सर्दियों में होने वाली परेशानियों का ये है आसान इलाज

सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम, गले की खराश, जैसी समस्याएं आम हैं. खराश की समस्या को जल्दी ठीक करना जरूरी है, नहीं तो ये खांसी का रूप ले लेती है. इस खबर में हम आपको बताने वाले हैं कि सर्दी, खांसी, खराश जैसी समस्याओं का दवाइयों के बिना, घरेलू नुस्खों की मदद से कैसे इलाज कर सकते हैं.

इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. गले के इंफेक्शन और दर्द में अदरक काफी लाभकारी होता है. इसके लिए आप एक कप में गर्म पानी उबाल लें. उसमें शहद डाल कर मिलाएं और दिन में दो बार पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर समझ आएगा.

1. नमक पानी से करें गरारा

गले की खराश में नमक के पानी का गरारा काफी लाभकारी होता है. खराश के कारण गले में सूजन आ जाती है. गुनगुने पानी और नमक का गरारा करने से सूजन में काफी आराम मिलता है. इसे दिन में 3 बार करने से आपको जल्दी ही आराम मिलेगा.

2. मसाला चाय

लौंग, तुलसी और काली मिर्च को पानी में डाल कर उबाल लें. इसके बाद इसमें चायपत्ती डालकर चाय बना लें. सर्दियों में नियमित तौर पर इसका सेवन करें. आपको सर्दी संबंधित परेशानियां नहीं होंगी.

3. अदरक

अदरक को पानी में डाल कर उबाल  लें. थोड़ी देर तक उसे उबालें ताकि अदरक का अर्क पानी में आ जाए. इसके बाद पानी में शहद मिला कर पिएं. सर्दी से होने वली परेशानियों में आपको काफी आराम मिलेगा.

4. लहसुन

लहसुन इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है. इसलिए गले की खराश में लहसुन बेहद फायदेमंद है. उपचार के लिए गालों के दोनों तरफ लहसुन की एक-एक कली रखकर धीरे-धीरे चूसते रहें.

5. भाप लेना

सर्दियों में होने वाली परेशानियों में भाप लेना काफी कारगर होता है. किसी बड़े बर्तन में गुनगुना पानी कर लें और तौलिया से पानी और चेहरा ढक कर भाप लें. आराम मिलेगा.

Winter Special: विंटर में ऐसे सजायें वार्डरोब

सर्दियों के लिए अपनी वार्डरोब तैयार करते समय थोड़ा ध्यान रखने से आप बेमतलब की टेंशन से बची रहेंगी. सर्दियों में ऊनी कपड़ों के लिए वार्डरोब में एक्सट्रा स्पेस बनाना पड़ता है. सही से मैनेज न करने पर आपको ऐन मौके पर कपड़े नहीं मिलते. इसलिए वार्डरोब को सही से मैनेज करना बहुत जरूरी है.

कलर्स

आप सर्दी के कपड़ों को उनके कलर के हिसाब से रख सकती हैं. फार्मल, पार्टी वेयर को एक तरफ रखें और कैजुअल और डेली वेयर के कपड़ों को दूसरी तरफ रखें.

स्लीव लेंथ

आप ऊनी कपड़ों को स्लीव के हिसाब से भी रख सकती हैं. लांग स्लीव्स और फुल स्लीव्स वाले कपड़ों की भी अलग कैटेगरी बनाई जा सकती है.

करें हैंगर्स का इस्तेमाल

कोट और ब्लेजर्स को टांगने के लिए हैंगर्स का इस्तेमाल करें. इससे आपका वार्डरोब भरा-भरा नहीं लगेगा. सूट्स, ड्रेसेज, साडिय़ां व कोट्स हैंगर्स पर और बाकी की जरूरतों का सामान बाक्स में रखें.

फोल्ड करके रखें कपड़े

स्वेटर्स, स्वेट शर्ट और जींस को फोल्ड करके रखें, ऐसा करने आपके वार्डरोब में जगह बचेगी.

आई लेवल पर रखें सामान

जो आपके रोजाना इस्तेमाल में आने वाले कपड़ें हैं उन्हें आईलेवल पर रखें. कम प्रयोग किया जाने वाला सामान नीचे या ऊपर रखा जा सकता है.

Winter Special: ठंड में क्या खाएं क्या नहीं

प्रकृति की रंगीन फूड बास्केट न केवल खूबसूरत और आकर्षक दिखाई देती है, बल्कि आप को सर्दी के दिनों में पोषक पदार्थों से भरपूर आहार भी प्रदान करती है. इस मौसम में आप की हड्डियों को गरमाहट देने, आप को सर्दीजुकाम से बचाने और आप के परिवार की प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत से मौसमी फल और सब्जियां उपलब्ध हैं, जिन का सही तरीके से उपयोग कर आप स्वस्थ व फिट भी रह सकते हैं.

सर्दियों में भूख को दबाना नहीं चाहिए. इस के बजाय आप को इस बात पर गौर करना चाहिए कि आप इस मौसम में स्वास्थ्यप्रद तरीके से कैसे प्राकृतिक खाद्यपदार्थों का उपयोग कर सकते हैं:

हरी पत्तेदार सब्जियां बेहतरीन भोजन हैं क्योंकि उन में फाइबर, फौलिक ऐसिड, विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम और अन्य पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं. तो हरी सब्जियां खाएं और स्वस्थ व फिट रहें.

