स्किन का वह असामान्य हिस्सा, जहां के रंग में बदलाव आ गया हो, एक आम समस्या है जिस के कई संभावित कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि आप की स्किन के उस हिस्से के मेलानिन के स्तर में अंतर की वजह से पिग्मैंटेशन में बदलाव आ गया हो. दागधब्बे वाली स्किन के भी कई संभावित कारण होते हैं, जो साधारण से जटिल भी हो सकते हैं, जैसे कीलमुंहासे, धूप या अन्य किसी कारण से झुलसना, संक्रमण, ऐलर्जी, हारमोन में बदलाव, जन्मजात निशान आदि. परंतु आम धारणा के उलट, आप के चेहरे के दाग सिर्फ मुंहासों की वजह से ही नहीं होते.
कीलमुंहासों की वजह से होने वाले घाव भी दाग छोड़ सकते हैं. यहां तक कि उन्हें आप नहीं छेड़ते तो भी आप उन से नहीं बच सकते. कुछ द्रव से भरे घाव ऐसे होते हैं, जिन की वजह से स्किन के भीतर दर्द महसूस होता है और वास्तव में ऐसे घाव स्किन की बाहरी सतह पर नहीं होते. जलन सा दर्द देने वाले ये मुंहासे ऐसे होते हैं, जिन में श्वेत रक्तकण की मात्रा अधिक जमा होती है और इस वजह से उस क्षेत्र में ज्यादा ऐंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं और ये ज्यादा घातक होते हैं. ऐसी स्थिति में आप की स्किन स्वयं ही घाव भरने की कोशिश करती है और इस की वजह से दागधब्बे उभर आते हैं. मुंहासे अकेले स्किन पर बदरंग दाग के कारक नहीं होते. अन्य गहरे रंग के धब्बे और ज्यादा पिग्मैंटेशन वाली स्किन के प्रकार के लिए आप की ढलती उम्र, धूप से होने वाला नुकसान, यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां तक जिम्मेदार हो सकती हैं. अगर धब्बे, ऐलर्जी या हाइपरपिग्मैंटेशन जैसी स्किन की गंभीर समस्या है तो स्किन रोग विशेषज्ञ के पास जाने से गुरेज न करें.
निशान और धब्बों में फर्क
मुंहासों के निशान और स्किन के धब्बों में बहुत फर्क होता है. इन के बीच फर्क समझने में जिस एक बिंदु पर लोग भ्रमित होते हैं, वे हैं वास्तविक मुंहासे के दाग और उस के फटने के बाद लाल धब्बा अथवा डिसकलरेशन. स्किन की उपरी सतह पर जो गुलाबी, लाल अथवा भूरे निशान होते हैं वे तो समय के अंतराल के साथ ठीक हो जाते हैं. वे असल में मुंहासे होते ही नहीं, पर वास्तविक मुंहासों के धब्बे स्किन के अंदरूनी नुकसान का परिणाम होते हैं, और अपने पीछे धब्बे छोड़ सकते हैं.
दरअसल, स्किन की अंदरूनी परत में नुकसान के ही परिणाम होते हैं ये धब्बे, जो स्किन को सहारा देने वाली संरचना में टूटफूट की वजह से होते हैं. ये कोलेजन और ऐलेस्टिन के टूटने के कारण बनते हैं. स्वाभाविक तौर पर स्किन पर आए निशान बिना चिकित्सीय इलाज के ठीक नहीं होते. उन्हें खत्म होने में ज्यादा समय लगता है और सिर्फ लेजर उपचार के जरीए ही उन्हें हटाया जा सकता है, क्योंकि ये स्किन के अंदरूनी हिस्सों में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं, जो प्राय: मुंहासों को छेड़ने की वजह से होता है. हालांकि हमेशा ही ऐसा नहीं होता.
रक्ताल्पता के परिणामस्वरूप बने ऐट्रौफिक निशान खरोंच या गहराई जैसे दिखते हैं. जिन्हें प्राय: आइस पिक के नाम से जाना जाता है. वहीं हाइपरट्रौफिक निशान ज्यादा मोटे दिखते हैं. ये स्किन की ऊपरी सतह पर उभार लिए फोड़े की तरह होते हैं. सांवले रंग की स्किन वाले लोगों में प्राय: पोस्टइनफ्लैमेटरी हाइपरपिग्मैंटेशन का मामला देखने को मिलता है. इस के निशान भूरे रंग के होते हैं. तुलनात्मक तौर पर गोरे रंग के लोगों में पोस्टइनफ्लैमेटरी ऐरीथेमा होता है, जो पर्पल और लाल रंग का होता है.
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सचेत रहना जरूरी
वास्तव में मुंहासे के दाग उस चरण में दिखते हैं, जब शरीर के भीतर घाव भरने की प्रक्रिया चल रही होती है और इस वजह से सामान्य तरीके से कोलेजन नहीं बन पाता. मुंहासे के घाव अपने आसपास मौजूद कोलेजन और ऐलेस्टीन जैसे सारे ऐंजाइम को खत्म कर देते हैं. इस दौरान स्किन में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है. कोलेजन और ऐलेस्टीन के ऊतक और अधिक कोलेजन और ऐलेस्टीन उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं या फिर यों कहें कि वे विकृत और लचर ढंग से ऐसा कर पाते हैं और चेहरे पर दागधब्बे छोड़ जाते हैं.
