अर्जुन कपूर की बहन Anshula का हुआ Body Transformation, फोटोज वायरल

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor Sister)की बहन अंशुला कपूर (Anshula Kapoor) इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं, जिसका कारण उनका वेट ट्रांसफौर्मेशन है. वहीं हाल ही में अंशुला कपूर ने अपने वेट ट्रांसफौर्मेशन  (Anshula Kapoor Weight Transformation) को लेकर एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं अंशुला कपूर के लुक्स की झलक…

फोटोज में दिखा अलग लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anshula Kapoor (@anshulakapoor)

हाल ही में अंशुला ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करके फैंस को अपने 2 साल के वजन कम करने के सफर के बारे में बताया है. हालांकि उनकी फोटोज और वीडियो को देखकर फैंस पहले ही उनके वेट ट्रांसफौर्मेशन का अंदाजा लगा चुके हैं. बीते दिनों एक वेडिंग में अंशुला अपने लहंगे वाले लुक को फ्लौंट करती हुईं नजर आईं थीं, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anshula Kapoor (@anshulakapoor)

ये भी पढ़ें- Anupama से लेकर अक्षरा तक, ITA अवौर्ड्स में दिखा एक्ट्रेसेस का जलवा

ड्रैसेस को फ्लौंट करती दिखीं अंशुला

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anshula Kapoor (@anshulakapoor)

लहंगे के अलावा हाल ही में एक फोटोशूट में अंशुला ड्रैसेस ट्राय करती हुई नजर आईं थीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इन ड्रैसेस में वह अपने फिगर को फ्लौंट करती हुई भी दिखी थीं. फैंस को अंशुला कपूर का नया अंदाज काफी पसंद आ रहा है, जिसके चलते उनकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anshula Kapoor (@anshulakapoor)

बिजनेस लेडी लुक में दिखीं अंशुला

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anshula Kapoor (@anshulakapoor)

ड्रैसेस से लेकर गाउन के अलावा अंशुला कपूर बिजनेस लेडी लुक में भी नजर आईं. ब्लैक कलर के पैंट और सूट के साथ गोल्डन कौम्बिनेशन वाली ज्वैलरी में अंशुला बेहद खूबसूरत और एलीगेंट लग रही थीं. इस लुक को देखकर फैंस कयास लगाते नजर आए कि अंशुला अब बिजनेस संभालती हुई नजर आने वाली है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anshula Kapoor (@anshulakapoor)

ये भी पढ़ें- 44 साल की उम्र में Anupama की Rupali Ganguly का ट्रांसफौर्मेंशन, देखें फोटोज

बता दें, अंशुला कपूर से पहले अर्जुन कपूर भी वजन कम कर चुके हैं. वहीं जाह्नवी कपूर के फैशन और फिटनेस को भी फैंस काफी पसंद करते हैं. हालांकि अब अंशुला कपूर का ट्रांसफौर्मेशन देख फैंस उनके फिल्मों में आने की बात कहते नजर आ रहे हैं.

नेपोटिज्म और खेमेबाजी का केंद्र है बॉलीवुड 

आप कहां से यहां आये हो और यहां सीडियों पर बैठकर कर क्या रहे हो? मैडम मैं एक लेखक  और अपना नाम फिल्म राइटर्स एसोसिएशन में लिखवाने आया . इससे क्या होगा? मैं कवितायेँ लिखता  और राजस्थान के एक गांव से आया . यहां मैं अपने कविताओं को पहले रजिस्टर करवाकर फिर किसी म्यूजिक डायरेक्टर को देना चाहता , क्योंकि यहां मैंने सुना है कि कविताओं की चोरी संगीत निर्देशक कर लेते है. काम के लिए मैं हर रोज किसी संगीत निर्देशक के ऑफिस के बाहर घंटो अपनी कविताओं को लेकर बैठता , जिस दिन उनकी नज़र मेरे उपर पड़ी, मेरा काम बन जायेगा.’ मुझे उसकी बातें अजीब लगी थी, क्योंकि वह करीब 2 साल से ऐसा कर रहा था.

