Travel Special: नैनीताल की खूबसूरती के दीवाने हैं हजारों

दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का प्लान बने तो सबसे पहले नैनीताल का नाम ही जहन में आता है. जहां गर्मियों में नैनीताल की खूबसूरती और ठंडा मौसम सैलानियों को अपनी ओर खींच लाता है वहीं सर्दियों में बर्फबारी और विंटर स्पोर्ट्स के दीवानों के लिए नैनीताल स्वर्ग बन जाता है.

कहा जाता है कि एक समय में नैनीताल जिले में 60 से ज्यादा झीलें हुआ करती थीं. यहां चारों ओर खूबसूरती बिखरी है. सैर-सपाटे के लिए दर्जनों जगहें हैं, जहां जाकर पर्यटक मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं.

एनएच 87 नैनीताल को पूरे देश से जोड़ता है. नैनीताल में रेल और हवाई सेवाएं नहीं हैं, लेकिन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से सिर्फ 34 किमी दूर काठगोदाम में है. काठगोदाम से नैनीताल के लिए राज्य परिवहन की गाड़ियां दिन में हर समय उपलब्ध रहती हैं. अगर आप हवाई मार्ग से नैनीताल जाना चाहती हैं तो यहां का नजदीकी पंतनगर एयरपोर्ट करीब 55 किमी दूर है.

नैनीताल की खोज सन् 1841 में एक अंग्रेज चीनी (शुगर) व्यापारी ने की. बाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी आरामगाह और स्वास्थ्य लाभ लेने की जगह के रूप में विकसित किया. नैनीताल तीन ओर से घने पेड़ों की छाया में ऊंचे-ऊंचे पर्वतों के बीच समुद्रतल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां के ताल की लंबाई करीब 1358 मीटर और चौड़ाई करीब 458 मी‍टर है. ताल की गहराई 15 से 156 मीटर तक आंकी गई है, हालांकि इसकी सही-सही जानकारी अब तक किसी को नहीं है.

ताल का पानी बेहद साफ है और इसमें तीनों ओर के पहाड़ों और पेड़ों की परछाई साफ दिखती है. आसमान में छाए बादलों को भी ताल के पानी में साफ देखा जा सकता है. रात में नैनीताल के पहाड़ों पर बने मकानों की रोशनी ताल को भी ऐसे रोशन कर देती है, जैसे ताल के अंदर हजारों बल्ब जल रहे हों.

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ताल में बत्तखों के झुंड, रंग-बिरंगी नावें और ऊपर से बहती ठंडी हवा यहां एक अदभुत नजारा पेश करते हैं. ताल का पानी गर्मियों में हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला दिखाई देता है.

नैनीताल में सैर-सपाटे की जगह

तल्लीताल और मल्लीताल

नैनीताल का मल्ला भाग (ऊपरी हिस्सा) मल्लीताल और नीचला भाग तल्लीताल कहलाता है. मल्लीताल में एक फ्लैट खुला मैदान है और यहां पर खेल तमाशे होते रहते हैं. इस फ्लैट पर शाम होते ही सैलानी इकट्ठे हो जाते है. भोटिया मार्केट में गर्म कपड़े, कैंडल और बेहतरीन गिफ्ट आइटम मिलते हैं.

मल्लीताल से तल्लीताल को जोड़ने वाली सड़क को मॉल रोड कहा जाता है. मॉल रोड पर जगह-जगह लोगों के बैठने और आराम करने के लिए बेंच लगे हुए हैं. सैर-सपाटे के लिए यहां आने वाले सैलानी पैदल ही करीब डेढ़ किमी की इस दूरी को शॉपिंग करते हुए तय कर लेते हैं. वैसे दोनों ओर से रिक्शों की अच्छी व्यवस्था है.

चाइना पीक या नैनापीक

नैनीताल की सात चोटियों में 2611 मीटर ऊंची चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है. चाइना पीक की दूरी नैनीताल से लगभग 6 किलोमीटर है. इस चोटी से हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों के दर्शन होते हैं. यहां से नैनीताल झील और शहर के भी भव्य दर्शन होते हैं. यहां एक रेस्तरां भी है.

लड़ियाकांटा

इस पर्वत श्रेणी की ऊंचाई 2481 मीटर है और यह नैनीताल से लगभग साढ़े पांच किलोमीटर दूर है. यहां से नैनीताल के ताल को देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है.

किलवरी

2528 मीटर की ऊंचाई पर दूसरी पर्वत चोटी है और इसे किलवरी कहते हैं. यह पिकनिक मनाने के लिए शानदार जगह है.