कम चीनी वाली गाजर की खीर खाएं. सर्दियों में गाजर का विभिन्न रूपों में सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है.

सिट्रस फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं. इन का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और सर्दीजुकाम से लड़ने की ताकत देता है. इसलिए उन्हें खाने पर भी ध्यान दें.

सर्दियों में सामान्य तापमान के भोजन का सेवन करना चाहिए और दिल के मरीजों को तेल युक्त एवं तले खाद्यपदार्थों के सेवन से बचना चाहिए. नमक का सेवन भी नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए. उन्हें संतृप्त वसा के बजाय खाना पकाने में असंतृप्त वसीय पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए. यानी रिफाइंड, जैतून या सरसों के तेल में खाना बनाना चाहिए.

मधुमेह के रोगियों को चीनी का सेवन नियंत्रित रूप से करना चाहिए. उन्हें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचना चाहिए और कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए. यानी साबूत गेहूं, जई और मल्टीग्रेन आटे का इस्तेमाल करना उन की सेहत के लिए फायदेमंद होता है.

सर्दियों में हरी सब्जियों व अन्य फलों और सब्जियों के सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर भी सही मात्रा में बना रहता है.

पानी और तरल पदार्थों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए और बच्चों व बुजुर्गों को ठंडी चीजों जैसे आइसक्रीम आदि के सेवन से बचना चाहिए.

जो लोग सर्दियों में वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें वसा और तेल युक्त पदार्थों जैसे परांठों का सेवन नहीं करना चाहिए. उन के आहार में फाइबर, फलों, सलाद और तरल पदार्थों की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए. अनाज, मल्टीग्रेन आटा, ब्राउन ब्रैड और उच्च फाइबर से युक्त बिस्कुट भी वजन कम करने में मददगार होते हैं.

अमरूद, गाजर, सेब, हरी पत्तेदार सब्जियां, कच्चे फल, संतरा और खीरा फायदेमंद होते हैं और घर में बने टमाटर, मिलीजुली सब्जियों और हरी पत्तेदार सब्जियों के सूप हमेशा बाजार में मिलने वाले पैक्ड सूप से बेहतर होते हैं.

यह मौसम त्योहारों और शादियों का मौसम भी होता है, इसलिए कई मौकों पर बिना सोचेसमझे लोगों का खाना खूब होता है. दरअसल, अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता है कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. ऐसे में नीचे बताए जा रहे टिप्स त्योहारों के मौसम में आप के आहार की योजना बनाने में फायदेमंद हो सकते हैं:

ओवरईटिंग से बचें

इस का तात्पर्य केवल भोजन की मात्रा से ही नहीं, बल्कि कैलोरी से भी है. उदाहरण के लिए एक रसगुल्ले में 250 कैलोरी होती है, जबकि कौर्नफ्लैक्स के एक बाउल में केवल 100 कैलोरी होती है. त्योहारों के मौसम में हमें कैलोरी पर पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि वजन को बढ़ने से रोका जा सके.

क्या न खाएं

आप को नमक एवं चीनी का ज्यादा सेवन करने के साथसाथ तेल एवं मसाले युक्त खाद्यपदार्थों के सेवन से भी बचना चाहिए. अपने आहार की योजना कुछ इस तरीके से बनाएं कि अगर आप कुछ हैवी या स्पैशल खाना चाहते हैं, तो उसे दोपहर के भोजन के समय खाएं ताकि दिन की गतिविधियों के दौरान अतिरिक्त कैलोरीज बर्न हो जाएं. उस दिन नाश्ते को हलका और रात के भोजन में जहां तक हो सके कम कैलोरीज का सेवन करें.

ताजा भोजन लें

ताजा फलसब्जियों का सेवन करें. इस के अलावा किसी भी पैक्ड खाद्यपदार्थ का सेवन करने से पहले उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर पढ़ें. उच्च तापमान पर रखे गए भोजन के दूषित होने की संभावना अधिक होती है. कुछ जीवाणु जैसे ई. कोली, कलेबसेला, शेगेला आदि उच्च तापमान पर तेजी से पनपते हैं. ये जीवाणु डायरिया, डिहाइड्रेशन, मतली, उलटी आदि का कारण बन सकते हैं. इसलिए जहां तक हो सके खाद्यपदार्थों और मिठाइयों को फ्रिज में रखें.

त्योहारों में दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां आनाजाना लगा रहता है. इस से न केवल रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि त्योहारों की मिठास भी बनी रहती है. ऐसे में अगर कोई बीमार हो जाता है, तो जल्द से जल्द डाक्टर की सलाह लें. और अगर आप को लगता है कि किसी खास खाद्यपदार्थ के सेवन के कारण ऐसा हुआ है तो उस का सेवन परिवार के दूसरे लोग न करें.