पत्नी और दो बच्चों के पिता होकर भी उसकी कोशिश बॉलीवुड में काम करने की थी, जिसके लिए उसके परिवार वाले पैसे जुटा रहा था, उसे काम कभी मिलेगा भी या नहीं, ये सोचने पर मजबूर होना पड़ा. ऐसे न जाने कितने ही लेखक और कलाकार मुंबई की सडको पर एक अवसर पाने की कोशिश में लगातार घूमते रहते है. इक्का दुक्का ही सफल होते है, बाकी या तो वापस चले जाते है, या डिप्रेसड होकर गलत कदम उठा लेते है. 

 इंडस्ट्री में प्रोडक्शन हाउस से लेकर कास्टिंग डायरेक्टर तक हर जगह खेमेबाजी और नेपोटिज्म चलता है. इन प्रोडक्शन हाउसेस में काम करने वाले आधे से अधिक लोगों के वेतन पेंडिंग रहते है, जिसके लिए कर्मचारी हर दिन इनके चक्कर लगाते रहते है. इसकी वजह प्रोडक्शन हाउस के मालिकों का कर्मचारियों को कम पैसे में पकड़ कर रखना है, ताकि वे दूसरी जगह काम न कर सके. ऐसे में कर्मचारी अपने दोस्तों और परिवार वालों से पैसे मांगकर किसी तरह गुजारा करते है, पर घरवालों को नहीं बता पाते, क्योंकि उनका हौसला टूट जाएगा. उनकी बदनामी होगी.

ये भी पढ़ें- पहली बार नेपोटिज्म पर बोलीं आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान, कही ये बड़ी बात

देखा जाए तो नेपोटिज्म और खेमेबाजी सालों से बॉलीवुड पर हर स्तर पर हावी रही, जिसका किसी ने बहुत खुलकर विरोध नहीं किया, क्योंकि जो उसे सह गये, वही इंडस्ट्री में रह गए और जिसने सहा नहीं वे निकाल दिए गये. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने इंडस्ट्री के सभी को झकझोर कर रख दिया है और एक नए मिशन को हवा दी है. भले ही सुशांत ने आत्महत्या किसी और वजह से की हो, जो अभी तक साफ़ नहीं है, लेकिन इतना सही है कि बड़े निर्माता, निर्देशक के खेमेबाजी के शिकार वे हुए थे. इस आन्दोलन से आगे किसी कलाकार, निर्देशक या लेखक से ऐसा करने से पहले प्रोडक्शन हाउसेस थोडा अवश्य सोचेंगे. ऐसा सभी मान रहे है. इससे पहले ‘मी टू मूवमेंट’ भी ऐसी ही एक आन्दोलन है, जिसमें सभी बड़े-बड़े कलाकारों की पोल खोल दी और आज कोई भी किसी अभिनेत्री से कुछ कहने से डरते है. 

ये सही है कि नेपोटिज्म हर क्षेत्र में होता है, लेकिन इसकी सीमा बॉलीवुड में सालों से बेलगाम है. खेमेबाजी के शिकार भी तक़रीबन हर आउटसाइडर कलाकार को होना पड़ता है. अभिनेत्री कंगना ने तो डंके की चोट पर सबके आगे आकर इस बात को बार-बार दोहराई है, उसका कहना है कि मैं इंडस्ट्री के किसी से भी नहीं डरती अगर मुझे काम नहीं मिलेगा तो मैंने एक अच्छा घर अपने शहर में बनाया है और वहां जाकर रहूंगी. केवल कंगना ने ही नहीं अभिनव कश्यप, रवीना टंडन, साहिल खान, विवेक ओबेरॉय, सिंगर अरिजीत सिंह आदि जैसे कई कलाकारों ने अपनी बात नेपोटिज्म और खेमेबाजी को लेकर कही है. अभिनेता अभय देओल जो सपष्टभाषी होने के लिए जाने जाते है, वे भी इस खेमेबाजी का शिकार हो चुके है. उन्होंने कई इंटरव्यू में इस बात को दोहराया है कि उनका नाम पहले फिल्म में लीड बताया जाता है, बाद में उन्हें हटाकर दूसरे कलाकार को ले लिया जाता है और अवार्ड भी उन्हें ही दे दिया जाता है. ऐसे में उन्होंने लीक से हटकर फिल्मों में काम किया और अपनी अलग पहचान बनायीं. इसके अलावा वे फिल्में प्रोड्यूस करने और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर काम करना ही उचित समझते है. 

