Winter Special: ठंड में अगर हाथ-पैर सुन्न पड़ जाए तो अपनाएं ये 7 उपाय

सर्दियों में कभी-कभी हमारे हाथ-पैर और उनकी उंगलियां के सुन्न पड़ जाती है. जिससे हमें किसी भी चीज को छूने का एहसास मालूम नहीं पड़ता. इसके साथ ही हो सकता है कि आपको प्रभावित स्‍थान पर दर्द, कमजोरी या ऐठन भी महसूस होती हो. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे लगातार हाथों और पैरों पर प्रेशर, किसी ठंडी चीज को बहुत देर तक छूते रहना, तंत्रिका चोट, बहुत अधिक शराब का सेवन, थकान, धूम्रपान, मधुमेह, विटामिन या मैग्‍नीशियम की कमी आदि. ऐसे में प्रभावित जगह पर झनझनाहट, दर्द, कमजोरी और ऐंठन के लक्षण दिखाई देते हैं.

इस समस्या का प्रमुख कारण रक्त वाहिनियों का संकुचित होना है. दरअसल सर्दियों में दिल पर काफी जोर पड़ता है जिससे रक्त वाहिनियां संकुचित हो जाती हैं और शरीर के विभिन्न अंगों में आक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. रक्त संचार पर असर पड़ने की वजह से शरीर के विभिन्न अंग सुन्न पड़ जाते हैं.

वैसे तो सर्दियों में हाथ-पैर का सुन्न होना या उनमें झनझनाहट होना एक आम समस्या है पर अगर यह समस्या आपके शरीर के किसी अंग में लम्बे समय तक बनी रहती है तो यह एक गम्भीर बिमारी का रूप भी ले सकती है ऐसे में इसका उपचार करना बेहद जरूरी है.

तो आइये जानते हैं कि आप कैसे इस तरह की समस्या से निजात पा सकती हैं

1. मसाज करें

जब भी हाथ पैर सुन्‍न हो जाएं तो हल्के हाथों से उस पर मसाज करें. इससे ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है. मसाज करने के लिए जैतून, नारियल या फिर सरसो के तेल को गुनगुना कर प्रभावित अंगो पर लगाकर हल्के हाथों से मले. इसके अलावा आप प्रभावित जगह पर रक्त संचार बढ़ाने के लिए गर्म पानी से भी सेंक सकती हैं. इससे मांसपेशियों और नसों को काफी आराम मिलता है.

2. डाइट में शामिल करें विटामिन्स

अगर हाथ पैरों में झनझनाहट होती है तो उसे दूर करने के लिए अपने आहार में विटामिन बी, बी6 और बी12 शामिल करें. इसके अलावा ओटमील,दूध, पनीर, दही, मेवा, केला, बींस आदि को भी अपने आहार का हिस्सा बनाएं.

3. व्‍यायाम

व्‍यायाम करने से शरीर में ब्‍लड र्स्‍कुलेशन होता है और वहां पर आक्‍सीजन की मात्रा बढ़ती है. इसलिए रोजाना 15 मिनट व्‍यायाम करना चाहिये. इसके अलावा रोजाना 15 मिनट एरोबिक्‍स करें, जिससे आप हमेशा स्‍वस्‍थ बनी रहें.

4. हल्दी है फायदेमंद

हल्दी में रक्त संचार बढ़ाने वाले तत्व पाए जाते हैं. साथ ही यह सूजन और दर्द कम करने में भी लाभकारी होता है. हल्दी-दूध का सेवन करने से हाथों-पैरों की झनझनाहट दूर होती है. इसके अलावा हल्दी और पानी के पेस्ट से प्रभावित जगह की मसाज करने से भी यह समस्या दूर होती है.

5. दालचीनी

दालचीनी में कैमिकल और न्‍यूट्रियंट्स होते हैं जो हाथ और पैरों में ब्‍लड फ्लो को बढ़ाते हैं. एक्‍सपर्ट बताते हैं रोजाना 2-4 ग्राम दालचीनी पावडर को लेने से ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है. इसको लेने का अच्‍छा तरीका है कि एक गिलास गरम पानी में 1 चम्‍मच दालचीनी पाउडर मिलाएं और दिन में एक बार पियें या फिर 1 चम्‍मच दालचीनी और थोड़ा शहद मिला कर सुबह के समय कुछ दिनों तक सेवन करें.

6. धूम्रपान से रहें दूर

हाथ-पैर के सुन्न पड़ने की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप लंबे समय तक ठंड में रहने से बचें. अचानक अगर हाथ व पैर सुन्न हो जाते हैं तो तुरंत रगड़कर रक्त संचार बढ़ाएं. इसके अलावा धूम्रपान से दूरी बनाए रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पेरिफेरल आर्टरी डिसीज होता है और पैरों में रक्त का संचार ठीक तरीके से नहीं हो पाता.

7. प्रभावित हिस्‍से को ऊपर उठाएं

हाथ और पैरों के खराब ब्‍लड सर्कुलेशन से ऐसा होता है. इसलिये उस प्रभावित हिस्‍से को ऊपर की ओर उठाइये जिससे वह नार्मल हो सके. इससे सुन्‍न वाला हिस्‍सा ठीक हो जाएगा. आप अपने प्रभावित हिस्‍से को तकिये पर ऊंचा कर के भी लेट सकती हैं.

Winter Special: आर्थराइटिस के दर्द से कैसे बचें

सर्दी बढ़ने के साथ ही जोड़ों में तकलीफ तथा आर्थराइटिस के मरीजों की समस्याएं भी सामने आने लगी हैं. अकसर सर्दी के दिनों में ऐसे लोगों की स्थिति बहुत खराब हो जाती है. दर्द और तकलीफ बढ़ जाती है. इस मौसम में जोड़ों के टिश्यू सूज जाते हैं, इस से दर्द नियंत्रित करने वाली नसों पर दबाव पड़ता है.