सर्दियां आराम करने, अपने परिवारजनों और दोस्तों से मिलने और अच्छा एवं स्वास्थ्यप्रद भोजन खाने के लिए अच्छा समय है. सर्दियों में एकसाथ मिल कर खाना भी अच्छा अनुभव होता है. खासकर अगर आप त्योहारों के समय एकसाथ बैठ कर खाते हैं, तो रोजमर्रा की परेशानियों, तनाव को भी पूरी तरह से भूल जाते हैं. तो अपने अच्छे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही आहार का चुनाव करें और साल के इस सब से खास समय का आनंद उठाएं.

– सुनीता त्रिपाठी
सीनियर डाइटीशियन, प्राइमस सुपर स्पैशलिटी अस्पताल.

winter Special: हैप्पी विंटर के ये है 15 टिप्स

सर्दियों के आते ही महिलाओं की आम समस्या होती है कांतिहीन और शुष्क त्वचा, जिस का खास कारण होता है सूखी हवा. यानी आप के आसपास के वातावरण में नमी की कमी. सूखी हवा आप की त्वचा से नमी को सोख लेती है और उसे कांतिहीन व शुष्क बना देती है.

यहां कुछ ऐसे सरल उपाय बताए जा रहे हैं, जो इन सर्दियों में आप की त्वचा का खयाल रखेंगे और उसे नमी व कांति प्रदान करेंगे-

1  रोजाना कुनकुने पानी में शौवर लें और तौलिए से थपथपा कर त्वचा सुखाएं. त्वचा को रगड़ें नहीं.

2  स्नान के तुरंत बाद जब त्वचा नम हो तब एक क्रीम बेस्ड मौइश्चराइजर अपने पूरे शरीर पर लगाएं. अतिरिक्त सुरक्षा के लिए ‘शी’ बटर या कोकोआयुक्त मौइश्चराइजर का चयन करें.

3  वैसे अपनी त्वचा को नम व कोमल रखने के लिए नहाने के पानी में जैतून या नारियल तेल की कुछ बूंदें डालें.

4  कोमल शौवर जैल इस्तेमाल करें और कठोर व अत्यधिक खुशबूदार साबुन से परहेज करें.

5  त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए कुछ हफ्तों के अंतराल पर एक बार आप को अपनी त्वचा को रगड़ना पड़ सकता है.

6  होंठों को फटने से बचने के लिए नियमित रूप से उन पर लिप बाम लगाती रहें. होंठों को अपनी लार से नम करने की गलती न करें, क्योंकि इस से वे और खराब हो जाएंगे. एक पुराना व घरेलू नुसखा भी है- शहद में कुछ बूंदें जैतून तेल की मिला कर अपने होंठों पर लगाएं और उन्हें आर्द्र बनाए रखें.

7  घर के कामकाज करते वक्त दस्ताने जरूर पहनें. खासकर तब, जब आप डिटर्जैंट आदि का इस्तेमाल कर रही हों. ऐसा कर के आप अपने हाथों को खुरदरा होने से बचा सकेंगी. इस के अलावा, घरेलू काम खत्म करने के बाद दिन में 2-3 बार अपने हाथों पर एक अच्छी हैंड क्रीम लगाएं.

8  सर्दियों के मौसम में एडि़यां आसानी से क्रैक हो जाती हैं. इसलिए मृत त्वचा को निकालने के लिए समयसमय पर ऐक्सफोलिएट इस्तेमाल करें और उस के बाद ऐसी पैट्रोलियम जैली या ग्लिसरीन बेस्ड क्रीम लगाएं, जिस में यूरिया या लैक्टिक ऐसिड मौजूद हो. आप हर रोज रात में फुट क्रीम लगा सकती हैं और ऊपर से सूती मोजे पहन सकती हैं.

9  अपने केशों व शरीर की सप्ताह में एक बार कुनकुने तेल से मालिश करें. इस के लिए आप जैतून या नारियल का तेल इस्तेमाल करें.

10 धूप में निकलने से आधा घंटा पहले अपने चेहरे व हाथों पर सनस्क्रीन लगाएं. यदि आप को ज्यादा वक्त बाहर रहना है, तो 3-4 घंटे बाद फिर सनस्क्रीन लगाएं.

11 सर्दियों में भी खूब पानी पीएं.

12 कठोर पील्स, मास्क, टोनर, ऐस्ट्रिंजैंट या अन्य किसी ऐसे त्वचा अथवा हेयर स्टाइलिंग उत्पाद से परहेज करें जिस में अल्कोहोलिक कंटैंट ज्यादा हो. क्योंकि जब अल्कोहल वाष्प बन कर उड़ता है, तो त्वचा की नमी भी उड़ा ले जाता है.

13 सर्दियों में आप घर की बनी एक और चीज भी इस्तेमाल में ला सकती हैं. ऐवोकैडो को जैतून तेल की कुछ बूंदों या दही में मिश्रित करें, पिसे बादाम मिलाएं और इस मिक्सचर को स्नान से पहले अपने पूरे शरीर पर मलें. 20 मिनट बाद इसे धो लें और उस के बाद नहाएं.

14 यह समझना अत्यावश्यक है कि सस्ते उत्पाद भी उतना ही अच्छा काम कर सकते हैं जितना कि महंगे उत्पाद. अहम बात यह है कि आप की त्वचा उस उत्पाद पर कैसी प्रतिक्रिया देती है और आप को उस के साथ कैसा अनुभव होता है, न कि आप ने कितना पैसा खर्च किया.