निर्देशक अभिनव कश्यप ने भी कहा है कि उनके कैरियर को ख़राब करने में सलमान ने कोई कसर नहीं छोड़ी. ये तो अच्छा हुआ कि उन्हें दूसरा अच्छा विकल्प मिल गया. ऐसी सोच हर क्रिएटिव पर्सन के पास होनी चाहिए. खासकर सुशांत सिंह जैसे होनहार कलाकार जो हर फिल्म में किरदार को पूरी तरह से उतारते थे, पर दुःख इस बात का है कि उन्होंने इतनी जल्दी इंडस्ट्री की खेमेबाजी से हार मान गए.  

जानकार बताते है कि पिछले दिनों सुशांत की कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं पायी थी, जिसका प्रभाव उसके कैरियर पर पड़ने लगा था, लेकिन इससे वह निकल सकता था, क्योंकि कई दूसरे निर्माता निर्देशकों ने उसे अपनी फिल्मों में लेने की बात कही थी. बॉलीवुड हमेशा किसी भी कलाकार के हुनर से अधिक फिल्म की सफलता और उससे मिले पैसे को अधिक आंकता है. इसमें वे अपने परिवार को भी झोंकने से नहीं कतराते. 

ये भी पढ़ें- जानें सुशांत के सुसाइड के बाद किस पर भड़की दीपिका पादुकोण, लगाई लताड़

अभिनेत्री शमा सिकंदर कहती है कि नेपोटिज्म और खेमेबाजी हमेशा से इंडस्ट्री में है और इसका शिकार मैं भी हुई . मैं डिप्रेशन में गयी और उससे काफी समय बाद निकली भी, जिसमें मेरे परिवारवालों ने साथ दिया. इन सबमें गलती दर्शकों की है. फिल्म कैसी भी हो, वे किसी स्टार के बेटे और बेटी को देखने के लिए हॉल में चले जाते है, जबकि बाहर से आये एक नए कलाकार को कोई देखना नहीं चाहता. दर्शक ही कीसी फिल्म को देखकर उसे सुपरहिट बना सकता है. कई फिल्में नए कलाकारों की आई, जो बहुत अच्छी थी, पर दर्शकों ने उन्हें देखा नहीं, साथ नहीं दिया. नए प्रतिभा को अगर दर्शकों का साथ मिलेगा तो, निर्माता, निर्देशक उसे लेने से कभी नहीं कतरायेंगे. नए कलाकार को दर्शक तब देखते है, जब उनकी कुछ फिल्में सफल हुई हो और ये बहुत मुश्किल से हो पाता है. मुश्किल से एक काम मिलता है, ऐसे में अगर कोई हॉल तक उसे देखने ही न पहुंचे तो उसे अगला काम कैसे मिलेगा? आप बैन प्रोडक्शन हाउस को नहीं, खुद इस दायरे से निकल कर एक नए कलाकार को मौका दे. इस खेमेबाजी और नेपोटिज्म को दर्शक ही हटा सकता है. इतना ही नहीं किसी पार्टी या अवार्ड फंक्शन में नए स्थापित कलाकारों को आमंत्रित भी नहीं किया जाता.

इसके आगे शमा कहती है कि इंडस्ट्री व्यवसाय पर आधारित है, ऐसे में वे उन्हें ही लेना पसंद करते है, जो उन्हें अच्छा व्यवसाय दे सके. आज जिस फिल्म के लिए सुशांत सिंह राजपूत सबको देखने के लिए कहता रहा, आज दर्शक उसे ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सबसे अधिक देख रहे है, इसका अर्थ अब क्या रह गया है? दर्शकों की वजह से भी कलाकर तनाव में जाता है. मैं चाहती  कि सुशांत की आत्महत्या को कोई गलत रंग न दिया जाय, एक प्रतिभावान कलाकार ने अपनी जान दी है, इसलिए इस खेमेबाजी और नेपोटिज्म के अंदर जन्मी इस मुद्दे को सही रूप में सामने लायी जाय, जिसमें जो भी प्रतिभावान कलाकार है, उन्हें इंडस्ट्री में जोड़ा जाय. नए प्रतिभा को मौका दिया जाय, ताकि अभिनय की रीपिटीशन न हो. 