स्वस्थ और सुंदर स्किन पाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस, आप को स्किन की देखभाल के मामले में लगातार गंभीर रहने की जरूरत है. पिग्मैंटेशन, काला धब्बा, झांइयां और असमान स्किन टोन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन का हम सामना करते हैं. यहां तक कि एक दाग के साथ भी बाहर निकलना बहुत परेशान करने वाली स्थिति होती है. इसलिए सब से पहले आप अपनी स्किन के प्रकार के बारे में जानें और फिर उस के अनुसार ही उत्पाद का इस्तेमाल करें. सामान्य, तैलीय, मिश्रित, शुष्क व संवेदनशील आदि स्किन के प्रकार हैं. कुछ लोगों के मामले में उन की स्किन विभिन्न जगहों पर भिन्नभिन्न प्रकार की होती है. बदलते वक्त के साथ स्किन के प्रकार में भी परिवर्तन हो सकता है. स्किन के प्रकार का बदलना विभिन्न तथ्यों पर निर्भर करता है मसलन:
पानी के अवयव, जो स्किन को आराम पहुंचाते हैं. इन से इस की लोच प्रभावित होती है.
तेल (लिपिड) सामग्री, जो स्किन की कोमलता को प्रभावित करती है.
संवेदनशीलता का स्तर.
सामान्य स्किन
सामान्य स्किन न तो ज्यादा शुष्क और न ही ज्यादा तैलीय होती है. इस में न के बराबर खामियां होती हैं. इस में ज्यादा संवेदनशीलता नहीं होती और मुश्किल से दिखने लायक रोमछिद्र होते हैं. इस का रंग चमकदार होता है.
मिश्रित स्किन
मिश्रित प्रकार की स्किन का कुछ हिस्सा शुष्क या सामान्य हो सकता है, तो दूसरे हिस्से जैसे टीजोन (नाक, माथा और ठुड्डी) तैलीय हो सकते हैं. कई लोगों की स्किन मिश्रित प्रकार की होती है, जो अपने भिन्नभिन्न हिस्सों की स्किन के अलगअलग प्रकार के लिए अलगअलग तरह की देखभाल का लुत्फ ले सकते हैं. मिश्रित स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:
ज्यादा फैले हुए रोमछिद्र.
कीलमुंहासे.
चमकदार स्किन.
शुष्क स्किन
शुष्क स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:
लगभग न दिखने वाले रोमछिद्र.
बिना चमक का रूखा रंग.
लाल धब्बे.
कम लोचदार.
ज्यादा दिखने वाली धारियां.
शुष्क स्किन के निम्न कारण हो सकते हैं या इन की वजह से स्थिति और बदतर हो सकती है:
आनुवंशिक कारक.
ढलती उम्र या हारमोन में बदलाव.
तेज हवा, धूप या ठंड जैसे मौसम.
पराबैगनी विकिरण.
बंद कमरे को गरम करना.
लंबे समय तक गरम पानी से नहाना.
साबुन, सौंदर्य प्रसाधन या क्लींजर्स की सामग्री.
दवा का प्रयोग.
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स्किन की देखभाल
ज्यादा देर तक न नहाएं.
हलके व कोमल साबुन अथवा क्लींजर्स का इस्तेमाल करें.
नहाने के बाद मौइचराइजर जरूर लगाएं. शुष्क स्किन के मामले में लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं, परंतु लोग प्राय: इन से दूर रहते हैं. दिन भर में जरूरत पड़ने पर इन्हें दोहराएं.
बंद कमरे का तापमान ज्यादा न बढ़ने दें.
तैलीय स्किन
तैलीय स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:
बढ़े हुए रोमछिद्र.
चमकदार या बिना चमक वाली स्किन.
कीलमुंहासे और अन्य दागधब्बे.
मौसम के परिवर्तन पर तैलीय स्किन में परिवर्तन आ सकता है. निम्न तथ्य तैलीय स्किन के कारक हो सकते हैं या स्किन को और अधिक तैलीय बना सकते हैं:
प्रौढता या हारमोन में असंतुलन.
तनाव.
गरमी या बहुत ज्यादा आर्द्रता का होना.
स्किन की देखभाल
दिन भर में 2 बार से ज्यादा चेहरे को न धोएं.
हलके क्लींजर का इस्तेमाल करें और स्किन को न रगड़ें.
मुंहासों को न छेड़ें. इस से उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.
संवेदनशील स्किन
अगर आप की स्किन संवेदनशील है, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि संवेदनशीलता किनकिन चीजों को ले कर है. फिर उन से परहेज करें. संवेदनशील स्किन के कई कारक हो सकते हैं परंतु कई मामलों में स्किन की देखभाल से संबंधित उत्पाद भी इस के कारण हो सकते हैं.
स्किन में अगर लाली, खुजलाहट, जलन व रूखापन हो तो ये लक्षण संवेदनशील स्किन के हो सकते हैं.
– डा. पंकज चतुर्वेदी स्किन रोग विशेषज्ञ, मेडलिंक्स