ज़िन्दगी–एक पहेली:  भाग-5

पिछला भाग- ज़िंदगी एक पहेली: भाग-4

अब धीरे-धीरे अनु के हॉस्टल जाने का समय करीब आ चुका था. जिस दिन हॉस्टल जाना था उस  पूरे दिन ना तो अनु ने कुछ खाया और ना ही अविरल ने. पूरी रात दोनों एक दूसरे से बाते करते रहे और रोते रहे. अगले दिन अनु हॉस्टल के लिए चली गई. अविरल अब अपने आप को घर में काफी अकेला फील करने लगा था क्योंकि अविरल के पापा- मम्मी काफी बिजी रहते थे और अविरल अनु से बहुत ज्यादा घुला मिला था. अविरल को अब घर में बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था.

अविरल जब भी घर से बाहर निकलता सबसे पहले आसू के पास पहुँच जाता. अनु के हॉस्टल में केवल 1 फोन था जिससे सभी लड़कियों को बारी बारी से बात करना होता था. रोज शाम को अनु के पापा अनु को फोन करते थे लेकिन टाइम बहुत कम होता था तो ज्यादा बात नहीं हो पाती थी. अनु के पापा कि तबीयत अब थोड़ी खराब रहने लगी थी. वो पहले से ही गैस्ट्रिक के पेशेंट थे. डॉक्टर भी बोलते थे कि आपकी उम्र बढ़ रही है ये तो लगा रहेगा. अनु हमेशा अपने पापा से कहती कि, “पापा मैं एक बार डॉक्टर बन जाऊ, मैं ही आपका इलाज करूंगी”. अनु के पापा भी मुस्कुराकर बोलते कि “हाँ बेटा, अब तो मैं अपनी बेटी से ही इलाज कराऊँगा”. अनु जब भी अविरल से बात करती तो बोलती कि भैया मैं जब छुट्टी में घर आऊँगी तो सारे सब्जेक्ट देखूँगी, तुम्हें 12th में मुझसे भी अच्छे मार्क्स लाने हैं(अनु ने देहारादून टॉप किया था).

इस साल अविरल का 12th था लेकिन अविरल का मन बिल्कुल भी पढ़ाई में नहीं लग रहा था . वह एक्जाम के महीने गिनता और सोचता कि अभी तो बहुत टाइम है और बाहर निकल जाता. अनु के हॉस्टल जाने के बाद अविरल अक्सर सुमि से मिलता लेकिन अब दोनों के बीच केवल आसू ही मेन टॉपिक होता. सुमि भी अविरल को समझाती कि अविरल एक्जाम आने वाले हैं पढ़ाई पे ज्यादा ध्यान दो.

आसू एक दिन फिर सुमि के पास बात करने गया. इस बार सुमि का रिएक्शन अलग था. वह आसू से बोली कि आसू अब मेरे रास्ते में मत खड़े रहा करो लेकिन वह नहीं माना और रास्तों से छुपकर सुमि को देखने लगा. आसू कि हरकतें सुमि को भी अच्छी लगती थी. अब सुमि और आसू अक्सर बात करने लगे.

कुछ दिनों में सुमि का बर्थड़े आने वाला था तो आसू ने सुमि को कुछ सर्प्राइज़ देने का निश्चय किया. आसू ने 50 चार्ट पेपर और कलर्स खरीदे, फिर एक  दोस्त की  मदद से सभी चार्ट्स में “HAPPY BIRTHDAY” लिखा. सुमि सुबह 6 बजे कोचिंग जाती थी तो आसू और उसके दोस्तों ने पूरी रात सुमि के कोचिंग जाने वाले रस्ते में, खंबों पर और दीवारों पर चार्ट चिपकाए जिससे सुमि जहां से भी निकले उसे “HAPPY BIRTHDAY” वाले चार्ट दिखाई दें.

अगले दिन सुमि जैसे ही घर से निकलकर रोड पर पहुंची, उसे “HAPPY BIRTHDAY” वाले चार्ट दिखाई दिये. जैसे जैसे वह राश्ते पर आगे बढ़ती उसे सिर्फ चार्ट दिखते. यह देखकर उसको बहुत आश्चर्य हुआ. उसी दिन आसू ने सुमि को फिर से प्रपोज़ किया लेकिन सुमि ने फिर से मना कर दिया और दोस्त रहने को बोल दिया. आसू बहुत उदास हो गया और रात में ही किसी को बिना बताए दूसरी सिटी चला गया.