मराठी अभिनेत्री प्रिया बापट ने भी एक इंटरव्यू में कहा है कि गॉडफादर न होने पर बॉलीवुड में काम मिलना बहुत मुश्किल होता है. सुपर स्टार के बेटे या बेटी होने पर ये काम आसान होता है. उनके लिए फिल्में भी लिखी जाती है. कुछ बड़ी मीडिया ग्रुप भी इस खेमेबाजी में शामिल होती है, जो कुछ पैसे लेकर किसी भी फिल्म को सबसे अच्छी फिल्म की रिव्यु दे देती है, जबकि फिल्म देखने के बाद इसकी असलियत पता चलती है. अभिनेता ओमी वैद्य ने भी माना है कि कोरोना काल की वजह से इंडस्ट्री में नए प्रतिभावान कलाकार और निर्देशक को काम मिलना आसान हुआ है, क्योंकि अधिकतर फिल्में डिजिटल पर जा रही है, जिसे कोई भी बना सकता है.    

इसके अलावा रातों रात नाम बदल देना और नाम निकाल देना इसी भाई-भतीजावाद और खेमेबाजी का हिस्सा सालों से हिंदी सिनेमा जगत में रहा है. सिंगर से लेकर लेखक सभी इस समस्या से गुजरते है. सिंगर सोनू निगम ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि मैं कई बार खेमेबाजी का शिकार हुआ पर मैं किसी से डरा नहीं, जिसे जो कहना था कह दिया. सिंगर कुमार शानू ने भी कहा है कि कई फिल्मों में उनके गाने को लिया गया, पर बाद में हटा दिया. यहां तक कि उस गीत को उस फिल्म के हीरो से गवाया गया. आज संगीत में तकनीक के आने से रियलिटी ख़त्म हो गयी है. कोई भी कभी भी सिंगर बन सकता है. इसलिए आजकल मैं एल्बम बनाता  और शोज करता . जिसमें मेरी आवाज आज भी सबको पसंद आती है. 

ये भी पढ़ें- फादर्स डे पर Sonam Kapoor ने दिया हेटर्स को करारा जवाब, सुशांत के सुसाइड पर हुई थीं ट्रोल

ये सही है कि बॉलीवुड में खेमेबाजी और भाई-भतीजावाद सालों से है लेकिन सुशांत सिंह राजपूत की सुइसाइड ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस जाग्रत अभियान में शामिल होकर इंडस्ट्री को एक नयी दिशा दी जाए, जो आज सबकी मांग है. 

पहली बार नेपोटिज्म पर बोलीं आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान, कही ये बड़ी बात

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड पर स्टार किड्स और नेपोटिज्म पर बहस जारी है. सुशांत के फैंस उनके सपोर्ट में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं तो वहीं कुछ अदालतों में बड़े-बड़े स्टार्स के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है. इसी बीच सोशलमीडिया पर भी ट्रोलर्स ने स्टार किड्स जैसे आलिया भट्ट (Alia Bhatt), अन्नया पांडे (Ananya Panday) और वरूण धवन (Varun Dhawan) जैसे सितारों को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. इसी बीच आलिया (Alia Bhatt), की मम्मी सोनी राजदान (Soni Razdan)नेपोटिज्म के सपोर्ट में बेटी आलिया के लिए खड़ी हुई हैं. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं आलिया की मम्मी…

फिल्म डायरेक्टर के ट्वीट से शुरू हुई कहानी

फिल्म डायरेक्टर हंसल मेहता (Hansal Mehta) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर नेपोटिज्म के बारे में लिखा कि ‘नेपोटिज्म डिबेट पर नए नजरिए से बात करने की जरूरत है. अच्छे लोगों को प्रिफरेंस मिलनी चाहिए. मेरे बेटे ने बॉलीवुड में मेरी वजह से कदम रखा है और क्यों नहीं रखना चाहिए? वो मेरे साथ अपनी मेहनत और टैलेंट के कारण काम कर रहा है. उसे काम मिल रहा है क्योंकि वो हकदार है, ना कि इसलिए कि वो मेरा बेटा है. वो फिल्में डायरेक्ट करेगा, इसलिए नहीं क्योंकि मैं उन्हें प्रोड्यूस करूंगा लेकिन इसलिए क्योंकि उसमें टैलेंट है. उसका करियर सिर्फ इसलिए आगे चल पाएगा क्योंकि उसमें टैलेंट है.’