15 कम से कम एक बार त्वचा विशेषज्ञ के पास जाना भी एक अच्छा तरीका है. विशेषज्ञ आप की त्वचा की किस्म का विश्लेषण कर के, त्वचा की देखभाल हेतु परामर्श देता है, विकारों को दूर करता है और आप को त्वचा के लिए किस प्रकार के उत्पाद इस्तेमाल करने चाहिए, यह बताता है.

– डा. नितिन एस. वालिया
(वरिष्ठ त्वचा विशेषज्ञ, बीएलके सुपर स्पैशलिटी हौस्पिटल)

Winter Special: बुनाई करते समय ध्यान रखें ये 7 टिप्स

मौसम की फिज़ा में अब ठंडक घुलने लगी है  कुछ समय पूर्व तक इस मौसम में महिलाओं के हाथ में ऊन और सलाइयां ही दिखतीं थीं. आजकल भले ही हाथ से बने स्वेटरों की अपेक्षा रेडीमेड स्वेटर का चलन अधिक है परन्तु स्वेटर बुनने की शौकीन महिलाओं के हाथ आज भी खुद को बुनाई करने से रोक नहीं पाते. रेडीमेड की अपेक्षा हाथ से बने स्वेटर अधिक गर्म और सुंदर होते हैं साथ ही इनमें जो अपनत्व और प्यार का भाव होता है वह रेडीमेड स्वेटर में कदापि नहीं मिलता परन्तु कई बार स्वेटर बनाने के बाद ढीला पड़ जाता है अथवा फिट नहीं हो पाता या फिर धुलने के बाद रोएं छोड़ देता है. इन्हीं छोटी छोटी समस्याओं से मुक्ति के लिए आज हम आपको स्वेटर बनाने के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं-

1. ऊन

लोकल या सस्ती ऊन की अपेक्षा स्वेटर बनाने के लिए सदैव वर्धमान या ओसवाल कम्पनी की 3 प्लाई की उत्तम क्वालिटी की ऊन ही  खरीदें. यदि आप छोटे बच्चों के लिए स्वेटर बना रही हैं तो सामान्य की अपेक्षा छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाई जाने वाली बिना रोएं की बेबी वूल का ही प्रयोग करें.

2. सलाई

ऊन के साथ साथ सलाई भी अच्छी क्वालिटी की होना अत्यंत आवश्यक है. सस्ती सलाई अक्सर ऊन पर अपना रंग छोड़ देती है जिससे कई बार स्वेटर का वास्तविक रंग ही खराब हो जाता है. मोटी ऊन के लिए 5-6 नम्बर की मोटी और पतली ऊन के लिए 10-12 नम्बर की पतली सलाई लेना उपयुक्त रहता है

3. फंदे

मोटी प्लाई की ऊन में कम फंदे और पतली ऊन में अधिक फंदे डालें. फंदे दोहरी ऊन से टाइट करके डालें, फंदे ढीले रहने पर स्वेटर बॉर्डर से ढीला हो जाने की संभावना रहती है.

4. बॉर्डर

आम तौर पर एक उल्टा और एक सीधे फंदे से बॉर्डर बनाया जाता है. यदि आप स्वेटर 10 न की सलाई से बना रहीं हैं तो बॉर्डर 2 न अधिक अर्थात 12 न की सलाई से बनाएं इससे स्वेटर की नीचे और बाहों से फिटिंग सही रहती है.

5. बुनाई

आप स्वेटर में जो भी डिजाइन डालना चाहतीं हैं उसे पहले एक नमूने में डालकर देख लें ताकि स्वेटर बनाते समय आपको कोई कन्फ्यूजन न रहे. छोटे बच्चों के स्वेटर में बहुत बड़ी और दो रंगों की डिजाइन की अपेक्षा सेल्फ  में ही डिजाइन डालें क्योंकि 2-3 रंग की डिजाइन में स्वेटर के उल्टी तरफ  ऊन निकली रहती है जो बच्चों के हाथ में उलझ जाती है. हर हाथ की बुनाई में फर्क होता है इसलिए स्वेटर को एक ही हाथ से बुनना चाहिए. हल्के रंग के स्वेटर को बुनते समय बॉल्स को एक पॉलीथिन में डालकर रखें इससे स्वेटर गन्दा नहीं होगा.

6. गला

आमतौर पर स्वेटरों में वी, गोल, चौकोर और कॉलर वाले गले बनाये जाते हैं. गोल गले को बाजार में गोल गले के लिए विशेष रूप से बनाई जाने वाली  चार सलाइयों से ही बनाएं और बंद करते समय फंदों को सुई की मदद से बंद करें. छोटे बच्चों के लिए किसी विशेष गले का स्वेटर बनाने के स्थान पर सामने से खुला स्वेटर बनाएं जिससे उन्हें पहनाने में आसानी रहे.

7. सिलाई

पूरा स्वेटर बन जाने के बाद स्वेटर की सिलाई की जाती है. सिलाई स्वेटर के रंग की ऊन से ही करें. यदि ऊन बिल्कुल ही समाप्त हो गयी है तो आप सेम रंग के धागे का भी प्रयोग कर सकतीं हैं.  सिलाई करते समय सभी गांठो को सुई की मदद से स्वेटर के पीछे की तरफ कर दें साथ ही ऊन के लंबे धागों को भी आसानी से काट दे.

