही थी, उसमें से कितने प्रतिशत लोगों ने उनकी फिल्म देखने की जहमत उठायी. लोग सिनेमाघर मे अपनी गाढ़ी व मेहनत की कमाई से टिकट खरीदने के बेहतरीन कहानी देखते हुए मनोरंजन के लिए जाता है. जिसे ‘रक्षाबध्ंान’ पूरा नहीं करती. फिल्म का नाम ‘रक्षाबंध्न’ है, मगर इसमें न तो भाई बहन का प्यार उभर कर आया और न ही दहेज जैसी कुप्रथा पर कुठाराघाट ही हुआ.

कहानीः     

कहानी का केंद्र दिल्ली के चंादनी चैक में गोल गप्पे@ पानी पूरी यानी कि चाट बेचने वाले लाला केदारनाथ(अक्षय कुमार) और उनकी चार अति शरारती बहनों के इर्द गिर्द घूमती है. जिन्होने मृत्यू शैय्या पर पहुंची अपनी मां को वचन दिया था कि वह अपनी चारों छोटी बहनों की उचित शादी करवाने के बाद ही अपनी प्रेमिका सपना(  भूमि पेडणेकर) संग विवाह रचाएंगे. यह चारों बहने भी अपने आप में विलक्षण हैं. एक बहन दुर्गा (दीपिका खन्ना), जरुरत से ज्यादा मोटी हैं. एक बहन सांवली ( स्मृति श्रीकांत  ) , जबकि एक बचकाने लुक (सहजमीन कौर ) हैं. चैथी बहन गायत्री(सादिया खतीब) खूबसूरत व सुशील है. लाला केदारनाथ जिस चाट की दुकान पर बैठते हैं, वह उनके पिता ने शुरू किया था, जिस पर लिखा है ‘गर्भवती औरतें बेटे की मां बनने के लिए उनकी दुकान के गोल गप्पे खाएं. अब अपने पारिवारिक मूल्यों को कायम रखते हुए अपनी बहनों की शादी कराने के लाला केदारनाथ के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं. उधर सपना के पिता हरिशंकर(नीरज सूद) सरकारी नौकर हैं और उनके रिटायरमेंट में महज आठ माह बचे हैं. वह रिटायरमेंट से पहले ही अपनी बेटी सपना की शादी करवाने के लिए लाला केदारनाथ पर बीच बीच में दबाव डालते रहते हैं.

लाला केदारनाथ अपनी बहनों की शादी नही करवा पा रहे हैं. क्योंकि वह उस कर्ज की हर माह लंबी किश्त चुका रहे हैं, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय उनके पिता ने लिया था. इसके अलावा हर बहन की शादी में दहेज देने के लिए बीस बीस लाख रूपए नही हैं. किसी तरह जुगाड़कर 18 लाख रूपए दहेज में देकर वह मैरिज ब्यूरो चलाने वाली शानू (सीमा पाहवा ) की मदद से एक बहन गायत्री की शादी करवा देते हैं. उसके बाद अचानक हरीशंकर रहस्य खोलते हैं कि उन चारों बहनों के लाला केदारनाथ सगे भाई नही है. लाला केदारनाथ के पिता ने एक बंगले के सामने से उठाकर अपने रूार में नौक के रूप में काम करने के लिए लेकर आए थे, पर केदारनाथ मालिक ही बन बैठे. यहीं पर इंटरवल हो जाता है.

इंटरवल के बाद कहानी आगे बढ़ती है. अन्य बहनों की शादी के लिए लाला केदारनाथ अपनी एक किडनी बेचकर घर उसी दिन पहुंचते हैं, जिस दिन रक्षाबंधन है. तभी खबर आती है कि गायत्री ने आत्महत्या कर ली. और सब कुछ अचानक बदल जाता है. उसके बाद लाला केदारनाथ दूसरी बहनों की शादी करा पाते हैं या नही. . आखिर सपना व केदारनाथ की शादी होती है या नही. . इसके लिए तो फिल्म देखनी पड़ेगी. ?

लेखन व निर्देशनः

फिल्म ‘रक्षाबंधन’’ देखकर यह अहसास नही होता कि यह फिल्म ‘तनु वेड्स मनु ’ और ‘रांझणा’ जैसे फिल्मसर्जक की है. फिल्म की पटकथा अति कमजोर, भटकी हुई और गफलत पैदा करने वाली है. जब हरीशंकर को पता है कि लाला केदारनाथ तो भिखारी था, जिसे नौकर बनाकर लाया गया था, तो ऐसे इंसान के साथ हरीश्ंाकर अपनी बेटी सपना का विवाह क्यों करना चाहते हैं? फिल्म में इस सच को ‘जोक्स’ की तरह कह दिया जाता है. इसके बाद इस पर फिल्म में कुछ खास बात ही नही होती. इंटरवल तक फिल्म लाला केदारनाथ यानी कि अक्षय कुमार की झिझोरेपन वाली उझलकूद, मस्ती व स्तरहीन जोक्स के साथ स्टैंडअप कॉमेडी के अलावा कुछ नही है. इंटरवल से पहले एक दृश्य है. चांदनी चैक की व्यस्त गली में एक बेटे का पिता खुले आम कहता है,  ‘‘हमने अपनी बेटी की शादी के दौरान दहेज दिया था,  इसलिए हम अपने बेटे की शादी के लिए दहेज की मांग कर सकते हैं. ‘‘ कुछ दश्यों के बाद जब एक सामाजिक कार्यकर्ता जनता से दहेज को हतोत्साहित करने का आग्रह करती है,  तो लाला केदारनाथ ( अक्षय कुमार ) गर्व से उस महिला से कहते हैं कि दहेज की निंदा करना आसान है. जब आपकी दो लड़कियां हैंं,  लेकिन अगर दो बेटे होंते, तो आप निंदा न करती. चांदनी चैक के हर इंसान का समर्थन लाला केदारनाथ को मिलता है.

