Raksha Bandhan Special: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

पता चला कि राजीव को कैंसर है. फिर देखते ही देखते 8 महीनों में उस की मृत्यु हो गई. यों अचानक अपनी गृहस्थी पर गिरे पहाड़ को अकेली शर्मिला कैसे उठा पाती? उस के दोनों भाइयों ने उसे संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि एक भाई के एक मित्र ने शर्मिला की नन्ही बच्ची सहित उसे अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया.  शर्मिला की मां उस की डोलती नैया को संभालने का श्रेय उस के भाइयों को देते नहीं थकती हैं, ‘‘अगर मैं अकेली होती तो रोधो कर अपनी और शर्मिला की जिंदगी बिताने पर मजबूर होती, पर इस के भाइयों ने इस का जीवन संवार दिया.’’

सोचिए, यदि शर्मिला का कोई भाईबहन न होता सिर्फ मातापिता होते, फिर चाहे घर में सब सुखसुविधाएं होतीं, किंतु क्या वे हंसीसुखी अपना शेष जीवन व्यतीत कर पाते? नहीं. एक पीड़ा सालती रहती, एक कमी खलती रहती. केवल भौतिक सुविधाओं से ही जीवन संपूर्ण नहीं होता, उसे पूरा करते हैं रिश्ते.

सूनेसूने मायके का दर्द:

सावित्री जैन रोज की तरह शाम को पार्क में बैठी थीं कि रमा भी सैर करने आ गईं. अपने व्हाट्सऐप पर आए एक चुटकुले को सभी को सुनाते हुए वे मजाक करने लगीं, ‘‘कब जा रही हैं सब अपनेअपने मायके?’’  सभी खिलखिलाने लगीं पर सावित्री मायूसी भरे सुर में बोलीं, ‘‘काहे का मायका? जब तक मातापिता थे, तब तक मायका भी था. कोई भाई भाभी होते तो आज भी एक ठौरठिकाना रहता मायके का.’’  वाकई, एकलौती संतान का मायका भी तभी तक होता है जब तक मातापिता इस दुनिया में होते हैं. उन के बाद कोई दूसरा घर नहीं होता मायके के नाम पर.

भाईभाभी से झगड़ा:

‘‘सावित्रीजी, आप को इस बात का अफसोस है कि आप के पास भाईभाभी नहीं हैं और मुझे देखो मैं ने अनर्गल बातों में आ कर अपने भैयाभाभी से झगड़ा मोल ले लिया. मायका होते हुए भी मैं ने उस के दरवाजे अपने लिए स्वयं बंद कर लिए,’’ श्रेया ने भी अपना दुख बांटते हुए कहा.

ठीक ही तो है. यदि झगड़ा हो तो रिश्ते बोझ बन जाते हैं और हम उन्हें बस ढोते रह जाते हैं. उन की मिठास तो खत्म हो गई होती है. जहां दो बरतन होते हैं, वहां उन का टकराना स्वाभाविक है, परंतु इन बातों का कितना असर रिश्तों पर पड़ने देना चाहिए, इस बात का निर्णय आप स्वयं करें.

भाईबहन का साथ:

भाई बहन का रिश्ता अनमोल होता है. दोनों एकदूसरे को भावनात्मक संबल देते हैं, दुनिया के सामने एकदूसरे का साथ देते हैं. खुद भले ही एकदूसरे की कमियां निकाल कर चिढ़ाते रहें लेकिन किसी और के बीच में बोलते ही फौरन तरफदारी पर उतर आते हैं. कभी एकदूसरे को मझधार में नहीं छोड़ते हैं. भाईबहन के झगड़े भी प्यार के झगड़े होते हैं, अधिकार की भावना के साथ होते हैं. जिस घरपरिवार में भाईबहन होते हैं, वहां त्योहार मनते रहते हैं, फिर चाहे होली हो, रक्षाबंधन या फिर ईद.

मां के बाद भाभी:

शादी के 25 वर्षों बाद भी जब मंजू अपने मायके से लौटती हैं तो एक नई स्फूर्ति के साथ. वे कहती हैं, ‘‘मेरे दोनों भैयाभाभी मुझे पलकों पर बैठाते हैं. उन्हें देख कर मैं अपने बेटे को भी यही संस्कार देती हूं कि सारी उम्र बहन का यों ही सत्कार करना. आखिर, बेटियों का मायका भैयाभाभी से ही होता है न कि लेनदेन, उपहारों से. पैसे की कमी किसे है, पर प्यार हर कोई चाहता है.’’

दूसरी तरफ मंजू की बड़ी भाभी कुसुम कहती हैं, ‘‘शादी के बाद जब मैं विदा हुई तो मेरी मां ने मुझे यह बहुत अच्छी सीख दी थी कि शादीशुदा ननदें अपने मायके के बचपन की यादों को समेटने आती हैं. जिस घरआंगन में पलीबढ़ीं, वहां से कुछ लेने नहीं आती हैं, अपितु अपना बचपन दोहराने आती हैं. कितना अच्छा लगता है जब भाईबहन संग बैठ कर बचपन की यादों पर खिलखिलाते हैं.’’

मातापिता के अकेलेपन की चिंता:

नौकरीपेशा सीमा की बेटी विश्वविद्यालय की पढ़ाई हेतु दूसरे शहर चली गई. सीमा कई दिनों तक अकेलेपन के कारण अवसाद में घिरी रहीं. वे कहती हैं, ‘‘काश, मेरे एक बच्चा और होता तो यों अचानक मैं अकेली न हो जाती. पहले एक संतान जाती, फिर मैं अपने को धीरेधीरे स्थिति अनुसार ढाल लेती. दूसरे के जाने पर मुझे इतनी पीड़ा नहीं होती. एकसाथ मेरा घर खाली नहीं हो जाता.’’

एकलौती बेटी को शादी के बाद अपने मातापिता की चिंता रहना स्वाभाविक है. जहां भाई मातापिता के साथ रहता हो, वहां इस चिंता का लेशमात्र भी बहन को नहीं छू सकता. वैसे आज के जमाने में नौकरी के कारण कम ही लड़के अपने मातापिता के साथ रह पाते हैं. किंतु अगर भाई दूर रहता है, तो भी जरूरत पर पहुंचेगा अवश्य. बहन भी पहुंचेगी परंतु मानसिक स्तर पर थोड़ी फ्री रहेगी और अपनी गृहस्थी देखते हुए आ पाएगी.

पति या ससुराल में विवाद:

सोनम की शादी के कुछ माह बाद ही पतिपत्नी में सासससुर को ले कर झगड़े शुरू हो गए. सोनम नौकरीपेशा थी और घर की पूरी जिम्मेदारी भी संभालना उसे कठिन लग रहा था. किंतु ससुराल का वातावरण ऐसा था कि गिरीश उस की जरा भी सहायता करता तो मातापिता के ताने सुनता. इसी डर से वह सोनम की कोई मदद नहीं करता.

मायके आते ही भाई ने सोनम की हंसी के पीछे छिपी परेशानी भांप ली. बहुत सोचविचार कर उस ने गिरीश से बात करने का निर्णय किया. दोनों घर से बाहर मिले, दिल की बातें कहीं और एक सार्थक निर्णय पर पहुंच गए. जरा सी हिम्मत दिखा कर गिरीश ने मातापिता को समझा दिया कि नौकरीपेशा बहू से पुरातन समय की अपेक्षाएं रखना अन्याय है. उस की मदद करने से घर का काम भी आसानी से होता रहेगा और माहौल भी सकारात्मक रहेगा.

पुणे विश्वविद्यालय के एक कालेज की निदेशक डा. सारिका शर्मा कहती हैं, ‘‘मुझे विश्वास है कि यदि जीवन में किसी उलझन का सामना करना पड़ा तो मेरा भाई वह पहला इंसान होगा जिसे मैं अपनी परेशानी बताऊंगी. वैसे तो मायके में मांबाप भी हैं, लेकिन उन की उम्र में उन्हें परेशान करना ठीक नहीं. फिर उन की पीढ़ी आज की समस्याएं नहीं समझ सकती. भाई या भाभी आसानी से मेरी बात समझते हैं.’’

भाईभाभी से कैसे निभा कर रखें:

भाईबहन का रिश्ता अनमोल होता है. उसे निभाने का प्रयास सारी उम्र किया जाना चाहिए. भाभी के आने के बाद स्थिति थोड़ी बदल जाती है. मगर दोनों चाहें तो इस रिश्ते में कभी खटास न आए.

सारिका कितनी अच्छी सीख देती हैं, ‘‘भाईभाभी चाहे छोटे हों, उन्हें प्यार देने व इज्जत देने से ही रिश्ते की प्रगाढ़ता बनी रहती है नाकि पिछले जमाने की ननदों वाले नखरे दिखाने से. मैं साल भर अपनी भाभी की पसंद की छोटीबड़ी चीजें जमा करती हूं और मिलने पर उन्हें प्रेम से देती हूं. मायके में तनावमुक्त माहौल बनाए रखना एक बेटी की भी जिम्मेदारी है. मायके जाने पर मिलजुल कर घर के काम करने से मेहमानों का आना भाभी को अखरता नहीं और प्यार भी बना रहता है.’’

ये आसान सी बातें इस रिश्ते की प्रगाढ़ता बनाए रखेंगी:

– भैयाभाभी या अपनी मां और भाभी के बीच में न बोलिए. पतिपत्नी और सासबहू का रिश्ता घरेलू होता है और शादी के बाद बहन दूसरे घर की हो जाती है. उन्हें आपस में तालमेल बैठाने दें. हो सकता है जो बात आप को अखर रही हो, वह उन्हें इतनी न अखर रही हो.

– यदि मायके में कोई छोटामोटा झगड़ा या मनमुटाव हो गया है तब भी जब तक आप से बीचबचाव करने को न कहा जाए, आप बीच में न बोलें. आप का रिश्ता अपनी जगह है, आप उसे ही बनाए रखें.

– यदि आप को बीच में बोलना ही पड़े तो मधुरता से कहें. जब आप की राय मांगी जाए या फिर कोई रिश्ता टूटने के कगार पर हो, तो शांति व धैर्य के सथ जो गलत लगे उसे समझाएं.

– आप का अपने मायके की घरेलू बातों से बाहर रहना ही उचित है. किस ने चाय बनाई, किस ने गीले कपड़े सुखाए, ऐसी छोटीछोटी बातों में अपनी राय देने से ही अनर्गल खटपट होने की शुरुआत हो जाती है.

– जब तक आप से किसी सिलसिले में राय न मांगी जाए, न दें. उन्हें कहां खर्चना है, कहां घूमने जाना है, ऐसे निर्णय उन्हें स्वयं लेने दें.

– न अपनी मां से भाभी की और न ही भाभी से मां की चुगली सुनें. साफ कह दें कि मेरे लिए दोनों रिश्ते अनमोल हैं. मैं बीच में नहीं बोल सकती. यह आप दोनों सासबहू आपस में निबटा लें.