Winter Special: ताकि लंबे समय तक नए रहें ऊनी कपड़े

सर्दियां बस आने ही वाली हैं. वैसे कुछ लोगों ने तो सुबह-शाम हाफ स्वेटर पहनना भी शुरू कर दिया है. ऊनी कपड़े सिर्फ ठंड से बचाते नहीं हैं बल्कि हमारा विंटर स्टाइल भी तय करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हमें ऊनी कपड़ों का सही रख-रखाव पता हो. ऊनी कपड़ों को हिफाजत से रखा जाए तो वे लंबे समय तक अच्छे रहते हैं और पुराने नहीं दिखते.

ऊनी कपड़ों की देखरेख के लिए अपनाएं ये उपाय:

1. वॉशिंग मशीन में धोने से बचें

स्वेटर को वॉशिंग मशीन में धोने से बचें. वाशिंग मशीन में धोने से स्वेटर जल्दी पुराने हो जाते हैं. ऊनी कपड़ों को नए जैसा रखने के लिए उन्हें एक मुलायम ब्रश से झाड़ते रहें. उन्हें हवा लगना भी जरूरी है.

2. दाग धब्बे छुड़ाने के लिए रगड़ें नहीं

दाग-धब्बे लग जाएं तो उसे तुरंत ड्राई क्लीन कराएं. अगर धब्बा ज्यादा गहरा नहीं है तो उसे ऊनी कपड़ों के लिए बने डिटर्जेंट से साफ करें.

3. सुखाने का सही तरीका

ऊनी कपड़ों को कभी भी तार पर लटकाकर नहीं सुखाएं. इससे उनका आकार बिगड़ सकता है. इसके अलावा ऊनी कपड़ों की शिकन दूर करने के लिए स्टीम प्रेस का ही इस्तेमाल करें.

4. धूप है जरूरी   

ऊनी कपड़ों को बिना धूप दिखाए, बक्से में न रखें. रखते समय नेफ्थलीन की गोलियां डालना न भूलें.

सर्दियों में आपके वार्डरोब में अतिरिक्त कपड़े आ जाते हैं. पहले से ही भरे वार्डरोब में और अतिरिक्त कपड़ों से वार्डरोब अस्त-व्यस्त हो जाता है. सर्दियों के लिए अपनी वार्डरोब तैयार करते समय थोड़ा ध्यान रखने से आप बेमतलब के टेंशन बची रहेंगी.

– सर्दी के कपड़ों को उनके टाइप या कलर के हिसाब से रख सकती हैं. फार्मल या पार्टी वेयर एक तरफ तो कैजुअल अलग.

– लांग स्लीव्स और फुल स्लीव्स वाले कपड़ों की भी अलग कैटेगरी बनाई जा सकती है.

– जगह ज्यादा होने पर कोट अलग क्लोजेट में टांगें.

– एक तरह के हैंगर्स का ही इस्तेमाल करें.

– स्वेटर्स, स्वेट शट्र्स और जींस को फोल्ड करके रखने से जगह बचाई जा सकती है.

– फोल्ड किया जाने वाला सामान दराजों में रखें.

– सूट, ड्रेसेज, साडिय़ां व कोट्स हैंगर्स पर और बाकी जरूरतों का सामान बाक्स में

रखें.

– अपनी आई लेवल पर हमेशा वही सामान रखें जो आपके रोज के मतलब का हो. कम प्रयोग किया जाने वाला सामान नीचे या ऊपर रखा जा सकता है.

विंटर बेबी केयर टिप्स

न्यू मौम को लोग उस के बच्चे को ले कर तरहतरह की सलाह देते हैं जैसे तुम बच्चे को पहली सर्दी में ऐसे कपड़े पहनाओ, यह औयल लगाओ, इस औयल से मसाज करो, यह प्रोडक्ट इस्तेमाल करो, उसे ऐसे पकड़ो बगैराबगैरा. उसे समझ नहीं होती है, लेकिन बच्चे की बैस्ट केयर के चक्कर में वह हर नुसखा, हर सलाह हर किसी की मान लेती है, जिस की वजह से कई बार दिक्कतें भी खड़ी हो जाती हैं. लेकिन यह बात आप जान लें कि आप से बेहतर उसे कोई नहीं जान सकता क्योंकि आप उस की मौम जो हैं.

ऐसे में हम आप को गाइड करते हैं कि कैसे आप विंटर्स में अपने नन्हेमुन्ने की केयर कर के उस का खास तरह से खयाल रख सकती हैं. तो आइए जानते हैं:

कंफर्ट दें लाइट ब्लैंकेट से

सर्दियों का मौसम है और वह भी आप के बच्चे की पहली सर्दी, तो सावधानी बरत कर तो चलना ही पड़ेगा. लेकिन हर पेरैंट्स यही सोचते हैं कि बस हमारा बच्चा ठंड से बचा रहे और लंबी नींद सोए, इस के लिए वे बच्चे को पहली ठंड से उसे हैवी ब्लैंकेट से ढक कर सुलाने की कोशिश करते हैं.