आर्थराइटिस के शिकार लोगों के लिए सर्दी में जोड़ों और हड्डियों की बीमारी से निबटने में निम्न उपाय सहायक होंगे.

सर्दी के मौसम में आर्थराइटिस की समस्याओं को दूर रखने के लिए सब से महत्त्वपूर्ण है गरम रहना. ठंडक में हड्डियों को साइलैंट नुकसान होता रहता है. इसलिए दर्द से बचने के लिए कपड़े पहन कर गरम रहना सब से आसान काम है.

– जोड़ों के दर्द को दूर रखने के लिए विटामिन डी एक आवश्यक तत्त्व है. इस के लिए ज्यादा से ज्यादा धूप में रहना आवश्यक है. धूप में रहने से न सिर्फ शरीर गरम होता है बल्कि विटामिन डी भी मिलता है जिस की आवश्यकता शरीर को होती है. आप चाहें तो विटामिन डी के सप्लीमैंट भी ले सकते हैं.

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– जाड़े में अकसर लोग हाइड्रेटेड रहना भूल जाते हैं और शरीर में पानी का स्तर कम होने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं होती हैं, खास कर, शरीर में दर्द होने लगता है. ढेर सारा पानी पीने से शरीर सक्रिय रहता है और दर्द के प्रति कम संवेदनशील होता है.

जाड़े के मौसम में घर में घुसे रहने से मोटापा भी बढ़ता है. घर में ज्यादा रहने के साथ स्वादिष्ठ भोजन ज्यादा खाया जाता है और इस से मोटापा बढ़ता है. वजन ज्यादा होना घुटने और पैरों के लिए भी समस्या पैदा करता है.

– वैसे तो ठंड में व्यायाम और काम करना ही चुनौती है पर यह महत्त्वपूर्ण है कि सक्रिय रहा जाए. इसलिए, थोड़ा व्यायाम आवश्यक है. अगर शरीर स्थिर रहता है तो स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ जाती हैं.

–  आर्थराइटिस के शिकार लोगों के लिए गरम पानी से स्नान करना बहुत उपयोगी हो सकता है. गरम पानी में तैरना या स्टीम बाथ शरीर के लिए बहुत लाभप्रद है.

– फिश औयल में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है. यह हड्डियों की समस्या वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी होता है. इस से सूजन का स्तर कम हो जाता है. हालांकि, यह महत्त्वपूर्ण है कि फिश औयल सप्लीमैंट डाक्टर की सलाह से लिए जाएं.

शरीर की अच्छी तरह मालिश कराने से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द कम करने में सहायता मिलती है.

डा. यश गुलाटी

जौइंट रिप्लेसमैंट ऐंड स्पाइन सीनियर कंसल्टैंट, अपोलो, दिल्ली   

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Winter Special: सर्द हवाओं से रहें संभल कर

खुशगवार सर्दी का मौसम अपने साथ हैल्थ से संबंधित समस्याएं भी लाता है. इस का सब से बड़ा कारण बदलते मौसम की अनदेखी करना है. बदलते मौसम की वजह से वायरल, गले का इन्फैक्शन, जोड़ों में दर्द, डेंगू, मलेरिया, निमोनिया, अस्थमा, आर्थ्राइटिस, दिल व त्वचा से संबंधित समस्याएं अधिक बढ़ जाती हैं. अगर इस मौसम का लुत्फ उठाना है, तो अपनी दिनचर्या को मौसम के अनुरूप ढालना बेहद जरूरी है.

सर्दियों में किसी भी तरह के बुखार को अनदेखा न करें. छाती का संक्रमण हो या टाइफाइड अथवा वायरल, इस की जांच जरूर कराएं. मलेरिया का शक हो तो पीएच टैस्ट करवाएं. ये सभी जांचें बेहद सामान्य हैं तथा किसी भी अस्पताल में आसानी से हो जाती हैं.

सर्दी के शुरू होते ही आर्थ्राइटिस यानी जोड़ों के दर्द की समस्या काफी बढ़ जाती है. इस के मरीज कुनकुने पानी से नहाना शुरू कर दें. हाथपैरों को ठंड से बचा कर रखें. सुबह के समय धूप में बैठें. इस से शरीर को विटामिन डी मिलता है. प्रोटीन और कैल्सियमयुक्त डाइट लें और ठंडी चीजों का सेवन न करें.

गरमी के बाद एकदम सर्दी आने पर हड्डियों, साइनस और दिल से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ जाती हैं. हाई ब्लडप्रैशर और दिल के रोगियों के लिए यह मौसम अनुकूल नहीं होता. ऐसे में बेहद जरूरी है कि बाहर के बदलते तापमान के अनुसार शरीर के तापमान को नियंत्रित रखा जाए. जरूरत से ज्यादा खाने से भी बचें, क्योंकि सर्दियों में फिजिकल वर्क कम हो जाता है, जो वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है. सादा और संतुलित भोजन लें और नमक का कम प्रयोग करें. तनाव व डिप्रैशन से दूर रहने के लिए खुद को अन्य कामों में व्यस्त रखें. छाती में किसी भी कारण दर्द महसूस हो या जलन बनी रहे तो इसे हलके में न लें. डाक्टर को जरूर दिखाएं.

सांस से संबंधित बीमारियां भी इस मौसम में अपना असर दिखाने लगती हैं. एहतियात के तौर पर सांस की बीमारियों के मरीजों को बंद कमरे में हीटर आदि नहीं चलाना चाहिए, इस से हवा में औक्सीजन कम हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है. तेज स्प्रे, कीटनाशक, धुआं या कोई गंध जिस से सांस में तकलीफ हो, उस से भी दूर रहें. परेशानी ज्यादा बढ़ने पर डाक्टर की सलाह लें.

