Summer Special: जानिए कैसी है आपकी स्किन

स्किन का वह असामान्य हिस्सा, जहां के रंग में बदलाव आ गया हो, एक आम समस्या है जिस के कई संभावित कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि आप की स्किन के उस हिस्से के मेलानिन के स्तर में अंतर की वजह से पिग्मैंटेशन में बदलाव आ गया हो. दागधब्बे वाली स्किन के भी कई संभावित कारण होते हैं, जो साधारण से जटिल भी हो सकते हैं, जैसे कीलमुंहासे, धूप या अन्य किसी कारण से झुलसना, संक्रमण, ऐलर्जी, हारमोन में बदलाव, जन्मजात निशान आदि. परंतु आम धारणा के उलट, आप के चेहरे के दाग सिर्फ मुंहासों की वजह से ही नहीं होते.

कीलमुंहासों की वजह से होने वाले घाव भी दाग छोड़ सकते हैं. यहां तक कि उन्हें आप नहीं छेड़ते तो भी आप उन से नहीं बच सकते. कुछ द्रव से भरे घाव ऐसे होते हैं, जिन की वजह से स्किन के भीतर दर्द महसूस होता है और वास्तव में ऐसे घाव स्किन की बाहरी सतह पर नहीं होते. जलन सा दर्द देने वाले ये मुंहासे ऐसे होते हैं, जिन में श्वेत रक्तकण की मात्रा अधिक जमा होती है और इस वजह से उस क्षेत्र में ज्यादा ऐंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं और ये ज्यादा घातक होते हैं. ऐसी स्थिति में आप की स्किन स्वयं ही घाव भरने की कोशिश करती है और इस की वजह से दागधब्बे उभर आते हैं. मुंहासे अकेले स्किन पर बदरंग दाग के कारक नहीं होते. अन्य गहरे रंग के धब्बे और ज्यादा पिग्मैंटेशन वाली स्किन के प्रकार के लिए आप की ढलती उम्र, धूप से होने वाला नुकसान, यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां तक जिम्मेदार हो सकती हैं. अगर धब्बे, ऐलर्जी या हाइपरपिग्मैंटेशन जैसी स्किन की गंभीर समस्या है तो स्किन रोग विशेषज्ञ के पास जाने से गुरेज न करें.

निशान और धब्बों में फर्क

मुंहासों के निशान और स्किन के धब्बों में बहुत फर्क होता है. इन के बीच फर्क समझने में जिस एक बिंदु पर लोग भ्रमित होते हैं, वे हैं वास्तविक मुंहासे के दाग और उस के फटने के बाद लाल धब्बा अथवा डिसकलरेशन. स्किन की उपरी सतह पर जो गुलाबी, लाल अथवा भूरे निशान होते हैं वे तो समय के अंतराल के साथ ठीक हो जाते हैं. वे असल में मुंहासे होते ही नहीं, पर वास्तविक मुंहासों के धब्बे स्किन के अंदरूनी नुकसान का परिणाम होते हैं, और अपने पीछे धब्बे छोड़ सकते हैं.

दरअसल, स्किन की अंदरूनी परत में नुकसान के ही परिणाम होते हैं ये धब्बे, जो स्किन को सहारा देने वाली संरचना में टूटफूट की वजह से होते हैं. ये कोलेजन और ऐलेस्टिन के टूटने के कारण बनते हैं. स्वाभाविक तौर पर स्किन पर आए निशान बिना चिकित्सीय इलाज के ठीक नहीं होते. उन्हें खत्म होने में ज्यादा समय लगता है और सिर्फ लेजर उपचार के जरीए ही उन्हें हटाया जा सकता है, क्योंकि ये स्किन के अंदरूनी हिस्सों में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं, जो प्राय: मुंहासों को छेड़ने की वजह से होता है. हालांकि हमेशा ही ऐसा नहीं होता.

रक्ताल्पता के परिणामस्वरूप बने ऐट्रौफिक निशान खरोंच या गहराई जैसे दिखते हैं. जिन्हें प्राय: आइस पिक के नाम से जाना जाता है. वहीं हाइपरट्रौफिक निशान ज्यादा मोटे दिखते हैं. ये स्किन की ऊपरी सतह पर उभार लिए फोड़े की तरह होते हैं. सांवले रंग की स्किन वाले लोगों में प्राय: पोस्टइनफ्लैमेटरी हाइपरपिग्मैंटेशन का मामला देखने को मिलता है. इस के निशान भूरे रंग के होते हैं. तुलनात्मक तौर पर गोरे रंग के लोगों में पोस्टइनफ्लैमेटरी ऐरीथेमा होता है, जो पर्पल और लाल रंग का होता है.

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सचेत रहना जरूरी

वास्तव में मुंहासे के दाग उस चरण में दिखते हैं, जब शरीर के भीतर घाव भरने की प्रक्रिया चल रही होती है और इस वजह से सामान्य तरीके से कोलेजन नहीं बन पाता. मुंहासे के घाव अपने आसपास मौजूद कोलेजन और ऐलेस्टीन जैसे सारे ऐंजाइम को खत्म कर देते हैं. इस दौरान स्किन में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है. कोलेजन और ऐलेस्टीन के ऊतक और अधिक कोलेजन और ऐलेस्टीन उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं या फिर यों कहें कि वे विकृत और लचर ढंग से ऐसा कर पाते हैं और चेहरे पर दागधब्बे छोड़ जाते हैं.

स्वस्थ और सुंदर स्किन पाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस, आप को स्किन की देखभाल के मामले में लगातार गंभीर रहने की जरूरत है. पिग्मैंटेशन, काला धब्बा, झांइयां और असमान स्किन टोन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन का हम सामना करते हैं. यहां तक कि एक दाग के साथ भी बाहर निकलना बहुत परेशान करने वाली स्थिति होती है. इसलिए सब से पहले आप अपनी स्किन के प्रकार के बारे में जानें और फिर उस के अनुसार ही उत्पाद का इस्तेमाल करें. सामान्य, तैलीय, मिश्रित, शुष्क व संवेदनशील आदि स्किन के प्रकार हैं. कुछ लोगों के मामले में उन की स्किन विभिन्न जगहों पर भिन्नभिन्न प्रकार की होती है. बदलते वक्त के साथ स्किन के प्रकार में भी परिवर्तन हो सकता है. स्किन के प्रकार का बदलना विभिन्न तथ्यों पर निर्भर करता है मसलन:

पानी के अवयव, जो स्किन को आराम पहुंचाते हैं. इन से इस की लोच प्रभावित होती है.

