सवाल-
मैं 23 वर्षीय नवविवाहिता हूं. शादी के बाद ढेरों सपने संजोए मायके से ससुराल आई, मगर ससुराल का माहौल मुझे जरा भी पसंद नहीं आ रहा. मेरी सास बातबेबात टोकाटाकी करती रहती हैं और कब खुश और कब नाराज हो जाएं, मैं समझ ही नहीं पाती. वे अकसर मुझ से कहती रहती हैं कि अब तुम शादीशुदा हो और तुम्हें उसी के अनुरूप रहना चाहिए. मन बहुत दुखी है. मैं क्या करूं, कृपया सलाह दें?
जवाब-
अगर आप की सास का मूड पलपल में बनताबिगड़ता रहता है, तो सब से पहले आप को उन्हें समझने की कोशिश करनी होगी. खुद को कोसते रहना और सास को गलत समझने की भूल आप को नहीं करनी चाहिए. घरगृहस्थी के दबाव में हो सकता है कि वे कभीकभी आप पर अपना गुस्सा उतार देती हों, मगर इस का मतलब यह कतई नहीं हो सकता कि उन का प्यार और स्नेह आप के लिए कम है.
दूसरा, अपनी हर समस्या के समाधान और अपनी हर मांग पूरी कराने के लिए आप ने शादी की है, यह सोचना व्यर्थ होगा. किसी बात के लिए मना कर देने से यह जरूरी तो नहीं कि वे आप की बेइज्जती करती हैं.
आज की सास आधुनिक खयालात वाली और घरगृहस्थी को स्मार्ट तरीके से चलाने की कूवत रखती हैं. एक बहू को बेटी बना कर तराशने का काम सास ही करती हैं. जाहिर है, घरपरिवार को कुशलता से चलाने और उन्हें समझाने के लिए आप की सास आप को अभी से तैयार कर रही हों.
बेहतर यही होगा कि आप एक बहू नहीं बेटी बन कर रहें. सास के साथ अधिक से अधिक समय रहें, साथ घूमने जाएं, शौपिंग करने जाएं. जब आप की सास को यकीन हो जाएगा कि अब आप घरगृहस्थी संभाल सकती हैं तो वे घर की चाबी आप को सौंप निश्चिंत हो जाएंगी.
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विविधता से परिपूर्ण हमारे देश में भांतिभांति के अजूबे पाए जाते हैं. हमारी हर बात निराली होती है. लेकिन हमारे देश की संस्कृति में एक अजूबा चरित्र ऐसा भी है, जो भारत की विविधताओं में एकता का गुरुतर भार अपने कंधों पर सदियों से ढोता आ रहा है.
कश्मीर से कन्याकुमारी और अटक से कटक तक संपूर्ण भारतवर्ष में यह जीव सर्वत्र नजर आता है. इस अद्भुत चरित्र का नाम है सास. प्रादेशिक भाषाओं में इसे सासू, सास, सासूमां अथवा अन्य किसी संबोधन से पुकारा जाता है, लेकिन इस का मुख्य अर्थ है पति की माताश्री, जिन्हें आदर के साथ सास कहा जाता है. वैसे पत्नी की माताश्री भी जंवाई राजा की सास कहलाती है, लेकिन वह सास का गौणरूप है.
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