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त्वचा और केशों से जुड़ी समस्याएं भी सर्दियों से अछूती नहीं हैं. हथेलियों और एडि़यों में दरारें पड़ना, नाखूनों का कमजोर पड़ना, होंठों के फटने और सूखने की समस्या, सिर में खुश्की और रूखापन तथा केशों के झड़ने की समस्या सर्दियों में हो सकती है.

बीमारियों से बचाव के टिप्स

बच्चों के कपड़ों आदि का पूरा ध्यान रखें. उन के हाथपैरों और सिर को ढक कर रखें. उन्हें गीले कपड़ों में न रहने दें. ठंडी चीजें न खिलाएं और ठंडी हवा में बाहर न जाने दें. बच्चों के लिए थोड़ी सी भी सर्दी हानिकारक हो सकती है.

अस्थमा से पीडि़त और बुजुर्ग धुंध छंटने के बाद ही बाहर निकलें. दवाएं और इनहेलर वक्त पर लेते रहें.

हाथपैरों को फटने और नाखूनों को टूटने से बचाने के लिए उन्हें रात को हलके गरम पानी में नमक डाल कर धोएं, फिर अच्छी तरह सुखा कर कोई कोल्ड क्रीम लगाएं. होंठों पर ग्लिसरीन लगाएं.

ऐलर्जी से पीडि़त लोग साबुन, डिटर्जैंट और ऊनी कपड़ों के सीधे संपर्क से बचें.

कभी खाली पेट घर से बाहर न निकलें, क्योंकि खाली पेट शरीर को कमजोर करता है. ऐसे में वायरल इन्फैक्शन का डर ज्यादा रहता है.

मौसमी फलसब्जियां जरूर खाएं. बासी खाना या पहले से कटी हुई फलसब्जियां न खाएं.

अगर मौर्निंग वाक की आदत है तो हलकी धूप निकलने के बाद ही बाहर टहलने निकलें.

जिन्हें ऐंजाइना या स्ट्रोक हो चुका हो, उन्हें इस मौसम में नियमित रूप से दवा लेनी चाहिए और सर्दियां शुरू होते ही एक बार चैकअप करा लेना चाहिए. डाक्टर की सलाह से जरूरी दवा साथ रखें.

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ठंडे, खट्टे, तले व प्रिजर्वेटिव खाने के सेवन से इस मौसम में संक्रमण की आशंका कहीं अधिक बढ़ जाती है. इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फलों एवं ताजा दही का सेवन करें. हरी पत्तेदार सब्जियों के साथसाथ फाइबरयुक्त भोजन को भी अहमियत दें.

इस मौसम में त्वचा पर भी काफी प्रभाव पड़ता है. त्वचा में रूखापन बढ़ जाता है. इसलिए अधिक मसालेदार और तलाभुना खाना न खाएं, क्योंकि यह त्वचा को खुश्क बनाता है.

सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पानी पीना कम न करें. इस मौसम में आमतौर पर लोग पानी कम पीते हैं, जो सही नहीं है. इस से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिस कारण कई दिक्कतें आती हैं.

Winter Special: जानिए सर्दियों में होती है कितने तरह की एलर्जी, बचने के लिए करें ये उपाय

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

हर मौसम का अपना मजा है, लेकिन हर मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. वसंत ऋतु की शुरूआत के साथ एलर्जी की समस्या भी शुरू हो जाती है. वैसे तो ठंड के मौसम में सर्दी, जुकाम , फ्लू जैसी समस्या होना आम है, लेकिन इन दिनों में लोग एलर्जी की शिकायत भी करते हैं. हालांकि लोग फ्लू और एलर्जी के बीच अंतर नहीं कर पाते, ऐसे में तकलीफ बढ़ जाती  है. इसलिए एलर्जी के संकेतों और इसकी रोकथाम के तरीकों से जागरूक रहना बेहद जरूरी हैं. वैसे सर्दी और एलर्जी के बीच सबसे बड़ा अंतर अवधि का है. जुकाम आमतौर पर 10 दिनों तक रहता है, जबकि एलर्जी हफ्तों या महीनों तक जारी रह सकती है. सर्दियों में एलर्जी एक नहीं बल्कि कई तरह की होती है. तो आइए आपकी मदद के लिए हम यहां आपको बताते हैं विंटर एलर्जी क्या और कितने तरह की होती है.

सर्दियों में होने वाली सामान्य एलर्जी-

धूल और प्रदूषक-

सर्दियों के मौसम में ताप की जरूरतों के कारण ऊर्जा की खपत बहुत ज्यादा होती  है, जो हवा में विषाक्त पदार्थ छोड़ती है. सर्दियों के मौसम में हवा शुष्क होती है और गर्मी के मौसम में हवा की तुलना में इसमें ज्यादा प्रदूषण होता है. हवा में मौजूद धूल और अन्य प्रदूषक लोगों में एलर्जी का कारण बन सकते हैं.

मोल्ड-

अंधेरा, ठंडा और नम वातावरण मोल्ड के लिए एक अच्छा प्रजनन स्थल  है. यह लोगों में एलर्जी पैदा करने वाले सबसे आम  कारकों में से एक  है, जो सर्दी के मौसम में बढ़ जाता है.

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पालतू जानवरों की फर-

घर में पले पालतू जानवरों की रूसी और फर के कारण एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है. यह फर जब कपड़ों और घर में कई जगह गिर जाती है, तो इससे एलर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है.

धूल के कण-

सर्दी गर्म कपड़ों का मौसम है. हालांकि, धूल के कण कपड़ों में फंसने और घर के अंदर की हवा में जमा होने से लोग एलर्जी का शिकार हो जाते हैं.