तेल (लिपिड) सामग्री, जो स्किन की कोमलता को प्रभावित करती है.

संवेदनशीलता का स्तर.

सामान्य स्किन

सामान्य स्किन न तो ज्यादा शुष्क और न ही ज्यादा तैलीय होती है. इस में न के बराबर खामियां होती हैं. इस में ज्यादा संवेदनशीलता नहीं होती और मुश्किल से दिखने लायक रोमछिद्र होते हैं. इस का रंग चमकदार होता है.

मिश्रित स्किन

मिश्रित प्रकार की स्किन का कुछ हिस्सा शुष्क या सामान्य हो सकता है, तो दूसरे हिस्से जैसे टीजोन (नाक, माथा और ठुड्डी) तैलीय हो सकते हैं. कई लोगों की स्किन मिश्रित प्रकार की होती है, जो अपने भिन्नभिन्न हिस्सों की स्किन के अलगअलग प्रकार के लिए अलगअलग तरह की देखभाल का लुत्फ ले सकते हैं. मिश्रित स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

ज्यादा फैले हुए रोमछिद्र.

कीलमुंहासे.

चमकदार स्किन.

शुष्क स्किन

शुष्क स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

लगभग न दिखने वाले रोमछिद्र.

बिना चमक का रूखा रंग.

लाल धब्बे.

कम लोचदार.

ज्यादा दिखने वाली धारियां.

शुष्क स्किन के निम्न कारण हो सकते हैं या इन की वजह से स्थिति और बदतर हो सकती है:

आनुवंशिक कारक.

ढलती उम्र या हारमोन में बदलाव.

तेज हवा, धूप या ठंड जैसे मौसम.

पराबैगनी विकिरण.

बंद कमरे को गरम करना.

लंबे समय तक गरम पानी से नहाना.

साबुन, सौंदर्य प्रसाधन या क्लींजर्स की सामग्री.

दवा का प्रयोग.

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स्किन की देखभाल

ज्यादा देर तक न नहाएं.

हलके व कोमल साबुन अथवा क्लींजर्स का इस्तेमाल करें.

नहाने के बाद मौइचराइजर जरूर लगाएं. शुष्क स्किन के मामले में लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं, परंतु लोग प्राय: इन से दूर रहते हैं. दिन भर में जरूरत पड़ने पर इन्हें दोहराएं.

बंद कमरे का तापमान ज्यादा न बढ़ने दें.

तैलीय स्किन

तैलीय स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

बढ़े हुए रोमछिद्र.

चमकदार या बिना चमक वाली स्किन.

कीलमुंहासे और अन्य दागधब्बे.

मौसम के परिवर्तन पर तैलीय स्किन में परिवर्तन आ सकता है. निम्न तथ्य तैलीय स्किन के कारक हो सकते हैं या स्किन को और अधिक तैलीय बना सकते हैं:

प्रौढता या हारमोन में असंतुलन.

तनाव.

गरमी या बहुत ज्यादा आर्द्रता का होना.

स्किन की देखभाल

दिन भर में 2 बार से ज्यादा चेहरे को न धोएं.

हलके क्लींजर का इस्तेमाल करें और स्किन को न रगड़ें.

मुंहासों को न छेड़ें. इस से उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

संवेदनशील स्किन

अगर आप की स्किन संवेदनशील है, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि संवेदनशीलता किनकिन चीजों को ले कर है. फिर उन से परहेज करें. संवेदनशील स्किन के कई कारक हो सकते हैं परंतु कई मामलों में स्किन की देखभाल से संबंधित उत्पाद भी इस के कारण हो सकते हैं.

स्किन में अगर लाली, खुजलाहट, जलन व रूखापन हो तो ये लक्षण संवेदनशील स्किन के हो सकते हैं.

डा. पंकज चतुर्वेदी स्किन रोग विशेषज्ञ, मेडलिंक्स

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सांवलेपन से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 17 वर्षीय कालेज स्टूडैंट हूं. मैं अपने सांवलेपन से परेशान हूं. मेरी स्किन औयली है और मेरे मुंह के चारों तरफ सांवलापन है, जो कभी कम नहीं होता है. कोई क्रीम बताएं जिस से सांवलापन जल्दी हट जाए.

जवाब-

आप लैक्टिक बेस्ड चीजें इस्तेमाल करें. जैसे दूध व दही लगाने से सांवलेपन में फर्क पड़ता है. औयली स्किन में दही व बेसन को मिला कर लगाएं. कुछ देर लगा रहने के बाद सादे पानी से धो दें. अपनी डाइट में विटामिन, कैल्सियम युक्त चीजें शामिल करें. स्प्राउट्स खाने की आदत डालें.

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सवाल-

मेरी उम्र 17 वर्ष है. मेरी गरदन का पिछला हिस्सा बहुत सांवला दिखता है. उस सांवलेपन को दूर करने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

कभीकभी सनबर्न होने के कारण या हारमोन असंतुलन के कारण ऐसा होता है. आप सिट्रिक बेस्ड पिल्स ले सकती हैं. इस के अलावा बेसन, नीबू का रस व हलदी पाउडर को मिला कर गरदन पर लगाएं. सूखने पर दूध और पानी के घोल से इस मिश्रण को हटा दें.

इस के अलावा पपीता, केला, दूध, शहद व नीबू का रस मिला कर गरदन पर 25 मिनट तक लगाए रखें. सूखने पर सादे पानी से धो लें. बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन लोशन जरूर लगाएं. अपना हारमोन बैलेंस भी जरूर चैक करवाएं.

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सांवली त्वचा के नाम से ही हम भारतीय अपनी सुंदरता में कमी महसूस करने लगते हैं. कई महिलाएं तो सांवले रंग को ले कर हीनभावना का शिकार हो जाती हैं, जबकि सांवलासलोना रंग अधिक आकर्षित करता है. अगर एक ब्यूटीशियन की नजर से देखा जाए तो हर तरह की रंगत खूबसूरत होती है. सिर्फ जरूरत है अपनी त्वचा को पहचानने की और उसे संवारने की.