लेकिन जब गायत्री दहेज के चलते मारी जाती है, तब शराब के नशे में केदारनाथ दहेज का विरोध करते हुए अपनी बहनों की शादी में दहेज न देने का ऐलान करते हैं. अब इसे क्या कहा जाए?? कुल मिलाकर यह फिल्म ‘‘दहेज ’’की कुप्रथा पर भी कुठाराघाटनही कर पाती.  हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश मंे शराब के नशे में इंसान जो कुछ कहता है, उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता. आनंद एल राय ने शायद 21 वीं सदी में भी साठ के दशक की फिल्म बनायी है, जहां जमींदार व साहूकारों का अस्तित्व है, तभी तो द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त अपने पिता द्वारा लिए गए कर्ज को केदारनाथ चुका रहे हैं. कुल मिलाकर कमजोर व भटकी हुई पटकथा तथा औसत दर्जे के निर्देशन के चलते ‘दहेज विरोधी’ संदेश प्रभावी बनकर नहीं उभरता. इसके अलावा इस विषय पर अब तक सुनील दत्त की फिल्म ‘यह आग कब बुझेगी’ व ‘वी.  शांताराम’ की ‘दहेज’ सहित सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं.   पर दहेज प्रथा का उन्मूलन 21 वीं सदी में भी नही हुआ है.

गायत्री की मौत पर पुलिस बल की मौजूदगी में गायत्री की ससुराल के पड़ोसी चिल्ला चिल्लाकर आरोप लगाते हैं कि महज एक फ्रिज की वजह से गायत्री की हत्या की गयी है. मगर पुलिस मूक दर्शक ही बनी रहती है. बहनांे के लिए कुछ भी करने का दावा करने वाला भाई लाला केदारनाथ सिर्फ शराब पीकर आगे दहेज न देने का ऐलान करने के अलावा कुछ नही करता. फिल्म न तो न्याय की लड़ाई लड़ती है और न ही दहेज विरोधी कोई सशक्त संदेश ही देती है. यह लेखकद्वय और निर्देशक की ही कमजोरी है.

फिल्म के निर्देशक आनंद एल राय कभी टीवी से जुड़े रहे हैं. उनके बड़े भाई रवि राय ‘सैलाब’ सहित कई उम्दा व अति बेहतरीन सीरियल बना चुके हैं, उनके साथ आनंद एल राय बतौर सहायक काम कर चुके हैं. उन्ह दिनों जीटीवी पर एक सीरियल ‘अमानत’आया करता था. जिसमें लाला लाहौरी राम अपनी सात बेटियों की शादी के लिए चिंता में रहते हैं, मगर सभी की शादी हो जाती है. इसमें फिल्म ‘लगान’ फेम ग्रेसी सिंह, पूजा मदान, स्मिता बंसल, सुधीर पांडे, श्रेयश तलपड़े और रवि गोसांई जैसे कलाकार थे. काश आनंद एल राय और लेखकद्वय ने इस सीरियल की एक पिता औसात लड़कियों के किरदारों से कुछ सीखकर अपनी फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ के किरदारों को गढ़ा होता?इतना ही नही लेखक व निर्देशक ने बॉडी शेमिंग के अलावा हकलाने वाले पुरुष जैसे घिसे पिटे तत्व भी इस फिल्म में पिरो दिए हैं. कहानी में कुछ तो नया लेकर आते.

लेखकद्वय के दिमागी दिवालिएपन का नमूना यह भी है कि  हरीशंकर, लाला केदारनाथ को बहुत कुछ सुनाकर उन्हे अपनी बेटी सपना से दूर रहने के लिए कहकर सपना की न सिर्फ शादी तय करते हैं, बल्कि बारात आ गयी है. शादी की रश्मंे शुरू हो चुकी हैं. अचानक हरीशंकर का हृदय परिवर्तन हो जाता है और पांचवे फेरे के बाद हरीशंकर अपनी बेटी से शादी को तोड़ने की बात कहते हैं और बारात की नाराजगी को अकेले ही झेले लेने की बात करते हैं. सपना फेरे लेने के की बजाय दूल्हे का साथ छोड़कर लाला केदारनाथ के पास पहुंच जाती है.  इस तरह तो विवाह संस्था का मजाक उड़ाने के साथ ही उसे कमजोर करने का प्रयास लेखकद्वय ले किया है. लेकिन हिंदू धर्मावलंबियो को खुश करने का कोई अवसर नही छोडा गया. जितने मंदिर दिखा सकते थे, वह सब दिखा दिया.

जी हॉ! गर्भवती औरतों को गोल गप्पा खिलाकर उन्हें बेटे की मां बनाने का दावा करना भी तांत्रिको या बंगाली बाबाओं की तरह 21वीं सदी में अंधविश्वास फैलाना ही है.

फिल्म के संवाद भी अजीबो गरीब हैं. एक जगह जब गायत्री को देखने लड़के वाले आते हैं, तो दुकान वाला कुछ सामान देने के बाद लाला केदारनाथ से कहता है कि दूध भी लेते जाएं. इस पर अक्षय कुमार कहते हैं-‘‘आज नागपंचमी नही है. ’

लेखकद्वय ने कहानी को फैला दिया, चार बहन के किरदार भी गढ़ दिए, पर क्लायमेक्स में उन्हे समझ में नही आया कि किस तरह खत्म करे, तो आनन फानन में कुछ दिखा दिया, जो दर्शक के गले नही उतरता.

वहीं गायत्री की मौत के बाद तीनो बने कुछ बनने का फैसला लेते हुए कहती हैं-‘‘अब हम कुत्ते की तरह प़ढ़ाई करेंगे. ’’. . . अब लेखकद्वय से कौन पूछेगा कि कुत्ते की तरह पढ़ाई कैसी होती है?

पिछले कुछ दिनों से कनिका ढिल्लों पर ‘अति-राष्ट्रवादी’ होने का आराप लगाकर हमला करने वाले भी निराश होंगे, क्योंकि इस फिल्म में लेखिका कनिका ढिल्लों ने चांदनी चैक में कुछ मुस्लिम व सिख चेहरे भी खड़े कर दिए हैं.

फिल्म का गीत संगीत घटिया ही कहा जाएगा. एक गीत चर्चा में आया था-‘‘तेरे साथ हूं मैं. . ’’ यह गाना तो फिल्म का हिस्सा ही नही है.