सर्दियों में होने वाली एलर्जी से कैसे बचा जा सकता है-

– जितना हो सके, घर को धूल, मिट्टी से मुक्त रखें.

– सप्ताह में एक या दो बार कालीन को वैक्यूम क्लीन करें.

– घर के पर्दे और शेड धूल मुक्त होने चाहिए.

– घर में ज्यादा नमी से बचें. क्योंकि ज्यादा नमी से मोल्ड का विकास बहुत तेजी से होता है.

– धूम्रपान से बचना चाहिए.

– अगर आपके घर में पेट्स हैं, तो हो सके तो इन्हें घर से बाहर रखें और हफ्ते में इन्हें एक बार नहलाएं.

सर्दियों में होने वाली एलर्जी के लक्षण लगभग मौसमी एलर्जी की तरह ही दिखते हैं. ऐसे में एलर्जी की दवा लेना, नाक और साइनस की सफाई करना या फिर घरेलू उपाय लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं.

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Winter Special: इस सर्दी नहीं होगा आपके जोड़ों में दर्द

शरीर के मजबूत जोड़ हमें सक्रिय रखते हैं और चलने-फिरने में मदद करते हैं. जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है, इस बात की आपको जानकारी होनी चाहिए. जोड़ों की देखभाल और मांसपेशियों तथा हड्डियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, स्थिर रहें.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ आसान उपाय आजमा कर आप अपनी सर्दियां बिना किसी दर्द के काट सकते हैं.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना. शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों, विशेषकर घुटने के जोड़ों पर दबाव बनाता है.

व्यायाम से अतिरिक्त वजन को कम करने और वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाने का अभ्यास करें.

वैसे लोग जो अधिक समय तक कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, उनके जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक रहती है. जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनी स्थिति को लगातार बदलते रहिए.

यदि व्यायाम को अच्छे से किया जाए तो एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो आपको स्वस्थ होने का अनुभव देता है. एक दिन में कम से कम 20-40 मिनट तक जरूर टहलें.

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मजबूत मांसपेशियां जोड़ों का समर्थन करती हैं. यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो इससे आपके जोड़ों में विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों में दर्द होगा.

बैठने का सही तरीका भी आपके कूल्हे और पीठ की मांसपेशियों की रक्षा करने में मदद करता है. कंधों को झुकाकर न खड़े हों. सीढ़ी चढ़ना दिल के लिए अच्छा है, लेकिन अगर सीढ़ी अप्राकृतिक है, तो यह आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है.

स्वस्थ आहार खाना आपके जोड़ों के लिए अच्छा है. यह मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. हमें हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है.

अगर आपको नियमित भोजन से जरूरी मिनरल लेने में समस्या हो रही है, तो सप्लिमेंट ले सकते हैं.

वर्तमान में, निर्धारित जरूरत के अनुसार 50 साल की उम्र तक के वयस्क पुरुषों और महिलाओं को नियमित रूप से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 के बाद नियमित रूप से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

71 साल की आयु के बाद 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम पुरुष और महिला दोनों ले सकते हैं. इसे आप दूध, दही, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जी, कमल स्टेम, तिल के बीज, अंजीर और सोया या बादाम दूध जैसे पौष्टिक आहार को खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर कैल्शियम की जरूरत पूरी कर सकते हैं.

हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. आप जो आहार खाते हैं, उसमें विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण में मदद करता है. यह हड्डियों के विकास और हड्डी के ढांचे को सक्षम बनाता है.

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विटामिन डी की कमी मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, जो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने के लिए जिम्मेदार होता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. डेयरी उत्पाद और कई अनाज, सोया दूध और बादाम के दूध में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है.

जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व कम होता है और उनके फ्रैक्चर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. यह संभवत: कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास और शक्ति को प्रभावित करने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के उत्पादन को कम करने से संबंधित है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जिम्मेदार होते हैं.

सर्दियों में ऐसे करें अपने दिल की देखभाल

लेखक डॉ. ज़ाकिया खान, सीनियर कंसलटेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण 

जैसे-जैसे तापमान गिरने लगता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ने लगता है. ठंड का मौसम हृदय संबंधी समस्याओं के लिए जोखिम पैदा कर सकता है. यहाँ जानिए इससे संबंधित आवश्यक बातें.

ठंड का मौसम और हृदय स्वास्थ्य

ठंड का मौसम आपके हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति को कम कर सकता है. यह आपके हृदय को अधिक काम करने के लिए मजबूर कर सकता है; नतीजतन आपका दिल अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त की मांग करता है. दिल में ऑक्सीजन की कम सप्लाई होना फिर दिल द्वारा ऑक्सीजन की अधिक मांग हार्ट अटैक का कारण बनता है. ठंड रक्त के थक्कों को विकसित करने के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, जिससे फिर से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.

ठंड का मौसम थकान पैदा करता है और हार्ट फेलियर का कारण बनता है. ठंड का मौसम आपके शरीर को गर्म रखने के लिए आपके दिल को अधिक मेहनत कराता है. आपकी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं ताकि हृदय आपके मस्तिष्क और अन्य प्रमुख अंगों में रक्त पंप करने पर ध्यान केंद्रित कर सके. यदि आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री से नीचे चला जाता है तो हाइपोथर्मिया हो सकता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा सामान्य से अधिक तेजी से चलना तब आम है जब आपके चेहरे पर हवा लग रही हो. ठंड में बाहर रहना हमें अधिक काम करने के लिए उत्तेजित करता है.