सांवली त्वचा की देखभाल

रोज सुबह नहाने से पहले 1 चम्मच कच्चा दूध, 1 चुटकी नमक, 2 बूंदें नीबू का रस व 2 बूंदें शहद डाल कर 5 मिनट तक चेहरे पर लगाएं. बाद में साफ पानी से चेहरा धो लें.

हफ्ते में 2 बार चंदन व गुलाबजल का फेस पैक जरूर लगाएं.

धूप में सांवली त्वचा गोरी त्वचा से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

किसी अच्छी कंपनी के वाइटनिंग फेस वाश से चेहरे को दिन में 2 बार जरूर धोएं.

रात को सोते समय अपनी त्वचा के अनुसार वाइटनिंग क्रीम लगाएं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सांवली स्किन की करें देखभाल

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ब्रशिंग से पाएं Soft Skin

त्वचा लचीली रहे तो झुर्रियां बहुत देर से पड़ती हैं. इस के लिए न्यूयार्क की एनलीज हेगन का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. जिस के चलते चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं, साथ ही चेहरे की चमक कम होने लगती है. लेकिन त्वचा को यदि खूबसूरत और रेशमी रखना है तो इस के लिए त्वचा पर चिपकी गंदगी और तेल को साफ करना जरूरी है. हमारी त्वचा में निरंतर नई कोशिकाएं उत्पन्न होती रहती हैं और पुरानी निकल जाती हैं. इन्हीं मृत कोशिकाओं की सफाई यदि त्वचा से नहीं की जाती है तो ये रोमछिद्रों को बंद कर देती है. परिणामस्वरूप त्वचा पर ब्लैकहैड्स और दूसरे दागधब्बे दिखाई देने लगते हैं. इस से त्वचा सांवली और मुरझाई हुई लगती है, साथ ही बढ़ती उम्र त्वचा की रौनक और कसावट दोनों को ही कम कर देती है.

अपनी त्वचा को रेशमी और स्वस्थ बनाए रखने के लिए हफ्ते में 2 बार ब्रशिंग करें जिस से मृत कोशिकाएं निकलेंगी और त्वचा के रोमरोम की सफाई होगी. दरअसल, दिन भर की दौड़धूप व ज्यादा काम के कारण आप का ऊर्जा स्तर शून्य हो जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए डिटोक्स अपनाना जरूरी है. डिटोक्स सफाई की नई प्रक्रिया है, जिस के जरिए शरीर की सफाई तो होती है, साथ ही दिमाग भी तरोताजा हो जाता है. इस के लिए रात को सोने से पहले अपनी त्वचा पर हलके हाथों से ब्रश चलाएं. ध्यान रखें कि त्वचा सूखी होनी चाहिए.

हमेशा नहाने से पहले त्वचा पर ब्रश करें.

ब्रश की शुरुआत अपने पैरों से करें. पंजे, एड़ी और फिर पैर के आगे और पीछे की तरफ लंबाई में ब्रश चलाएं.

ब्रश चलाने का सही तरीका होता है नीचे से ऊपर की तरफ.

पैरों के बाद अपने नितंबों पर अच्छी तरह ब्रश चलाएं.

अब हाथों और बांहों से ब्रश को ऊपर की तरफ चलाते हुए बगलों की तरफ आएं.

फिर कंधे और छाती से नीचे की तरफ ब्रश चलाएं.

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गरदन के पीछे वाले हिस्से में नीचे की तरफ ब्रश चलाएं.

 पेट पर ब्रश चलाने का सही तरीका यहहै कि ब्रश को धीरेधीरे क्लाकवाइज यानी घड़ी की सूई की तरह गोलगोल चलाएं.

अब 2 बूंदें रोजमेरी के तेल मिले हुए पानी से नहाएं.

इस के आधे घंटे बाद ठंडे पानी से नहाएं.

खास सावधानी

बौडी ब्रशिंग के लिए उचित प्रकार केलूफे का प्रयोग करें. बाजार में ब्रशिंग के लिए तुरई के पारंपरिक लूफे के अलावा नायलोन के लूफे भी मिल जाएंगे.

लूफे का इस्तेमाल हमेशा दबाव के साथ करें. पर अधिक दबाव डालने से त्वचा पर झुर्रियां पड़ सकती हैं.

बौडी पैक लगाने के बाद लूफे का इस्तेमाल करने से पहले पैक को एक बार शावर बाथ से गीला कर लें. लूफे से बहुत दबाव के साथ छुड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

एक्सफोलिएशन

इसी तरह त्वचा की मृत कोशिकाओं की सफाई का सब से आसान तरीका एक्सफोलिएशन है. एक्सफोलिएट करने से पहले निम्न सावधानियां रखना जरूरी है :

त्वचा को किसी माइल्ड साबुन से अच्छी धो लें ताकि पहले से त्वचा पर लगी क्रीम या अन्य पदार्थ त्वचा से चिपके नरह जाएं.

स्क्रब करने के दौरान त्वचा को हलका गीला अवश्य करें, क्योंकि सूखी त्वचा पर स्क्रब करने से त्वचा को नुकसान पहुंचता है.

चेहरे से मृत त्वचा हटाने के लिए सर्कुलर मूवमेंट का प्रयोग करें.

स्क्रब के बाद चेहरे पर मास्चराइजर जरूर लगाएं.

एक्सफोलिएशन के लिए अल्कोहल बेस्ड एस्ट्रिंजेंट भी उपलब्ध हैं.

ये भी पढ़ें- ब्यूटी सोप से निखारें Skin

सांवली स्किन की करें देखभाल

सांवली त्वचा के नाम से ही हम भारतीय अपनी सुंदरता में कमी महसूस करने लगते हैं. कई महिलाएं तो सांवले रंग को ले कर हीनभावना का शिकार हो जाती हैं, जबकि सांवलासलोना रंग अधिक आकर्षित करता है. अगर एक ब्यूटीशियन की नजर से देखा जाए तो हर तरह की रंगत खूबसूरत होती है. सिर्फ जरूरत है अपनी त्वचा को पहचानने की और उसे संवारने की.

सांवली त्वचा की देखभाल

रोज सुबह नहाने से पहले 1 चम्मच कच्चा दूध, 1 चुटकी नमक, 2 बूंदें नीबू का रस व 2 बूंदें शहद डाल कर 5 मिनट तक चेहरे पर लगाएं. बाद में साफ पानी से चेहरा धो लें.

हफ्ते में 2 बार चंदन व गुलाबजल का फेस पैक जरूर लगाएं.