अभिनयः

लाला केदारनाथ के किरदार में अक्षय कुमार का अभिनय भी इस फिल्म की कमजोर कड़ी है. बौलीवुड में इतने लंबे वर्षों से कार्य करते आ रहे अक्षय कुमार आज भी इमोशनल सीन्स ठीक से नही कर पाते हैं. वह हर किरदार में सीधा तानकर चलते नजर आते हैं. इसके अलावा उन्होने अपने अभिनय की एक शैली बना ली है, जिसमें छिछोरापन, उछलकूद, निचले स्तर के जोक्स व मस्ती करते हैं. कुछ लोग तो उन्हे स्टैंडअप कमेडियन ही मानते हैं. एक दो फिल्मों में उनके ेइस अंदाज को पसंद किया गया, तो अब वह हर जगह इसी तह नजर आते हैं. पर यह लंबी सफलता देने से रहा. कई दृश्यों मंे वह बहुत ज्यादा लाउड नजर आते हैं. चांदनी चैक के दुकानदार, खासकर चाट बेचने वाला डिजायनर कपड़े पहनने लगा है, यह एक सुखद अहसास है. अक्षय कुमार का बचपन चांदनी चैक की गलियों में ही बीता,  इसका फायदा जरुर उन्हें मिला. अक्षय कुमार का बहनों का किरदार निभा रही अभिनेत्रियो संग केमिस्ट्री नही जमी.  सपना के किरदार मे भूमि पेडणेकर के हिस्से करने को कुछ खास रहा नही. सच कहें तो भूमि पेडणेकर के कैरियर की जो शुरूआत थी, उससे उनका कैरियर नीचे की ओर जा रहा है. इसकी मूल वजह फिल्मों के चयन को लेकर उनका सतर्क न होना ही है. 2020 में प्रदर्शित विधू विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘‘शिकारा’’से  अभिनय में कदम रखने वाली अभिनेत्री सादिया खिताब जरुर गायत्री के छोटे किरदार में अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं. हरीशंकर के किरदार में नीरज सूद का अभिनय ठीक ठाक ही है. दीपिका खन्ना,  सहजमीन कौर और स्मृति श्रीकांत को अभी काफी मेहनत करने की जरुरत है. लाला केदारनाथ के सहायक के किरदार में साहिल मेहता जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ते हैं. उनके अंदर बेहतरीन कलाकार के रूप में खुद को स्थापित करने की संभावनाएं हैं, अब वह उनका किस तरह उपयोग करते हैं, यह तो उन पर निर्भर करता है.

यदि बौलीवुड इसी तरह से फिल्में बनाता रहा, तो बौलीवुड को डूबने से कोई नहीं बचा सकता. दक्षिण के सिनेमा के नाम आंसू बहाना भी काम नहीं आ सकता.

अब लंदन में संभावनाएं तलाश रहे हैं अक्षय कुमार?

अक्षय कुमार अभिनीत ‘लक्ष्मी’, ‘बच्चन पांडे’ और ‘सम्राट पृथ्वीराज ’ सहित लगभग छह फिल्मों के बाक्स आफिस पर बुरी तरह से असफल हो जाने के बाद उनके कैरियर पर कई सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. सूत्रांे पर यकीन किया जाए तो अक्षय कुमार की ‘गोरखा’ सहित पांच फिल्में बंद कर दी गयी हैं. इसलिए अब अक्षय कुमार की सारी उम्मीदंे 11 अगस्त को प्रदर्शित होने वाली आनंद एल राय निर्देशित फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ पर टिकी हुई हैं. अक्षय कुमार इस फिल्म के लिए विश्व स्तर पर संभावनाएं तलाश रहे हैं.

अक्षय कुमार इन दिनों लंदन में हैं,जहां वह वासु भगनानी की नई फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं. तो अक्षय कुमार ने फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ का भी प्रमोशनल इवेंट करने का विचार कर योजना बना डाली. और अब 18 जुलाई को  लंदन के ‘सिनेवल्र्ड फेलथम’ में  शाम छह बजे फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ का एक खास गाना रिलीज किया जाएगा. इसके पोस्टर लंदन में लग गए हैं. इस अवसर पर अक्षय कुमार,फिल्म की नायिका भूमि पेडणेकर और निर्देशक आनंद एल राय भी मौजूद रहेंगंें.

इस तरह लंदन में फिल्म ‘रक्षाबंधन’ का गाना रिलीज कर लंदन में रह रहे अप्रवासी भारतीयांंें को आकर्षित करना ही माना जा रहा है. वैसे भी लंदन के इस ‘सिनेवल्र्ड’ सिनेमाघर में ज्यादातर भारतीय फिल्में प्रदर्शित होती हैं. सूत्रों का दावा है कि अक्षय कुमार और आनंद एल राय अपनी फिल्म ‘रक्षाबंधन’’ को लंदन सहित विश्व के कई शहरांे में प्रदर्शित करने की योजना पर काम कर रहे हैं. वैसे भी फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ की सफलता या असफलता का सबसे बड़ा असर अक्षय कुमार पर ही पड़ने वाला है. पहली बात तो इस वक्त उनका कैरियर खतरे में पड़ा हुआ है. पिछले कुछ समय में उनकी कई फिल्में असफल हुई हैं.  और उनके हाथ से कई फिल्में चली गयी हैं. दूसरी बात इस फिल्म के निर्माण से भी अक्षय कुामर जुड़े हुए हैं.

अक्षय कुमार और आनंद एल राय अब तक भारत में फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ के दो प्रमोशनल इवेंट कर चुके हैं. फिल्म का ट्ेलर दिल्ली में लांच किया गया था. जबकि फिल्म का एक गाना ‘‘तेरे साथ हॅूं मैं’’ मंुबई में लांच किया गया था. मगर अभी तक इस फिल्म को लेकर चर्चाओं का दौर उतना गर्म नही हो पाया है,जितना कि होना चाहिए. शायद लंदन में गाने के लांच इवेंट से फिल्म को कुछ फायदा मिल जाए.