– आप चाहे छोटी बहन हों या बड़ी, भतीजोंभतीजियों हेतु उपहार अवश्य ले जाएं. जरूरी नहीं कि महंगे उपहार ही ले जाएं. अपनी सामर्थ्यनुसार उन के लिए कुछ उपयोगी वस्तु या कुछ ऐसा जो उन की उम्र के बच्चों को भाए, ले जाएं.

मेरे भैया: अंतिम खत में क्या लिखा था खास

सावन का महीना था. दोपहर के 3 बजे थे. रिमझिम शुरू होने से मौसम सुहावना पर बाजार सुनसान हो गया था. साइबर कैफे में काम करने वाले तीनों युवक चाय की चुसकियां लेते हुए इधरउधर की बातों में वक्त गुजार रहे थे. अंदर 1-2 कैबिनों में बच्चे वीडियो गेम खेलने में व्यस्त थे. 1-2 किशोर दोपहर की वीरानगी का लाभ उठा कर मनपसंद साइट खोल कर बैठे थे.  तभी वहां एक महिला ने प्रवेश किया. युवक महिला को देख कर चौंके, क्योंकि शायद बहुत दिनों बाद एक महिला और वह भी दोपहर के समय, उन के कैफे पर आई थी. वे व्यस्त होने का नाटक करने लगे और तितरबितर हो गए.

महिला किसी संभ्रांत घराने की लग रही थी. चालढाल व वेशभूषा से पढ़ीलिखी भी दिख रही थी. छाता एक तरफ रख कर उस ने अपने बालों को जो वर्षा की बूंदों व तेज हवा से बिखर गए थे, कुछ ठीक किए. फिर काउंटर पर बैठे लड़के से बोली, ‘‘मुझे एक संदेश टाइप करवाना है. मैं खुद कर लेती पर हिंदी टाइपिंग नहीं आती है.’’

‘‘आप मुझे लिखवाएंगी या…’’

‘‘हां, मैं बोलती जाती हूं और तुम टाइप करते जाओ. कर पाओगे? शुद्ध वर्तनी का ज्ञान  है तुम्हें?’’

लड़का थोड़ा सकपका गया पर हिम्मत कर के बोला, ‘‘अवश्य कर लूंगा,’’ मना करने से उस के आत्मविश्वास को ठेस पहुंचने की आशंका थी.  महिला ने बोलना शुरू किया, ‘‘लिखो- मेरे भैया, शायद यह मेरी ओर से तुम्हारे लिए अंतिम राखी होगी, क्योंकि अब मुझ में इतना सब्र नहीं बचा है कि मैं भविष्य में भी ऐसा करती रहूंगी. नहीं तुम गलत समझ रहे हो. मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है, क्योंकि शिकायत करने का हक तुम वर्षों पहले ही खत्म कर चुके हो.’’  इतना बोल कर महिला थोड़ी रुक गई. भावावेश से उस का चेहरा तमतमाने लगा था. उस ने कहा, ‘‘थोड़ा पानी मिलेगा?’’

लड़के ने कहा, ‘‘जरूर,’’ और फिर एक बोतल ला कर उस महिला को थमा दी. लड़के को बड़ी उत्सुकता थी कि महिला आगे क्या बोलेगी. उसे यह पत्र बड़ा रहस्यमयी लगने लगा था.  महिला ने थोड़ा पानी पीया, पसीना पोंछा और फिर लिखवाना शुरू किया, ‘‘कितना खुशहाल परिवार था हमारा. हम 5 भाईबहनों में तुम सब से बड़े थे और मां के लाड़ले तो शुरू से ही थे. तभी तो पापा की साधारण कमाई के बावजूद तुम्हें उच्च शिक्षा के लिए शहर भेज दिया था. पापा की इच्छा के विरुद्ध जा कर मां ने तुम्हारी इच्छा पूरी की थी. तुम भी वह बात भूले नहीं होंगे कि मां ने अपनी बात मनवाने के लिए

2 दिन खाना नहीं खाया था. जब तुम्हारा दाखिला मैडिकल कालेज में हुआ था तो मैं ने अपनी सारी सखियों को चिल्ला कर इस के बारे में बताया था और मुझे उन की ईर्ष्या का शिकार भी होना पड़ा था. एक ने तो चिढ़ कर यह भी कह दिया था कि तुम तो ऐसे खुश हो रही हो जैसे तुम्हारा ही दाखिला हुआ हो, जिस का उत्तर मैं ने दिया था कि मेरा हो या मेरे भैया का, क्या फर्क पड़ता है. है तो दोनों में एक ही खून. भैया क्या मैं ने गलत कहा था?  ‘‘फिर तुम होस्टल चले गए थे और जबजब आते थे, मैं और मां सपनों के सुनहरे संसार में खो जाती थीं. सपनों में मां देखती थीं कि तुम एक क्लीनिक में बैठे हो और तुम्हारे सामने मरीजों की लंबी लाइन लगी है. तुम 1-1 कर के सब को परामर्श देते और बदले में वे एक अच्छीखासी राशि तुम्हें देते. शाम तक रुपयों से दराज भर जाती. तुम सारे रुपए ले कर मां की झोली भर देते. तुम बातें ही ऐसी करते थे, मां सपने न देखतीं तो क्या करतीं?

‘‘और मैं देखती कि मैं सजीधजी बैठी हूं. एक बहुत ही उच्च घराने से सुंदर, सुशिक्षित वर मुझे ब्याहने आया है. तुम अपने हाथों से मेरी डोली सजा रहे हो और विदाई के वक्त फूटफूट कर रो रहे हो.

‘‘पिताजी हमें अकसर सपनों से जगाने की कोशिश करते रहते थे पर हम मांबेटी नींद से उठ कर आंखें खोलना ही नहीं चाहती थीं, क्योंकि तुम अपनी मीठीमीठी बातों से ठंडी हवा के झोंके जो देते रहते थे.

‘‘मां ने साथसाथ तुम्हारी शादी के सपने देखने भी शुरू कर दिए थे. उन्हें एक सुंदरसजीली दुलहन, आंखों में लाज लिए, घर के आंगन में प्रवेश करते हुए नजर आती थी. मां का पद ऊंचा उठ कर सास का हो जाता था और घर उपहारों से उफनता सा नजर आता था.

‘‘होस्टल से आतेजाते मां तुम्हें तरहतरह के पकवान बना कर खिलाती भी थीं और बांध कर भी देती थीं. पता नहीं ये सब करते समय मां में कहां से ताकत व हिम्मत आ जाती थी वरना तो सिरदर्द की शिकायत से पूरे घर को वश में किए रखती थीं.

‘‘सपने पूरे होने का समय आ गया था. तुम ने अपनी डिगरी हासिल कर ली थी और होस्टल छोड़ कर घर आने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक तुम्हें एक प्रस्ताव मिला. प्रस्ताव एक सहपाठिन के पिता की ओर से था- विवाह का. तुम ने मां को बताया. मां को अपने सपने दूनी गति से पूरे होते नजर आने लगे. मां ने सहर्ष हामी भर दी. मैं आज तक नहीं समझ पाई कि मां ने स्वयं को इतनी खुशहाल कैसे समझ लिया था. इठलातीइतराती घरघर समाचार देने लगीं कि डाक्टर बहू आएगी हमारे घर.

‘‘तुम्हारा विवाह हो गया. अब सब को मेरे विवाह की चिंता सताने लगी थी. मां बहुत खुश थीं. उन्होंने जो थोड़ाबहुत गहने मेरे लिए बनवाए थे उन्हें दिखाते हुए तुम से कहा था कि बेटा इतना तो है मेरे पास, कुछ नकद भी है, तू कोई अच्छा वर तलाश कर बाकी इंतजाम भी हो जाएगा. अब तू यहां रहेगा तो क्या चिंता है. समाज में मानप्रतिष्ठा भी बढ़ेगी और आर्थिक समृद्धि भी आएगी.

‘‘सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन भाभी ने घोषणा कर दी कि अभी यहां क्लीनिक खोलने से लाभ नहीं है. इतना पैसा तो है नहीं आप लोगों के पास कि सारी मशीनें ला सकें. नौकरी करना ही ठीक रहेगा. मेरे पिताजी ने हम दोनों के लिए सरकारी नौकरी देख ली है, हमें वहीं जाना होगा.

‘‘और तुम चले गए थे. उस के बाद तुम जब भी आते तुम्हारे साथ भाभी की फरमाइशों व शिकायतों का पुलिंदा रहता था पर पापा की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे अब तुम्हारी सभी इच्छाएं पूरी कर पाते. उन्हें अन्य भाईबहनों की भी चिंता थी. भैया उन दिनों मैं ने तुम्हारे चेहरे पर परेशानी व विवशता दोनों का संगम देखा था. तुम्हारी मुसकराहट न जाने कहां गायब हो गई थी. हर वक्त तनाव व चिड़चिड़ाहट ने तुम्हारे चारों ओर घेरा बना लिया था. भाभी को मां गंवार, मैं बोझ और पापा तानाशाह नजर आने लगे थे. तुम ने बहुत कोशिश की कि मां कुछ ऐसा करती रहें कि भाभी संतुष्ट रहे, परंतु न मां में इतनी सामर्थ्य थी, न ही भाभी में सहनशक्ति. धीरेधीरे तुम भी हमें भाभी की निगाहों से देखने लगे थे. कुछ तुम्हारी मजबूरी थी, कुछ तुम्हारा स्वार्थ. एक दिन तुम ने मां से कहा कि मां, मुझे दोनों में से एक को चुनना होगा, आप सब या मेरा निजी जीवन.

‘‘मां ने इस में भी अपना ममत्व दिखाया और तुम्हें अपने बंधन से मुक्त कर के भाभी  के सुपुर्द कर दिया ताकि तुम्हारा वैवाहिक जीवन सुखमय बन सके.

‘‘उस दिन के बाद तुम यदाकदा घर तो आते थे पर एक मेहमान की तरह और अपनी खातिरदारी करवा कर लौट जाते थे. पापा ने मेरा रिश्ता तय कर दिया और शादी भी. इसे मेरा विश्वास कहो या नादानी अभी भी मुझे यही लगता था कि यदि तुम मेरे लिए वर ढूंढ़ते तो पापा से बेहतर होता और मैं कई दिनों तक तुम्हारा इंतजार करती भी रही थी. पर तुम नहीं आए. शादी के वक्त तुम थे परंतु सिर्फ विदा करने के लिए. सीधेसादे पापा ने अपने ही बलबूते पर सभी भाईबहनों का विवाह कर दिया. करते भी क्या. घर का बड़ा बेटा ही जब धोखा दे जाए, हिम्मत तो करनी ही पड़ती है.