धूप में सांवली त्वचा गोरी त्वचा से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

किसी अच्छी कंपनी के वाइटनिंग फेस वाश से चेहरे को दिन में 2 बार जरूर धोएं.

रात को सोते समय अपनी त्वचा के अनुसार वाइटनिंग क्रीम लगाएं.

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भोजन

दिन में 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं.

संतरा, मौसमी, अनन्नास और आंवला जैसे फल अधिक खाएं.

विटामिन सी वाली चीजें अधिक इस्तेमाल करें.

दिन में 2 बार दूध पीएं.

खाली पेट खुली हवा में सैर करें.

वस्त्र

सांवली त्वचा वालों को अधिक भड़कीले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए.

नीला, हरा और पीला रंग कम पहनें.

मिक्स रंग भी कम पहनें.

हलका गुलाबी, मैरून, आसमानी, हलके जामुनी आदि रंग अधिक पहनें.

मेकअप

हलकाफुलका मेकअप करें. अपने चेहरे को पाउडर या फाउंडेशन की मोटी परत से न ढकें. रंग को अधिक गोरा दिखाने वाला फाउंडेशन न लगाएं. गोल्डन आइवरी कलर का फाउंडेशन इस्तेमाल करें. सांवली रंगत पर आंखों में काजल अच्छा लगता है. आईलाइनर और मस्कारा भी जरूर लगाएं. रंगबिरंगा आईलाइनर लगाया जा सकता है पर रंग अधिक शोख नहीं होने चाहिए. ग्रे या भूरे रंग के लेंस भी लगाए जा सकते हैं. ब्लशआन का रंग गाजरी, पीच या गुलाबी होना चाहिए. चेहरा कभी भी रूखा नहीं लगना चाहिए. चेहरे पर मास्चराइजर अवश्य लगाएं. गुलाबी, मैरून या ब्राउन लिपस्टिक अच्छी लगेगी.

सांवली त्वचा पर बालों का रंग ब्राउन या काला होना चाहिए. बालों को हफ्ते में 2 बार शैंपू से अवश्य धोएं. कंडीशनर करें और बालों में हेयर सीरम लगाएं. बालों की स्ट्रेटनिंग भी करा सकती हैं. इस प्रकार अगर आप सांवलीसलोनी त्वचा को संवारती रहें तो आप की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे.

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ब्यूटी सोप से निखारें Skin

गोरी काया हर स्त्री की चाहत होती है. पहले महिलाएं अपने कामकाज से समय निकाल कर बेसन, चंदन, हलदी व मुलतानी मिट्टी के लेप बना कर अपनी त्वचा पर लगाती थीं, परंतु आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इतना समय कहां. शरीर में चेहरे की त्वचा सब से ज्यादा संवेदनशील होती है और भागमभाग से भरपूर दिनचर्या का सब से ज्यादा बुरा असर इसी पर पड़ता है. यदि सही देखभाल न की जाए तो हवा के थपेड़ों व धूप की तपिश से चेहरे की त्वचा अपनी आभा खोने लगती है.

त्वचा के प्रकार

यदि 2 से 4 घंटों के अंतराल पर आप को अपनी त्वचा चिपचिपी प्रतीत होती है तो त्वचा का स्वभाव तैलीय है और इस प्रकार की त्वचा के रखरखाव की ज्यादा जरूरत होती है.

घर से बाहर निकलने के कुछ समय बाद ही यदि आप त्वचा में खिंचाव महसूस करती हैं तो आप की त्वचा रूखी है.

यदि धूप और हवा का असर त्वचा पर तुरंत नजर आने लगे तो आप की त्वचा अति संवेदनशील है.

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सांवलेपन का कारण

त्वचा का सीधे तेज धूप में संपर्क में आना, सांवलेपन का प्रमुख कारण है. सूर्य की पराबैगनी किरणें और तपिश त्वचा के बाहरी आवरण को नुकसान पहुंचाती हैं. त्वचा पर जमा होती गंदगी त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देती है और इन से निकलने वाले पोषक तत्त्व निष्क्रिय हो जाते हैं. इन कारणों से ब्लैक स्पौट, पिगमैंटेशन व सांवलेपन की समस्या पैदा हो जाती है.

त्वचा का रखरखाव

ब्यूटी सोप त्वचा की देखभाल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथसाथ आप को तरोताजा भी रखता है. परंतु ब्यूटी सोप का चुनाव करते समय सावधानी बरतना जरूरी है. इसे खरीदने से पहले प्रोटीन फार्मूला व सौंदर्य निखारने वाले अन्य तत्त्वों की जानकारी अवश्य लें. ध्यान रखें कि सोप में कैमिकल की मात्रा ज्यादा न हो, क्योंकि यह त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है.

अपने चेहरे पर दिन में कई बार पानी का छिड़काव कर साफ करें. इस से गंदगी भी साफ होगी और त्वचा की आभा भी बनी रहेगी.

अच्छे ब्यूटी सोप से अपने चेहरे को साफ करें.

ब्यूटी सोप का इस्तेमाल करने से पहले रुई के फाहे में गुलाबजल डाल कर चेहरे को हलके हाथों से साफ करें.

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गर्मियों में पिंपल की प्रौब्लम से छुटकारा पाने का इलाज बताएं?

सवाल-

गर्मियों की शुरुआत होते ही हमारी स्किन पर पिंपल्स की प्रोब्लम शुरू हो जाती है. ये पिम्पल्स न तो दिखने में अच्छे लगते हैं और साथ ही इन्हें छूने पर पेन भी काफी महसूस होता है. कृपया इसका कोई सोलूशन बताएं?

जवाब-

असल में समर्स में तेल पैदा करने वाली सीबासोउस ग्लैंड्स त्वचा के छिद्रों के बंद होने के कारण अति सक्रिय हो जाते हैं. जिससे इन पोर्स में तेल के जमा होने के कारण मुंहासों की समस्या पैदा होनी शुरू हो जाती है. वैसे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इन फॉरेन तत्वों से छुटकारा पाने की कोशिश करती है, जो जलन, सूजन का कारण बनती है. वहीं कई बार होर्मोन्स के लेवल में अचानक वृद्वि होने से भी सीबम का उत्पादन उत्तेजित होता है. जिससे पोर्स बंद होने से त्वचा में सूजन की समस्या आ जाती है. जो  सीबासोउस ग्लैंड्स को ज्यादा एक्टिवेट करते हैं , जो सीबम का ज्यादा उत्पादन करता है, और मुंहासों का कारण बनता है. ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर ट्रीटमेंट लेने की. तो आइए जानते हैं इस संबंध में ब्यूटी एक्सपर्ट नमिता से….

