मीता आज बेहद परेशान थी. इस की वजह थी उस की ननद. मीता की ननद जबतब घर आ जाती, तरहतरह की फरमाइशें करती, कभी कपड़े उठा ले जाती. मीता के अपने भी बच्चे हैं. वह कब तक सब की फरमाइशें पूरी करती रहती. एक दिन मीता ने यह बात अपनी मां को बताई.
मां ने मीता से कहा कि तू आज और अभी से अपनी ननद को इग्नोर करना शुरू कर दे. मीता ने यही किया. इस का असर यह हुआ कि कुछ दिनों बाद ही उस की ननद ने आनाजाना कम कर दिया. साथ ही, मीता के कपड़ों में हाथ मारना भी बंद कर दिया. बात छोटी सी है लेकिन बड़े काम की है. अकसर हम कई लोगों से परेशान होते हैं. इस की असल वजह हम ही होते हैं. अगर हम इग्नोर करना शुरू कर दें तो काफी समस्याओं का हल निकल आएगा.
एक कहावत है कि जो आप के साथ जैसा करे आप उस के साथ वैसा ही व्यवहार करें. कई बार यह जरूरी भी हो जाता है. सामने वाला जिस तरह का व्यवहार करे, यह भी जरूरी नहीं कि आप उस की तरह ही नीचे गिर जाएं. कई बार हमें न चाहते हुए भी कुछ लोगों को इग्नोर करना पड़ता है. इन में से कुछ रिश्ते अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे. कुछ खट्टे होते हैं तो कुछ मीठे.
जरूरी है नजरअंदाज करना
कुछ लोग बिना बात के ही सिर पर बैठ जाते हैं. बातबात पर या तो रोकटोक करेंगे या कुछ न कुछ ऐसा करेंगे जिस से हमें कोफ्त होती है. अगर आप की जिंदगी में भी ऐसा कोई है जिस से आप बेहद परेशान हैं तो उसे आज से ही इग्नोर करना शुरू कर दें. अगर आप नजरअंदाज कर देंगे तो सामने वाला भी धीरेधीरे समझ जाएगा. नतीजा यह होगा कि वह आप से कन्नी काटना शुरू कर देगा जिस से आप को नजात मिल जाएगी.
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जिंदगी में हम रोज कई लोगों से मिलते हैं. कुछ लोग हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं तो कुछ नहीं बन पाते. लेकिन कई बार हिस्सा बन चुके ये लोग ही हमारी जिंदगी को नासूर बना देते हैं. अगर आप ऐसी ही किसी परेशानी से दोचार हो रहे हैं तो आप यह काम कर सकते हैं. अगर आप को बारबार फोन कर के सामने वाला परेशान कर रहा है तो आप फोन न उठाएं. लेकिन बात हद से ज्यादा हो जाए तो आप पुलिस का सहारा भी ले सकते हैं.
अगर बात इग्नोर करने से बन जाती है तो इस से अच्छी कोई बात हो ही नहीं सकती. अगर आप सामने वाले को फोन या फिर किसी तरह का कोई जवाब नहीं देंगे तो वह जल्दी ही समझ जाएगा और अगर वह शर्मदार हुआ तो आप से खुदबखुद किनारा कर लेगा.
आप को लग रहा है कि सामने वाला हद से ज्यादा नीचे गिर रहा है. बातबात पर आप को नीचा दिखा रहा है. बेमतलब आप को खरीखोटी सुना रहा है. तो, आप उस की तरह व्यवहार बिलकुल न करें. जरूरी नहीं है कि जैसा वह करे वैसा ही आप भी करें. आप में और उस में कुछ न कुछ फर्क तो रहना ही चाहिए. सामने वाला आप से गलत शब्दों में बात कर रहा है तो आप कतई वैसा न करें. उस को इग्नोर करना ही बेहतर होगा. कहते हैं फालतू की बातों और फालतू के लोगों पर ध्यान न देना खुद के लिए अच्छा होता है.
इग्नोर करने से बात नहीं बन रही है तो आप सामने वाले को सख्ती से समझा दें. आप को कोई बात चुभ गई है या कोईर् हरकत पसंद नहीं है तो आप सख्ती से भी बता सकती हैं. आप के सख्ती दिखाने की देर है, वह शख्स अगली बार से आप के सामने फटकेगा ही नहीं.
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यह सख्ती सिर्फ किसी शख्स पर ही लागू नहीं होती. कई बार हमारे आसपास के रिश्ते भी हमें परेशान कर देते हैं. कई बार घर के ही किसी व्यक्ति से हम परेशान हो जाते हैं. औफिस में साथ में काम करने वाले लोग कई बार हमारी परेशानी को बढ़ा देते हैं. रिश्तेदार बिना मतलब खून पीना शुरू कर देते हैं. समाज में असमाजिक तत्त्व जान लेने को उतारू रहते हैं. ऐसे में व्यवहार में इग्नोर करने की प्रवृत्ति के साथसाथ सख्ती जरूरी हो जाती है.