‘‘मैं पराई हो गई थी. जब भी मैं मां से मिलने जाती मां की सूनी आंखों में तुम्हारे इंतजार के अलावा और कुछ नजर नहीं आता था. मां मुझ से कहतीं कि एक बार भैया को फोन मिला कर पूछ तो सही कैसा है, वह घर क्यों नहीं आता. कहो न उस से एक बार बस एक बार तो मिलने आए. तुम ने घर आना बिलकुल बंद कर दिया था. पापा पुरुष थे, उन्हें रोना शोभा नहीं देता था, परंतु मायूसी उन के चेहरे पर भी झलकती थी. मां के पास सब कुछ होते हुए भी जैसे कुछ नहीं था. तुम मां के लाड़ले जो चले गए थे मां से रूठ कर. पर मां को अपना दोष कभी समझ नहीं आया. वे अकसर मुझ से पूछतीं कि क्या मुझे उसे पढ़ने बाहर नहीं भेजना चाहिए था या मैं ने उस का यह रिश्ता कर के गलती की? अंत में यही परिणाम निकलता कि सारा दोष मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखना ही था. सिर्फ खर्चा और कुछ न मिलने की आस से ही यह हुआ था.

‘‘पापा ने आस छोड़ दी थी पर मां के दिल को कौन समझाता? पापा से छिपछिप कर अपनी टूटीफूटी भाषा में तुम्हें चिट्ठी लिख कर पड़ोसियों के हाथों डलवाती रहती थीं और उन की 5-6 चिट्ठियों का उत्तर भाभी की फटकार के रूप में आता था कि हमें परेशान मत करो, चैन से जीने दो.

‘‘मां का अंतिम समय आ गया था. पर तुम नहीं आए. तुम से मिलने की आस लिए मां दुनिया छोड़ कर चली गईं और किसी ने तुम्हें भी खबर कर दी. तुम आए तो सही पर अंतिम संस्कार के वक्त नहीं, क्योंकि शायद तुम्हें यह एहसास हो गया था कि अब मैं इस का हकदार नहीं हूं.

‘‘जीतेजी मां सदा तुम्हारा इंतजार करती रहीं और मरते वक्त भी तुम्हारा हिस्सा मुझ से बंधवा कर रखवा गई हैं, क्योंकि वे मां थीं और मैं ने भी उन्हें मना नहीं किया, क्योंकि मैं भी आखिर बहन हूं पर तुम न बेटे बन सके न भाई.

‘‘भैया, क्या इनसान स्वार्थवश इतना कमजोर हो जाता है कि हर रिश्ते  को बलि पर चढ़ा देता है? तुम ऐसे कब थे? यह कभी मत कहना ये सब भाभी की वजह से हुआ है, क्या तुम में इतना भी साहस नहीं था कि  अपनी इच्छा से एक कदम चल पाते? यदि  तुम्हारे जीवन में रिश्तों का बिलकुल ही महत्त्व नहीं है, तो मेरी राखी न मिलने पर विचलित क्यों हो जाते हो? और किसी न किसी के हाथों यह खबर भिजवा ही देते हो कि अब की बार राखी नहीं मिली.

‘‘भैया, क्या सिर्फ राखी भेजने या बांधने से ही रक्षाबंधन का पर्व सार्थक सिद्ध हो जाता है? क्या इस के लिए दायित्व निभाने जरूरी नहीं? आज 25 साल हो गए. इस बीच न तो तुम मुझ से मिलने ही आए और न ही मुझे बुलाया. इस बीच मेरे द्वारा भेजी गई राखी एक नाजुक सेतु की तरह थी जोकि अब टूटने की कगार पर है, क्योंकि अब मेरा विश्वास व इच्छाशक्ति दोनों ही खत्म हो गए हैं.

‘‘भैया, बस तुम मुझे एक बात बता दो कि यदि हम बहनें न होतीं तो क्या तुम मम्मीपापा को छोड़ कर नहीं जाते? क्या तुम्हारे पलायन का कारण हम बहनें थीं? हम तुम्हें कैसे विश्वास दिलातीं कि हम तुम से कभी कुछ अपेक्षा नहीं रखेंगी, तुम एक बार अपनी विवशता कहते तो सही. हो सके तो इस राखी को मेरी अंतिम निशानी समझ कर संभाल कर रख लेना, क्योंकि मेरे खयाल से तुम्हारे दिल में न सही, घर में इतनी जगह तो होगी.’’

लिखवातेलिखवाते वह महिला उत्तेजना व दुखवश कांपने लगी, पर उस की आंखों से आंसू नहीं छलके. शायद वे सूख चुके थे, पर टाइप करने वाले लड़के की आंखें नम हो गई थीं.  काम पूरा हो गया था. उस महिला ने लड़के से कहा, ‘‘तुम इस की एक प्रतिलिपि निकाल कर मुझे दे दो ताकि मैं यह संदेश अपने भैया तक पहुंचा सकूं. तुम जानते हो आज 25 वर्षों बाद मैं यह सब लिखने का साहस कर पाई हूं. मैं सदा छोटी बहन बन कर ही रही. ‘‘हां, एक कष्ट और दूंगी तुम्हें. इस संदेश को इंटरनैट द्वारा ऐसे ब्लौग पर डाल दो जहां से ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढ़ें. हो सकता है दुनिया में ऐसे और भी भाई हों, जिन में आत्मनिर्णय व आत्मसम्मान की कमी हो. उन को इस पत्र से कुछ लाभ हो जाए. यह संदेश मैं अपनी मां को अपनी अंतिम श्रद्धांजलि के रूप में देना चाहती हूं ताकि जो दुख वे अपने सीने में दबाए इस दुनिया से विदा हो गईं, उस से उन्हें कुछ राहत मिल सके.’’

Raksha Bandhan Special: ऐसे सजाएं भाई के लिए राखी की थाली

अगर रक्षाबंधन में राखी की थाली सजी-संवरी रहती है, तो भाई का मन खुश हो जाता है और उसे अपने स्‍पेशल होने का एहसास भी होता है. आजकल बाजार में रेडी मेड राखी की थाली भी आने लगी है, लेकिन अगर आप अपने प्‍यारे भाई के लिये खुद ही थाली सजाएं तो सोचिए कैसा रहेगा. तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि राखी की थाली को किस तरह से सजाया जाए कि भाई का मन खुश हो जाए.

स्टेप-1: सबसे पहने एक थाली लें, वह थाली प्‍लास्‍टिक की भी हो सकती है और या फिर स्‍टील की भी. अब इस थाली को क्राफ्ट पेपर से ढंक दें, यह पेपर पीला या फिर लाल रंग का हो तो थाली की खूबसूरती निखर कर आएगी.

स्टेप-2: पेपर पर कांच चिपकाकर उसे और आकर्षक बना सकती हैं. या फिर कुंदन, स्टोन्स, जरदोजी, सितारे आदि लगाकर भी अलग तरह का वर्क किया जा सकता है.

स्टेप-3: अब पेपर के बीचो बीच में एक बड़ा सा डिजाइन बनाएं. इसके बाद उसी डिजाइन के बीचो बीच एक मिट्टी का डेकोरेटेड दिया रखें, जिसमें तेल और बाती होना चाहिये.

स्टेप-4: अब थाली में कुछ छोटी-छोटी कटोरियां रख लें. आप चाहें तो इन कटोरियों को अपने मन-पसंद रंगो से रंग सकती हैं. फिर उन्‍हीं कटोरियों में कुमकुम, हल्‍दी, चावल, दही आदि रखें.

स्टेप-5: थाली के बाएं ओर, राखी रखें. थाली के दाहियने ओर अपने भाई की फेवरिट मिठाई रखें. अपनी फेवरिट मिठाई देख आपका भाई और भी खुश हो जाएगा.

Top 10 Raksha Bandhan Fashion Tips In Hindi: राखी पर फैशन के टॉप 10 बेस्ट टिप्स हिंदी में

Top 10 Raksha Bandhan Fashion Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Raksha Bandhan Fashion Tips in Hindi 2022. इन फैशन टिप्स से आप फेस्टिवल में अपने लुक को और भी खूबसूरत बना सकती हैं और फैमिली और फ्रैंडस की तारीफें बटोर सकती हैं. Raksha Bandhan की इन टॉप 10 Fashion Tips से अपने राखी लुक का चुनाव कर सकती हैं, जिसके लिए आपको कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. बौलीवुड से लेकर टीवी एक्ट्रेसेस के ये फैस्टिव लुक शादीशुदा से लेकर सिंगल महिलाओं के लिए परफेक्ट औप्शन है. अगर आप भी है फैशन की शौकीन हैं और फेस्टिव सीजन में अपने लुक को स्टाइलिश और फैशनेबल दिखाकर लोगों की तारीफ पाना चाहती हैं तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Raksha Bandhan Fashion Tips in Hindi.

1. फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट है नुसरत जहां के ये साड़ी लुक

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नुसरत साड़ियों की शौकीन हैं औऱ वह शादी के बाद अक्सर साड़ी पहनें नजर आती हैं. तो इसलिए आइए आपको दिखाते हैं नुसरत जहां के कुछ साड़ी लुक्स…

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2. फेस्टिवल स्पेशल: पहने सिल्क साड़ी और पाए रौयल लुक

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राजा-महाराजाओं का समय हो या आज काबदलता फैशन, सिल्क अभी भी लोगो की पहली पसंद है.सिल्क यानी रेशम एक ऐसा रेशा है जिसके बने कपड़े को पहनने के बाद पहनने वाले की खूबसूरती दोगुना निखर जाती है.सदाबाहर फैशन में शामिल सिल्क को महिलाएं हर फंक्शन में पहनना पसंद करती हैं. दरअसल, सिल्क एक ऐसा फेब्रिक है जिसकी खूबसूरती की तुलना  किसी अन्य फेब्रिक से नहीं कर सकते. एक समय था जब सिल्क सिर्फ रईसों के बदन पर ही चमकता था लेकिन 1990 के शुरुआती दौर में सैंडवाश्ड सिल्क के आगमन ने इसे मध्यवर्गीय लोगों तक पहुंचा दिया.इसके बाद सिल्क के क्षेत्र में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलें.

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3. Festive Special: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ‘अनुपमा गर्ल्स’ के ये 5 लुक्स  

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अगर आप इस फेस्टिव सीजन रेड के कौम्बिनेशन से अपनी फैमिली के आउटफिट का थीम चुनने की सोच रहे हैं तो सीरियल ‘अनुपमा’ की लेडी गैंग के ये लुक ट्राय करना ना भूलें.

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4. Raksha Bandhan Special: फेस्टिवल में ट्राय करें ये ट्रेंडी झुमके

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ज्वैलरी महिलाओं की खूबसूरती निखारने का एक उम्दा जरिया है. दीवाली करीब है और इस त्यौहार में तो महिलाएं गहने खरीदती भी हैं और पहनती भी हैं. ऐसे में लेटैस्ट डिजाइन की जानकारी होना जरूरी है. आइए जानते हैं, कुछ ऐसे फैशनेबल और ट्रैंडी ज्वैलरी डिज़ाइन्स के बारे में जिन्हें पहनने के बाद आप बेहद खूबसूरत नजर आएंगी.

