घर की सफाई हर दिन करनी पड़ती हैं. महामारी के दौरान सफाई ने अपनी इम्पोर्टेंस को फिर से बढ़ा दिया है. हालांकि आप क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से अनजाने में खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये प्रोडक्ट्स गन्दगी साफ़ करने वाले साबुन, लांड्री डिटरजेंट या टॉयलेट क्लीनर हो सकते हैं.
ज्यादातर केसेस में क्लीनिंग प्रोडक्ट के महक के लिए 4,000 से ज्यादा केमिकल्स का मिश्रण होता है जो प्रोडक्ट की तेज गंध को अन्य केमिकल्स तत्व की गंध के साथ मास्क करने के लिए जोड़ा जाता है. जबकि इनमें से कुछ तत्व पेड़-पौधों से भी लिए जाते हैं. जैसे-फूल, मसाले, फल, लकड़ी, रेजिन और घास आदि. इन प्राकृतिक स्रोतों से निकाले गए लगभग 80-90% वोलाटाइल(वाष्पित) में आर्गेनिक कम्पाउंड शामिल होते हैं जैसे कि एल्कोहल और पेट्रोकेमिकल्स, जो हवा के साथ उड़ते हैं जिसकी वजह से इन्हें हम सूंघ सकते हैं.
डिशवॉशर, लांड्री डिटर्जेंट, टॉयलेट क्लीनर, एयर फ्रेशनर– प्रोडक्ट का नाम देखें और लेवल पर एक नज़र दौडाएं. लेबल से आपको पता चलेगा कि उनमे कौन से केमिकल्स शामिल हैं. 2015 में हुई एक स्टडी से पता चला कि 37 फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से उत्सर्जन(एमिशन्स) की जांच की तो पता चला कि ये सभी 156 वोलाटाइल आर्गेनिक कम्पाउंड (वीओसी) का उत्सर्जन करते हैं, जिनमें से कई को मानव के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और नुकसानदेह के रूप में क्लासीफाइड किया गया है. फ्रैगरेन्स प्रोडक्ट्स इंडोर एयर क्वॉलिटी को प्रदूषित करते हैं. हम सभी जानते हैं कि ख़राब हवा से सिर दर्द और अस्थमा से लेकर कैंसर और हार्ट से सम्बंधित समस्याएं होती हैं. फ्रैगरेन्स से संबंधित बीमारियों का खतरा लोगों में सबसे ज्यादा हैं. इन लोगों में प्रोफेशनल क्लीनर, घर में काम करने वाले नौकर और महिलाएं होती हैं ये सभी रोज फ्रैगरेन्स वाले प्रोडक्ट से घर से सफाई करते रहते हैं इसलिए इनको ऐसे प्रोडक्ट से ज्यादा खतरा रहता है. स्टडी में 10% से कम अवयवों (इंग्रेडिएंट्स) का लेवल या फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सेफ्टी डाटा शीट के बारें में पता चला है. भारत में भी पता चला है कि इन फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के निर्माता लेवल में इन प्रोडक्ट में कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स शामिल हैं इसको बिना बताये ही इसे बेच रहें हैं.
क्यां ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहियें? लेकिन क्यों?
होम क्लीनर, जैसे कि ब्लीच, बेंजीन, सोडियम लॉरथ सल्फेट (SLS) और फॉर्मलाडेहाइड के अलावा और भी कई होम क्लीनर हैं जो विषैले होते हैं और इनका इस्तेमाल करने से बहुत ज्यादा सूजन होती है. नीचे कुछ विषैले केमिकल्स के बारें में बताया हैं जिन्हें आप उनका लेवल देख के पता लगा सकते हैं कि उनमे कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स शामिल हैं.
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डिटर्जेंट, साबुन और शैम्पू:
डिटर्जेंट से जो झाग बनता है वह सोडियम लॉरथ सल्फेट (SLS) और फॉर्मलाडिहाइड के कारण होता है. SLS पानी और तेल से डिटर्जेंट की प्रभावशीलता (इफेक्टिवनेस) में सुधार करता है. पानी और तेल आपस में मिक्स नहीं होते हैं ये कपडें से गंदगी को आसानी से साफ़ कर देते हैं. फॉर्मलडिहाइड एक सस्ता वाला परिरक्षक (प्रेजरवेटिव) और एंटीबैक्टेरियल एजेंट होता है. ये केमिकल्स डिशवॉशर डिटर्जेंट, साबुन और शैंपू में भी पाये जाते हैं. इनकी वजह से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता हैं. एसएलएस सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसका कारण यह है कि यह सस्ता और प्रभावी होता है लेकिन यह मानव त्वचा को नुकसान पहुँचाने के लिए जाना जाता है और अक्सर इससे एग्जिमा, रोसैसिया और सोराइसिस जैसी कंडीशन भी बनती है जबकि फॉर्मलाडिहाइड आँखों, फेफड़े और सांस में जलन पैदा कर सकता है. डिटर्जेंट, पेंट और फर्नीचर की पॉलिश से बेंजीन निकलता है जो त्वचा, नाक और आंखों की जलन के लिए जाना जाता है, और यह पानी में रहने वाले जीव को भी नुकसान पहुंचाता हैं.