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लाइफस्टाइल में बदलाव 

बहुत सी महिलाओं को बहुत माइल्ड मुंहासे की समस्या का सामना करना पड़ता है. और ये प्रोब्लम अकसर उन्हें आयल के कारण होती है. ऐसे में जरूरी है माइल्ड पिंपल्स से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की. इसके लिए ज्यादा ऑयली फूड से दूरी बनाने के साथसाथ समर्स में अपने चेहरे पर भी आयल को जमा न होने दें. इसके लिए चेहरे को फेसवाश से धोने के साथसाथ हर 3 – 4 घंटे में सादे पानी से फेस को क्लीन करना न भूलें. ताकि चेहरे पर ग्रीसी इफेक्ट खत्म होने के साथ इसके कारण हमारे पोर्स ब्लौक न हो. कोशिश करें कि अपनी स्किन को सोफ्ट क्लींज़र से क्लीन करें और कभी भी चेहरे पर हार्श तरीके से स्क्रबिंग न करें. क्योंकि इससे मुंहासों की स्थिति और खराब हो सकती है. साथ ही आप फ्रैग्रैंस वाले लोशन व आयल बेस्ड मेकअप अवोइड करें. और ऐसे मॉइस्चराइजर व सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जिस पर  नोनकोमेडिक लिखा हो, क्योंकि ऐसे प्रोडक्ट्स पोर्स को क्लोग नहीं करते हैं.

जब हो स्थिति गंभीर 

सनएक्सपोज़र से बचें 

जब चेहरे पर एक्ने की स्तिथि बहुत गंभीर होती है, तो थोड़ा सा सन एक्सपोज़र भी एक्ने प्रोन स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप जितना संभव हो सके सनएक्सपोज़र से बचें. और अगर निकलना भी पड़े तो आप स्किन को सूट करने वाला सनस्क्रीन लगाएं व अपने चेहरे व हाथ को सोफ्ट कॉटन के कपड़े से कवर करके निकलें. इससे काफी हद तक आप अपनी स्किन का बचाव कर सकते हैं.

यूज़ रेटिनोइड्स क्रीम्स 

अगर आपके मुंहासे काफी उबरे हुए हैं और उनमें सूजन व जलन भी काफी है तो आप रेटिनोल्स एक्ने क्रीम्स, जैल , लोशन्स का इस्तेमाल करें. क्योंकि ये न्यू सेल्स को तेजी से बनाने का काम करते हैं , जिससे डेड स्किन सेल्स पोर्स को क्लोग नहीं कर पाते हैं. इनमें एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रोपर्टीज होती हैं. जिसके कारण ये दागधब्बों को भी कम करने में मददगार है. साथ ही मुंहासों के कारण स्किन में जो डलनेस देखने को मिलती है , उसमें भी कमी आती है. यानी ये स्किन पिगमेंटेशन को कम करने में मददगार है.

टॉक टू डर्मटोलोजिस्ट 

अगर आपको एक्ने में बेहद दर्द व सूजन महसूस हो रही है तो बिना कोई देरी किए तुरंत डर्मटोलोजिस्ट को दिखाएं , ताकि सही समय पर सही ट्रीटमेंट मिलने से स्तिथि को बिगड़ने से रोका जा सके.

केमिकल पील 

ये एक ऐसा ट्रीटमेंट है, जो पिंपल्स व इसके कारण चेहरे पर होने वाले दागधब्बों को खत्म करके आपको बहुत कम समय में क्लियर स्किन देने का काम करता है. इसके माध्यम से कुछ खास तरह के केमिकल्स का उपयोग करके त्वचा की ऊपरी परत को हटाया जाता है. जिससे स्किन में नई जान आने के साथ स्किन फिर से खिल उठती है. ये हमेशा एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें. क्योंकि घर पर इसे करने से स्किन पर एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है. ये कम समय में अमेजिंग रिजल्ट देता है.

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डेप्सोल जैल 

पेनफुल पिंपल्स की स्थिति में डर्मटोलोजिस्ट भी इस जैल को लगाने की सलाह देते हैं. क्योंकि इस जैल में है एंटीमाइक्रोबियल व एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज. ये पिंपल्स को ट्रीट करने के साथ ब्लैकहेड्स , वाइटहेड्स की समस्या को भी दूर करने का काम करते हैं. लेकिन इस बात का खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत होती है कि बेहतर रिजल्ट के चक्कर में इसकी ज्यादा क्वांटिटी न लगाएं वरना स्किन के ड्राई होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं.

बेंज़ोइल पेरोऑक्साइड 

ये एंटीबैक्टीरियल  इंग्रीडिएंट होने के कारण एक्ने बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है, जो ब्रेअकाउट्स का कारण बनते हैं. लेकिन इस इंग्रीडिएंट युक्त क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले पैक पर चेक जरूर करें कि इसमें 2 पर्सेंट से अधिक बेंज़ोइल पेरोऑक्साइड न हो, वरना ये सेंसिटिव स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. इस तरह आप एक्ने की प्रोब्लम से निजात पा सकते हैं.

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सौफ्ट & शाइनी स्किन के लिए अपनाएं ये 10 टिप्स

अंजली का चेहरा हमेशा बुझाबुझा सा नजर आता था. अरे यार, वह अपने चेहरे पर ध्यान देगी तभी तो उस की त्वचा साफ, कोमल और दमकी नजर आएगी. क्या आप को भी लगता है कि आप अपने चेहरे को साफ रखती हैं, तब भी उस में चमक नहीं आ पाती है? कई बार ऐसा होता है कि त्वचा पर से डेड सेल्स ठीक से न निकलने पर त्वचा बेजान और धुंधली दिखाई देने लगती है.

इस के अलावा त्वचा की नमी और तैलीयता बनाए रखने की शक्ति भी कम होती जाती है. डेड सेल्स ठीक से न निकलने पर नए सेल्स को निकलने के लिए जगह नहीं मिलती, जिस के कारण त्वचा पर कई तरह की समस्याएं जैसे मुंहासे, ब्लैकहेड्स और दागधब्बे दिखाई देने लगते हैं. त्वचा को पानी या साबुन से धोने से उस पर जमी धूलमिट्टी और चिकनाई तो दूर हो जाती है लेकिन डेड सेल्स अच्छी तरह से नहीं निकल पाते हैं. इसलिए त्वचा पर से डेड सेल्स को अच्छी तरह से निकालने के लिए कुछ खास उपायों की आवश्यकता होती है.