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फ्लू का प्रभाव

पहले से ही हृदय रोग के जोखिम वाले लोगों में मौसमी फ्लू का होना हार्ट अटैक को ट्रिगर कर सकता है. यह बुखार का कारण बनता है जिससे आपका दिल तेजी से धड़कता है (जिससे ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है). फ्लू डिहाइड्रेशन का कारण भी बन सकता है, जो आपके रक्तचाप को कम कर सकता है (हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम कर सकता है). फिर जब मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. यदि आपको हृदय की समस्या है तो यह सलाह दी जाती है कि आप फ्लू के टीके लगवाने के लिए अपने जीपी से बात करें.

सबसे अधिक जोखिम

बुजुर्ग लोगों और बहुत छोटे बच्चों के लिए अपने तापमान को विनियमित करना कठिन होता है. अत्यधिक तापमान उन्हें अधिक जोखिम में डालता है. अपने स्वयं के स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, ठंड के दिनों में बुजुर्ग और अस्वस्थ्य दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यह सुनिश्चित करें कि वे गर्म और आरामदायक माहौल में हों. सुनिश्चित करें कि आप हार्ट अटैक के लक्षणों और संकेतों को पहचान सकते हैं और तुरंत इसकी जानकारी किसी मेडिकल एक्सपर्ट को दे सकते हैं.

चेतावनी के संकेत

यदि आप सीने में दर्द महसूस कर रहे हैं जो असहनीय है और वह आपकी गर्दन, कंधे और हाथ तक रैडीऐट हो रहा है, तो यह हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण है. लक्षण पुरुषों और महिलाओं के लिए भिन्न हो सकते हैं. पुरुष कभी-कभी मतली और चक्कर आने की शिकायत करते हैं जबकि महिलाएं चक्कर आना और थकान जैसे असामान्य लक्षण की शिकायत करती हैं.

स्वस्थ रहें, अपने दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखें, एक सक्रिय जीवन जीएं और इस सर्दी के मौसम में अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए नीचे दिए गए सुझावों का पालन करें:

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● स्वस्थ आहार खाएं

• कम से कम 30 मिनट तक नियमित व्यायाम करें.

• अपने तनाव को कम करें.

• अपने रक्त शर्करा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखें.

• यदि आप अपने शरीर में कुछ अनियमित महसूस करते हैं, तो अपने चिकित्सक से मिलें.

• त्योहारों के दौरान असंतुलित खाने से बचें; हल्का और स्वस्थ भोजन ही खाएं.

 इम्यूनिटी बढ़ाने के 7 टिप्स

2020 हम सब के लिए काफी अलग रहा. घूमनेफिरने पर रोक, लोगों से मिलनेजुलने की मनाही यानी लाइफस्टाइल पूरी तरह से बदल गई थी. लेकिन अब जब हम 2021 में नई उम्मीदों के साथ कदम रख चुके हैं तो हमें अपने अंदर पौजिटिविटी लाने के साथसाथ न सिर्फ अपनी मैंटल, बल्कि फिजिकल हैल्थ पर भी काफी ध्यान देना होगा ताकि खुद को फिट रख कर हर बीमारी से लड़ सकें.

तो आइए जानते हैं उन 7 चीजों के बारे में, जिन्हें आप अपने लाइफस्टाइल में ला कर अपनी इम्यूनिटी को बूस्ट कर सकते हैं.

खानपान का रखें खास खयाल

जब भी हमारा ब्रेन थक जाता है तो वह सिगनल जरूर देता है जैसे आप काम में मन नहीं लगा पाते, अच्छी तरह नहीं सोच पाते. ऐसा अकसर तब होता है जब आप भरपूर नींद नहीं लेते हैं या फिर सोने के समय को टीवी या फिर मोबाइल देखने में लगा देते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप का ऐसा करना आप की इम्यूनिटी को भी कमजोर बनाने का कारण बन सकता है? एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि नींद और हमारी इम्यूनिटी सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं, क्योंकि जब हम सोते हैं तो हमारा इम्यून सिस्टम कुछ खास तरह के कीटौकिंस रिलीज करता है, जो इन्फैक्शन, जलन, सूजन और तनाव को कम करने में सहायक होता है.

लेकिन जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो ये सुरक्षा प्रदान करने वाले टौक्सिंस और संक्रमण से लड़ने वाली ऐंटीबौडीज बननी कम हो जाती हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाने का काम करती हैं. इसलिए जरूरी है कि रोज 6-7 घंटे की नींद जरूर लें खासकर रात की नींद से बिलकुल सम?ौता न करें.

दिमाग को दें आराम

कोरोना महामारी के कारण पिछले कुछ महीनों से घर में रहने के कारण हमारा लाइफस्टाइल काफी खराब हो गया है. ज्यादा खाने की हैबिट व ऐसे स्नैक्स को पसंद करने लगे हैं, जिन में न्यूट्रिऐंट्स बहुत कम होते हैं और फैट्स, शुगर व साल्ट की मात्रा काफी होती है, जो शरीर को अंदर से खोखला बनाने के साथसाथ आप को बीमारियों की गिरफ्त में भी ला देती है.

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रिसर्च में यह साबित हुआ है कि प्लांट बेस्ड फूड्स, सब्जियां, फल ऐंटीऔक्सीडैंट्स में रिच होने के साथसाथ बीटा कैरोटिन, विटामिन सी, डी और ई जैसे न्यूट्रिऐंट्स प्रदान करते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने के साथसाथ औक्सिडेटिव स्ट्रैस को भी कम करने में मदद करते हैं.

बीटा कैरोटिन में ऐंटीऔक्सीडैंट्स होने के कारण ये शरीर में बीमारियों से लड़ने वाले सैल्स को बढ़ा कर जलन व सूजन को कम करने तथा इम्यूनिटी को मजबूत बनाने का काम करते हैं. इस के लिए आप अपनी डाइट में गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियों को जरूर शामिल करें.