डेरोथी सीट और टिफिन टॉप

एक अंग्रेज ने अपनी पत्नी डेरोथी की याद में इस पहाड़ की चोटी पर उसकी कब्र बनाई और उसका नाम डेरोथी सीट रख दिया. तभी से यह डेरोथी सीट के नाम से जाना जाता है. नैनीताल से चार किलोमीटर की दूरी पर 2290 मीटर की ऊंचाई पर यह चोटी है. टिफिन टॉप से हिमालय के खूबसूरत नजारे दिखते हैं, यहां से नेपाल की ऊंची-ऊंची हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं भी नजर आती हैं.

देवपाटा और केमल्स बैक

देवपाटा और केमल्स बैक नाम की ये दोनों चोटियां साथ-साथ हैं. देवपाटा की ऊंचाई 2435 मी‍टर है जबकि केमल्स बैक 2333 मीटर ऊंची है. इस चोटी से भी नैनीताल और उसके आसपास के इलाके के बेहद सुंदर नजारे दिखते हैं.

स्नोव्यू और हनी-बनी

नैनीताल से केवल ढाई किलोमीटर और 2270 मीटर की ऊंचाई पर हवाई पर्वत चोटी है. मल्लीताल से रोपवे पर सवार होकर यहां आसानी से जाया जा सकता है. यहां से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. स्नोव्यू से लगी हुई दूसरी चोटी हनी-बनी है, जिसकी ऊंचाई 2179 मीटर है, यहां से भी हिमालय का सुंदर नजारा दिखता है.

नैनीताल का चिड़ियाघर

नैनीताल का चिड़ियाघर बस अड्डे से करीब 1 किमी दूर है. इसका नाम उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है. चिड़ि‍याघर में बंदर से लेकर हिमालय का काला भालू, तेंदुए, साइबेरियाई बाघ, पाम सिवेट बिल्ली, भेड़िया, चमकीले तितर, गुलाबी गर्दन वाले प्रकील पक्षी, पहाड़ी लोमड़ी, घोरल, हिरण और सांभर जैसे जानवर हैं.

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राजभवन

इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बनाए गए राजभवन का निर्माण अंग्रेजों ने उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के गवर्नर के रहने के लिए किया था. अब यहां उत्तराखंड के राज्यपाल का निवास है और राज्य के अतिथि‍ भी यहां आकर ठहरते हैं. दो मंजिला इमारत में 113 कमरे हैं. यहां शानदार गार्डन, गोल्फ लिंक, स्वीमिंग पुल, झंडीदार मोदी हाइट्स, मुंशी हाइट्स जैसी जगहें राजभवन में देखने योग्य हैं.

घुड़सवारी

नैनीताल आने वाले सैलानियों के लिए हॉर्स राइडिंग एक और आकर्षण है. यहां बारापत्थर से घोड़े किराए पर लेकर सैलानी नैनीताल की अलग-अलग चोटियों की सैर करते हैं. शहर के अंदर घुड़सवारी अब पूरी तरह से प्रतिबंधित है.

इन जगहों पर ना भूलें जाना

1. इको केव

इको केव यहां के सबसे मशहूर जगहों में से एक है . इसमें कई सारी गुफाएं हैं. इस गुफा की सबसे खास बात ये है कि बाहर चाहे जैसा भी मौसम हो लेकिन इस गुफा में हमेशा ठंड ही रहती है. यहां से स्नो व्यू पौइंट भी देखा जा सकता है.  इस गुफा के आसपास कई सारी बौलिवुड फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.

2. नैनी झील

नैनीताल के दिल में बसी है खूबसूरत नैनी झील. नैनी झील में आसपास के सारे पहाड़ों का रिफ्लेक्शन पड़ता है जिससे इसका पानी बिल्कुल हरा दिखता है और यह दृश्य काफी मनोरम लगता है. इस झील में आप बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकती हैं, इससे आप झील की खूबसूरती को करीब से महसूस कर पाएंगे.

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3. नौकुचिया ताल

जैसा कि आप जानती हैं कि नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है. यहां आप घूमते-घूमते थक जाएंगी लेकिन झीलों का सिलसिला खत्म नहीं होगा. यहां की नौकुचिया ताल काफी मशहूर है, भीमताल से 11 किमी. की दूरी पर स्थित नौकुचिया ताल की खूबसूरती देखते ही बनती है. इस झील की गहराई तकरीबन 160 फीट है. यहां आप सूकून के पल बिता सकती हैं.

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