REVIEW: जानें कैसी है Akshay Kumar और Katrina Kaif की Sooryavanshi

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः करण जोहर,रोहित शेट्टी, केप आफ गुड फिल्मस और रिलायंस इंटरटेनमेंट

निर्देशकः रोहित शेट्टी

कलाकारः अक्षय कुमार,कटरीना कैफ,अजय देवगन,रणवीर सिंह,कुमुद मिश्रा,जावेद जाफरी,अभिमन्यू सिंह, राजेंद्र गुप्ता ,निहारिका रायजादा, निकितन धीर,विवान भथेना,

अवधिः दो घंटा 25 मिनट

लगभग पौने दो वर्ष बाद मुंबई के सभी सिनेमाघर पचास प्रतिशत की क्षमता के साथ 22 अक्टूबर से खुल चुके हैं. लेकिन अफसोस अब तक एक भी फिल्म दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पायी है.  फिल्म जगत से जुड़े लोगों को आज 5 नवंबर को देश विदेश के सिनेमाघरों में पहुॅची रोहित शेट्टी की महंगी और मल्टीस्टारर एक्शन मसाला फिल्म ‘‘सूर्यवंशी’’से काफी उम्मीदें थी.  कोविड महामारी के बाद भारतीय सिनेमा की जो दयनीय स्थिति हो गयी है,उसे सुधारने के लिए आवश्यक है कि लोग सिनेमा देखने सिनेमाघर के अंदर जाएं.  हम भी चाहते है कि लोग पूरे परिवार के साथ फिल्म देखने सिनेमाघर में जाएं. मगर रोहित शेट्टीे की फिल्म ‘‘सूर्यवंशी’’ को दर्शकों का साथ मिलेगा,ऐसी उम्मीद कम नजर आ रही हैं. फिल्मकारों को भी  सिनेमा जगत को पुनः जीवन प्रदान करने के लिए फिल्म निर्माण के विषय वगैरह पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है.

कहानीः

रोहित शेट्टी के दिमाग मे पुलिस किरदारों की अपनी एक अलग कल्पना है. ‘सिंघम’ और ‘सिंबा’के बाद उसी कड़ी में उनकी यह तीसरी फिल्म ‘सूर्यवंशी है. जिसके प्री क्लायमेक्स में सिंबा यानी कि रणवीर सिंह और क्लायमेक्स में सिंघम यानीकि अजय देवगन भी सूर्यवंशी यानी कि अक्षय कुमार का साथ देने आ जाते हैं.

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एक काल्पनिक कथा को यथार्थ परक बताने के लिए ही रोहित शेट्टी ने फिल्म की कहानी की शुरूआत ही मार्च 1993 में मुबई में हुए लगातर सात बम विस्फोट से होती है. इस बम विस्फोट के बाद पुलिस अफसर कबीर श्राफ(जावेद जाफरी) इस बम विस्फोट के लगभग हर गुनाहगार को पकड़ लेेते हैं. मगर बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड बिलाल (कुमुद मिश्रा) और ओमर हफीज (जैकी श्रॉफ) मुंबई में अमानवीय कांड करके पाकिस्तान भाग गए थे. पर अपने फर्ज को अपनी डॉक्टर पत्नी रिया (कटरीना कैफ) और बेटे से भी उपर रखने वाले बहादुर पुलिस अफसर सूर्यवंशी को बिलाल और ओमर हफीज की तलाश है. क्यांेकि मुंबई बम विस्फोट में सूर्यवंशी अपने माता-पिता को खो चुके हैं. कबीर श्राफ को जांच में पता चला था कि मुंबई बम विस्फोट के लिए  असल में एक हजार किलो आरडीएक्स लाया गया था, जिसमें से महज 400 किलो का इस्तेमाल करके तबाही मचाई गई थी. जबकि 600 किलो आरडीएक्स मुंबई में ही कहीं छिपा कर रखा है. अब सुर्यवंशी उसी की जांच को आगे बढ़ाते हुए सूर्यवंशी यह पता लगाने में सफल हो जाते हैं कि पिछले 27 वर्षों से आतंकी संगठन लश्कर के स्लीपर सेल फर्जी नाम वह भी हिंदू बनकर देश के विभिन्न प्रदेशों में रह रहे हैं. अब ओमर हाफिज अपने दो बेटों रियाज(अभिमन्यू सिंह) व राजा(सिकंदर खेर ) को भारत भेजता है कि वह वहां सावंत वाड़ी में उस्मानी की मदद से छिपाकर रखे गए छह सो किलो आरडीएक्स का उपयोग कर मुंबई के सात मुख्य  भीड़भाड़ वाले इलाकों में एक बार फिर बम विस्फोट कर देश को दहला दे. मगर सूर्यवंशी अपनी सूझबूझ से रियाज को गिरफ््तार कर जेल में डाल देता है. तब ओमर शरीफ पाकिस्तान से पुनः बिलाल को भेजता है. अब मुंबई को आतंकी हमले से सूर्यवंशी,सिंबा और सिंघम की मदद से किस तरह बचाते हैं,यह तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा.