विटामिन ए और सी शरीर में फ्री रैडिकल्स को खत्म कर के इम्यून सिस्टम को सुचारु रूप से काम करने में मदद करते हैं. इस के लिए आप अपनी डाइट में संतरा, ब्रोकली, नट्स, पालक, नीबू, स्ट्राबेरी तथा फलों व सब्जियों को शामिल करें. आप विटामिन डी के लिए सुबह की धूप लेने के साथसाथ सप्लिमैंट्स भी लें, जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं.

इस से आप की बौडी इन्फैक्शन से लड़ने में सक्षम बन जाती है. अत: आप बीमारियों से बचना है तो अपने खानपान में हैल्दी चीजों को जरूर शामिल करें.

से नो टु अलकोहल

शराब का एक जाम आप की रात को सुहावना बना देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप की रोजाना शराब पीने की आदत आप की इम्यूनिटी को भी प्रभावित करने का काम करती है? एक अध्ययन के अनुसार, अलकोहल के ज्यादा सेवन करने से फेफड़ों व ऊपरी स्वशन तंत्र में इम्यून सैल्स को काफी नुकसान पहुंचता है. इसलिए नए साल से अलकोहल को अपनी जिंदगी से करें आउट.

हो सकता है शुरुआत में आप को इसे छोड़ने में दिक्कत हो, लेकिन आप की विल पावर इसे छोड़ने में आप की मदद करेगी. जब भी आप का मन शराब पीने का करे तो नीबू पानी, सूप, जूस लें, क्योंकि ये शरीर को डीटौक्स करने के साथसाथ आप को अलकोहल से दूर करने में भी आप की मदद करेंगे.

बूस्ट योर इम्यूनिटी

कुछ शोधों में साबित हुआ है कि ऐक्सरसाइज से इम्यूनिटी बूस्ट होती है. लेकिन आजकल लोगों का रूटीन इतना बिजी हो गया है कि वे खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं. ऐसे में अगर आप के पास मौडरेट ऐक्सरसाइज करने के लिए समय नहीं है तो आप रोज 15 मिनट ऐक्सरसाइज जरूर करें. इस में आप ब्रिस्क वाक, जौगिंग, साइक्लिंग को शामिल कर सकते हैं.

अगर आप को स्विमिंग का शौक है तो यह आप के लिए काफी अच्छी ऐक्सरसाइज साबित होगी. रिसर्च में यह भी साबित हुआ है कि अगर आप हफ्ते में 150 मिनट मौडरेट ऐक्सरसाइज करते हैं तो यह आप के इम्यून सैल्स के पुनर्निर्माण में मदद करती है.

पानी से रखें खुद का खयाल

क्या आप जानते हैं कि 60% तक वयस्क शरीर पानी से बना होता है, जिस में फेफड़ों में 83% पानी और हार्ट और ब्रेन में 73% पानी होता है? आप के शरीर के हर सिस्टम को ठीक से काम करने के लिए पानी की जरूरत होती है. लेकिन जब हम खाना खाते हैं, सांस लेते हैं या फिर जब शरीर से पसीना निकलता है तो हमारे शरीर से पानी कम होता है, जिस की पूर्ति हम जो पानी या फिर फ्लूड लेते हैं उस से पूरी होती है.

इसलिए जरूरी है कि दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं. पानी के जरीए औक्सीजन और न्यूट्रिऐंट्स पूरी बौडी में पहुंच कर विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल कर आप को बीमारियों से बचाते हैं. इसलिए खूब पानी, नीबू पानी, कुनकुना पानी पीएं. क्योंकि ये ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव करने, बौडी को डीटौक्स कर के आप की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने का काम करते हैं.

मैंटेन करें हैल्दी वेट

इम्यून सिस्टम विभिन्न तरह के सैल्स से बनता है, जो शरीर को बैक्टीरिया, वायरस से बचाने का काम करता है. इन सब को शरीर में एकसाथ संतुलन के साथ रहना होता है ताकि शरीर फिट रहे. लेकिन शरीर में जब फैट की मात्रा अधिक हो जाती है तो यह इम्यून सैल्स को कमजोर बनाने का काम करता है, जिस से शरीर बीमारियों से अच्छी तरह लड़ नहीं पाता और कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है.

इसलिए इम्यून सिस्टम को ठीक से कार्य करने के लिए अपने वेट को मैंटेन रखें.

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स्ट्रैस को कहें बायबाय

हमारी लाइफ में कब कैसी स्थिति आ जाए, कहा नहीं जा सकता. ऐसे में न चाहते हुए भी हम स्ट्रैस की गिरफ्त में आ जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस के कारण शरीर में जलन व सूजन होने से हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, क्योंकि जब हम तनाव में रहते हैं तो हमारे इम्यून सिस्टम की एंटीजन्स से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, जिस से हमें इन्फैक्शन होने का डर काफी बढ़ जाता है.

इसलिए स्ट्रैस में न रहें. स्ट्रैस को कम करने के लिए चाहे जैसी भी परिस्थिति हो पौजिटिव सोचें, ब्रेन को आराम दें, नियमित ऐक्सरसाइज करें, हैल्दी ईटिंग हैबिट्स फौलो करें. इस तरह अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर अपनी इम्यूनिटी को बूस्ट कर सकते हैं.