1. एस्ंट्रिजेंट

बाजार में कई प्रकार के एस्ट्रिंजेंट उपलब्ध हैं. अल्कोहल बेस्ड एस्ट्रिंजेंट त्वचा पर से डेड सेल्स को हटाता है.

2. प्यूमिक स्टोन

त्वचा पर हलके हाथों से प्यूमिक स्टोन को रगड़ने से डेड सेल्स निकल जाते हैं. प्यूमिस स्टोन जब इस्तेमाल करें तब इसे त्वचा पर जोरजोर से न रगड़ें. इस से त्वचा के डेड सेल्स तो हट जाते हैं, लेकिन नए सेल एमीलोइड नामक एक प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं और यही प्रोटीन त्वचा पर काले दागधब्बे के रूप में उभर आता है.

3. बौडी ब्रशिंग

पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद लूफा या ब्रश से हलके हाथों से त्वचा को रगड़ना चाहिए. बौडी ब्रशिंग से त्वचा पर जमे डेड सेल्स अच्छी तरह से निकल जाते हैं.

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4. स्क्रब

स्क्रब द्वारा त्वचा के डेड सेल्स को आसानी से निकाला जा सकता है. स्क्रब करने से पहले त्वचा को माइल्ड सोप से अच्छी तरह धो लें. होममेड स्क्रब त्वचा के लिए काफी अच्छे रहते हैं. इन्हें आप आसानी से घर पर ही बना कर इस्तेमाल कर सकती हैं. सप्ताह में एक बार त्वचा पर होममेड स्क्रब करना चाहिए. इस से त्वचा दमकती रहती है.

5. फेस पैक और फेस मास्क

फेस पैक और फेस मास्क चेहरे और गरदन के डेड सेल्स को हटाने के अच्छे उपाय हैं. फेस पैक को चेहरे पर लगाया जाता है. सूख जाने पर हलके हाथ से रगड़ कर निकाल दिया जाता है. इस के बाद ठंडे पानी से त्वचा को साफ कर लिया जाता है. फेस मास्क को त्वचा की प्रकृति के हिसाब से इस्तेमाल कर सकती हैं.

6. फेशल

फेशल एक प्रकार की मसाज है. यह भी त्वचा पर से डेड सेल्स निकालने का अच्छा उपाय है. फेशल से त्वचा में निखार आता है. चेहरे की त्वचा में रक्तसंचार ठीक से होने लगता है. त्वचा की झुर्रियां नष्ट हो जाती हैं. आंखों के डार्क सर्कल्स खत्म हो जाते हैं.

7. प्रिजरवेटिव फेशल

स्वस्थ त्वचा पर प्रिजरवेटिव फेशल किया जाता है.

8. हर्बल फेशल

हर्बल फेशल में कुकुंबर, रोज, लैमन, संदल आदि मिला होता है. घरेलू हर्बल फेशल आप खुद भी घर पर कर सकती हैं.

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9. यों करें फेशल

हलके हाथों से त्वचा पर मालिश करें. हाथों की दिशा को अप एंड आउट चलाएं, जिस से त्वचा को टोन मिलेगा. आउट यानी बाहर की ओर स्ट्रोक करें. इस से त्वचा के जहरीले पदार्थ हट जाएंगे. त्वचा पर मुंहासे हैं, तो फेशल से पहले स्टीम अवश्य लें. त्वचा पर संक्रमण, एक्ने तथा त्वचा अधिक संवेदनशील होने पर फेशल न करें.

10. पैडीक्योर और मैनीक्योर

हाथपैरों के डेड सेल्स को निकालने के लिए पैडीक्योर और मैनीक्योर सब से आसान और अच्छे उपाय हैं. सप्ताह में एक बार पैडीक्योर और मैनीक्योर अवश्य करना चाहिए. 

10 लेटैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स

आज के दौर में तकनीक ने हमें ऐसेऐसे तरीकों से रूबरू कराया है जिन से हम हमेशा जवां और खूबसूरत नजर आ सकते हैं. ऐंटीएजिंग प्रोसीजर के जरीए न सिर्फ त्वचा पर पड़ने वाले बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि इस से एजिंग से त्वचा पर होने वाले असर की मुख्य वजह पर भी टारगेट किया जाता है ताकि दोबार एजिंग का प्रभाव न दिखे.

10 कौस्मैटिक प्रोसीजर आप की हमेशा जवां दिखने की चाहत को पूरा कर सकते हैं:

1. कैमिकल पील से हटाएं डैड सैल्स

चेहरे के ढलने व त्वचा की चमक के लगातार कम होने की एक वजह डैड होते स्किन सैल्स भी हैं. ऐसे में कुछ खास किस्म के ट्रीटमैंट जैसे कि माइक्रोडर्माबे्रसन और कैमिकल पील्स के जरीए चेहरे के डैड सैल्स को हटाया जा सकता है. इस के अलावा डायमंड पौलिशिंग के जरीए भी डैड सैल्स, स्कार्स और टैनिंग को दूर किया जा सकता है.

2. चेहरे के लिए मैसोबोटोक्स

यह चेहरे के फेशियल का एक अलग तरीका है, जिस में चेहरे पर माइक्रोबोटोक्स इंजैक्ट कराए जाते हैं. इस में बोटोक्स के कम डोज फेस के अलगअलग हिस्सों में लगाए जाते हैं. इस से फेस की स्किन चमकदार और  झुर्रियांरहित नजर आती है.

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3. लेजर थेरैपी

अगर चेहरे के पोर्स फैल जाएं, तो ये आप के लुक को खराब कर देते हैं. ऐसे में लेजर थेरैपी के जरीए फेस के पोर्स को टाइट करा सकती हैं.