क्या निर्देशक Aanand L Rai और अक्षय कुमार को फिल्म Raksha Bandhan का मिलेगा सहारा

फिल्मकार आनंद एल राय जब तक आम दर्शकों की पसंद के अनुरूप छोटे शहरों की छोटी छोटी बातों व सामाजिक मुद्दों को लेकर  तनु वेड्स मनु’,‘रांझणा’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’,‘निल बटे सन्नाटा’,‘शुभ मंगल सावधान’ जैसी फिल्में लेकर आते रहे,तब तक वह सफलता के शिखर की तरफ बढ़ते चले गए. आनंद एल राय की इन सभी फिल्मों को दर्शकों ने काफी पसंद किया. मगर इन फिल्मों की सफलता के बाद आनंद एल राय गफलत के शिकार हो गए. उन्होने मान लिया कि जो वह सोचते है,वही सही है. बस यहीं से मामला गड़बड़ा गया. परिणामतः ‘मुक्काबाज’,‘जीरो’,‘लाल कप्तान’, ‘हसीन दिलरूबा’,‘अतरंगी रे’ जैसी उनकी फिल्में बाक्स आफिस पर कोई कमाल न दिखा पायीं. इनमें से ‘जीरो’ और ‘अतरंगी रे’ का निर्माण करने के साथ ही आनंद एल राय ने निर्देशन भी किया.

मगर इन फिल्मों की असफलता से आनंद एल राय ने कुछ सबक सीखा और एक बार फिर वह जमीनी सतह से जुड़े विषय  पर ‘रक्षाबंधन’’ फिल्म लेकर आ रहे हैं,जो कि आगामी ग्यारह अगस्त को देश भर के सिनेमाघरों में पहुॅचेगी, जिसका ट्रेलर चंादनी चैक स्थित डिलाइट सिनेमाघर मंे रिलीज किया गया. . फिल्म ‘रक्षाबंधन’ की कहानी पुरानी दिल्ली के बस्ती चांदनी चैक  की पृष्ठभूमि में चार बहनों व भाई के बीच प्यार,अपनापन व लगाव के साथ मध्यमवर्गीय जीवन की कहानी है. फिल्म ‘‘रक्षा बंधन’’ का ट्रेलर एक भाई(अक्षय कुमार) और उसकी चार बहनों(सहजमीन कौर, दीपिका खन्ना, सादिया खतीब और स्मृति श्रीकांत) के बीच प्यार भरे रिश्ते और चंचल मजाक को दर्शाता है. इसी के साथ भाई(अक्षय कुमार ) की प्रेम कहानी भी है. वह जिस लड़की(भूमि पेडनेकर ) से बचपन से प्यार करता है,उसके संग खुद विवाह नही रचा पा रहा है,क्यांेकि वह अपनी चार बहनों का विवाह कराने के लिए दर दर भटक रहा है . यानी कि इसमें कहीं न कहीं दहेज प्रथा पर भी बात की गयी है. हिमांशु शर्मा और कनिका ढिल्लों लिखित इस फिल्म में सीमा पाहवा,नीरज सूद व अभिलाष थपलियाल की भी अहम भूमिकाएं हैं.

यॅूं तो फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ का ट्रेलर 21 जून को दिल्ली में रिलीज किया गया. मगर हमें मुंबई में 20 जून को ही देखने का अवसर मिल गया था. ट्रेलर देखने के बाद जब आनंद एल राय से हमारी अनौपचारिक बातचीत हुई,तो उस बातचीत में आनंद एल राय ने कहा-‘‘ मैं अपने मन की बात कह रहा हॅूं. मैने महूसस किया कि हम डिजिटिलाइजेशन और डिजिटल के लिए सिनेमा बनाने के फेर में दर्शकों की पसंद को ही भुला बैठे और हम अपने दशकों से ही दूर हो गए. इस अहसास के बाद मैने पुनः दर्शकों की नब्ज को पकड़कर रिश्तों की भावनात्मक कहानी ‘रक्षाबंधन’ लेकर आ रहा हॅूं. इसकी कहानी का कंेद्र बिंदु भाई बहन के बीच प्यार का अटूट भावनात्मक बंधन है,जिससे हर दर्शक रिलेट करेगा और इसे पसंद करेगा. हमें लगता है कि हम इस बात को ट्रेलर से भी बता पा रहे हंै. ’’

भारतीय परिवेश में ‘रक्षा बंधन’’ का खास महत्व है. यह भाई बहन के प्यार के साथ ही भाई द्वारा बहन को उसकी रक्षा करने का वादा करने का त्योहार है. इस पर बहुत कम फिल्में बनी हैं. 1976 में ‘रक्षा बंधन’ नामक फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली थी. वैसे तो 2001 में इस नाम को पुनः रजिस्टर करवाया गया था. मगर इस विषय पर ज्यादा फिल्मंे नही बनी. 2000 तक कुछ फिल्मों में ‘रक्षाबंधन’ के कुछ दृश्य व गाने नजर आते रहे. मगर फिर धीरे धीरे बौलीवुड से ‘रक्षाबंधन’ का त्यौहार ही नहीं भाई बहन व पारिवारिक रिश्ते ही गायब होते चले गए. इस दृष्टिकोण से आनंद एल राय की फिल्म ‘‘रक्षाबंधन’’ दर्शकों को भा सकती है. मगर सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उन्होने फिल्म में इसे किस तरह से पेश किया है. आधुनिक जमाने में ‘रक्षाबंधन’’ की परंपरा में भी काफी बदलाव आया है. इसके अलावा ट्रेलर से आभास होता है कि फिल्म की कहानी का हिस्सा दहेज जैसी कुप्रथा भी है. पर इसे किस तरह से पेश किया गया है,उसी पर फिल्म की सफलता व असफलता निर्भर करेगी. इतना ही नही अनौपचारिक बातचीत में आनंद एल राय ने जिन बातो का जिक्र किया और जिसका उन्हे ज्ञान हुआ है,उसे वह अपनी फिल्म को दर्शकों तक पहुॅचाने के लिए किस तरह से अमल में लाते हैं,उस पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा.