ये भी पढ़ें- जल्द शुरू हो सकती है ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की शूटिंग, कहानी में होंगे ये 5 बदलाव!

सपोर्ट में आईं आलिया की मम्मी

हंसल मेहता के ट्वीट्स का सपोर्ट करते हुए एक्ट्रेस आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने लिखा, ‘क्योंकि आप किसी के बेटे या बेटी हैं, इसलिए लोगों की उम्मीदें आपसे काफी हद तक बढ़ जाती हैं. जो लोग आज नेपोटिज्म पर बातें कर रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर नाम कमाया है एक दिन उनके भी बच्चे होंगे. अगर कभी वो फिल्म इंडस्ट्री में काम करना चाहें क्या ये लोग उन्हें रोकेंगे ?’

जवाब देते हुए हंसल मेहता ने लिखी ये बात

हंसल मेहता ने सोनी राजदान के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा है, ‘नेपोटिज्म डिबेट को कुछ लोगों को टारगेट करने तक सीमित कर दिया गया है. नेपोटिज्म को खत्म करने से पहले हमें जबरदस्ती की पब्लिसिटी खत्म करनी होगी. किसी को जानबूझकर परेशान करना गलत है. लोगों को बिना बात के परेशान करने पर भी चर्चा होनी चाहिए.’

ये भी पढ़ें- जानें सुशांत के सुसाइड के बाद किस पर भड़की दीपिका पादुकोण, लगाई लताड़

बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड की वजह डिप्रेशन बताई जा रही है. वहीं इस डिप्रेशन का कारण उनसे लगातार फिल्मों का छिनना बताया जा रहा है, जिसके कारण फैंस नेपोटिज्म के चलते स्टार किड्स को आडे हाथ ले रहे हैं.

 

 

सनी देओल के सामने Kiss करते वक्त ऐसी हो गई थी बेटे की हालत

फिल्मी माहौल में पैदा हुए और एक्टिंग के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखने वाले एक्टर करण देओल अपने दादा धर्मेन्द और पिता सनी देओल की तरह ही एक सफल एक्टर बनना चाहते है. उन्हें नकारात्मक बातों से परहेज है और उससे दूर रहना पसंद करते है. वे एक फुटबौल प्लेयर भी है और खेल पसंद करते है. समय मिलने पर वे कवितायें अपने जीवन की भावनाओं से जुडी हुई लिखते है. करण ने एक्टिंग के लिए पूरी ट्रेनिंग ली है और फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ में डेब्यू कर रहे है. शांत और हंसमुख स्वभाव के करण देओल अपनी पहली फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस फिल्म के निर्माता निर्देशक आपके पिता है, कितना प्रेशर महसूस कर रहे है?

सभी फिल्में मेहनत और लगन के साथ बनायी जाती है. अगर ये न चले तो दुःख होता है. मैंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत भी की है, लेकिन अगर ये नहीं चलती, तो उसे सोचकर बैठे रहना ठीक नहीं. काम करते रहना चाहिए, क्योंकि एक कलाकार काम के साथ-साथ ही ग्रो करता है. मेरे पिता का कहना है कि अगर फिल्म नहीं भी चलती है, तो आप के काम की तारीफ होनी चाहिए, यह आपकी शुरुआत है. इसके अलावा वे एक परफेक्शनिस्ट है. छोटी-छोटी बारीकियों पर ध्यान देते है,जिससे मुझे काम करने में हमेशा ध्यान रखना पड़ा. कई बार खराब भी लगा,लेकिन मुझे पता है कि ये सब वे मेरी भलाई के लिए कर रहे है, ताकि मैं इंडस्ट्री की सबकुछ अच्छी तरह से सीख सकूं.

ये भी पढ़ें- क्या कपिल के शो में दोबारा नजर आएंगे डौ. गुलाटी?

सवाल- आपने फिल्म में अपनी तरफ से क्या-क्या योगदान दिया है?