जानें ब्राउन राइस के हेल्थ के लिए ये 10 फायदे

जब भी बात वजन घटाने कि आती है तो चावल से दूरी बनाने कि सलाह दी जाती है. कई डाइटीशियन चावल को डाइट से पूरी तरह आउट कर देते है. ऐसे में चावल के शौकीन लोग  अपनी डाइट के साथ चीटिंग भी करने लगते है. ऐसे में उन चावल लवर्स के लिए ब्राउन राइस एक बेहतरीन विकल्प हैं. ब्राउन राइस व्हाइट राइस की तुलना में अधिक फायदेमंद होता है. जो लोग हेल्दी डाइट और वजन कम करने में रुचि रखते हैं और चावल खाने से परहेज करते है, उनके लिए ब्राउन राइस एक बेहतर ऑप्शन है. कैलोरी कम करने के साथ इसके कई फायदे हैं. आइए जानते हैं ब्राउन राइस से होने वाले फायदे के बारे में-

1. पोषक तत्व से है भरपूर

ब्राउन राइस खाने का एक सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि चावल के पोषक तत्व जैसे मिनरल, फाइबर विटामिन बी कॉम्पलैक्स यूं ही बरकरार रहते हैं. जबकि व्हाइट राइस में यह पोषक तत्व काफी हद तक कम हो जाते हैं. इस में डाइटरी फाइबर मौजूद होने के कारण वजन घटाने में भी ये काफी सहायक होता हैं. इसलिए व्हाइट राइस की अपेक्षा ब्राउन राइस खाना स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी होता है. इसमें एंटीओक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं जो कि फल सब्जियों में पाए जाते हैं. ब्राउन राइस में सैलेनियम कि मात्र भी अधिक ज्यादा होती हैं, जो कि हृदय रोग, कैंसर और गाठिया जैसी गंभीर बीमारी से दूर रखता हैं.

2. बीमारियों से रखता हैं दूर

ब्राउन राइस अनेक प्रकार कि बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है. यह वजन कम करने से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों दूर रखता है. आइए जानते हैं ब्राउन राइस से होने वाले स्वास्थय लाभ-

3. कोलेस्ट्रोल के स्तर को करता है कम

कोलेस्ट्रोल लेवल का बढ़ना यानी दिल से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका. कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने के लिए ब्राउन राइस खाने की सलाह दी जाती है. ब्राउन राइस में फाइबर होता है जो पचाने के साथ एलडीएल कोलेस्ट्रोल को कम करने में भी मदद करता हैं.

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4. हृदय रोग

मेनोपोज होने के बाद महिलाओं में तरह तरह की प्रोब्ल्म्स शुरू हो जाती है. जैसे केलोस्ट्रोल का बढ़ना, हाई ब्लड प्रैशर, सांस फूलना, हार्टअटैक या अन्य हृदय रोग. ऐसे में डाक्टर इन महिलाओं को सप्ताह में 6 बार साबुत अनाज, विशेष तौर पर ब्राउन राइस खाने की सलाह देते हैं. ब्राउन राइस का सेवन लाभदायक माना जाता हैं. ज्यादातर दिल की बीमारियां धमनियां ब्लॉक होने के वजह से होती है. ब्राउन राइस खाने से धमनियां ब्लॉक नहीं होती और दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है. अमेरिका के रिसर्च के अनुसार यह पता चला है की, जो महिलाएं सप्ताह में 6 बार साबुत अनाज और ब्राउन राइस का सेवन करती हैं, उनकी धमनियों में जमा होकर उनको जाम करने वाली पट्टियों का बनना कम पाया गया है.

5. डाइबिटीज में होगा सुधार

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजो को उन्हीं चीजों का सेवन करना चाहिए, जिनमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 55 से कम होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है इससे ब्लड शुगर पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है, यदि मरीज 70 से ज्यादा ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीजों का सेवन करते हैं तो, यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट मरीजों को व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस खाने की सलाह देते हैं. ब्राउन राइस में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 68 होता है, जबकि व्हाइट राइस में इसकी मात्रा 73 होती है. ब्राउन राइस डाइबीटीज जैसी बीमारी को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है. इसमें मौजूद फाइबर, प्रोटीन, फाइटोकेमिक्ल्स और मिनरल्स शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को कम रखते हैं, जो डाइबीटीज के मरीज़ो के लिए फायदेमंद है.

6. पथरी रोकने में भी सहायक

ब्राउन राइस में इंसोल्यूबल फाइबर अधिक पाया जाता है जो पथरी जैसी दिक्कत को भी दूर भगाने में सहायक है. दरअसल, अमेरिकन जर्नल गेस्ट्रोएन्ट्रोलोजी में छपे एक शोध में यह उल्लेख किया गया है कि फाइबर युक्त आहार जैसे ब्राउन राइस का अधिक इस्तेमाल करने वाली महिलाएं में पथरी बनने की संभावना कम रहती है. दरअसल, इंसोल्यूब्ल फाइबर भोजन को धीरे धीरे पचाता है, यह बाइल एसिड को भी कम करता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ा कर ब्लड फैट को भी कम करता है. इसलिए ब्राउन राइस का सेवन करने की सलाह डॉक्टर से लेकर डाटीशियन भी देते हैं.

7. वजन को करता है कम

ब्राउन राइस में कैलोरीज कम होती है लेकिन इसमें फाइबर की मात्रा भरपूर पाई जाती है, जिससे मेटाबोलिजम बेहतर होता है. फाइबर खाने को धीरे धीरे पचाता है, जिससे भूख कम लगती है. भूख कम लाग्ने के वजह से ओवरइटिंग नहीं हो पाती. इससे शरीर में कैलोरी और फेट की मात्रा कम हो जाती है, जो शरीर के लिए लाभदायक हैं.

8. हड्डियां रहती है मजबूत

हड्डियों को मजबूत रखने के लिए मैग्नीशियम बहुत फायदेमंद मिनरल है और यह ब्राउन राइस में भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं. यह बोन मिनरल डेंसीटी को बढ़ाने में भी मदद करता हैं. इस के सेवन से जोड़ों में होने वाला दर्द में भी राहत मिलता हैं.