इसके अलावा इस फिल्म में नायक की भूमिका में अक्षय कुमार हैं. इस फिल्म से अक्षय कुमार ने भी काफी उम्मीदे बांध रखी हैं. फिल्म के ट्रेलर लंाच के बाद अक्षय कुमार ने कहा-‘‘मेरी बहन अलका के साथ मेरा रिश्ता मेरे पूरे जीवन का मुख्य बिंदु रहा है. एक रिश्ते को पर्दे पर इतना खास और शुद्ध साझा करने में सक्षम होना जीवन भर की भावना है. जिस तरह से आनंद राय जी  दिल और आत्मा के साथ सरल कहानी को सामने लेकर आए हंै,वह इस बात का प्रमाण ह. अस इंडस्ट्ी में उनके जैसे बहुत कम लोग हैं,जो स्क्रीन पर इतनी नाजुकता से भावनाओं को प्रस्तुत कर सकते हैं.  मैं इसका हिस्सा बनकर धन्य हॅूं. ’’

निर्माता व निर्देशक आनंद एल राय के साथ ही अक्षय कुमार के लिए भी फिल्म ‘‘रक्षा बंधन’’ सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा है. क्योंकि अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी’, ‘बेलबौटम’, ‘बच्चन पांडे’ व ‘सम्राट पृथ्वीराज’ जैसी फिल्मों की बाक्स आफिस पर बड़ी दुर्गति हो चुकी है. दर्शकों का एक वर्ग उनसे काफी नाराज है. तो अब अक्षय कुमार को अपेन उन प्रशंसकों व दर्शकों को अपनी तरफ लाने का दोहरा भार है. देखना है कि फिल्म के रिलीज से पहले वह इस काम को किस तरह से अंजाम देेते हैं.

कुल मिलाकर फिल्म ‘‘रखाबंधन’’ का ट्रेलर कुछ अच्छी उम्मीदें जगाता है,मगर इस फिल्म को सही अंदाज में दर्शकों तक कैसे फिल्मकार आनंद एल राय पहुॅचाते हैं, उस पर सारा दारोमदार रहेगा. पिछले कुछ समय में कुछ बेहतरीन फिल्मों को भी दर्शकों ने नकार दिया, क्योंकि उन फिल्मों का प्रचार ही गलत ढंग से हुआ था. फिल्म की  विषयवस्तु कंटेंट को सही रूप में पहुॅचाना भी आज की तारीख में सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है. हर फिल्मकार व कलाकार को याद रखना होगा कि अब दर्शक महज कलाकार या निर्देशक का नाम देखकर अपनी जेब से पैसे खर्च कर फिल्म देखने के लिए सिनेमाघर नही जाना चाहता. उसे एक अच्छी कहानी व मनोरंजन चाहिए.

कई बार बड़ी हिंदी फिल्म में मेरी जगह कोई ‘स्टार किड’ आ गया -नायरा बनर्जी

नेवी आफिसर की बेटी और कानून, वकालत की पढ़ाई पूरी कर चुकी अभिनेत्री नायरा बनर्जी अब तक सुपर हिट तेलगू फिल्म ‘‘आकड़ू’’ के अलावा दक्षिण भारत की 18 फिल्मों  तथा हिंदी में प्रियदर्शन के निर्देशन में ‘‘कमाल धमाल मालामाल’’ व ‘वन नाइट स्टैंड ’’ सहित कुछ दूसरी फिल्मों में अभिनय करने के बावजूद उन्हे वह शोहरत नही मिली, जिसकी उन्हें चाहत थी. परिणामतः शोहरत पाने के लिए नायरा बनर्जी ने छोटे परदे का रूख करते हुए टीवी सीरियल ‘‘दिव्यदृष्टि’’में दिव्या शर्मा का किरदार निभाकर रातों रात स्टारडम पा लिया. फिर उन्होने ‘एक्सक्यूज मी मैडम’, ‘हेलो जी’जैसे सीरियल व वेब सीरीज की. इन दिनों नारी उत्थान के मकसद से बनाए गए ‘‘दंगल टीवी’’ के सीरियल ‘‘रक्षाबंधनः रसाल बनी अपने भाई की ढाल’’में नायरा बनर्जी चकोरी के नगेटिब किरदार में नजर आ रही हैं.

प्रस्तुत है नायरा बनर्जी से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

आपकी दक्षिण भारत की पहली फिल्म ‘‘ओकाड़ू’’सुपर डुपर हिट हुई थी. उसके बाद दक्षिण भारत. . ?

-इस फिल्म के बाद मैने वहां पर एक दो नहीं बल्कि 12 फिल्में की. पर वहां पर एक समस्या यह है कि फिल्म की असफलता का सारा दोष हीरोईन के सिर मढ़ दिया जाता है. इसके अलावा मुझे वह पर ज्यादातर ‘बहनजी’ टाइप के किरदार ही मिल रहे थे, जो कि मैं नही हूं. मुझे विविधतापूर्ण किरदार निभाने हैं. दूसरी बात जिस तरह के किरदार मुझे बॉलीवुड या हिंदी सीरियलों में मिलते हैं, वैसे सशक्त व चुनौतीपूर्ण किरदार वहां नहीं मिले. मैं महज पैसा कमाने के लिए इस क्षेत्र में नही आयी हूं.

अब तक के अपने अभिनय कैरियर को किस रूप मंे लेती हैं?