मैंने चरित्र के हिसाब से काम किया है और ये मुझसे बिल्कुल अलग चरित्र है, ऐसे में बात करने का ढंग, उसकी चाल-चलन सब अलग से मैंने अडौप्ट किया है. इसमें मेहनत अधिक थी.

सवाल- दादा धर्मेन्द्र के साथ बिताये हुए कुछ पल जिसे आप शेयर करना चाहे?आपके दादाजी से क्या सीख मिली?

काफी ऐसे पल है, जिसे मैंने दादा के साथ गुजारा है, क्योंकि वे हमारे साथ एक ही परिवार में रहते है. मुझे याद आता है कि बचपन में मुझे हौल्स की गोलियों का बहुत शौक था और मैं उनके कमरे में अधिकतर वीडियो गेम्स खेलने जाया करता था. वे वहां पर हौल्स की एक पूरी पैकेट खोल कर रख देते थे. इसके अलावा वे मुझे अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाया करते थे , जिसमें उन्होंने इंडस्ट्री में आने की कहानियां भी कई बार सुनाई थी. अगर वे इंडस्ट्री में नहीं आते, तो हम भी यहां नहीं होते. किसान के परिवार में पैदा होकर भी उन्होंने इतने बड़े सपने को देखा और पूरा किया.

दादाजी का कहना है कि एक्टिंग एक रिएक्शन है, जो उस समय देना पड़ता है. इसके बारें में अधिक सोचने की जरुरत नहीं होती. दो लोगों के बीच में हुए संवाद का आदान-प्रदान सही होना आवश्यक होता है.

सवाल- फिल्म में एक किसिंग सीन है, इसे पिता के सामने करने में कितना कम्फर्ट रहे?

पहले असहज था, लेकिन अभिनय में आपको सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देना होता है. जब ये सीन थी, तब तक इमोशन के काफी भाग शूट हो चुके थे, इसलिए करने में मुश्किल नहीं था.

ये भी पढ़ें- एक बार फिर नई मिस्ट्री गर्ल के साथ नजर आए ‘अनुराग’, देखें वीडियो

सवाल- आपकी नजर में सनी देओल कैसे पिता है?

वे बहुत ही स्ट्रिक्ट पिता है, उन्होंने हमेशा मुझे सही गाइड किया है, ताकि मुझमें अनुशासन बना रहे. बड़े होने पर मैंने सोचा कि मुझे कुछ अच्छा काम करना है, ताकि पिता के बाद मैं परिवार को सम्भाल सकूं और मैं वही करने की कोशिश कर रहा हूं.

सवाल- क्या आपने अभिनय से इतर कुछ सोचा?

कैमरे के पीछे मैंने एक दो क्लिप डायरेक्ट भी किये है. निर्देशक बनना इतना आसान नहीं है. एक शौक था, मैंने अपने हिसाब से काम करने की सोची थी और किया भी, पर उतना बेहतर परिणाम नहीं निकला. उम्मीद है कि 10 से 15 साल बाद मैं निर्देशक बनूंगा.

सवाल- आपके दादा और पिता डांस करने में माहिर नहीं थे, क्या आपने डांस सीखा है?

इस समय डांस के बिना आप एक्टर नहीं बन सकते, अभिनय के साथ-साथ डांस आने की भी
जरुरत है. मैंने क्लासेज लिए है. गणेश आचार्या, सीज़र और शम्पा के साथ मैंने डांस सीखा है. शम्पा ने मुझे डांस के तरीके को सही माइने में सिखाया है.

सवाल- आज के बच्चे माता-पिता को छोड़कर अकेले रहना पसंद करते है, जबकि आपको परिवार के साथ रहना पसंद है, ऐसे में आप आज के यूथ को क्या मेसेज देना चाहते है?

परिवार सबके लिए बहुत जरुरी है. इससे आपको शक्ति मिलती है. उनकी वजह से आप अपने मंजिल तक पहुंच पाते है. वे काम भी आपकी परवरिश के लिए ही करते है. वे आपको खुश देखने की इच्छा रखते है, ऐसे में सभी यूथ को माता-पिता को प्यार और सम्मान देने की जरुरत है.

ये भी पढ़ें- ‘ये रिश्ता’ में नया ट्विस्ट, ‘नायरा-कार्तिक’ की लाइफ में दो कैरेक्टर लेंगे नई एंट्री

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें