पिछला भाग- ज़िन्दगी–एक पहेली: भाग-5
अनु की मम्मी हॉस्पिटल के बाहर खड़ी रो रहीं थी लेकिन उन्हें पता नहीं था कि एमरजेन्सी वार्ड में क्या चल रहा है.अनु के पापा बाहर आए और अपने ड्राइवर से कहा कि अनु की मम्मी को लेकर घर चले जाओ और अपनी पत्नी से बोले,” अनु कि तबियत ज्यादा खराब है तो दिल्ली ले जाने की तैयारी करो”.अनु कि मम्मी उनका चेहरा देखकर समझ तो गयी थी कि कुछ गलत है उन्होने जिद की तो उन्होने डांटकर वापस घर भेज दिया. अविरल दरवाजे पर खड़ा अपनी दीदी का इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही गाड़ी दिखाई दी उसे लगा अनु आ गयी है पर जब मम्मी को रोकर गाड़ी से उतरते हुए देखा तो उसे डर लगा उसने तुरंत पूंछा… “मम्मी दीदी कहाँ है?” लेकिन उन्होने कहा कि उसे लेकर दिल्ली जाना है, तैयारी करो.फिर ड्राईवर गाड़ी लेकर हॉस्पिटल चला गया.अंदर अनु की मम्मी रो रही थी और बाहर अविरल एकटक गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था.
अब आसपास के लोग भी घर में जुटने शुरू हो गए थे.अविरल को बहुत डर लग रहा था.थोड़ी देर बाद गाड़ी फिर दिखाई दी.अविरल वही खड़ा हो गया.अविरल के पापा ने कहा कि बेटा अनु बेहोश है दिल्ली लेकर चलना है.अविरल वहीं खड़ा रहा .आसपास के कुछ लोग आए और अनु को उठाकर अंदर ले आए और जमीन में चादर बिछाने को बोले तो अविरल तुरंत लड़ गया कि दीदी को जमीन में क्यूँ लिटा रहे हो, ऊपर बेड पर लिटाओ न.लेकिन अनु को जमीन में लिटा दिया गया.आसपास के लोगो ने अविरलको चिपका लिया और बोले कि अनु तुम्हें छोड़कर बहुत दूर चली गयी.अविरल ने अनु को देखा और तेजी से भागकर अंदर भागा और सारी रात बाहर नहीं आया.
अविरल के पापा के तो जैसे सारे आँसू सूख से गए थे. वो एकदम पत्थर के बुत कि तरह अनु को एकटक देखते रहे .उनके मुंह से बस एक ही शब्द निकला “अब मेरा इलाज़ कौन करेगा ‘बिट्टी’ “.
अविरल की माँ भी एकदम बेसुध हो चुकी थी.कुछ ही समय में अविरल की मौसी जो दिल्ली में रहती थी अपने पूरे परिवार के साथ आ गयी थी.सब एकदम सदमे में थे .
सुबह हो चुकी थी.जैसे- जैसे लोगों को पता चला लोग भागते हुए पहुंचे.आसू और अमित भी अविरल के घर पहुंचे.सुमि को जब पता चला तो वह अविरल के घर जाने को हुई लेकिन सामाजिक बंधनों के कारण वह तड़प कर रह गयी और अपने भाई को संभालने नहीं आ पाई.
अब अनु की बॉडी ले जाने का समय आ चुका था.अविरल अपनी दीदी से चिपक गया .बोला,” दीदी ठीक हो जाएगी ,इसको कहाँ ले जा रहे हो? सबने गाड़ी में उसकी बॉडी रख ली.सब लोग गाड़ी में बैठ गए.लेकिन अविरल के पापा उनके साथ नहीं गए.उन्होने कहा,” मैंने अपनी बिट्टी को अपनी गोद में खिलाया है.मै उसे पानी में कैसे बहा सकता हूँ? (एक माँ बाप के लिए इससे बड़ा कोई दुःख नहीं होता की उसकी संतान उनके आँखों के सामने ही दम तोड़ दे )
अविरल अपनी दीदी की बॉडी के पास गाड़ी में बैठ गया था.वो बार- बार कह रहा था की ..”दीदी को इतनी कसके क्यों बांध रखा है ?इसका दम घुट रहा होगा”.