-देखिए, मैने सिर्फ अभिनय नहीं किया, बल्कि मैने बतौर सहायक निर्देशक टोनी डिसूजा के साथ फिल्म ‘अजहर’ भी की है. मैने तेलगू के अलावा कन्नड़, मलयालम, तमिल फिल्मों में भी अभिनय किया है. वहीं मैने ‘‘कमाल धमाल मालामाल’’, ‘‘इश्क ने क्रेजी किया रे’’,  ‘‘वन नाइट स्टैंड’’ और ‘‘आपरेशन कोबरा’’ जैसी हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया. उसके बाद मैने 2019 में टीवी सीरियल‘‘दिव्य दृष्टि ’’की. 2020 में सीरियल ‘‘एक्सक्यूज मी मैडम’’ की. ‘दिव्य दृष्टि’से मुझे बहुत प्यार,  लोकप्रियता और स्टारडम मिला. ‘एक्सक्यूज मी मैडम’’ देखकर एकता कपूर ने बुलाकर मुझे वेब सीरीज‘‘हैलो जी’’करने का अवसर दिया, जिसे जबरदस्त सफलता मिली. अब लोगों को इसके दूसरे सीजन का बेसब्री से इंतजार है. इन दिनों ‘दंगल’टीवी के सीरियल ‘रक्षाबंधनः रसाल बनी अपने भाई की ढाल’’में काम कर रही हूं. मैने फिल्मों में बेहतरीन काम किया, पर दुर्भाग्य से फिल्में बाक्स आफिस पर कारनामा नही दिखा सकी. लेकिन टीवी सीरियल से जुड़ते ही मुझे स्टारडम नसीब हो गया. टीवी पर लोकप्रियता व पैसा दोनों तुरंत मिलते हैं. टीवी हर व्यक्ति तक पहुंचता है और हर कोई आपका चेहरा देख रहा है.

आपने प्रियदर्शन जैसे दिग्गज निर्देशक के अलावा कई बड़े बजट की फिल्मंे की, पर आपको वह शोहरत क्यों नहीं मिल पा रही थी, जो मिलनी चाहिए थी?

-देखिए, दक्षिण भारत में मेरी फिल्मेंसफल हुई, पर मुझे वैसी शोहरत नही मिली, जैसी मिलनी चाहिए थी. उस वक्त फिर मैं लगातार फिल्मों में काम नही कर रही थी. मैं तो कालेज की पढ़ाई के साथ कर रही थी, जिससे मेरा जेब खर्च निकल रहा था. कलाकार के तौर पर आत्मसंतुष्टि नहीं मिल रही थी.

तो वहीं बॉलीवुड की कार्यशैली बहुत अलग है. यहां कई बार ऐसा हुआ कि हिंदी की किसी बड़ी फिल्म के लिए मेरा चयन हुआ, पर बाद मेें मेरी जगह कोई स्थापित कलाकार अथवा ‘स्टार किड’आ गया. फिल्म इंडस्ट्ी मे जिनसे मेरी दोस्ती थी, वह कहते थे कि हम फलंा स्थापित कलाकार का इंतजार कर रहे हैं, वह नही मिलेगा, तब नए कलाकार के बारे में सोचेंगें. प्रियदर्शन की फिल्म‘‘कमाल धमाल मालामाल’’ करने के बाद मुझे कुछ फिल्में मिलीं, मगर शूटिंग शुरू होने से पहले वह फिल्म मुझसे छीनकर किसी अन्य कलाकार को दे दी गयी.

फिल्म ‘‘कमाल धमाल मालामाल’’ उतनी सफल नही हुई,  जितनी हमने सोचा था. फिर फिल्म ‘वन नाइट स्टैंड’ भी नही चली, जबकि उसमें सनी लियोन भी थी और उन दिनों सनी लियोन की हर फिल्म सफल हो रही थी. मैने सोचा कि बॉलीवुड में मेरे कदम की शुरूआत अच्छी हुई थी. प्रियदर्शन जैसे सफल निर्देशक के साथ बड़े सेट अप की फिल्म की थी. दूसरी फिल्म सनी लियोन के साथ की थी. यह पुरानी फिल्म ‘अर्थ’ का आधुनिक रीमेक थी. मैने इसमें एक ऐसी पत्नी का किरदार निभाया था, जो सही चीज के लिए खड़ी होती है. पर शायद उस वक्त मेरी तकदीर सही नही थी. मेरे सितारे सही नही थे.

तो फिल्मों में शोहरत न मिलते देख आपने टीवी की तरफ रूख कर लिया?

-जब फिल्में मिलने के बावजूद मेरे हाथ से छीनी जाती थी,  उस वक्त मेरे मन में सवाल उठते थे कि मैं फिल्मों के लिए हूं या नहीं हूं?‘वकालत के क्षेत्र में कैरियर न बनाने का निर्णय सही था या नहीं?कहीं न कहीं उहापोह में थी मैं. ऐसे वक्त में कास्टिंग डायरेक्टर की सलाह पर मैंने सीरियल ‘‘दिव्यदृष्टि’’ में अभिनय किया और मेरी शोहरत का ग्राफ अचानक कई गुना बढ़ गया. वास्तव में ‘दिव्यदृष्टि’के कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा था कि इस सीरियल में अभिनय करने के बाद लोग मुझे घर घर जानने लगेंगे. फिल्में तो आएंगी व जाएंगी, जो लोग फिल्म देखेंगे वही याद रखेंगें. पर लोग पहचानेंगे नही. लेकिन टीवी पर काम  करने के बाद लोग पहचानेंगंे, फैंस मिलेंगे. तुम्हे लोग अपनी दुकान व संस्थान की रिबन कटिंग करने के लिए बुलाएंगे. इस तरह काफी पैसे मिलेंगें. इस तरह एक कैरियर बनना शुरू होगा. उसी दौरान मैने परिवार की रीढ़ अपने पापा को खोया. तब मुझे यह कदम उठाना ही था.

अब मेरी समझ में आ गया कि फिल्म, दक्षिण भारतीय फिल्मों या टीवी सीरियल या वेब सीरीज का कोई अंतर नही है. यह बात है सिर्फ अभिनय की. यह बात है खुद की क्षमता की. हर माध्यम में कलाकार के तौर पर अभिनय करना है. अभिनय में कहीं कोई अंतर नही है.  फिलहाल टीवी में पैसा और शोहरत दोनों मिल रही है. शायद मेरे अंदर समझदारी आ गयी. लोग आपके अभिनय को जिस माध्यम मंे ज्यादा पसंद करें और जहां आपको चुनौतीपूर्ण किरदार मिले, वहां काम कीजिए. फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत पाने के लिए आपको लगातार सफल फिल्में करनी होती हैं. खुद को हर आफर को लपकना होता है. आप साल में एक फिल्म करके बैठ जाओगो, तो लोग भुला देते हैं.

लेकिन सीरियल का प्रसारण खत्म होते ही लोग भूल जाते हैं और शोहरत भी गायब हो जाती है?जबकि फिल्मों का स्टारडम लंबे समय के लिए होता है. यह फर्क आपको नही नजर आया?