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5. फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट हैं Bigg Boss 15 की Akasa Singh के ये लुक्स

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आज हम आपको अकासा सिंह के कुछ लुक्स दिखाएंगे, जिन्हें आप गरबा या फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

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6. ‘नागिन 4’ एक्ट्रेस सायंतनी के ये इंडियन लुक करें ट्राय

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आज हम आपको सायंतनी के कुछ ऐसे लुक बताएंगे, जिसे आप वेडिंग से लेकर फैमिली गैदरिंग में ट्राय कर सकती हैं.

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7. फेस्टिवल्स में ट्राय करें भोजपुरी क्वीन मोनालिसा के ये इंडियन लुक

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शार्ट ड्रेसेज में नजर आने वाली मोनालिसा (Monalisa) इंडियन आउटफिट में अपने फैंस का दिल जीत रही हैं. इसलिए आज हम मोनालिसा के कुछ इंडियन आउटफिट के बारे में आपको बताएंगे, जिसे आप इस फैस्टिवल पर घर बैठे आराम से ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं मोनालिसा के कुछ इंडियन आउटफिट, जिसे हेल्दी गर्ल से लेकर शादीशुदा लेडिज ट्राय कर सकती हैं.

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8. डस्की स्किन के लिए परफेक्ट हैं बिपाशा के ये इंडियन आउटफिट

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अक्सर महिलाएं अपने स्किन के कलर के चलते कईं बार अपने फैशन पर ध्यान नही देती. वहीं डस्की यानी सांवले रंग वाली लड़कियों की बात करें तो उनको लगता है कि वह कोई भी कलर पहन ले वो अच्छी नही लगेंगी, लेकिन रिसर्च का मानना है कि गोरे लोगों से ज्यादा सांवले रंग वाले लोग ज्यादा अट्रेक्टिव लगते हैं. बौलीवुड की बात करें तो कई एक्ट्रेसेस डस्की स्किन के बावजूद अपने फैशन से लोगों को अपनी दिवाना बनाती हैं, जिसमें बिपाशा बासु का नाम भी आता है. बिपाशा पति करण सिंह ग्रोवर के साथ अक्सर नए-नए आउटफिट्स में नजर आती हैं, जिसमें वह बहुत खूबसूरत दिखती है. इसीलिए आज हम आपको सांवली स्किन वाली लड़कियों के लिए बिपाशा के लहंगो के बारे में बताएंगे, जिसे आप वेडिंग या फेस्टिवल में ट्राय कर सकती हैं.

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9. Festive Special: इंडियन फैशन में ट्राय करें नोरा फतेही के ये लुक

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आज हम नोरा के किसी कौंट्रवर्सी की नही बल्कि उनके इंडियन फैशन की करेंगे. हर फंक्शन या पार्टी में खूबसूरत लुक में नजर आती है. इसीलिए आज हम आपको कुछ इंडियन फैशन के कुछ औप्शन बताएंगे, जिसे फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकते हैं.

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10. Festive Special: इंडियन लुक के लिए परफेक्ट हैं बिग बौस 14 की जैस्मीन भसीन के ये लुक

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आज हम एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन के किसी रिश्ते या शो की नही बल्कि उनके इंडियन लुक की बात करेंगे. सीरियल्स में सिंपल बहू के लुक में नजर आने वाली जैस्मीन के लुक्स आप फेस्टिव सीजन में आसानी से ट्राय कर सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं जैस्मीन भसीन के फेस्टिव इंडियन लुक्स.


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Top 10 Raksha Bandhan Makeup Tips In Hindi: राखी पर मेकअप के टॉप 10 बेस्ट टिप्स हिंदी में

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Raksha bandhan Special: घर पर बनाएं ड्राईफ्रूट्स लड्डू

फेस्टिव सीजन में मार्केट से मिठाई खरीदने की बजाय अगर आप घर पर हेल्दी मिठाई बनाना चाहते हैं तो ड्राईफ्रूट लड्डू की ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

सामग्री

– 1/2 कप कसा नारियल 

– 1 कप तिल

– 1/2 कप बादाम

– 1/2 कप काजू

2 बड़े चम्मच सोंठ पाउडर

1 बड़ा चम्मच खसखस

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

6-7 बारीक कसे छुवारे

3 बड़े चम्मच घी

बूरा जरूरतानुसार.

विधि

पैन गरम करें. इस में नारियल और तिल को अलगअलग भूनें. अब नारियल और तिल को मिलाएं और मिक्सर में बारीक पीस लें. अब इस मिश्रण में बादाम, काजू और छुवारे मिलाएं और मिक्सर में पीस लें. अब इस पाउडर को नारियल मिश्रण में मिलाएं. फिर इस में घी और बूरा को छोड़ कर बाकी बची हुई सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं. अब घी और बूरा डालें और अच्छी तरह मिला कर छोटेछोटे आकार के लड्डू बनाएं और सर्व करें.

Raksha bandhan Special: ये हैं 7 लेटैस्ट आईलाइनर स्टाइल

अगर आप भी फैशन के साथ कदम से कदम मिला कर चलना पसंद करती हैं, तो रैग्युलर आईलाइनर स्टाइल को अलविदा कह कर आजमाएं आईलाइनर के लेटैस्ट स्टाइल्स और कहलाएं फैशन आईकोन. इन दिनों आईलाइनर के कौन से स्टाइल ट्रैंड में हैं, जानते हैं मेकअप आर्टिस्ट मनीष केरकर से :

फ्लोरल आईलाइनर

आई मेकअप को सुपर कूल लुक देने के लिए फ्लोरल आईलाइनर अच्छा औप्शन है. आई मेकअप के लिए ज्यादातर ब्लैक या ब्राउन शेड का आईलाइनर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फ्लोरल आईलाइनर स्टाइल में व्हाइट से ले कर यलो, पिंक, रैड, पर्पल जैसे बोल्ड शेड्स का जम कर इस्तेमाल होता है.

इन कलरफुल आईलाइनर्स से पलकों पर अलगअलग फ्लौवर्स की डिजाइन बनाई जाती है. इसलिए इसे फ्लोरल आईलाइनर स्टाइल कहते हैं. पूरी पलकों पर या फिर दोनों पलकों के अगले और पिछले छोर पर फ्लौवर्स की डिजाइन बना सकती हैं. आईलाइनर का यह स्टाइल डे पार्टी के लिए बिलकुल परफैक्ट है. फ्लोरल डिजाइन को सही शेप देने के लिए पैन और लिक्विड आईलाइनर का इस्तेमाल करें.

क्रिस्टल आईलाइनर

आप के डिजाइनर आउटफिट को टक्कर देने के लिए क्रिस्टल आईलाइनर हाल ही में फैशन में इन हुआ है. इस के लिए सब से पहले ब्लैक, ब्राउन, ब्लू या आउटफिट से मैच करता किसी भी एक शेड का आईलाइनर ऊपरनीचे दोनों तरफ पलकों पर लगाएं. अच्छे रिजल्ट के लिए लिक्विड आईलाइनर का इस्तेमाल करें.

जब यह सूख कर अच्छी तरह सैट हो जाए तो आईलाइनर के ठीक आसपास या ऊपर गोल्डन या सिल्वर शेड की छोटी बिंदियां कतार में चिपकाती जाएं. इस से आप के आईलाइनर को क्रिस्टल इफैक्ट मिलेगा और लाइट पड़ते ही आप का आई मेकअप चमकने लगेगा. शादीब्याह जैसे मौके के साथसाथ नाइट पार्टी, फंक्शन के लिए भी क्रिस्टल आईलाइनर स्टाइल बैस्ट है.

स्टिक औन आईलाइनर

अगर आप भी आईलाइनर के अलगअलग शेड्स और शेप्स ट्राई करना चाहती हैं, लेकिन बिना किसी प्रोफैशनल की सहायता से खुद अलग स्टाइल में आई मेकअप लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं या फिर आईलाइनर को सही शेप नहीं दे पातीं, तो समझ लीजिए कि स्टिक औन आईलाइनर खास आप के लिए ही है.

बाजार में उपलब्ध अलगअलग शेड्स, शेप्स और डिजाइन के स्टिक औन आईलाइनर्स लगा कर आप अपने आई मेकअप को आकर्षक लुक दे सकती हैं. इस के लिए आप को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. सिर्फ आईलाइनर स्टिकर को पलकों पर सही जगह अच्छी तरह चिपकाना होता है. स्टिक औन आईलाइनर डे के बजाय नाइट पार्टी में ज्यादा अट्रैक्टिव नजर आता है.

कैंडी केन आईलाइनर

अगर आप मस्ती या हौलिडे मूड में हैं और अपने आई मेकअप को जरा अलग लुक देना चाहती हैं तो कैंडी केन आईलाइनर से अपने आई मेकअप को कैंडी लुक दे सकती हैं. इस आईलाइनर स्टाइल के लिए आप को बहुत कुछ नहीं करना है. बस व्हाइट और रैड शेड का पैंसिल, लिक्विड, पैन आईलाइनर, जो मन करे खरीदें. अब ऊपर की पलकों पर पहले व्हाइट शेड का आईलाइनर लगाएं, उस पर रैड शेड के आईलाइनर से थोड़ीथोड़ी दूरी पर क्रौस लाइन बनाती जाएं.

डे पार्टी या गैटटुगैदर में फंकी लुक के लिए कैंडी केन आईलाइनर लगा सकती हैं. ब्यूटीफुल लुक के कैंडी केन आईलाइनर तभी लगाएं जब आप के आउटफिट का कलर व्हाइट या रैड अथवा व्हाइट ऐंड रैड हो.

बबल आईलाइनर

अगर आप रोजरोज स्ट्रेट आईलाइनर लगा कर ऊब गई हैं तो अब ट्राई करें बबल आईलाइनर. स्ट्रेट की तरह बबल आईलाइनर भी आप रोजाना लगा सकती हैं. इस के लिए आप को अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है. रोजाना इस्तेमाल करने वाले ब्लैक जैल या लिक्विड आईलाइनर को स्ट्रेट न लगा कर डौटडौट लगा कर बबल की तरह बनाएं ताकि वह सीधी लाइन न लग कर बबल की तरह ऊपरनीचे नजर आए.

आप चाहें तो बबल के ठीक बीच में व्हाइट पैन आईलाइनर से डौट बना कर उसे और भी आकर्षक लुक दे सकती हैं. बबल आईलाइनर स्टाइल डेली लगा सकती हैं और ये रैग्युलर आउटफिट पर भी मैच करता है.

रिबन आईलाइनर

स्ट्रेट, राउंड और फिश कट के अलावा कोई और आईलाइनर स्टाइल ट्राई करना चाहती हैं, तो आजमाइए रिबन आईलाइनर स्टाइल. इस के लिए ऊपर की पलकों पर ब्लैक लिक्विड या जैल आईलाइनर लगाएं. आकर्षक लुक के लिए लाइनर थोड़ा चौड़ा रखें. अब निचली पलकों पर ब्लैक और ब्राउन के अलावा किसी भी शेड का पैन आईलाइनर लगाएं और पिछले छोर पर पहुंचते ही उसे रिबन की तरह ऊपर लगे ब्लैक आईलाइनर पर लपेटते हुए घुमाएं.