लेकिन वे केयर के चक्कर में यह भूल जाते हैं कि वह बच्चा है और जिस पर अगर बच्चे से ज्यादा ब्लैंकेट का भार डाल दिया जाए तो न तो वह सोने में आप के बच्चे को कंफर्ट देगा और सेफ्टी के लिहाज से भी ठीक नहीं है क्योंकि छोटा बच्चा ज्यादा हाथपैर नहीं चला पाता, ऐसे में अगर गलती से ब्लैंकेट से उस का मुंह कवर हो गया, फिर तो बड़ी दिक्कत हो सकती है.

इसलिए आप बच्चे को हैवी ब्लैंकेट की जगह लाइट लेकिन वार्म ब्लैंकेट से कवर करें जो आप के बच्चे को वार्म रखने के साथसाथ साउंड स्लीप देने का काम भी करेगा. ध्यान रखें कि ब्लैंकेट का आदर्श भार आप के बच्चे के वजन का 10% के करीब ही होना चाहिए.

कपड़े हों आरामदायक

जब घर में नन्हे के कदम पड़ते हैं, तो घर में हर किसी के चेहरे पर खुशी नजर आती है और वे अपनी इस नन्ही जान के लिए जो बन पड़ता है वह करते हैं. वे अपने बच्चे को अच्छा दिखाने व सर्दी से बचाने के लिए हर ऐसा कपड़ा खरीद लाते हैं, जो उसे सर्दी से बचा कर रखे. लेकिन आप शायद बच्चे के कपड़े की शौपिंग में यह भूल जाते हैं कि उसे वार्म रखने के साथसाथ उस के कंफर्ट का भी ध्यान रखना है, वरना कपड़ों के कारण डिसकंफर्ट होने पर बच्चा न तो चैन की नींद सोएगा और हर समय चेहरे से वह परेशान ही नजर आएगा.

इसलिए जब भी नन्हे के लिए विंटर के कपड़े खरीदें तो मोटे वूलन कपड़े न खरीदें, बल्कि सौफ्ट फैब्रिक से बने कपड़़े ही खरीदें. हाथपैरों को मोटे ग्लव्स व सौक्स से कवर करने से बचें. इन की जगह आप हलके व सौफ्ट फैब्रिक का चयन करें क्योंकि इस से बच्चे को डिस्कंफर्ट होने के साथसाथ उस की मूवमैंट में भी बाधा उत्पन्न होती है. नन्हे को घर में वेसीएस पहनाने से बचें क्योंकि यह बच्चे की मूवमैंट में पूरी तरह से व्यवधान पैदा करने का काम करता है.

आप इस तरह के कपड़ों को जब बच्चे को बाहर ले जाएं तब ही इस्तेमाल करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे के कपड़े रूम टैंपरेचर के हिसाब से होने चाहिए.

डिस्कंफर्ट का कैसे पता लगाएं:

अगर आप के बच्चे का फेस पूरा लाल व शरीर जरूरत से ज्यादा गरम है और वह आप के स्पर्श मात्र से ही रोना शुरू कर दे तो समझ जाएं कि आप ने उसे जरूरत से ज्यादा कपड़ों से कवर किया हुआ है, जो उसे परेशान कर रहे हैं.

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मालिश जो बनाए स्ट्रौंग

नन्हे बहुत नाजुक होते हैं, इसलिए उन की खास केयर की जरूरत होती है और जब बात हो विंटर्स की तो उन्हें वार्म रखने के साथसाथ स्ट्रौंग बनाना भी बहुत जरूरी होता है, जिस में मसाज का अहम रोल होता है क्योंकि मसाज करने से बच्चे की हड्डियां मजबूत बनने के साथसाथ इस से शरीर की बनावट में भी सुधार होता है. यह ब्लड सर्कुलेशन को इंपू्रव कर के गैस व ऐसिडिटी के कारण होने वाले डिस्कंफर्ट को भी कम करने का काम करती है.

लेकिन मालिश के लिए जरूरी है सही तेल का चुनाव करना. वैसे तो सदियों से लोग सरसों के तेल से बच्चे की मसाज करते आए हैं और आज भी करते हैं, लेकिन आप इस की जगह कोकोनट औयल व औलिव औयल का भी चुनाव कर सकती हैं क्योंकि इस में हैं विटामिन ई की खूबियां, जो शरीर को मजबूती प्रदान करने के साथसाथ स्किन को भी हैल्दी रखने का काम करती हैं. इस की खास बात यह है डायपर के कारण स्किन पर होने वाले रैशेज व जलन को भी कम करने में मददगार है क्योंकि इस में है ऐंटीइनफ्लैमेटरी व ऐंटीमाइक्रोबियल प्रौपर्टीज जो होती हैं.

एशियन जर्नल रिसर्च की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, मसाज करने से बच्चे की पेरैंट्स के साथ सोशल बौंडिंग बनती है. वह उन के स्पर्श को जाननेपहचानने लगता है.

टिप: इस बात का ध्यान रखें कि जब भी आप बच्चे की मसाज करें तो आप का रूम वार्म हो ताकि कंफर्ट जोन में आराम से मसाज कर सकें. नहाने से पहले मसाज करने से बौडी में वौर्मनैस बनी रहती है. शुरुआत में मसाज हमेशा हलके हाथों से करें. कभी भी दूध पिलाने के तुरंत बाद मसाज न करें क्योंकि इस से बच्चे के उलटी करने का डर रहता है.