4. बोटोक्स ट्रीटमैंट

बढ़ती उम्र के चलते माथे पर पड़ी लकीरें और झुर्रियां थकान, तनाव और उम्रदराज होने के संकेत देती नजर आती हैं. इन्हें बोटोक्स के जरीए आसानी से दूर किया जा सकता है. बोटुलिनम टौक्सिटी जिसे आमतौर पर बोटोक्स के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा नौनसर्जिकल प्रोसीजर है, जिस में बोटोक्स को इंजैक्ट कर के मसल्स को रिलैक्स मोड पर लाया जाता है. इस प्रक्रिया द्वारा चेहरे की झुर्रियों और लकीरों को खत्म किया जाता है. जैसे ही मसल्स में बोटोक्स को इंजैक्ट किया जाता है, यह एक खास मसल को अन्य मसल्स के साथ कौंटैक्ट करने को रोक देता है. जिस मसल पर बोटोक्स का असर होता है वह रिलैक्स हो जाती है. इसे चेहरे के अलगअलग हिस्सों पर इंजैक्ट करा कर फेस को बिलकुल फ्रैश लुक दिया जाता है. बोटोक्स का इस्तेमाल ब्रो लिफ्ट के लिए भी किया जाता है. इस में कुछ ही मिनटों के अंदर आईब्रोज को हाईलाइट कर के आकर्षक शेप में बदला जा सकता है. इस से चेहरा बिलकुल नए लुक में नजर आता है.

5. ओजोन थेरैपी

बालों की ग्रोथ और रिपेयर के लिए शरीर के किसी भी हिस्से में औक्सीजन के प्रवाह को ओजोन थेरैपी के नाम से जाना जाता है. औक्सीजन के ये फ्री रैडिकल्स शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर करने में सहायक होते हैं. ऐसे ही तत्त्व सिर की सतह पर भी होते हैं, जो ओजोन थेरैपी के जरीए सतह से बाहर निकल जाते हैं. इस थेरैपी के असर से बालों का गिरना पूरी तरह बंद हो जाता है और नए बाल उगने शुरू हो जाते हैं.

6. रैस्टिलेन ट्रीटमैंट

दिल्ली की डर्मैटोलौजिस्ट डा. इंदू बालानी, बताती हैं कि बेजान त्वचा और आंखों के नीचे काले घेरों की समस्या को ह्यालुरोनिक ऐसिड से भरपूर रैस्टिलेन जैसे डर्मल फिलर्स के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है. यह त्वचा को मौइश्चराइज करता है और इस का असर 1 साल तक रहता है.

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7. डायमंड पौलिशिंग

डा. चिरंजीव छाबड़ा, डर्मैटोलौजिस्ट (स्किन अलाइव क्लीनिक, दिल्ली) कहते हैं कि इस तकनीक में डायमंड को टिप्स पर फिक्स कर के इसे इलैक्ट्रौनिकली चेहरे पर मूव कराया जाता है. यह तकनीक चेहरे से डैड सैल्स, स्कार्स, टैनिंग के अलावा स्किन के ग्लो और कौंप्लैक्शन से जुड़ी कई कमियों को भी दूर करती है. डायमंड एमडीबी तकनीक के क्षेत्र में नया विकास है, जिस का पूरे विश्व में चेहरे की रंगत निखारने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

8. स्किन सर्कुलेशन थेरैपी

इस थेरैपी से चेहरे की त्वचा का ब्लडसर्कुलेशन इंप्रूव किया जाता है. इस से चेहरे का कौंप्लैक्शन और ग्लो बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पुरानी थेरैपी से छुटकारा मिल जाता है. यह ऐक्ने, स्कार्स, डार्कसर्कल्स, स्किन में पैचीनैस आदि को दूर करने में भी इस्तेमाल की जाती है.

9. स्टेम सैल थेरैपी

इस ट्रीटमैंट में विटामिंस, अमीनोऐसिड्स व पेप्टाइड्स के मिक्स्चर को दूसरे ऐक्टिव इनग्रैडिएंट के साथ मिला कर सिर की सतह के स्टेम सैल्स को ऐक्टिव करते हैं. इस से बालों की ग्रोथ तेज हो जाती है. यह ट्रीटमैंट वीकली इंटरवल में कई सैशनों में पूरा होता है. जल्दी रिकवरी के लिए हेयर लेजर एलईडी थेरैपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

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10. कूलस्कल्पटिंग

यह अतिरिक्त चरबी या मोटापा दूर करने की सब से कारगर तकनीक है, जो शरीर को मनचाहा आकार देती है. इस में शरीर की चरबी अथवा मोटापे के अनुसार सिटिंग्स होती हैं. तो नए साल में खूबसूरत दिखने के ये आधुनिक उपाय आजमाएं और पाएं बेदाग सुंदरता.

कभी न करें शेयर लिप प्रोडक्ट

मैं अपना लिपस्टिक भूल गयी हूँ. क्या मैं तुम्हारा ले सकती हूँ? लिपस्टिक का यह रंग मेरे ऊपर अच्छा नहीं लग रहा, मुझे तुम्हारा लिपस्टिक दे दो. इस प्रकार से अपना लिपस्टिक सबके साथ शेयर करना बंद करें.

और निश्चित रूप से किसी अजनबी के साथ क्योंकि आप नहीं जानते कि उसके होंठ कैसे हैं. यहां लिपस्टिक शेयर न करने के पीछे कुछ विलक्षण कारण बताए गए हैं.

लिप बाम के उपयोग के दो ही तरीके हैं – या तो व्यक्ति सीधे इसे अपने होंठों पर रगड़े या अपने बैक्टीरिया युक्त हाथों की उँगलियों में लेकर इसे लगाए. दोनों ही तरीके खराब हैं.

आप यह जानकर चौंक जायेंगे कि होंठों से संबंधित उत्पादों को शेयर करने से वास्तव में क्या होता है? बैक्टीरिया एक जगह से दूसरी जगह जाना पसंद करते हैं यह एक महत्वपूर्ण कारण है जिसके कारण आपको अपना लिप बाम किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए.

आपके होंठों की सतह के नीचे विशाल रक्त वाहिकाएं होती हैं. आप इस पतली झिल्ली पर जो कुछ भी लगाते हैं वह अपने आप ही रक्त के माध्यम से आपके शरीर में चला जाता है जिसमें बैक्टीरिया भी शामिल हैं.

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बिजी लड़कियों के लिये आसान ब्‍यूटी ट्रिक्‍स वायरस कई सप्ताह तक जीवित रहते हैं भले ही आपकी सहेली ने कई दिनों पहले आपके लिपस्टिक का उपयोग किए हो, परन्तु इस बात का ध्यान रखें कि वायरस लिपस्टिक पर चिपक जाते हैं तथा कई सप्ताह तक जीवित रहते हैं.

