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तेजतर्रार, स्मार्ट, अपना काम निकालने में सक्षम लड़कियों के  बलात्कार के आरोप का ब्लैकमेल की तरह इस्तेमाल करने की एक कोशिश को सुप्रीम कोर्ट ने टीवी ऐंकर वरुण हिरामथ को दी गई जमानत की राहत को कैंसिल न कर के फेल कर दिया.

इस मामले में शिकायतकर्ता ने अपनी स्टेटमैंट में यह तो मान लिया था कि वह और आरोपी एक ही कमरे में रजामंदी से थे और यह भी कि उस ने अपने कपड़े भी उतारे थे पर उस ने दावा किया कि उस ने सैक्स संबंध बनाने की सहमति नहीं दी और अगर सैक्स हुआ तो यह बलात्कार था.

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि जब स्त्रीपुरुष एक कमरे में सहमति से हों तो और स्त्री पुरुष का कहना इच्छा से मान रही हो तो बलात्कार का मामला नहीं बनता.

फरवरी, 2020 में दिल्ली के एक होटल में हुए इस मामले पर आरोपी की दलील थी कि कानून कहता है कि कपड़े उतारने की सहमति दे भी दी गई थी तो उसे सैक्स संबंध की सहमति नहीं माना जा सकता. सुप्रीम कोर्ट उस से सहमत नहीं हुआ और वरुण हिरामथ को मिली जमानत बरकरार रखी गई.

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पढ़ीलिखीं, साथ काम कर रही लड़कियों के साथ संबंध बनाना अब एक जोखिम का काम बनता जा रहा है. आदमियों को अकसर लगता है कि पढ़ीलिखी उदार विचारों वाली लड़की सैक्स के मामले में भी उदार होगी पर यह हमेशा नहीं होता. बहुत बार लड़कियां अपने व्यक्तित्व का इस्तेमाल केवल उस हद तक करती हैं जिस हद तक पुरुष अपने बोलने की कला या संपर्कों का करते हैं.

अपने बदन को दिखाने में संकोच न करने वाली हर लड़की अपनी इच्छा के विरुद्ध बिस्तर पर जाने को तैयार हो जाएगी, यह सम झना बड़ी भूल है. पुरुष आमतौर पर सम झते हैं कि वे हर उस औरत को पटा सकते हैं जो काम के सिलसिले में उन के पास आए. औरतें दूसरी तरफ बिस्तर पर उसी के साथ जाना चाहती हैं जो उन्हें पसंद आए. किसी भी लड़की को एक समय में एक ही पसंद आता है और उस के प्रति निष्ठावान रहती है और यह संभव है कि इस पसंदीदा व्यक्ति में पति नहीं हो. अगर पति के साथ न निभाया जा रहा हो, प्रेम न रह गया हो तो सैक्स संबंध केवल कानून सम्मत बलात्कार बन कर रह जाता है.

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पुरुष इस बात को नहीं सम झ पाते और उन्हें लगता है कि जिस ने उन के साथ चाय पी, खाना खाया, घंटों बिताए उस के साथ सैक्स संबंध का हक बन गया. यह हक न पुरुष को है और न ही स्त्री को. अपने शरीर का आकर्षण दर्शा कर पुरुष को उत्तेजित कर संबंध बना लेना बलात्कार कम माना जाता है पर ऐसा हो तो बड़ी बात नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर सैक्स संबंधों के मामलों में औरतों की सहीगलत सभी बातें मान लेता है पर इस मामले में अगर भिन्न आदेश दिया है तो यह अच्छी बात है.

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