अगले दिन जब सुमि को आसू नहीं दिखा तो वह उदास हो गयी. शाम को अविरल, सुमि से मिला तो सुमि ने अविरल से आसू के बारे में पूछा पर  अविरल को भी आसू के बारे में कुछ नहीं पता था. सुमि को बहुत डर लगने लगा, उसने सोचा कि बस मुझे एक बार आसू से मिलने का मौका मिल जाए तो मै भी उससे अपने दिल की बात कह दूँगी .

अविरल, आसू के घर पहुंचा और उसकी मम्मी से आसू के बारे में पूछा  तो उन्होने बताया कि आसू बहुत परेशान था और किसी दोस्त के घर चला गया है. 4-5 दिन में आ जाएगा. अविरल ने आसू के सारे दोस्तों से पता किया लेकिन उसे कुछ पता नहीं चल सका. 5 दिन और बीत गए. सुमि को अपने एक रिलेटिव के यहाँ जाना था. वह बहुत बेचैन थी क्योंकि  अभी तक आसू से बात नहीं हो सकी थी. अगले दिन सुमि पल्लवी को अपने रिलेटिव का नंबर देकर मसूरी चली गयी और बोली कि आसू जब भी आए तो उससे बोल देना कि रात में 8 बजे रोज वह उसके फोन का इंतज़ार करेगी. जब भी आसू फोन करे तो पहले छोटी छोटी-2 रिंग करे और फिर 10 मिनट बाद कॉल करे. दो दिन बाद आसू वापस आया तो अविरल ने उसे सारी बात बताई. आसू इतना खुश था कि उसका टाइम कट ही नहीं रहा था. बड़ी मुश्किल से 8 बजा. सुमि के अनुसार ही आसू ने कॉल की और तीसरी रिंग होते ही फोन उठा. तुरंत ही आसू ने अविरल को फोन पकड़ा दिया क्योंकि  आसू सुमि की  आवाज पहचान नहीं पाया. अविरल ने उससे थोड़ा बात करके आसू को फोन पकड़ा दिया तो सुमि ने बोला कि तुम्हें देखने का मन कर रहा है. तो आसू ने मज़ाक में बोला कि ठीक है मैं आ जाता हूँ. फिर आसू ने उससे कहा ,”मै तुम्हे बहुत चाहता हूँ.”

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सुमि ने बोला “मैं भी” और शर्माकर फोन काट दिया.

आसू और अविरल ने घर में एनसीसी के कैंप का बहाना बनाया और पल्लवी से सुमि का एड्रैस लेकर 2 दिन बाद मसूरी  पहुँच गए. दोनों दोपहर में मसूरी  पहुंचे और सुमि का घर ढूंढते रहे लेकिन घर नहीं मिला तो वो रात 8 बजे का वेट करने लगे. फिर जैसे ही 8 बजा उन्होने PCO से फोन किया और बताया कि हम तुम्हारे घर के आसपास ही हैं. सुमि को पहले तो मज़ाक लगा लेकिन फिर वो दौड़कर उस PCO के पास तक आई.

आसू और सुमि 5 मिनट तक एक-दूसरे को देखते रहे और फिर दूसरे दिन मंदिर में मिलने का बोलकर चले गए. अगले दिन सुमि अपनी चचेरी बहन  के साथ मंदिर आई. लेकिन दोनों शर्माकर एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे तो अविरल ने दोनों से खुद बात करने को बोला और वहाँ से चला गया. लेकिन दोनों कुछ नहीं बोले बस एक दूसरे को देखते रहे. अगले दिन आसू और अविरल वापस देहारादून आ गए.

कुछ महीनों बाद रक्षा बंधन आया. ये पहला टाइम था जब अविरल के साथ अनु नहीं थी हालांकि अनु ने कूरियर से राखी भेजी थी. अविरल बहुत दुखी था लेकिन अनु की राखी ने काफी हद तक उसे संभाला. अविरल ने फोन से अनु से बात की. अनु ने बोला कि मैं दशहरे में आऊँगी तो खूब मस्ती करेंगे.

ऐसे ही दशहरा आ गया. अनु की दशहरे कि छुट्टियाँ हो गयी और वह एक सप्ताह  के लिए अपने घर आ गयी. सभी लोगों अनु के आने से बहुत खुश थे. शाम को अनु और अविरल घूमने निकले और कुछ जगह घूमकर वापस आए. रात में ही अविरल के पापा ने अविरल को किसी बात पर डांट दिया तो वह गुस्सा होकर कमरे में चला गया .अनु अविरल के पास गयी और बड़े प्यार से बोली “भैया पापा की बात का इतना बुरा क्यूँ मानते हो. मैं यहीं हूँ न सब कुछ ठीक कर दूँगी”. फिर अनु की मम्मी ने अनु की पसंद के पराठे बनाए तो दोनों भाई – बहन ने खूब मजे से खाना खाया और फिर देर रात तक बातें करते रहे.