-यह फर्क नजर आया.  सच तो यही है कि मैं टीवी पर काम नही करना चाहती थी. क्यांेकि मैने दर्जन भर से अधिक फिल्मे की हैं, तो फिर मैं टीवी क्यों करुं?यह बात मेरे दिमाग में थी. उन दिनों वैसे भी फिल्म वाले टीवी से जुड़े कलाकारों व निर्देशकों को अछूत की तरह देखते थे. कहा जाता था कि टीवी सीरियल में काम करने वालों का चेहरा ‘ओवर एक्सपोज’ हो चुका है. फिर भी मैं फिल्मों में अच्छा काम करने के बाद टीवी पर आयी हूं. सीरियल ‘दिव्यदृष्टि’ के कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा कि, ‘नायरा, जब तक तुम सलमान खान या दीपिका पादुकोण नही हो जाती, तब तक तुम पापुलर चेहरा नही हो. आप सिर्फ एक कलाकार हो. फिल्म सफल हो गयी, तो ठीक है. फिल्म असफल हो गयी, तो तुम फिर से उसी जगह पहुॅच जाती हो, जहां से आपने शुरूआत की थी. लेकिन जब आप टीवी पर काम करती हैं, आप एक जाना पहचाना चेहरा बन जाती हो यानी कि शोहरत की शुरूआत हो जाती है. कम से कम टीवी सीरियल से जुड़ने पर हर दिन आपके पास काम रहेगा. हर दिन आपको पैसे मिलेंगे. तो यह सब सकारात्मक बातों पर ध्यान दो. ’’उसके बाद मेरी सोच बदली. मुझे उसकी बातों में सच्चाई नजर आयी.

सीरियल में एक ही किरदार लंबे समय तक निभाते हुए बोरियत नही होती?किरदार मोनोटोनस नही हो जाता?यह बात कलाकार के तौर पर तकलीफ नही देती?

-तकलीफ देती है. पर मैं सीरियल के निर्माता व निर्देशक की सहमति से उसी दौरान वेब सीरीज भी करती हूं. क्योंकि सीरियल में मोनोटोनी होता है. जबकि वेब सीरीज में हम एक किरदार को कुछ ही दिन के लिए निभाते हैं. दूसरी बात सीरियल से अलग हटकर वेब सीरीज का किरदार निभाने पर एक बदलाव हो जाता है. कलाकार के तौर पर विकास के लिए इस तरह के बदलाव आवश्यक हैं. अभिनय में निखार के लिए भी बदलाव आवश्यक है. टीवी पर एक ही किरदार लंबे समय तक निभाते हुए कलाकार उसमें इस कदर खो जाता है कि निजी जीवन में भी वैसा ही बनने का संकट उत्पन्न हो जाता है. इस बात का मुझे बड़ा डर लगता है. मेरी राय में हमें एक माइंड सेट रखना है कि मुझे कब तक एक ही तरह का किरदार करना है.

कब तक सीरियल में अभिनय करना है? कितना पैसा कमाना है?किस तरह का स्थायित्व चाहिए?परिवार को किस तरह की सुविधाएं मुहैय्या कराना है. जब आपका मकसद साफ हो, तब जो आपको सही लगे, वह करें. मेरे सामने मकसद नही था. मेरी सोच अलग अलग किरदार निभाने की थी. मैं टीवी नही देखती थी, पर सिनेमाघरों में फिल्में देखती थी. इसलिए मैंने फिल्मों में काम करना स्वीकार किया था. उस वक्त तक मुझे टीवी की ताकत का अहसास नही था. यदि मैं स्मार्ट होती, तो मैं टीवी से ही शुरूआत करती.

कहा जाता है कि टीवी उनके लिए फादेमंद है, जिन्हे जल्दी से ज्यादा धन कमाना है?

-एकदम सही बात है. पर यदि कलाकार को कलात्मक संतुष्टि चाहिए, तो टीवी नही करना चाहिए. इसलिए मैं सीरियल के साथ साथ वेब सीरीज करने की कोशिश करती हूं और मैने किए हैं. यदि आपने ‘आल्ट बालाजी’पर वेब सीरीज ‘हेलो जी’ देखा है, तो उसमें मेरा किरदार बहुत अच्छा और जिस तरह के किरदार मैंं निभा रही थी, उससे काफी अलग है. मैं हर बार इंस्पायरिंग किरदार निभाती हूं.  इसी तरह अब यश व ममता पटनायक निर्मित सीरियल‘‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल ’’में मेरा चकोरी का किरदार काफी अलग है. यह नगेटिब किरदार है. इससे पहले मैने जितने भी सकारात्मक किरदार निभाए, वह हर किसी को प्रेरित करने वाले रहे.

सीरियल‘‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल ’’के साथ जुड़ना कैसे हुआ?

-मैने आडीशन दिया. उन्हे मेरा आडीशन पसंद आ गया और मुझे यह सीरियल मिल गया. वास्तव में इस सीरियल के लिए लॉकडाउन में घर पर रहकर ही आडीशन दिया. लॉक डाउन की वजह से राजस्थानी पोशाक मेरे घर पर नहीं थी. लेकिन सीरियल ‘‘दिव्यदृष्टि’’ में एक दृश्य में मैं और मेरी बहन राजस्थानी पोशाक में मियां बीबी बनकर आते हैं.  मैने वही तस्वीर भेजी थी. उन्होंने देखकर कहा कि तुम तो एकदम चकोरी लग रही हो.

सीरियल‘‘रक्षाबंधन’’में अपने चकोरी के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-आप इसे लुटेरी दुल्हन कह सकते हैं. आती है, लूटती है और चली जाती है. उसके बाद वह दूसरा मुर्गा पकड़ती है. उसे लूटती है, फिर आगे बढ़ जाती है. लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है. सरपंच शा के साथ शादी करके वह आसानी से लूट कर भाग सकती है. लेकिन भाग ही नहीं रही है. पता नहीं क्या हो गया है?कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ेगी,  इसका राज भी उजागर होगा.