लेखन व निर्देशनः

पटकथा तेज गति की है. मगर फिल्म ‘सूर्यवंशी’ की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कहानी और फरहाद सामजी के संवाद हैं. फरहाद सामजी के संवाद अति साधारण हैं.  कुछ संवाद अतिबचकाने हैं. 1993 में मुंबई आए एक टन आरडीएक्स में से मार्च 1993 में मुंबई बम विस्फोट में सिर्फ चार सौ किलो आरडीएक्स उपयोग किया गया था. बाकी की तलाश व अपराधियों को पकड़ने की कहानी में जबरन राष्ट्वाद ठूंसने की कोशिश की गयी है. एक दृश्य में मंदिर से भगवान गणेश जी की मूर्ति को स्थानांतरित करते समय मौलानाओं को गणेश जी की मूर्ति उठाते हुए दिखाया गया है. रोहित शेट्टी ने सूर्यवंशी ( अक्षय कुमार)के किरदार को जिस तरह से गढ़ा है,वह भी हास्यास्पद ही है. सूर्यवंशी( अक्षय कुमार) हमेशा अपने साथ काम करने वालों के नाम भूल जाते हैं. मगर मुस्लिमों को धर्मनिरपेक्षता, देशभक्ति और मुस्लिम कट्टरपंथियो का समर्थन देने के खतरे को लेकर भाषणबाजी देना नही भूलते.

रोहित शेट्टी ने अपनी पुरानी फिल्मों के दृश्यों को ही फिर से इस फिल्म में पिरो दिया. इसमें फिल्म में जॉन को पकड़ने के लिए सूर्यवंशी को बैंकॉक भेजने वाला पूरा घटनाक्रम अनावश्यक है. हकीकत में बतौर निर्देशक रोहित शेट्टी इस फिल्म में काफी मात खा गए हैं. फिल्म के कई दृश्यों का वीएफएक्स भी काफी कमजोर है. फिल्म में नयापन नही है. यहां तक कि रोहित शेट्टी ने क्लायमेक्स के लिए कई दृश्यों को अपनी पुरानी फिल्म ‘‘सिंघम’’से चुराए हैं.

रोहित शेट्टी ने नायक के साथ साथ खलनायकों के परिवार, उनके सुख दुःख के साथ   भावनात्मक  इंसान के रूप में दिखाया जाना गले नही उतरता.

अक्षय कुमार और कटरीना कैफ के बीच रोमांस सिर्फ एक गाने में है. कहानी की बजाय सिर्फ एक्शन देखने के शौकीन लोग जरुर खुश होंगे. रोहित शेट्टी के अंदाज के अनुरूप इसमें गाड़ियों का उड़ना नजर आता है. लेकिन यह सारे एक्शन दृश्य हौलीवुड फिल्मों के एक्शन दृश्यों से प्रेरित हैं.

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अभिनयः

अक्षय कुमार के अभिनय मे भी दोहराव ही है. वह हर दृश्य में किरदार की बजाय अक्षय कुमार ही नजर आते हैं. कटरीना कैफ  गाने ‘टिप टिप बरसा पानी’ में सेक्सी व सिजलिंग नजर आयी हैं. कुमुद मिश्रा,जैकी श्राफ और गुलशन ग्रोवर की प्रतिभा को जाया किया गया है. इनके किरदारांे के साथ न्याय नही हुआ.

कहानी में समस्या ही खलनायिकी है – गुलशन ग्रोवर

हिंदी सिनेमा जगत में बैडमैन के नाम से चर्चित एक्टर गुलशन ग्रोवर किसी परिचय के मोहताज नहीं. उन्होंने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड में भी अच्छा नाम कमाया है. इतना ही नहीं उन्होंने इरानियन, मलयेशियन और कनेडियन फिल्मों में भी काम किया है.

बचपन से अभिनय का शौक रखने वाले गुलशन ग्रोवर ने पढाई ख़त्म करने के बाद कैरियर की शुरुआत थिएटर और स्टेज शो से किया. इसके बाद वे मुंबई आकर एक्टिंग क्लासेस ज्वाइन किये और अभिनय की तरफ मुड़े. उन्होंने हमेशा विलेन की भूमिका निभाई और अच्छा नाम कमाया. उनका फ़िल्मी सफ़र जितना सफल था उतना उनका पारिवारिक जीवन नहीं. काम के दौरान उन्होंने शादी की और एक बेटे संजय ग्रोवर के पिता बने.  उनका रिश्ता पत्नी के साथ अधिक दिनों तक नहीं चल पाया और तलाक हो गया. उन्होंने सिंगल फादर बन अपने बेटे की परवरिश की है. 400 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम कर गुलशन ग्रोवर इन दिनों लॉकडाउन में अपने दोस्तों के साथ बातें कर समय बिता रहे है. उन्होंने गृहशोभा मैगजीन के लिए खास बात की आइये जानते है, कैसा रहा उनका फ़िल्मी सफ़र,

सवाल-लॉक डाउन में आप क्या कर समय बिता रहे है?