रिबन आईलाइनर स्टाइल को आप किसी खास मौके के अलावा रैग्युलर डेज में भी लगा सकती हैं. इंडियन के मुकाबले यह वैस्टर्न वियर के साथ ज्यादा स्टाइलिश नजर आता है.

ग्लिटर आईलाइनर

ग्लिटर लिपस्टिक, ग्लिटर आईशैडो और ग्लिटर हेयर हाईलाइटर के साथ ही ग्लिटर आईलाइनर भी इन दिनों डिमांड में है. यह इंडियन और वैस्टर्न दोनों ही आउटफिट पर सूट करता है. इसे सिर्फ ऊपर या ऊपरनीचे दोनों पलकों पर लगाया जा सकता है. सिर्फ ग्लिटर आईलाइनर या फिर ब्लैक, ब्राउन, ब्लू जैसे दूसरे शेड का आईलाइनर लगा कर उस के ऊपर भी ग्लिटर आईलाइनर लगा सकती हैं.

सिल्वर, गोल्डन के साथसाथ पिंक, ब्लू, पर्पल, रैड, यलो जैसे शेड्स में भी ग्लिटर आईलाइनर उपलब्ध हैं. अट्रैक्टिव इफैक्ट के लिए जैल आईलाइनर यूज करें. नाइट पार्टी या फंक्शन में आई मेकअप को हाईलाइट करने के लिए ग्लिटर आईलाइनर स्टाइल से बढि़या औप्शन और कोई नहीं है.

भैया: 4 बहनों को मिला जब 1 भाई

कीर्ति ने निशा का चेहरा उतरा हुआ देखा और समझ गई कि अब फिर निशा कुछ दिनों तक यों ही गुमसुम रहने वाली है. ऐसा अकसर होता है. कीर्ति और निशा दोनों का मैडिकल कालेज में दाखिला एक ही दिन हुआ था और संयोग से होस्टल में भी दोनों को एक ही कमरा मिला. धीरेधीरे दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.

कीर्ति बरेली से आई थी और निशा गोरखपुर से. कीर्ति के पिता बैंक में अधिकारी थे और निशा के पिता महाविद्यालय में प्राचार्य.

गंभीर स्वभाव की कीर्ति को निशा का हंसमुख और सब की मदद करने वाला स्वभाव बहुत अच्छा लगा था. लेकिन कीर्ति को निशा की एक ही बात समझ में नहीं आती थी कि कभीकभी वह एकदम ही उदास हो जाती और 2-3 दिन तक किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

आज रक्षाबंधन की छुट्टी थी. कुछ लड़कियां घर गई थीं और बाकी होस्टल में ही थीं क्योंकि टर्मिनल परीक्षाएं सिर पर थीं. कीर्ति ने निश्चय किया कि आज वह निशा से जरूर पूछेगी. होस्टल में घर की याद तो सभी को आती है पर इतनी उदासी…

नाश्ता करने के बाद कीर्ति ने निशा से कहा, ‘‘चल यार, बड़ी बोरियत हो रही है घर की याद भी बहुत आ रही है. वहां तो सब त्योहार मना रहे होंगे और यहां हमें पता नहीं कि उन्हें हमारी राखी भी मिली होगी या नहीं.’’

निशा ने भी प्रतिवाद नहीं किया. दोनों औटो से पार्क पहुंचीं. वहां का माहौल बहुत खुशनुमा था. कई परिवार त्योहार मनाने के बाद शायद पिकनिक मनाने वहां पहुंचे थे. दोनों एक कोने में नीम के पेड़ के नीचे पड़ी खाली बैंच पर बैठ गईं. निशा चुपचाप खेलते हुए बच्चों को देख रही थी. कीर्ति ने पूछा, ‘‘निशा, अब हम और तुम अच्छे दोस्त बन गए हैं. मुझे अपनी बहन जैसी ही समझो. मैं ने कई बार नोट किया कि तुम कभीकभी बहुत ज्यादा उदास हो जाती हो. आखिर बात क्या है?’’

निशा बोली, ‘‘कुछ खास बात नहीं. बस, घर की याद आ रही थी. आज हलके बादलों ने काली घटाओं का रूप ले लिया था और जब भी ऐसा माहौल बनता है तो मुझ पर बहुत उदासी छा जाती है.’’

‘‘इस के पीछे ऐसी क्या बात है?’’ कीर्ति ने पूछा.

‘‘बस, मेरे घर की कहानी बहुत ही अनोखी और उदास है,’’ निशा कहने लगी, ‘‘सुनोगी तुम?’’

कीर्ति बोली, ‘‘तुम सुनाओगी तो जरूरी सुनूंगी.’’

‘‘हम 4 बहनें हैं. हमारा कोई भाई नहीं था. बड़ी दीदी रेखा स्कूल में टीचर हैं. दूसरी सुमेधा, जो एलआईसी में काम कर रही हैं. तीसरी मैं और सब से छोटी बल्ली. मां और पापा को बेटे की बहुत इच्छा थी इसीलिए हम एक के बाद एक 4 बहनें हो गईं. मां व पापा को बेटे की चाहत के अलावा दादी को पोते को खिलाने की इच्छा हरदम सताती रहती थी.

‘‘रक्षाबंधन आने वाला होता. उस के कई दिन पहले से घर में एक अजीब सी उदासी पसर जाती थी. अपने मामा, चाचा और बूआ के बेटों को हम बहनें पहले ही राखियां भेज देती थीं. मां ऐसे में बहुत असहाय हो जातीं, जो हम से देखा नहीं जाता था पर दादी की कुढ़न उन के व्यंग्यबाणों से बाहर निकलती. पापा तो स्कूल से आ कर ट्यूशन के बच्चों से घिरे रहते. पढ़ाईलिखाई के इसी माहौल में हम लोग पढ़ने में अच्छे निकले.

‘‘एक बार राखी के दिन हमेशा की तरह सुबह पापा ने दरवाजा खोला और एकाएक उन के मुंह से चीख निकल गई. मम्मी किचन छोड़ कर बाहर की ओर दौड़ीं और वहां का नजारा देख कर वे भी हैरान रह गईं. दरवाजे के पास एक छोटा सा बच्चा लेटा हुआ हाथपैर मार रहा था.

‘‘‘अरे, यह कहां से आया?’ पापा बोले, ‘शायद कोई रख गया है,’ मम्मी अभी भी हैरान थीं.

‘‘इतनी देर में दादी और हम सब भी वहां पहुंच गए. थोड़ी ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह पूरे महल्ले में फैल गई कि गुप्ताजी के दरवाजे पर कोई बच्चा रख गया है. बारिश के बावजूद बहुत से लोग इकट्ठा हो गए.

‘‘‘इसे अनाथाश्रम में दे दो,’ भीड़ से आवाज आई. ‘अरे, थोड़ी देर इंतजार करना चाहिए, शायद कोई इसे लेने आ जाए,’ नीरा आंटी बोलीं.

‘‘किसी ने कहा, ‘पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए.’

‘‘धीरेधीरे सब लोग जाने लगे. त्योहार भी मनाना था.

‘‘‘वैसे आप की मरजी प्रो. साहब, पर मेरी राय में दोपहर तक इंतजार के बाद आप को इसे बालवाड़ी अनाथ आश्रम को सौंप देना चाहिए,’ कालोनी के सैके्रटरी ने कहा.

‘‘‘तुम चलो भी…उन के यहां का मामला है, वे चाहे जो भी करें,’ सैक्रेटरी की बीवी ने उन्हें कोहनी मारी.

‘‘‘कुछ भी हो मिसेज गुप्ता…रक्षाबंधन के दिन बेटा घर आया है…कुछ भी करने से पहले सोच लेना,’ जातेजाते भीड़ में से कोई बोला.

‘‘इस हैरानीपरेशानी में दोपहर हो गई. खाना भी नहीं बना. बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी. लगता था जैसे किसी मजबूर के आंसू ही आसमान से बरस रहे हों. जाने किस मजबूरी में अपने कलेजे के टुकड़े को उस ने अपने से दूर किया होगा.

‘‘इधर लोग गए और उधर दादी और उन की ममता दोनों ही जैसे सोते से जागीं. उन्होंने उस नन्ही सी जान को गोद में ले कर पुचकारना और खिलाना शुरू कर दिया. उसे गरम पानी से नहलाया और जाने कहां से ढूंढ़ कर उसे हमारे पुराने धुले रखे कपड़े पहनाए. कटोरी में दूध ले कर उसे चम्मच से पिलाने लगीं.

‘‘पापा ने नहाधो कर जब बूआ की राखी हम लोगों से बंधवाई तब दादी बोलीं, ‘अब इस छोटे से भैया राजा को भी तुम लोग राखी बांध दो. रक्षाबंधन के दिन आया है. मैं तो कहती हूं तुम लोग इसे अपने पास ही रख लो.’

‘‘मम्मी को तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ कि कहां छुआछूत को मानने वाली उन की रूढि़वादी सास और कहां न जाने किस जात का बच्चा है फिर भी उसे ऐसे सीने से चिपकाए थीं कि मानो उन का सगा पोता हो. मम्मीपापा पसोपेश में थे पर दादी की इस बात पर कुछ नहीं बोले.

‘‘दोपहर बाद भी लोग आते रहे, जाते रहे और तरहतरह की नसीहतें देते रहे पर दादी इन सब बातों से बेखबर उस की नैपी बदलने और उसे दूध पिलाने की कोशिश में लगी रहीं.

‘‘अगली सुबह सब चिंतित थे कि क्या होगा पर मम्मी के चेहरे पर दृढ़ निश्चय था.

‘‘‘मैं अनाथ आश्रम में जा कर बात करता हूं,’ पापा  के यह कहते ही मम्मी बोल उठीं, ‘नहीं, नन्हा यहीं रहेगा,’ पापा ने भी प्रतिवाद नहीं किया और दादी तो खुश थीं ही.

‘‘बस, उसी दिन से भैया हमारे घर और जिंदगी में आ गया. मैं भैया के प्रति शुरू से ही बहुत तटस्थ थी, जबकि दोनों बड़ी बहनें थोड़ी नाखुश थीं. उन की बात भी कुछ हद तक सही थी. उन का कहना था कि मांपापा के अच्छे व्यवहार और इस घर की अच्छी साख का किसी ने फायदा उठाया है और वह यह भी जानता है कि इस घर को एक बेटे की तीव्र चाह थी.

‘‘खैर, उस गोलमटोल और सुंदर सी जान ने धीरेधीरे सब को अपना बना लिया.

‘‘मां और दादी जतन से उसे पालने लगीं. वह बड़ा तो हो रहा था पर साल भर का हो जाने पर भी जब उस ने चलना तो दूर, बैठना और गर्दन उठाना भी नहीं सीखा तब सब को चिंता हुई. फिर उसे बच्चों के डाक्टर को दिखाया गया.