डिशवाशिंग लिक्विड: एसएलएस और फॉर्मलाडेहाइड के साथ-साथ अन्य केमिकल वाले प्रोडक्ट जैसे कि ट्राईक्लोसन बहुत तेजी से बैक्टीरिया को मारता है. एसएलएस पेट्रोलियम और नारियल या ताड़ के तेल से लिया जाता है और डिटर्जेंट के लेदर-फार्मिंग गुणों को बढ़ाता है. फॉर्मेल्डीहाइड को लगातार छूने से एलर्जी रिएक्शन जैसे कि एक्जिमा और सूजन होती है. हर रोज इसे छूने से कैंसर भी हो सकता है.
एयर फ्रेशनर्स: एयर फ्रेशनर्स में फोथलेट्स और नोनीलेफेनोल एथोक्सिलेट जैसे विषैले केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. इन दोनों केमिकल्स को अंतःस्रावी अवरोधक (इंडोकरिन डिस्रप्टर्स) कहा जाता है.
कई यूरोपीय देशों में नोनीलेफेनोल एथोक्सिलेट बैन है लेकिन भारत में नहीं. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपने क्षेत्र-आधारित आकलन (रीजन बेस्ड असेसमेंट) में इसे पूरी दुनिया के लिए खतरनाक केमिकल माना है. बार-बार एक्सपोजर वाले केमिकल मिमिक एस्ट्रोजेन से हमारी बॉडी यह बताने में सक्षम नहीं होती है कि एस्ट्रोजन और केमिकल के बीच का अंतर क्या है. इससे हार्मोनल इम्बैलेंस (असंतुलन) हो सकता है.
यह केमिकल समुद्री जीवों के लिए ज्यादा विषैला होता है और यह बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है – यह मिट्टी में, पानी में और सतह पर कई सालों तक जमा रहता है. जिन आदमियों के खून में फैथलेट कम्पाउंड ज्यादा होता है उनमे स्पर्म कॉउंट कम हो चुका होता है. हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के शोधकर्ताओं द्वारा 2003 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ऐसे आदमियों के खून में शुक्राणुओं की संख्या कम मिली थी.
प्राकृतिक क्लीनर्स को चुनें
जो क्लीनर प्रोडक्ट पेड़-पौधें से बनते हैं वह केमिकल प्रोडक्ट की तुलना में आपके लिए, आपके बच्चे के लिए, और आपके पालतू जानवर के लिए सुरक्षित माने जाते हैं. अब समय आ गया है कि हम केमिकल आधारित होम क्लीनर का इस्तेमाल बंद करें और प्राकृतिक सोर्स से बने क्लीनर का इस्तेमाल करें: आप नीचे बताये गए इन क्लीनर्स को घर पर भी बना सकते हैं.
एयर फ्रेशनर्स: टूथपिक का नोक का इस्तेमाल कुछ ताज़े, मज़बूत, संतरों के छिलकों में कुछ छेद करने के लिए करें. हर छेंद में एक लौंग डालें. एक कटोरे में मसालेदार संतरे रखें और उन्हें घर के आसपास सेट कर दें. यह आपके लिए प्राकृतिक एयर फ्रेशनर की तरह बन जायेगा. आप इन संतरों को अपनी खिड़कियों में भी लटका सकते हैं. कई तरह की खुशबू को पाने के लिए आप संतरे पर पाउडर दालचीनी, लौंग या जायफल छिड़ककर रख सकते हैं.
मोठ रिपेलेंट्स: एक मुट्ठी गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाएं. उन्हें लैवेंडर की कुछ बूंदों के साथ या रोजमैरी तेल के साथ छिड़कें. चाय की थैलियों में पंखुड़ियों को भरकर या खुद से भी पाउच बनाकर चीज़क्लोथ के टुकड़े उसमे भरकर रख सकते हैं. मोठ रिपेलेंट्स को और ज्यादा इफेक्टिव बनाने के लिए आप सूखे नींबू के छिलके, लौंग या नीलगिरी का भी उपयोग कर सकते हैं.
कारपेट और अपहोल्स्ट्री रिमूवर: एक स्प्रे की बोतल में सफेद सिरका और पानी बराबर भरके दाग-धब्बों से छुटकारा पा सकते हैं. इसे सीधे दाग पर स्प्रे करें, फिर कई मिनट तक छोड़ दें, और फिर ब्रश से या साबुन के गर्म पानी का इस्तेमाल करके स्पंज से साफ़ करें. खाने या ग्रीस के धब्बे के लिए, दाग पर कॉर्नस्टार्च छिड़कें और वैक्यूम करने से पहले एक घंटे तक इसे रख दें, इन दागों को साफ़ करने के लिए यह सबसे सुरक्षित तरीका है.
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फर्नीचर की सफाई: 2 पार्ट वाले सिरके को, 2 पार्ट वाले वेजिटेबल आयल और 1 पार्ट वाले नीम्बू के रस को मिलाकर अपने फर्नीचर को साफ़ करें. इन तीनो चीज़ों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद एक कपड़े को इसमें डुबा दें. अब इस कपड़े से अपने फर्नीचर को साफ़ करें. आप इस मिश्रण को एक स्प्रे बोतल में भी स्टोर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं.
अनुराधा केडिया को फाउंडर द बेटर होम से बातचीत पर आधारित