कैसा हो न्यूबौर्न का मौइस्चराइजर

इस संबंध में जानते हैं कौस्मैटोलौजिस्ट भारती तनेजा से:

बच्चों की स्किन बहुत ही सैंसिटिव होती है, जिस पर कोई भी प्रोडक्ट नहीं लगाया जा सकता क्योंकि उस से स्किन पर जलन, रैशेज व ईचिंग की समस्या हो सकती है. लेकिन सैंसिटिव के साथसाथ सर्द हवाएं उन की स्किन को ड्राई भी बनाने का काम करती हैं. ऐसे में आप अपने बच्चे की स्किन को बेबी औयल जैसे आमंड औयल व औलिव औयल से मौइस्चराइज करें क्योंकि इस में मौजूद विटामिन ई की खूबियां बच्चे की स्किन को सौफ्ट व हैल्दी बनाने का काम करती हैं, साथ ही आप अपने बच्चे के लिए कोको बटर, शिया बटर युक्त मौइस्चराइजर का भी चयन कर सकती हैं क्योंकि यह काफी सौफ्ट होते हैं.

जब भी अपने नन्हे के लिए मौइस्चराइजर का चयन करें तो देखें कि उस में परफ्यूम, कैमिकल्स व कलर्स न हों. हमेशा बच्चे की स्किन टाइप को देख कर ही मौइस्चराइजर खरीदें. आप को मार्केट में बायोडर्मा व सीबमेड के मौइस्चराइजर मिल जाएंगे, जो बच्चों की स्किन के लिए परफैक्ट होते हैं.

ब्रैस्टफीडिंग का रखें खास ध्यान

न्यूबौर्न बेबी का इम्यून सिस्टम विकसित हो रहा होता है, जिस के कारण उसे ज्यादा श्वसन संबंधित बीमारियों के साथसाथ बैक्टीरिया व वायरस से संक्रमित होने की भी ज्यादा संभावना होती है खास कर के सर्दियों के मौसम में. ऐसे में उसे वार्म और बीमारियों से दूर रखने के लिए उस की इम्यूनिटी को स्ट्रौंग बनाने की जरूरत होती है और इस में ब्रैस्टफीड का अहम रोल होता है क्योंकि मां के दूध में सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स होने के साथसाथ ऐंटीबौडीज भी होती हैं, जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को स्ट्रौंग बनाने के साथसाथ बीमारियों से बचाने का भी काम करती हैं. इसलिए आप ब्रैस्टफीडिंग से अपने बच्चे की हैल्थ का खास ध्यान रखें. इस से आप का बच्चा भी सुरक्षित रहेगा और आप भी निश्चिंत रहेंगी.

टौपिंग ऐंड टेलिंग ट्रिक को अपनाएं

सर्दी का मौसम न्यूबौर्न के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं होता है. ऐसे में नए बने पेरैंट्स नहीं सम?ा पाते कि उन्हें अपने बेबी को रोजाना बाथ देना है या फिर हफ्ते में 2-3. ऐसे में आप के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि अगर बाहर काफी ठंड है तो आप अपने नन्हेमुन्हे को रोजाना नहलाने की भूल न करें, बल्कि इस की जगह हफ्ते में 2-3 बार ही नहलाएं और वह भी ऐसे समय पर जब बाहर धूप निकली हो ताकि नहाने के बाद आप उसे नैचुरल गरमी दे कर उस की बौडी को वार्म रख पाएं.

रोजाना नहलाने के बजाय आप उस के हाथपैर, गरदन व बौटम एरिया को कुनकुने पानी से क्लीन करें. इसे ही टौपिंग ऐंड टेलिंग कहते हैं. इस से आप का बच्चा क्लीन भी हो जाएगा और उसे ठंड से भी बचा पाएंगी.

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दें विटामिन डी

यहां हम बच्चे को विटामिन डी के लिए किसी सप्लिमैंट को देने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि सनलाइट से मिलने वाले विटामिन डी की बात कर रहे हैं, जो बच्चे की हड्डियों को स्ट्रौंग बनाने के साथसाथ इम्यूनिटी को बूस्ट करने का भी काम करता है. इस के लिए जब भी आप बच्चे को नहलाएं तो उस के बाद उसे धूप में जरूर ले जाएं क्योंकि इस से बच्चे को गरमी मिलने के साथसाथ जर्म्स का भी सफाया होता है.

आया सब्जियों को प्रिजर्व करने का मौसम

सर्दियां आते ही बाजार में सब्जियों की मानो बाढ़ सी आ जाती है. मैथी, मटर, पालक, धनिया जैसी हरी सब्जियों के अतिरिक्त नीबू, टमाटर, आंवला और अदरक भी बहुत कम दामों पर मिलते हैं. आजकल यूँ तो पूरे साल तक प्रत्येक सब्जी मिलती है परन्तु बेमौसम होने के कारण वे बेस्वाद और काफी महंगी भी होती हैं.