‘‘डाक्टर ने कई टैस्ट कराए और तब पता चला कि उसे सेरेब्रल पाल्सी, यानी एक ऐसी बीमारी है जिस में दिमाग का शरीर पर कंट्रोल नहीं होता है.

‘‘उस दिन जैसे फिर एक बार हमारे घर पर बिजली गिरी. मां, पापा, दादी के साथ हम सभी बहनों के चेहरे भी उतर गए. पापा के अभिन्न मित्र ने फिर समझाया कि उसे किसी अनाथ आश्रम को सौंप दें पर अब यह असंभव था क्योंकि पापा को थोड़ा समाज के उपहास का डर था और मां, दादी को उस से बहुत अधिक मोह.

‘‘वैसे भी यह कहां ठीक होता कि अच्छा है तो अपना और खराब है तो गैर. इसलिए भैया घर में ही है, अब करीब 6 साल का हो गया है पर लेटा ही रहता है. मां को उस का सब काम बिस्तर पर ही करना पड़ता है. दादी तो अब रही नहीं, कुछ समय पहले ही उन का देहांत हुआ.

‘‘मां कभीकभी बहुत उदास हो जाती हैं. कहां तो भैया के आने से उन्हें आशा बंधी थी कि शायद बुढ़ापे में बेटा सेवा करेगा पर अब तो जब तक जीवन है, उन्हें ही भैया की सेवा करनी है.’’

निशा फफकफफक कर रो पड़ी. कीर्ति की आंखें भी नम थीं. थोड़ी देर खामोशी रही फिर कीर्ति ने उसे ढाढ़स बंधाया.

‘‘इसलिए मैं डाक्टर बन कर ऐसे बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हूं, पर सच कहूं तो भैया का आगमन हमारे घर न हुआ होता तो आज मेरे मांबाप ज्यादा सुखी होते. जीवन की संध्या समाज सेवा में बिताते पर बेटे के मोह ने उन से वह सुख भी छीन लिया.’’

कीर्ति चुपचाप उस की बातें सुनती रही फिर उदास कदमों से दोनों होस्टल की ओर चल पड़ीं.

Raksha bandhan Special: यूं बनाएं हेल्दी पनीर मंचूरियन

चाइनीज का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है बच्चे हो या बड़े चायनीज फूड सभी को पसंद आता है. पनीर मंचूरियन एक बहुत ही पॉपुलर इंडो चायनीज डिश है.

पनीर मंचूरियन का फ्राइड राइस के साथ परफेक्ट कॉम्बो माना जाता है. मंचूरियन को अलग-अलग तरह की सामाग्रियों से बनाकर तैयार करते है जैसे – मिक्स वेज मंचूरियन, एग मंचूरियन, गोभी मंचूरियन, बंदगोभी मंचूरियन, सोया मंचूरियन आदि. आज हम आसान और जल्द ही बनने वाली डिश पनीर मंचूरियन बनाने की विधि बताएंगे.

सामग्री

पनीर पीस को फ्राई करने के लिए

1. ढाई सौ ग्राम चौकोर टुकड़ो में कटे हुए पनीर

2. चौथाई कप कॉर्न फ्लोर

3. आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

4. दो चम्मच दही

5. नमक स्वादानुसार

6. पनीर फ्राई करनें के लिए तेल

मंचूरियन की ग्रेवी के लिए

7. चार-पांच चम्मच टोमेटो सॉस

8. एक चम्मच सफेद सिरका

9. दो-तीन चम्मच सोया सॉस

10. आधा कप बारीक कटी हुई हरी प्याज

11. आठ-दस बारीक कटा हुआ लहसुन

12. दो बारीक काटा हुआ प्याज

13. दो चम्मच कॉर्न फ्लोर

14. आधा चम्मच अजिनोमोटो पाउडर

15. नमक स्वादानुसार

16. तीन-चार चम्मच तेल

यू बनाएं पनीर मंचूरियन

– पनीर मंचूरियन बनाने के लिए सबसे पहले हम पनीर के पीस को डीप फ्राई करेंगें.

– पनीर के टुकड़ो को तैयार करने के लिए सबसे पहले अब एक कढ़ाही में तेल डालकर गरम करने के लिए गैस पर रखें.

– और अब कटे हुए पनीर के टुकड़ो को एक प्लेट में निकालकर करीब 10 मिनट के लिये मेरिनेट करेंगें.

– मेरिनेट करने के लिये पनीर के टुकड़ो के ऊपर लाल मिर्च पाउडर, नमक और दही डालकर के लिये रख दें.

– 10 मिनट के बाद पनीर टुकड़ो को अच्छी तरह से मिक्स करके एक एक टुकड़े को सूखे कॉर्न फ्लोर में लपेट लें, जब तेल अच्छी तरह से गरम हो जाये तब 2-3 पनीर के टुकड़ो को गरम तेल में डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई करके निकाल लें, इसी तरह से सभी पनीर के टुकड़ो को तलकर तैयार कर लें.

– अब हम मंचूरियन के लिए ग्रेवी बनाएगें, मंचूरियन की ग्रेवी बनाने के लिए एक कढ़ाही में तेल डालकर गरम करने के लिए गैस पर रखें, जब तेल अच्छी तरह से गरम हो जाये तब गरम तेल में कटा हुआ लहसुन डालकर थोड़ी देर के लिये भून लें और अब इसमें कटी हुई प्याज डालकर हल्का गुलाबी होने तक भून लें.

– इसके बाद भुनी हुई प्याज में कटी हुई हरी प्याज डालकर 1 मिनट के तक भून लें. इसके बाद इसमें सोया सॉस, टोमेटो सॉस को डालकर अच्छी तरह से मिक्स करते हुये 1 मिनट के लिए फ्राई कर लें.

– इसके बाद ग्रेवी में कॉर्न फ्लोर का घोल डालकर अच्छी तरह से मसाले में मिक्स कर लें और अब इसमें नमक अजिनोमोटो पाउडर डालकर मिक्स करके गैस बंद कर दें.

– पनीर मंचूरियन के लिए ग्रेवी बनकर तैयार हो गयी है. अब मंचूरियन ग्रेवी में फ्राई किये हुये पनीर के टुकड़ो को डालकर धीमी आँच पर अच्छी तरह से मिक्स कर लें जिससे मंचूरियन ग्रेवी की कोटिंग पनीर के टुकड़ो पर अच्छी तरह से आ जाये.

– स्वादिष्ट पनीर मंचूरियन बनकर तैयार हो गया है, गरमा गर्म पनीर मंचूरियन को सर्विंग बाउल में निकाल कर कटी हुई हरी प्याज के पत्ती और कद्दूकस किये हुए पनीर से गार्निश करके नूडल्स या फिर अपनी पसंद फ्राइड राइस के साथ सर्व करें.

Raksha bandhan Special: खूबसूरती में चार चांद लगा देगा ब्लशर

चेहरे पर खिली सुंदर मुस्कान हर किसी को आपकी तरफ आकर्षित कर सकती है. आपकी इसी मुस्कान चार चांद लगा देता है ब्लशर. लेकिन, यदि आपने इसका गलत इस्तेमाल किया तो आप दस साल बड़ी उम्र की भी लग सकती हैं.

आप बिना मेकअप किए भी ब्लशर लगाने से बेहद खूबसूरत दिखाई दे सकती हैं. ब्‍लशर लगाने में आपसे कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए आपका कुछ बातों का जानना बेहद जरूरी है. आपको बता रहे हैं ब्लशर के इस्तेमाल का तरीका.

रोजी ग्लो के लिए

मेकअप में ब्लशर सबसे जरूरी है. इसका इस्तेमाल डल स्किन में फ्रेश और रोजी ग्लो लाने में मदद करता है. इसमें थोड़ा गोल्डेन शिमर मिलाने से यह फीचर्स को बैलेंस कर देगा. इससे आप हल्‍के फीचर्स को उभार सकती हैं. उसे एक डेफिनिशन दे सकती हैं.

दें सही कवरेज

क्रीम ब्लशर, मूस ब्लशर पाउडर, लिक्विड या जेल ब्लशर लगाने का सही तरीका जानना जरूरी है.

पाउडर ब्लशर

पाउडर ब्लशर आपको बोल्ड लुक लेता है. क्योंकि इसकी कवरेज मीडियम से हेवी होती है. यह चीक्स को शेप, शेड और कॉन्टूर करने के लिए बेस्ट है. इसे लगाने का सही तरीका है, डोम-शेप्ड ब्लशर ब्रश को ब्लशर पर रखकर गोलाई में घुमाएं. फिर मुस्कराएं और चीक्स के एपल पर हल्‍का स्ट्रोक्स देते हुए लगाएं. माथे की तरफ ले जाते हुए लगाएं. ब्रश से अच्छी तरह ब्लेंड करें.

लिक्विड/जेल ब्लशर

इसे आप चीक्स और लिप्स दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर दूसरे शेड्स और प्रोडक्ट भी इसके साथ प्रयोग कर सकती हैं. लिक्विड से क्रीम जेल का टेक्सचर अलग-अलग होता है. ये लॉन्गलास्टिंग व नैचुरल मैट स्टेन लुक देते हैं. इन्हें हर प्रकार की त्वचा के लिए प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन यह ऑयली व कॉम्बिनेशन कॉम्प्लेक्स के लिए परफेक्ट है. क्योंकि एक बार लगाने के बाद यह लंबे समय तक टिकता है. फैलता या बहता नहीं है.

लिक्विड और जेल ब्लशर लगाते ही चीक्स में कलर ऐड कर देते हैं. चीक्स के बीच (एपल्स पर) थोड़ा सा जेल या लिक्विड ब्लशर रखें. फिर अपनी उंगली या छोटे फर्म ब्लशर ब्रश से लार्ज सर्कुलर मोशन में चीक्स पर ब्लेंड करें. चीक्स के एपल के बाहर तक ब्लेंड करें. चीक्स पर अच्छी तरह ब्लेंड होने बाद आप फेस को शेप देने, कंटूर और हाइलाइट करने के लिए मूस, क्रीम, पाउडर ब्लशर और ब्रॉन्जर भी लगा सकती हैं.

जैसी त्वचा वैसा ब्लश

आपका ब्‍लश हमेशा आपकी त्‍वचा के हिसाब से होना चाहिए.

पेल स्किन

ऐसा शेड चुनें जो आपको नैचलर ब्लश दे. पेल पीच और पिंक शेड ऐसी त्वचा के लिए सही नहीं होते. इसलिए इवनिंग पार्टी के लिए हनी-टोंड ब्रॉन्जर का इस्तेमाल करें. जैसे कि चीक कलर 12 एप्रिकॉट शिमर, चीक कलर 04 गोल्डेन पिंक , लिप और चीक स्टेन 01 रोज पिंक या फिर चीक कलर 03 हेदर पिंक प्रयोग कर सकती हैं.