आधी रात से ही अनु की तबीयत कुछ खराब हो गयी. उसे लगातार उल्टियाँ शुरू हो गयी. अगले दिन अनु को सब डॉक्टर के पास ले गए . डॉक्टर ने कहा कि,” नॉर्मल सी फूड पोइसिनिंग हुई  है, 2-3 दिनों में ठीक हो जाएगी “. डॉक्टर ने कुछ दवाएं दीं फिर सभी घर आ गए. अनु ने आज रात कुछ नहीं खाया. अगले दिन अनु ने सुबह ब्रेकफ़ास्ट किया और फिर दवा खाई लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ और खाने के 30 मिनट बाद ही उसे उल्टी हो गयी. अनु, अविरल और उसके पापा फिर डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने फिर वही कहा कि नॉर्मल सी फूड पोइसिनिंग है और उल्टी रोकने का इंजेक्शन  दे दिया. अब अनु को खाने के बाद उल्टी नहीं हुई लेकिन वो अंदर से बेचैन थी और शाम को जैसे ही इंजेक्शन  का असर खत्म हुआ वैसे ही अनु की तबियत फिर से खराब हो गयी .सभी को चिंता होने लगी लेकिन डॉक्टर ने आश्वासन दिया तो सभी शांत हो गए.अनु ने भी अपने कॉलेज में अपने प्रोफेसर से बात की जो कि जाने माने डॉक्टर थे तो उन्होने भी कहा कि फूड पोइसिनिंग है और कुछ medicine बताकर बोले कि अगर कमजोरी ज्यादा हो तो डॉक्टर से मेरी बात करा देना और ग्लूकोस ले लेना.

आज दशहरे का दिन था. सुबह अनु ने कहा कि पापा बड़ी कमजोरी लग रही है, प्लीज ग्लूकोस की बॉटल चढवा  दो. तो डॉक्टर से बातकर अनु के पापा ने अनु को घर पर ही ग्लूकोस की  बॉटल चढ़वा दी. अनु ने अपने प्रोफेसर से डॉक्टर की बात भी कराई.

अविरल सारा टाइम अनु के पास ही बैठकर उसके सर में बाम लगाता रहा. बोतल  चढ़ने के बाद अनु जब भी लेटती उसकी सांस ठीक से नहीं आती तो वह बेचैन होकर बैठ जाती. इस बारे में जब उसने डॉक्टर को बताया तो डॉक्टर ने बोला कि कुछ एंटिबयोटिक्स दी हैं उसकी वजह से है. थोड़ी देर में सही हो जाएगा. अब शाम हो गयी थी, सभी लोग दशहरे में एक दूसरे के घर मिलने जाते थे तो अनु कि फ़्रेंड्स भी मिलने आई तो अनु ने उनसे बोला कि 1-2 दिन में ठीक हो जाऊँगी तो सबके घर आऊँगी.

अब रात का 11 बज चुका था. अचानक अनु बेहोश हो गयी. उसके पापा और अविरल उसे गोद में लेकर गाड़ी की  तरफ भागे और ड्राईवर से हॉस्पिटल चलने के लिए बोला. अनु के पापा ने अविरल को घर पर ही छोड़ दिया. अनु की  मम्मी,पापा उसे लेकर निकले. आधे रस्ते में  अनु ने को होश आया. उसका सिर अपने पापा की गोद में था . अनु  ने अपने पापा से कहा कि पापा बेचैनी हो रही है, प्लीज विंडो ओपेन कर दो. जैसे ही विंडो ओपेन हुई, अनु की सांसें बंद होने लगीं थी. जैसे ही हॉस्पिटल आया तो डॉक्टर पहले से ही ऑक्सीजन  की किट लिए बाहर खड़े थे. तुरंत ही अनु को ऑक्सीजन  लगाई गयी लेकिन शायद अनु का साथ यहीं तक था. दुर्भाग्यवश ऑक्सीजन  का सिलिंडर ही ऑन नहीं हुआ. थोड़ी देर में अनु की सांसें रुक गयी…..

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अरे ये क्या हुआ, 2-3 दिनों में ही एक हँसते- खेलते परिवार की जिंदगी बदल  गयी.

अगले भाग में हम जानेंगे कि क्या अनु का परिवार इस विपत्ति के पहाड़ से निकल पाएगा ? अविरल का क्या होगा?

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