हमारी दादी नानी सस्ती दरों पर मिलने वाली मौसमी सब्जियों को धूप में सुखाकर साल भर के लिए स्टोर कर लिया करतीं थीं परन्तु आज विज्ञान का युग है और अपने घरों में उपलब्ध फ्रिज और माइक्रोबेव की सहायता से हम बड़ी आसानी से इन सब्जियों को साल भर के लिए संरक्षित कर सकते हैं तो आइए जानते हैं कि इन्हें कैसे संरक्षित किया जा सकता है-

-मैथी, पालक, धनिया, चने की भाजी जैसी हरी सब्जियों को साफ करके धो लें और साफ तौलिया या चादर पर फैलाकर दूसरी तौलिया से रातभर के लिए ढककर रख दें. अब इन्हें 2 मिनट पर माइक्रो करें. उल्टपलटकर पुन: 2 मिनट माइक्रो करें. जब सब्जियां सूखती सी नजर आने लगें तो 20-10 सेकंड माइक्रोबेव करें. पूरी तरह सूखी हरी सब्जियों को एयरटाइट जार में भरकर रखें. माइक्रोबेव में सुखाई गई इन सब्जियों का हरा रंग बरकरार रहता है.

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-नीबू के रस को निकालकर छान लें और कोल्डड्रिंक की छोटी छोटी बोतलों में भरकर फ्रीजर में रखें. जब भी प्रयोग करना हो तो फ्रीजर से निकलकर फ्रिज में रखें और तरल रूप में आ जाने पर बोतल के ढक्कन पर एक छेद करके प्रयोग करें.
नीबू के रस को आप फ्रीजर में क्यूब जमाकर भी स्टोर कर सकतीं हैं.

-500 ग्राम अदरक को छीलकर मिक्सी में बारीक पीसकर सूती कपड़े से दबा दबाकर छान लें. इस छने रस को फ्रिज में क्यूब्स में जमाकर पॉली बैग में निकालकर स्टोर करें. अथवा छोटे छोटे पॉली बैग्स में ही फ्रिज में जमाएं और आवश्यकतानुसार प्रयोग करें. अदरक के गूदे को एयरटाइट जार में रखकर सब्जी और चाय में प्रयोग किया जा सकता है. इसी प्रकार आप कच्ची हल्दी भी स्टोर कर सकतीं हैं.

-आंवले को धोकर साफ सूती कपड़े से पोंछ लें और ऊपर ऊपर से काटकर आवश्यकतानुसार पानी डालकर पीस लें. इसे सूती कपड़े में हाथ से दबाकर छान लें. रस को नीबू के रस की ही भांति फ्रीजर में स्टोर करें. गुठली के ऊपर के आंवले का अचार डालें तथा शेष बचे गूदे से मुरब्बा या रोल बनाएं.

-1 किलो मटर को छील लें. अब 2 लीटर पानी में एक टीस्पून नमक डालें. जब पानी उबलने लगे तो मटर डाल दें. जब मटर पानी की सतह पर आ जाये और हल्की सी नम हो जाये तो छलनी में निकालकर 1 घण्टे तक रखें ताकि सारा पानी निकल जाए. अब इसे दो तीन घण्टे तक मोटे सूती कपड़े पर फैलायें. जिप लॉक बैग में रखकर फ्रीजर में स्टोर करें.

-टमाटर को प्यूरी बनाकर क्यूब्स में जमाकर जिप लॉक में भरकर फ्रीजर में रखें.

-सहजन की फली को धोकर बीच से लंबाई में दो भागों में काट लें. अब चाकू या चम्मच के उल्टे भाग की सहायता से इसके गूदे को स्क्रब करके निकाल लें. चाकू से ही इसे छोटे टुकड़ों में काट लें और छोटे छोटे जिप लॉक बैग्स में डालकर फ्रीजर में डाल दें. अव्सबयक्तानुसार प्रयोग करें.

रखें कुछ बातों का ध्यान भी

-स्टोर करने के लिए सब्जियां सदैव ताजी ही लें.

-यूं तो हरी सब्जियों को डंठल सहित प्रयोग करना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है परन्तु स्टोर करने के लिए केवल पत्तियां ही लें क्योंकि सूखकर डंठल सब्जियों का स्वाद ही बिगाड़ देते हैं.

-नीबू, आंवला के रस को स्टोर करने के लिए छोटी छोटी शीशियों का प्रयोग करें ताकि फ्रीजर में से निकालने के बाद इन्हें 15 से 20 दिन में समाप्त किया जा सके.

-आंवले को गुठली तक पूरा न काटकर हल्का सा ही काटें ताकि गुठली का कसैलापन न आ पाए.

-हरी सब्जियों को माइक्रो करते समय तापमान का विशेष ध्यान रखें. प्रारम्भ में अधिक और जैसे ही सब्जियां सूखी सी लगने लगें एकदम कम तापमान रखें अन्यथा वे आग पकड़ लेंगी.

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-बहुत बड़े जिप लॉक बैग्स के स्थान पर छोटे छोटे बैग्स का प्रयोग करें इससे वे फ्रिज में कम जगह में ही आ जाएंगे.

-प्रयोग करने के बाद फ्रीजर में से निकाली सब्जियों को तुरंत फ्रीजर में रख दें अन्यथा वे खराब हो जाएंगी.

-माइक्रोबेव में एक साथ अधिक मात्रा में सब्जियों को सुखाएं इससे आप बार बार बिजली खर्च करने से बच सकेंगी.

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