मीडियम स्किन

मीडियम पिंक, गोल्डन पीच और मोव-टोंड बेरी हमेशा मीडियम स्किन टोन को कॉप्लिमेंट देते हैं. सन किस्ड ग्लो के लिए इस पर गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लश लगाएं. जैसे कि चीक कलर 4 गोल्डन पिंक, चीक कलर 10 स्वीट नटमेग, नेचर्स मिनरल चीक कलर 3 वार्म कलर.

ऑलिव स्किन

ऐसी स्किन पर ब्राइटर और पॉप शेड्स अच्छे लगते हैं. जैसे ब्रिक ब्रोज, डीप रोजेज, प्लम और लाइट बेरी टोंस. फ्रेश शिमर लुक के लिए थोड़ा -सा शियर ब्रॉन्जर भी लगाएं.

डार्क स्किन

ऐसा ब्लशर चुनें जो आपके कॉम्प्लेक्शन को उभारे. पेल पेस्टल शेड्स से बचें. यह आपके कॉम्प्लेक्शन को चॉकी और ग्रे कर देंगे. इसलिए डीप रेड टोंस, रिच रोज, ब्रिक रेड्स, रस्ट, बरगंडी, रिच मोव्स और सक्युलंट बेरी ह्यू शेड चुनें. इसे चाहे अकेले इस्तेमाल करें या फिर सन किस्ड ग्लो के लिए डीप गोल्डन ब्रॉन्ज ब्लशर ऊपर से लगाएं.

क्या करें

यदि ब्लशर अधिक लग जाए तो उसे बिना मेकअप हटाए टोन डाउन कैसे करें. इसके लिए पाउडर पफ लें और उस पर साफ टिश्यू लपेटें. बॉडी शॉप का विटमिन ई फेस मिस्ट या फासन मिस्ट वॉटर स्प्रे टिश्यू में हल्‍का सा लगाएं और चीक्स पर रखकर दबाएं. चीक्स रगडें या मलें नहीं. यह हल्‍के से अतिरिक्त कलर को हटा देगा. ध्यान दें कि कहीं फाउंडेशन या पाउडर न निकल जाए या खराब हो जाए.

हर सीजन के लिए ट्रेंडी

ट्रेंड आते और जाते हैं, लेकिन ब्लशर हमेशा ट्रेंड में रहता है. फिर चाहे आप ब्लशर का इस्तेमाल शेप, शेड और कंटूर के लिए करें या शियर लुक के लिए. या फिर फीचर्स को हाइलाइट करने के लिए. एक अच्छा ब्लशर, जो आपकी स्किन टोन को सूट करे आप साल के 365 दिन तक लगा सकती हैं.

आप शियर ब्लशर किसी भी सीजन में आसानी से लगा सकती हैं. स्प्रिंग टिंट देने के लिए इस पर शियर हनी टोंड ब्रॉन्जर लगाएं. गर्मियों में इस पर आप शिमरिंग गोल्डन ह्यू और सर्दियों में शिमरिंग हाइलाइटर लगा सकती हैं. स्प्रिंग स्किन फ्रेश और फ्लर्टी लुक देती है. समर कॉम्प्लेक्शन सन-किस्ड और ग्लोइंग दिखना चाहिए. इसलिए ब्लशर के ऊपर हनी टोंड शिमर जरूर लगाएं. यह अनोखी चमक देगा और आप यंग नजर आएंगी. सर्दियों में क्रीम ब्लशर और शियर हाइलाइटर लगाने से चेहरे में मॉयस्चर लेवल भी संतुलित रहता है और पैची नहीं लगता. इसके ऊपर पाउडर ब्लशर, ब्रॉन्जर और हाइलाइटर लगाने से बेहतरीन ग्लो आ जाता है.

समय चक्र: अकेलेपन की पीड़ा क्यों झेल रहे थे बिल्लू भैया?

शिमला अब केवल 5 किलोमीटर दूर था…य-पि पहाड़ी घुमाव- दार रास्ते की चढ़ाई पर बस की गति बेहद धीमी हो गई थी…फिर भी मेरा मन कल्पनाओं की उड़ान भरता जाने कितना आगे उड़ा जा रहा था. कैसे लगते होंगे बिल्लू भैया? जो घर हमेशा रिश्तेदारों से भरा रहता था…उस में अब केवल 2 लोग रहते हैं…अब वह कितना सूना व वीरान लगता होगा, इस की कल्पना करना भी मेरे लिए बेहद पीड़ादायक था. अब लग रहा था कि क्यों यहां आई और जब घर को देखूंगी तो कैसे सह पाऊंगी? जैसे इतने वर्ष कटे, कुछ और कट जाते.

कभी सोचा भी न था कि ‘अपने घर’ और ‘अपनों’ से इतने वर्षों बाद मिलना होगा. ऐसा नहीं था कि घर की याद नहीं आती थी, कैसे न आती? बचपन की यादों से अपना दामन कौन छुड़ा पाया है? परंतु परिस्थितियां ही तो हैं, जो ऐसा करने पर मजबूर करती हैं कि हम उस बेहतरीन समय को भुलाने में ही सुकून महसूस करते हैं. अगर बिल्लू भैया का पत्र न आया होता तो मैं शायद ही कभी शिमला आने के लिए अपने कदम बढ़ाती.

4 दिन पहले मेरी ओर एक पत्र बढ़ाते हुए मेरे पति ने कहा, ‘‘तुम्हारे बिल्लू भैया इतने भावुक व कमजोर दिल के कैसे हो गए? मैं ने तो इन के बारे में कुछ और ही सुना था…’’

पत्र में लिखी पंक्तियां पढ़ते ही मेरी आंखों में आंसू आ गए, गला भर आया. लिखा था, ‘छोटी, तुम लोग कैसे हो? मौका लगे तो इधर आने का प्रोग्राम बनाना, बड़ा अकेलापन लगता है…पूरा घर सन्नाटे में डूबा रहता है, तेरी भाभी भी मायूस दिखती है, टकटकी लगा कर राह निहारती रहती है कि क्या पता कहीं से कोई आ जाए…’

समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आज बिल्लू भैया जैसा इनसान एक निरीह प्राणी की तरह आने का निमंत्रण दे रहा है और वह भी ‘अकेलेपन’ का वास्ता दे कर. यादों पर जमी परत पिघलनी शुरू हुई. वह भी बिल्लू भैया के प्रयास से क्योंकि यदि देखा जाए तो यह परत भी उन्हीं के कारण जमानी पड़ी थी.

बचपन में बिल्लू भैया जाड़ों के दिनों में अकसर पानी पर जमी पाले की परत पर हाकी मार कर पानी निकालते और हम सब ठंड की परवा किए बिना ही उस पानी को एकदूसरे पर उछालने का ‘खेल’ खेलते.

एक बार बिल्लू भैया, बड़े गर्व से हम को अपनी उपलब्धि बता ही रहे थे कि अचानक उन से बड़े कन्नू भैया ने उन का कान जोर से उमेठ कर डांट लगाई…

‘अच्छा, तो ये तू है, जो मेरी हाकी का सत्यानाश कर रहा है…मैं भी कहूं कि रोज मैच खेल कर मैं अपनी हाकी साफ कर के रखता हूं और वह फिर इतनी गंदी कैसे हो जाती है.’

और बिल्लू भैया भी अपमान व दर्द चुपचाप सह कर, बिना आंसू बहाए कन्नू भैया को घूरते रहे पर ‘सौरी’ नहीं कहा. बचपन से ही वे रोना या अपना दर्द दूसरे से कहना अच्छा नहीं समझते थे, कभीकभी तो वे नाटकीय अंदाज में कहते थे, ‘आई हेट टियर्स…’

दूसरों से निवेदन करना जो इनसान अपनी हेठी समझता हो आज वह इस तरह…इस स्थिति में.

कितना अच्छा समय था. जब हम छोटे थे और एकता के धागे से बंधा कुल मिला कर लगभग 20 सदस्यों का हमारा संयुक्त परिवार था, जिस में दादी, एक विधवा व निसंतान चचेरी बूआ, हमारे पिता, उन से बड़े 3 भाई, सब के परिवार, हम 10 भाईबहन जोकि अपनीअपनी उम्र के भाईबहनों के साथ दोस्त की तरह रहते थे. सगे या चचेरे का कोई भाव नहीं, ताऊजी की दुकान थी…जहां पर ग्राहक को सामान से ज्यादा ताऊजी की ईमानदारी पर विश्वास था.

मेरे पिता, ताऊजी के साथ दुकान पर काम करते थे और उन के अन्य 2 भाइयों में से एक स्थानीय डिगरी कालेज में तथा एक आयकर विभाग में क्लर्क के पद पर थे जोकि निसंतान थे. कन्नू व बिल्लू भैया ताऊजी के बेटे थे. उस के बाद नन्हू व सोनू भैया थे. हम 3 बहनें, 1 भाई थे. अध्यापन का कार्य करने वाले ताऊजी के 2 बच्चे अभी छोटे थे क्योंकि वे उन की शादी के लगभग 10 साल बाद हुए थे. आयकर विभाग वाले ताऊजी निसंतान थे.

समय के साथ घर में परिवर्तन आने शुरू हुए, दादी व बूआ की मौत एक के बाद एक कर हो गई. घर के लड़के शहर छोड़ कर बाहर जाने लगे. कोई डाक्टरी की पढ़ाई के लिए, तो कोई नौकरी के लिए. मेरी भी बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. बिल्लू भैया की भी नागपुर में एक दवा की कंपनी में नौकरी लग गई, जब वे भी चले गए तब अचानक एक दिन ताऊजी पापा से बोले, ‘छोटे, अच्छा हुआ कि सभी अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं, मैं चाहता भी नहीं था कि आने वाले समय में नई पीढ़ी यहां बसे. हम ने तो निभा लिया पर ये बच्चे हमारी तरह साथ नहीं रह सकते. बड़ी मुश्किल से परिवार जुड़ता है और उस में किसी एक का योगदान नहीं होता बल्कि सभी का धैर्य, निस्वार्थ त्याग, स्नेह व समर्पण मिला कर ही एकतारूपी मजबूत धागे की डोर सब को जोड़ पाती है, वर्षों लग जाते हैं…यह सब होने में.’

वैसे तो दूसरे लोग भी घर से गए थे पर ताऊजी ने यह बात बिल्लू भैया के जाने के बाद ही क्यों कही? यह विचार मेरे मन में कौंधा और उस का उत्तर मुझे मात्र 6 महीने बाद ही मिल गया. वह भी एक तीव्र प्रहार के रूप में. ऐसी चोट मिली कि आज तक उस की कसक अंदर तक पीड़ा पहुंचा देती है.

बात यह हुई कि मात्र 6 महीने बाद ही बिल्लू भैया नौकरी छोड़ कर घर वापस आ गए.