लॉक डाउन के इस समय को बहुत पॉजिटिवली इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा हूं. बहुत सारी किताबें जो नहीं पढ़ी, बहुत सारी फिल्में जो नहीं देखी, बहुत सारे काम जो समय की कमी की वजह से नहीं कर पाए जैसे व्यायाम करना, परिवार के लोगों के साथ समय बिताना, ज्ञानी लोगों के साथ बातचीत करना, किसी विषय पर चर्चा करना आदि है. इसमें महेश भट्ट, अक्षय कुमार, मनीषा कोईराला, मेरा क्लास मेट जस्टिस अर्जुन सीकरी, गौतम सिंहानिया, नवाज सिंहानिया, अनिल कपूर, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ आदि सभी से उनके सम्बंधित विषयों पर बातचीत कर इस लॉक डाउन के प्रभाव और उसके बाद की स्थिति को जानने की कोशिश करता हूं.

 

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#BADMAN will be back soon on silver screen in #Sooryavanshi

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सवाल-लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री कैसे रन करेगी इस बारें में आपकी सोच क्या है?

लॉक डाउन कोरोना संक्रमण के समस्या का समाधान नहीं, रोग फैले नहीं इसपर लगाम लगाने की एक कोशिश है, नहीं तो पूरे विश्व का इंफ्रास्ट्रक्चर फेल हो जायेगा और त्राहि-त्राहि मच जाएगी. इसके बाद इंडस्ट्री में काम शुरू होना संभव नहीं होगा, मुझे इस बात का डर है, क्योंकि दो अलग विचारधारायें इस विषय पर चल रही है, जिसमें अर्थव्यवस्था संकट सबसे बड़ी होगी. लॉक डाउन हटने के बाद बिमारी बढ़ने के चांसेस अधिक होगी, ऐसे में लोगों को समझना पड़ेगा कि लॉक डाउन में ढील के बाद वे घर से बाहर न निकले, क्योंकि इससे वे परिवार और खुद को खतरे में डाल सकते है. फिल्म इंडस्ट्री काफी समय तक शुरू नहीं हो पायेगी, क्योंकि हमारा कोई भी काम 100-150 लोगों के बिना नहीं हो सकता. शूटिंग नहीं हो पायेगी, क्योंकि ड्रेस मैन, हेयर ड्रेसर, मेकअप मैन आदि सब कलाकारों के काफी नजदीक होते है, ऐसे में काम पर आने वाले लोग स्वस्थ है कि नहीं ये जांचना बहुत मुश्किल होगा. डर-डर के शुरू होगा, पर पहले की तरह काम होने में देर होगी. मैंने सुना है कि कुछ कलाकार अभी से वैक्सीन लगाये बगैर काम पर नहीं आने की बात सोच रहे है, जिसमें सलमान खान, ऋतिक रोशन आदि है. ये अच्छी बात है, क्योंकि खुद की और दूसरों की सेहत का ख्याल रखने की आज सबको जरुरत है. समस्या सभी को होने वाली है. चरित्र एक्टर से लेकर, लाइट मैन, स्पॉट बॉय सभी के काम बंद हो चुके है. एक निर्माता को भी समस्या है, जिसने पैसे लेकर फिल्म बनायीं और उसे रिलीज नहीं कर पा रहा है. इसका उत्तर किसी के पास नहीं है. हम सब भी इसमें शामिल है, जिन्हें जमा की हुई राशि से पैसे निकालकर खर्च करने पड़ रहे है.

सवाल-आपकी 40 साल की जर्नी से आप कितने संतुष्ट है, कोई रिग्रेट रह गया है क्या?

मेरे लिए था शब्द का प्रयोग मैं नहीं कर सकता, क्योंकि अभी भी मैं जबरदस्त काम कर रहा हूं. इस समय मैं 4 बड़ी फिल्म में खलनायक की भूमिका कर रहा हूं. फिल्म सूर्यवंशी, सड़क 2, मुंबई सागा, इंडियन 2 इन सबमें मैं काम कर रहा हूं. मैं पहले की तरह उत्साहित, खुश और व्यस्त हूं. ये दुःख की घड़ी जल्दी निकल जाए, इसकी कामना करता हूं, कोई रिग्रेट नहीं है.