अब तक आपने जो भी काम किया , उसका अनुभव क्या रहा? क्या आपका संघर्ष खत्म हो गया? 

-यदि आप इसे मेरा संघर्ष कहें, तो मैं अभी भी संघर्ष कर रही हूं, क्योकि मुझे किसी मुकाम को हासिल करना है. यदि मैं संघर्ष न मानूं तो यह मेरा संघर्ष नही है. क्योंकि मैं अपनी जिंदगी रोज जी रही हूं. अच्छे कपड़े पहन रही हूं, अच्छा मेकअप कर रही हॅंू और अच्छे पैसे कमा रही हूं. पहचान मिल रही है. लोग प्रशंसा कर रहे हैं. तो मैं संघर्ष नही कर रही हूं, बल्कि हवा में उड़ रही हूं.

आपके शौक क्या हैं?

-मैं बंगाली हूं. इसलिए नृत्य,  संगीत, गायन व पेटिंग तो मेरी हॉबी है. पेटिंग ज्यादा नही करती. मगर बॉलीवुड नृत्य के अलावा भारत नाट्यम व कत्थक नृत्य करती हूं. अपनी मम्मी से मैने हिंदुस्तानी लाइट क्लासिकल संगीत सीखा है. खाने का शौक है, पर बनाने का नही. साफ सफाई ज्यादा पसंद है. मम्मी को ड्राइव पर लेकर जाना. स्प्रिच्युअल बातें करना. में हिंदू हूं, पर मैं उन रीति रिवाजों को ही मानती हूं, जिनका कुछ लॉजिक है. पुराने आउट डेटेड रीति रिवाजों को नही मानती.

आपने नृत्य व संगीत किससे सीखा?

-जी हॉ!मैने भारत नाट्यम व कत्थक सीखा है. नृत्य सीखने के लिए मैं कोलकता गयी थी. वहां के एक नाट्य स्कूल से सीखा. जबकि संगीत तोमैने अपनी मम्मी से ही सीखा. मेरी मम्मी चाहती थीं कि मैं संगीत में अपना कैरियर बनाउं

भारत नाट्यम हो या कत्थक नृत्य, यह आपको अभिनय में किस तरह मदद करता है?

-किसी भी किरदार को निभाते समय चेहरे पर भाव लाने में न्त्य मदद करता है. नृत्य करते समय शुरू से ही बॉडीलैंगवेज की ट्ेनिंग दी जाती है. मात्राओं की, आंखों की, कब आंखें छोटी करनी है, कब आंखे बड़ी करनी है. मैंने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नही ली. पहले मैं वकील और पाश्र्व गायक बनना चाहती थी. नृत्य करने का अर्थ नृत्य के माध्यम से कहानी कहना है. और अभिनय करके भी हम कहानी ही बताते हैं.

भविष्य में फिल्मों में पाश्र्वगायन करना चाहेंगी?

-अवसर मिलेगा तो रियाज करुंगी. फिलहाल कुछ समय से रियाज बंद है, पर मौका मिलते ही सुबह छह बजे उठकर रियाज करना शुरू कर दूंगी. मेरी आवाज सुरीली तो है ही.

कोरोना महामारी ने आपको क्या सिखाया?

-सबसे बड़ी बात सिखायी कि इस संसार में मानवता से बढ़कर कुछ नहीं. दूसरी बात पैसा बचाना महत्वपूर्ण है और स्वस्थ रहना बहुत महत्वपूर्ण है. आसपास के लोगों के लिए करुणा रखना सबसे महत्वपूर्ण बात है.

रक्षाबंधन पर ‘होने वाली भाभियों’ संग नजर आईं करीना कपूर, Photos Viral

रक्षाबंधन हो या कोई और त्योहार लोगों की निगाहें बौलीवुड स्टार्स पर रहती हैं. वहीं कोरोनावायरस के बीच बीते दिन भी बौलीवुड में राखी फेस्टिवल की धूम देखने को मिली. सोशलमीडिया पर वायरल फोटोज में बौलीवुड बहनें अपने भाइयों के साथ-साथ होने  वाली भाभियों संग नजर आईं. दरअसल हम बात एक्ट्रेस करीना कपूर की कर रहे हैं, जो बीते दिन अपनी भाभी यानी एक्ट्रेस आलिया भट्ट के साथ नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

सोशलमीडिया पर शेयर की फोटोज

एक्ट्रेस करीना कपूर खान ने अपने इंस्टाग्राम पर रक्षाबंधन के मौके पर एक फोटो शेयर की हैं, जिसमें अरमान जैन से लेकर आदर जैन और रणबीर कपूर के साथ-साथ रिद्धिमा कपूर साहनी नजर आ रही हैं. लेकिन इस फोटो में खास बात यह है है कि राखी की इस फोटो में करीना के भाई ही नहीं बल्कि उनकी होने वाली भाभियां यानी आलिया भट्ट और तारा सुतरिया भी नजर आ रही थीं, जो अपनी ड्रेसिंग स्टाइल से हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींच रही थीं.

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लुक था खास

रक्षाबंधन के मौके पर करीना कपूर खान खूबसूरत मस्टर्ड कलर का प्लाजो सूट में नजर आईं, जिसे उन्होंने नो एक्सेसरीज लुक के साथ कम्पलीट किया. वहीं इस दौरान एक्ट्रेस तारा सुतरिया वाइट कलर के टैंक टॉप के साथ ओवरकोट के लुक में नजर आईं, जिसे उन्होंने डेनिम के साथ स्टाइल किया था. आलिया भट्ट भी हर बार की तरफ काफी खूबसूरत लुक में दिखाई दे रही थी. इस लंच पार्टी के लिए उन्होंने प्रिंटेड प्लाजो कुर्ता सेट पहना था, जिसके साथ मिनिमल मेकअप और खुले बाल उन पर काफी जंच रहे थे.

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बता दें, एक्ट्रेस आलिया भट्ट जहां रणबीर कपूर के साथ डेटिंग की खबरों के लिए सुर्खियों में रहती हैं तो वहीं तारा सुतारिया भी अपनी लव लाइफ को लेकर सोशलमीडिया पर सबका ध्यान खींचती नजर आती हैं.

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