‘मैं भी दुकान संभाल लूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि बुढ़ापे में आप लोग अकेले रह जाएंगे, आप लोगों की देखभाल के लिए भी तो कोई चाहिए,’ कहते हुए जब बिल्लू भैया ने अपना सामान अंदर रखना शुरू किया तो घर के सभी सदस्य बहुत खुश हुए किंतु ताऊजी अपने चेहरे पर निर्लिप्त भाव लिए अपना कार्य करते रहे.

मुझे जीवन की कड़वी सचाइयों का इतना अनुभव न था अन्यथा मैं भी समझ जाती कि यह चेहरा केवल निर्लिप्तता लिए हुए नहीं है बल्कि इस के पीछे आने वाले तूफान के कदमों की आहट पहचानने की चिंता व्याप्त है और यही सत्य था. तूफान ही तो था, जिस का प्रभाव आज तक महसूस होता रहा. धमाका उस दिन महसूस हुआ जब मैं अलसाई सी अपने बिस्तर पर आंखें मूंदे पड़ी थी कि एक तेज आवाज मेरे कानों में पड़ी :

‘चाचाजी, कभीकभी मुझे लगता है कि आप अपने फायदे के लिए हमारे पिताजी के साथ रह रहे हैं. आप को अपनी बेटियों की शादी के लिए पैसा चाहिए न इसीलिए…’ यह क्या, मैं ने आंखें खोल कर देखा तो अपने पापा के सामने बिल्लू भैया को खड़ा देखा…

‘यह क्या कह रहे हो? हमारे बीच में ऐसी भावना होती तो हम इतने वर्षों तक कभी साथ न रह पाते. संयुक्त परिवार है हमारा, जहां हमारेतुम्हारे की कोई जगह नहीं. इतनी छोटी बात तुम्हारे दिमाग में आई कैसे?’ पापा लगभग चिल्लाते हुए बोले.

पापा की एक आवाज पर थर्राने वाले बिल्लू भैया की आज इतनी हिम्मत हो गई कि उम्र का लिहाज ही भूल गए थे. मैं सिहर कर चुपचाप पड़ी सोने का नाटक करने लगी पर ताऊजी के उस वाक्य का अर्थ मेरी समझ में आ गया था. नई पीढ़ी का रंग सामने आ रहा था. पिता होने के नाते वे अपने बेटे की नीयत जानते थे और अपने संयुक्त परिवार को हृदय से प्यार करने वाले ताऊजी इस की एकता को हर खतरे से बचाना चाहते थे.

हतप्रभ से मेरे पापा ने जब यह बात मेरे ताऊजी से कही तो वे केवल एक ही वाक्य बोल पाए, ‘शतरंज की बाजी में, दूसरे के मजबूत मोहरे पर ही सब से पहले वार किया जाता है. वही हो रहा है. तुम मुझ पर विश्वास रखोगे तो कुछ नहीं बिगड़ेगा.’

कही हुई बात इतनी कड़वी थी कि उस की कड़वाहट धीरेधीरे घर के वातावरण में घुलने लगी…उस का प्रभाव धीरेधीरे अन्य लोगों पर भी दिखने लगा और एक अदृश्य सी सीमारेखा में सभी परिवार सिमटने लगे. एक ताऊजी कालेज के वार्डन बन कर वहीं होस्टल में बने सरकारी घर में चले गए. दूसरे भी मन की शांति के लिए घर के पीछे बने 2 कमरों में रहने लगे. अपमान से बचने के लिए उन्होंने रसोई भी अलग कर ली. अलगाव की सीमारेखा को मिटाने वाले सशक्त हाथ भी उम्र के साथ धीरेधीरे अशक्त होते चले गए. ताऊजी को लकवा मार गया और पापा भी अपने सबल सहारे को कमजोर पा कर परिस्थितियों के आगे झुकने को मजबूर हो गए, परंतु अंत समय तक उन्होंने ताऊजी का साथ न छोड़ा.

अब घर बिल्लू भैया व उन की पत्नी के इशारे पर चलने लगा, समय आने पर मेरी भी शादी हो गई और मैं शिमला के अपने इस प्यारे से घर को भूल ही गई. ताऊजी, ताईजी, पापा का इंतकाल हो गया. मां मेरे भाई के पास आ गईं. अब मेरे लिए उस घर में बचपन की यादों के सिवा कुछ न था.

समय का चक्र अविरल गति से घूम रहा था…और आज बिल्लू भैया भी उम्र के उसी पड़ाव पर खड़े थे, जिस पड़ाव पर कभी मेरे पापा अपमानित हुए थे, पर उन्होंने ऐसा पत्र क्यों लिखा? क्या कारण होगा?

अचानक कानों में पति के स्वर पड़े तो मेरी तंद्रा भंग हुई थी.

‘‘तुम शिमला क्यों नहीं चली जातीं, तुम्हारा घूमना भी हो जाएगा और उन का अकेलापन भी दूर होगा…चाहे थोड़े दिनों के लिए ही सही,’’ अचानक अपने पति की बातें सुन कर मैं ने सोचा कि मुझे जाना चाहिए…और मैं तैयारी करने लग गई थी.शिमला पहुंचते ही, मैं अपनी थकान भूल गई. तेज चाल से अपने मायके की ओर बढ़ते हुए मुझे याद ही नहीं रहा कि दिल्ली में रोज मुझे अपने घुटनों के दर्द की दवा खानी पड़ती है. कौलबेल पर हाथ रखते ही, बिल्लू भैया की आवाज सुनाई पड़ी, मानो वे मेरे आने के इंतजार में दरवाजे के पीछे ही खड़े थे…

‘‘छोटी, तू आ गई…बहुत अच्छा किया.’’ मुझे ऐसा लगा मानो ताऊजी सामने खड़े हों. ‘‘तेरी भाभी तो तेरे लिए पकवान बनाने में व्यस्त है…’’ तब तक भाभीजी भी डगमग चाल से चल कर मुझ से लिपट गईं. सच कहूं तो उन के प्यार में आज भी वह आकर्षण नहीं था, जो किसी ‘अपने’ में होता है. आज हम सब को अपने पास बुलाना उन की मजबूरी थी. अकेलेपन के अंधेरे से बाहर निकलने का एक प्रयास मात्र था…उस में अपनापन कहां से आएगा.

‘‘चलचल, अंदर चल,’’ बिल्लू भैया मेरा सामान अंदर रखने लगे, घर में घुसते ही मेरी आंखें भर आईं. यों तो चारों ओर सुंदरसुंदर फर्नीचर व सामान सजा हुआ था. पर सबकुछ निर्जीव सा लगा. काश, बिल्लू भैया व भाभीजी समझ पाते कि रौनक इनसानों से होती है, कीमती सामान से नहीं.

घर से हमारे बचपन की यादें मिट चुकी थीं. आज मां के हाथ के बने आलू की खुशबू, मात्र कल्पना में महसूस हो रही थी. मकान की शक्ल बदल चुकी थी… दुकान से मिसरी, गुड़, किशमिश गायब थी. बिल्लू भैया भी तो वे बिल्लू भैया कहां थे?

‘‘कितना बदल गया सबकुछ…’’ मेरे मुंह से अचानक ही निकल गया.

‘‘सच कहती है तू…वाकई सब बदल गया, देख न, तनय, जिसे बच्चे की तरह गोद में खिलाया था…आज मुझ से कितनी ऊंची आवाज में बात करने लगा,’’ बिल्लू भैया के मन का गुबार मौका मिलते ही बाहर आ गया.

‘‘तनय, कन्नु भैया का बेटा… क्यों, क्या हो गया?’’

‘‘कहता है, मैं जायदाद पर अपना अधिकार जमाने के लिए, नौकरी छोड़ कर यहां आया था,’’ बता भला, मैं ऐसा क्यों करने लगा. जानता है न कि मैं कमजोर हो गया हूं तो जो चाहे कह जाता है, अपना हिस्सा मांग रहा है… कौन सा हिस्सा दूं और लोग भी तो हैं,’’ कहतेकहते बिल्लू भैया हांफने लगे, ‘‘बंटवारे का चक्कर होगा तो मैं और तेरी भाभी कहां जाएंगे.’’

विनी (भैया की बेटी) भी अमेरिका में बस गई थी. असुरक्षा व भय का भाव भैया की आवाज में साफ झलक रहा था.

मेरे कदम जम गए… कानों में दोनों आवाजें गूजने लगीं… एक जो मेरे पापा से कही गई थी और दूसरी आज ये बिल्लू भैया की. कितनी समानता है. न्याय मिलने में सालों तो लगे पर मिला. शायद इसीलिए परिस्थितियों ने बिल्लू भैया से मुझे ही चिट्ठी लिखवाई, क्योंकि उस दिन अपने पापा को मिलने वाली प्रत्यक्ष पीड़ा की प्रत्यक्षदर्शी गवाह मैं ही थी. इसीलिए आज न्याय प्राप्त होने की शांति भी मैं ही महसूस कर सकती थी.

आंखें बंद कर मन ही मन मैं ने ऊपर वाले को धन्यवाद दिया. आज बिल्लू भैया को इस स्थिति में देख कर मुझे अपार दुख हो रहा था… बचपन के सखा थे वे हमारे.

‘‘भैया, हम आप के साथ हैं. हमारे होते हुए आप अकेले नहीं हैं. मैं वादा करती हूं कि तीजत्योहारों पर और इस के अलावा भी जब मौका लगेगा हम एकदूसरे से मिलते रहेंगे,’’ मैं ने अपनी आवाज को सामान्य करते हुए कहा क्योंकि मैं किसी भी हालत में अपने हृदय के भाव भैया पर जाहिर नहीं करना चाहती थी. मेरे इतने ही शब्दों ने भैया को राहत सी दे दी थी…उन के चेहरे से अब तनाव की रेखाएं कम होने लगी थीं.

आखिर मेरे चलने का दिन आ गया. पूरे घर का चक्कर लगा कर एक बार फिर अपने मन की उदासी को दूर करने का प्रयास किया पर प्रयास व्यर्थ ही गया. बस स्टैंड पर भैया की आंखों में आंसू देख कर मेरे सब्र का बांध टूट गया क्योंकि ये आंसू सचाई लिए हुए थे. पश्चात्ताप था उन में, पर अब खाइयां इतनी गहरी थीं कि उन को पाटने में वर्षों लग जाते… ताऊजी की सहेजी गई अमानत अब पहले जैसा रूप कैसे ले सकती थी.

बस चल पड़ी और भैया भी लौट गए. मन में एक टीस सी उठी कि काश, यदि बिल्लू भैया जैसे लोग कोई भी ‘दांव’ लगाने से पहले समय के चक्र की अविरल गति का एहसास कर लें तो वे कभी भी ऐसे दांव लगाने की हिम्मत न करें…

यह अटल सत्य है कि यही चक्र एक दिन उन्हें भी उसी स्थिति पर खड़ा करेगा जिस पर उन्होंने दूसरे व्यक्ति को कमजोर समझ कर खड़ा किया है. इस तथ्य को भुलाने वाले बिल्लू भैया आज दोहरी पीड़ा झेल रहे थे…निजी व पश्चात्ताप की.

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