न कोई रिश्ता, न खास जानपहचान. बस, नेकनीयत व अपनापन ज्योति को सुमित और उस के दोस्तों मनीष व रोहन के साथ धीरेधीरे ऐसे भावनात्मक एहसास से जोड़ते गए जो खून के रिश्ते से बढ़ कर था.