तो यदि दुर्भाग्य से जिस व्यक्ति ने पहले इसका उपयोग किया है उसे यदि थोड़ा बहुत भी जुकाम हो तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यह वायरस आप को भी प्रभावित कर दे.

हर्पीस की चेतावनी लिप बाम शेयर न करने का यह एक दूसरा घातक कारण है. यदि वह व्यक्ति जिसने आपके लिप बाम का उपयोग किया है और उसके होंठों की त्वचा यदि कहीं से कटी हुई हैं या उसके होंठ फटे हुए हैं या उसके मुंह में छाले हुए हैं या उसके होंठों पर हर्पीस के वायरस हों तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप भी इन सब से ग्रसित हो जाएं.

लिपस्टिक की ऊपरी सतह को पोंछकर फी उसका उपयोग करना काफी नहीं होता. उसे फेंक दें तथा यदि आप ऐसा नहीं कर सकती तो लिपस्टिक के ऊपरी भाग को काट डालें.

मेकअप आर्टिस्ट को उनके लिपस्टिक का उपयोग न करने दें यदि आप दुल्हन बनने वाली हैं और शादी के दिन अच्छा मेकअप करना चाहती हैं तो आपके लिए एक छोटी सी सलाह है. मेकअप आर्टिस्ट द्वारा लाये गए लिपस्टिक का उपयोग कभी न करें. इस बात की पूरी संभावना है कि आपके पहले 10 लोगों ने इसका उपयोग किया हो.

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इसका सही तरीका यह है कि लिप कलर लगाने के लिए एक साफ़ लिप ब्रश या रुई के टुकड़े का उपयोग करें. यदि आप ब्यूटी पार्लर जाती हैं तो भी लिपस्टिक के लिए यही नियम लागू होता है. तो अब आप समझ गए कि लिपस्टिक शेयर करना क्यों गलत है?

हाथों में भी रोगाणु पनप सकते हैं लोग सोचते हैं कि उंगलियां साफ होती हैं तथा लिप बाम शेयर करने का यह एक सुरक्षित तरीका है. वास्तव में ऐसा नहीं है. यदि आपके होंठों पर 40% बैक्टीरिया हैं तो आपके हाथों में 80% बैक्टीरिया होते हैं. इसका कोई सुरक्षित तरीका नहीं है. सबसे अच्छा होगा आप अपने लिप प्रोडक्ट्स को अपने उपयोग तक ही सीमित रखें.

मेरे पैर ड्राय हो जाते हैं और फटने भी लग जाते हैं, क्या करूं?

सवाल-

सर्दियों में मेरे पैर ड्राई हो जाते हैं और फटने भी लग जाते हैं. क्या करूं?

जवाब-

सर्दियों में त्वचा का ड्राई होना बहुत कौमन बात है. इस के लिए पैरों पर रोज सोने से पहले किसी थिक क्रीम से या वैसलीन से मालिश करना बहुत अच्छा रहता है. मालिश करने के बाद कौटन सौक्स पहन लें और सो जाएं. कभीकभार चीनी, नीबू और गुलाबजल को मिला कर उस से पैरों की मालिश कर लें. इस से स्किन मौइस्चराइज हो जाती है और फटती भी नहीं है. अगर पैर फट रहे हैं तो रात को हलके गरम पानी में पैरों को कुछ देर के लिए डुबो कर रखें. चाहें तो पानी में थोड़ा सा शैंपू डाल सकती हैं. पैरों को बाहर निकाल कर साफ करें और सुखा लें.

एक कटोरी में मोमबत्ती के टुकड़े डाल कर उस में थोड़ा सा सरसों का तेल डालें और हलकी आंच पर धीरेधीरे चलाएं. इस पेस्ट को फटे हुए पैरों में भर लें और मौजे पहन लें. इस से आप के फटे हुए पैर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएंगे.

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पैरों को साफ और स्वस्थ रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के किसी दूसरे अंग को. पैरों की साफसफाई एक निश्चित अंतराल पर होती रहनी चाहिए. इस के लिए आप नियमित साफसफाई के अलावा पैडिक्योर का सहारा भी ले सकती हैं.

ऐसे करें पैडिक्योर

पैडिक्योर करने से पहले नाखूनों पर लगी नेल पौलिश को हटा दें. फिर टब या बालटी में कुनकुने पानी में अपना पसंदीदा साल्ट या क्रीम सोप डालें. अगर आप के पैरों की त्वचा ज्यादा रूखी है, तो उस में औलिव आयल भी डाल लें. साल्ट आप के पैरों की त्वचा को नरम बनाएगा, तो औलिव आयल उस के लिए माश्चराइजर का काम करेगा. पैरों का कम से कम 15 मिनट तक इस पानी में रखने के बाद बाहर निकाल कर बौडी स्क्रबर से स्क्रब करें. स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से पैरों को अच्छी तरह साफ कर लें. ध्यान रहे कि पैरों की उंगलियों के बीच में  कहीं सोप बचा न रहे. अब पैरों पर कोल्ड क्रीम से हलकी मालिश करें. रूई की सहायता से उंगलियों के बीच फंसी क्रीम को साफ करें. अब पैरों के नाखूनों पर नेल पौलिश का सिंगल कोट लगाएं और इसे सूखने दें. जब यह सूख जाए तो नेल पौलिश से फाइनल टच दें.

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पैराफिन वैक्स के साथ पैडिक्योर

इस तरीके से पैडिक्योर करने के लिए सब से ज्यादा जरूरी चीज है वक्त. जब भी आप पैराफिन वैक्स से पैडिक्योर करें, इसे कम से कम सवा घंटे का समय दें. पैराफिन वैक्स से पैडिक्योर करते समय सब से पहले अपने पैरों को पैराफिन वैक्स से साफ कर लें. इस के लिए पैराफिन वैक्स को पिघला कर एक मिट्टी की बड़ी कटोरी या बरतन में डाल लें. अब अपने पैरों को इस बरतन में डाल दें. यह काम करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि वैक्स आप के पैरों के ऊपर बहे. इस के बाद पेडिक्योर की पहली प्रक्रिया की तरह पैरों को कुनकुने साफ पानी से धो कर क्रीम से इन की मसाज करें और नेल पौलिश लगा लें.

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