सवाल-आपकी इमेज बैडमैन की है, जिसकी वजह से रियल लाइफ में भी लोग आपसे डरते है, क्या किसी भी देश या शहर में आपने इसे फेस किया?

(हँसते हुए) कैरियर के शुरुआत में हर घड़ी लगातार मैंने इसे फेस किया है, क्योंकि तब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं थी.फिल्म देखने के बाद लोग फ़िल्मी मैगजीन से ही कलाकारों के बारें में पढ़ते थे. जब से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों के घर तक पहुंचा और उन्होंने हमारे दिनचर्या को देखा, हमारे पार्टी में जाने और सबसे मिलने की तस्वीरें देखी तो लोग हमारी असल जिंदगी से परिचित हुए. हमारे व्यक्तित्व के बारें में उनकी धारणा बदली है, लेकिन वह भी बहुत अधिक नहीं बदला है. ब्रांड का डर हमेशा बना ही रहता है. मुझे याद आता है कि मैं अमेरिका और कनाडा में शाहरुख़ खान के साथ एक शो करने गया था. कनाडा में लड़कियां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कलाकारों से बहुत प्रेरित होती है. शाहरुख़ खान के कमरे में लड़कियां अकेले लगातार जाती आती रही और सामने की तरफ मेरा कमरा था, जैसे ही उन्हें पता चला कि गुलशन ग्रोवर का कमरा है तो लड़कियां ऑटोग्राफ या पिक्चर लेने के लिए अपने भाई, कजिन, पेरेंट्स, होटल की सिक्यूरिटी, बॉयफ्रेंड आदि के साथ आती थी, जबकि शाहरुख़ खान के साथ अकेले खूब गपशप करती थी. इसके अलावा शुरू-शुरू में जब मैं डिनर होस्ट करता था तो कई हीरोइनों की सहेलियां उन्हें अपने माँ को साथ ले जाने की सलाह देती थी. कुछ एक्ट्रेसेस के रिश्तेदार भी मेरे यहाँ पार्टी में आने से मना करते थे.

सवाल-आपका व्यक्तित्व उम्दा होने के बावजूद क्या आपने कभी हीरो बनने की कोशिश नहीं की?

मुझे पहले ही समझ में आ गया था कि हीरो की सेल्फ लाइफ थोड़ी छोटी होती है. खलनायक की भूमिका में उम्र की कोई समस्या नहीं है. किस तरह के आप दिख रहे है, उसकी समस्या नहीं है. केवल काम अच्छा होना चाहिए. जब आप पर्दे पर आये तो उस भूमिका में जंच जाए. लम्बी सेल्फ लाइफ होने के साथ साथ भूमिका भी चुनौतीपूर्ण होती है. अधिक काम करना पड़ता है और मज़ा भी आता है.

सवाल-पहले की फिल्मों मेंलार्जर देन लाइफवाली कहानी होती थी, जिसमें हीरो, हेरोइन और विलेन हुआ करता था, अब ये कम हो चुका इसकी वजह क्या मानते है?

जो समाज में हो रहा होता है कहानी वैसी ही लिखी जाती है, समाज में उस तरह के स्मगलर, डॉन, सोने के स्मगलर के दौर चले गए. अब खलनायक कोई व्यवसायी, नेता, या भला आदमी हो गया है. जिसे बाद में कहानी में पता चलता है. खलनायक का शारीरिक रूप बदल गया है, अब खलनायक कभी ऊँची नीची जाति, कभी अमीर गरीब, दो लड़की से प्यार, किससे शादी करें या न करें आदि कई विषयों पर केन्द्रित हो गया है. कहानी में समस्या ही खलनायिकी है. अभी फिर से खलनायिकी का दौर शुरू हो चुका है.

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सवाल-क्या मेसेज देना चाहते है?

इस कठिन घड़ी में जब पूरे देश में लॉक डाउन है और इस समय डॉक्टर, नर्सेज, पुलिस और सफाईकर्मी कर्मी दिनरात मेहनत कर हमारी सुरक्षा में लगे है. वे अपने जिंदगी की परवाह किये बिना काम कर रहे है. जब वे अपने घर जाते है तो डरते है कि उनकी वजह से उनके परिवार संक्रमित न हो जाय. फिर भी वे काम कर रहे है. मेरे दिल में उनके लिए बहुत सम्मान है. मैं गृहशोभा के माध्यम से ये कहना चाहता हूं कि ऐसे सभी लोग जो एस्सेंसियल सर्विस में है. सरकार उनके वेतन डबल कर देने के बारें में सोचें,  जैसा कनाडा के प्राइम मिनिस्टर ने अपने देश के लिए किया है.

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