अब सब लोग नदी के किनारे पहुँच गए थे .अब अविरल को अनु को अंतिम विदाई देनी थी.जब अनु को पानी में बहाया जा रहा था तो अविरल ज़ोर-ज़ोर से रो रहा था .वह बार- बार कह रहा था की,”दीदी को पानी से बहुत डर लगता है ,ये मत करो.ये सुन कर वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखे भर आई.अविरल के चचेरे भाइयों ने उसको संभाला और कहा,” अब दीदी को जाने दो“.
शायद ही इस दिन से ज्यादा मनहूस दिन किसी के जीवन में कभी आता होगा.सब लोग अनु को हमेशा के लिए विदा करके घर आ गए .
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उसी रात अविरल की मौसी लोगों को वापस दिल्ली भी जाना था .अविरल रो-रोकर उन सबसे मिन्नते कर रहा था की आप लोग मत जाओ ,लेकिन उन्होने किसी जरूरी काम का कहकर उसे समझा दिया.वो उससे बोले अभी 4-5 दिन में हम फिर आ जाएंगे.और फिर वो सब उसी रात वापस दिल्ली लौट गए.
अविरल और उसका परिवार बहुत अकेला हो चुका था.उसे अपने साथ साथ अपने माँ-बाप का ख्याल भी रखना था.अनु की कही हुई बाते उसे रह-रहकर याद आ रही थी .उसके आँसू तो जैसे सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
कुछ समय बाद शुद्धि का दिन आ गया.घर में पूजा थी.दिल्ली से भी मौसी लोग देहारादून आ गईं.जब अविरल की मौसी ने उनकी हालत देखी तो उन्होने अविरल के परिवार को अपने साथ दिल्ली ले जाने का निश्चय किया.
और अगले ही दिन अविरल की मौसी उन सबको अपने साथ दिल्ली ले आई.मौसी के 6 लड़के थे जिसमें बड़े लड़के का नाम कार्तिक था और छोटे का नाम अमन था.दोनों ही अविरल और अनु से उम्रमें काफी बड़े थे.उन चारों में आपस में सगे भाई – बहनों सा प्यार था.अविरल, कार्तिक आपस में काफी घुले मिले थे और अमन और अनु आपस में.बचपन से ही हर गर्मियों की छुट्टियों में अविरल और अनु घूमने के लिए मौसी के घर जरूर आते थे.
कार्तिक और अमन अनु के कॉलेज गए इन्फॉर्म करने के लिए तो किसी को भी अनु के छोड़ जाने का विश्वास नहीं हुआ.उसकी रूममेट्स रोने लगीं.थोड़ी देर बाद वो अनु का सारा समान लेकर आई जिसमे अनु का कॉलेज वाला बैग और कुछ कपड़े थे.
अनु का सारा सामान लेकर अमन और कार्तिक घर वापस आ गए और सारा समान अनु के मम्मी-पापा को दे दिया.अविरल अनु का बैग लेकर अलग कमरे में चला गया और बैग से चिपककर फूट- फूट कर रोने लगा.तभी कार्तिक ने आकर अविरल को संभाला और साथ बाहर ले आए.1-6 दिनों बाद अविरल ने अनु का बैग खोलकर देखा तो उसमे अविरल को एक डायरी मिली.जब उसने डायरी पढ़ना शुरू किया तो उसे अपनी आँखों पर विशवास ही नहीं हुआ.
अगले पार्ट में हम जानेंगे कि अनु ने डायरी में ऐसा क्या लिखा था जिसे पढ़कर अविरल के चेहरे का रंग ही उड़ गया?