9. डिप्रेशन से आराम

ब्राउन राइस में एंटी डिप्रेशन गुण होते हैं, जो तनाव और दिमाग से संबन्धित समस्याओं से लड़ने में मदद करते हैं. इसमें मौजूद गामा- एमिनोब्यूटिरिक एसिड और ग्लूटामाइन जो एक प्रकार के एमिनो एसिड हैं, जो दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर का निर्माण करते हैं. इससे तनाव का असर दिमाग में नहीं पड़ता.

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10. बच्चों के लिए भी है लाभदायक 

ब्राउन राइस में बच्चों के विकास के लिए प्र्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और फेट होता है. जो बच्चों के दिमागी विकास के लिए काफी फायदेमंद है. इसलिए बढ़ते बच्चों को ब्राउन राइस जैसे साबुत अनाज व ऊर्जा युक्त आहार खिलाने की सलाह दी जाती है.

खतरनाक हैं टाइट कपड़े

अभी हाल की ही घटना है दिल्ली के ही पीतमपुरा निवासी 30 वर्षीय सौरभ कुछ समय पहले टाइट जींस पहन अपनी नई कार से दोस्तों के साथ ऋषिकेश के लिए रवाना हुए थे. करीब चार से पांच घंटे की यात्रा करने के बाद उन्हें पैर सोने का एहसास हुआ, लेकिन दोस्तों का साथ होने की वजह से उन्होंने इस पर गौर नहीं किया.तीन दिन बाद वापस दिल्ली आने के बाद उन्हें सांस फूलने में तकलीफ हुई तो अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक आया है. डौक्टरों ने पल्मोनरी इम्बौल्मिंग  की पुष्टि की.

क्या है ये

पल्मोनरी इम्बौल्मिंग (पीई) एक ऐसी स्थिति है जिसमें टाइट कपड़े या लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहने से रक्त संचार शरीर में रुकता है और रक्त का थक्का जमने लगता है. ऐसा होने से इंसान को दिल या दिमाग का अटैक आ सकता है.फेफड़ों में जब रक्त संचार रुकने लगता है तो मरीज जानलेवा स्थिति में आ जाता है. भारत में हर साल करीब 10 लाख मामले ऐसे सामने आ रहे हैं.

खुद  डॉक्टरों का कहना है कि टाइट कपड़े पहनना बहुत लोगों की पसंद होती है, उन्हें लगता है ऐसा पहनने से हम ज्यादा स्मार्ट नजर आएंगे. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ऐसा करने से एक दिन आपके सेहत को भारी नुकसान हो सकता है. रिसर्च में भी ये बात सामने आ चुकी है उनके यहां हर महीने एक या दो मामले आ ही जाते हैं.

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जानते हैं कैसे–

टाइट जीन्स न केवल आपके सवेंदनशील अंगो को नुक्सान पंहुचा सकता हैं. बल्कि ये ओवर आल हेल्थ को बिगाड़ सकता हैं.

1. टाइट जींस पहनने की वजह से महिलाओं को कमर से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.बहुत ज्यादा टाइट जींस पूरा दिन पहने रहने से कमर दर्द के अलावा धीरे-धीरे स्लिप डिस्क होने की आशंका भी बढ़ सकती है.

2. पुरुषों की सेहत के लिए भी टाइट जींस पहनना हानिकारक हो सकता है. दरअसल, इससे अंडकोष तक होने वाला रक्त-संचार रुकने के साथ ही अंडकोष में विकृति भी हो सकती है.जींस पहनने से रक्त-संचार की स्वाभाविक प्रक्रिया बाधित हो जाती

3. टाइट जींस पहनने से वेरिकोज वैन बीमारी जिसमें बढ़ी हुई नसें,जो आमतौर पर पैरों और तलवों में दिखती हैं, होने की आशंका रहती है.इसके अलावा टाइट जींस के कारण पैरों में ऐंठ की समस्या भी बढ़ सकती है.

4. ऐसा भी माना जाता है कि टाइट जींस पहनने से गर्भाशय का संकुचन और बांझपन का खतरा भी बढ़ सकता है.साथ ही टाइट होने की वजह से पेट पर काफी जोर पड़ता है जो आगे चलकर समस्या पैदा कर सकता है.

5. बहुत ज्यादा टाइट कपड़े पहनने से आपको उठने-बैठने में तो दिक्कत होती ही हैं साथ में आपके शरीर का शेप खराब हो जाता है. आपके पैरों की नसें दब जाती हैंजिस से आपके शरीर में झंझनाहट, सुन्न पड़ना या फिर दर्द होना शुरू हो जाता है.

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6. ज्‍यादा देर तक टाइट कपड़े पहनने से सांस लेने में भी दिक्‍कत होने लगती है. इससे शरीर में ऑक्‍सीजन प्रवाह पर दबाव पड़ता है जिस वजह से घबराहट और बैचेनी होने के साथ ही बेहोश होने की स्थिति भी हो सकती है. इसके अलावा ज्‍यादा ही टाइट कपड़े पहनने से खून प्रवाह भी बाधित हो सकता है.

7. ज्यादा टाइट जीन्स या फिर स्कर्ट पहनने से आपके पेट में दिक्कत आ सकती है. ज्यादा टाइट कपड़े पहनने से आपके पेट का फूड पाइप दब जाता है जिससे आपके फूड पाइप में एसिड बनना शुरू हो जाता है. अगर आपको भी बहुत ज्यादा टाइट कपड़े पहनने का शौक है, तो सावधान हो जाइए.

एकेडमी ऑफ फेमेली फिजिशियंस औफ इंडिया नोएडा के अध्यक्ष ,डॉ. रमन कुमार से बातचीत पर आधारित..

गौर सिटी 1 ,नोएडा एक्सटेंशन, सेक्टर 4

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