आप एटीएम से कर सकती हैं ये 10 काम

आम तौर पर लोग एटीएम (एटीएम मशीन) का इस्तेमाल केवल पैसा निकालने के लिए करते हैं. इसके अन्य सुविधाओं के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती. हम आपको बताएंगे कि कैश निकालने के अलावा एटीएम और कौन से 10 काम कर सकता है. आइए जानते हैं एटीएम की अन्य सुविधाओं के बारे में.

करें बिल की पेमेंट

आजकल लगभग सभी एटीएम मशीनों में ये सुविधा मौजूद है. इससे कई तरह के बिल, जैसे इलेक्ट्रिसिटी, डीटीएच और गैस बिल, एटीएम मशीन में मौजूद पे यूटिलिटी बिल्स विकल्प पर क्लिक करके कर सकती हैं.

करें मोबाइल रिचार्ज

अपने मोबाइल फोन को रिचार्ज करें एटीएम से. जी हां, प्री-पेड फोन का रिचार्ज अब एटीएम से संभव है. इसके लिए आपको मशीन में मौजूद रिचार्ज मोबाइल ऑप्शन को सिलेक्ट करके ज़रूरी निर्देशों का पालन करना होगा.

करें क्रेडिट कार्ड का पेमेंट

अपने क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट करने के लिए आप एटीएम का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके लिए आपको अपने डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करना होगा. इसकी बकायदा आपको रसीद दी जाएगी. इसके लिए जरूरी है कि आपका डेबिट और क्रेडिट कार्ड एक ही बैंक का हो.

पिन बदलना

एटीएम से आप अपने कार्ड का पिन जेनरेट करने के अलावा बदल भी सकती हैं.

मिनी स्टेटमेंट

एटीएम से आप अपने अकाउंट ट्रांजेक्शन्स की जानकारी ले सकती हैं. इसे मिनी स्टेटमेंट कहते हैं. इसके लिए आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं है.

पता करें अकाउंट बैलेंस

अपके खाते में कितना पैसा है इसकी जानकारी आप एटीएम से ले सकती हैं.

करें फंड ट्रांसफर

एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसा भेजन की सुविधा एटीएम पर मिलती है. आपको बता दें कि एक बार में 15 हज़ार और एक दिन में आप 30 हजार तक ट्रांसफर कर सकती हैं.

करें कैश डिपौजिट

आजकल कई एटीएम में कैश डिपौजिट की सुविधा मिलती है. वहां से आप पैसे जमा कर सकती हैं.

फिक्ड डिपौजिट अकाउंट खोलें

बचत के लिए फिक्स्ड डिपौजिट एक बेहतर विकल्प है. इसके लिए किसी तरह के फौर्म को भरने की जरूरत नहीं है. एटीएम के ज़रिए भी आप यह कर सकती हैं. कुछ बैंक 10 हज़ार से लेकर 50 हजार तक के फिक्स्ड डिपौजिट एटीएम से करने की सुविधा देते हैं.

करें चेक बुक रिक्वेस्ट

अगर आपकी चेकबुक खत्म हो जाए और आप उसे दोबारा प्रिंट करवाना चाहती हैं तो एटीएम पर आपको ये सुविधा मिलेगी. एटीएम से रिक्वेस्ट भेजें और आपकी चेक बुक आपके घर पहुंच जाएगी.

बिना पिन डाले करें पेमेंट, जानिए इस नई तकनीक को

एटीएम कार्डों की तकनीक में 1 जनवरी से एक बड़ा बदलाव हुआ है. अब बैंक कौंटेक्टलेस एटीएम कार्ड भी जारी करेंगे. इन कार्ड्स की खासियत है कि इनसे पेमेंट करने के लिए पीओएस पर आपको पिन डालने की जरूरत नहीं है. बस पीओएस पर कार्ड को टच करने की जरूरत है और आपका पेमेंट हो जाएगा. आपको बता दें कि इस तकनीक से आप

2000 रुपये तक का पेमेंट कर सकती हैं. इससे ज्यादा का भुगतान करने के लिए पिन डालने की जरूरत होगा.जानकारों की माने तो सुरक्षा के मामले में ये बेहद कमजोर है. अगर आपका कार्ड खो जाता है तो बिना पिन जाने कोई भी आपके कार्ड से खरीदारी कर भुगतान कर सकता है. एक्सपर्ट्स की माने तो इस दिशा में लोगों को और अधिक जागरुक करने की जरूरत है.  ग्राहकों को भी इस कार्ड का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए. आपको बता दें कि इस  मामले में मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं हैं.

कार्ड चोरी होने या गिरने की स्थिति में ग्राहक को साबित करने में परेशानी होगी कि कौंटेक्टलेस फीचर का इस्तेमाल कर उसने पेमेंट नहीं किया है.एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में होने वाले कुल वित्तीय लेन-देन में 60% दो हजार रुपए से कम का होता है. इसे आसान बनाने के लिए कौंटेक्टलेस कार्ड का आइडिया इस्तेमाल किया जा रहा है.

आपको बता दें कि वीजा ने देश में पहली बार 2015 में कौंटेक्टलेस कार्ड जारी किए थे. तब से अब तक यह 2 करोड़ से ज्यादा ऐसे कार्ड जारी कर चुका है. विभिन्न बैंकों की बिना पिन/ओटीपी के ट्रांजैक्शन सीमा की बात की जाए तो एसबीआई, एक्सिस और यूनियन बैंक ने एक दिन में अधिकतम 5 कौंटेक्टलेस ट्रांजैक्शन की सीमा तय कर रखी है. कई बैंकों ने कौंटेक्टलेस तकनीक से एक दिन में 10,000 रुपये का प्रावधान किया है.

औनलाइन फ्रौड से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

आज अधिकतर बैंक ग्राहकों को नेट बैंकिंग की सुविधा दी जाने लगी है. इससे लेनदेन आसान, सुविधाजनक और सुरक्षित हो गई है. आसानी से घर बैठे तमाम तरह के पेमेंट्स नेट बैंकिंग के माध्यम से होते हैं. पर इसकी अपनी चुनौतियां भी हैं. अगर आप इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करती हैं तो आपको सर्तक रहने की भी जरूरत है. इस लिए आपको कुछ जरूरी बातों का खासा ख्याल रखना होगा. इसी बाबत हम आपके लिए लाएं हैं ये खबर. इस खबर में हम आपको कुछ जरूरी टिप्स बताएंगे जिन्हें ध्यान में रख कर आप अपने पैसों को और अधिक सुरक्षित रख सकती हैं.

सिस्टम से लौग आउट करना ना भूलें

जब भी आप अपने नेट बैंकिंग खाते को किसी सिस्टम में लौगइन करते हैं तो ध्यान रखें कि काम होने के बाद आपने लौग आउट किया है. ऐसा ना करने से आपका पूरा पैसा लूट लिया जा सकता है और आपको पता भी नहीं चलेगा.

किसी भी तरह के फ्रौड की जानकारी बैंक को दें

किसी भी अनजान स्रोत से आपको पैसा मिल रहा है तो बैंक को तुरंत सूचित करें. या अगर आपके खाते से कोई बिना आपकी जानकारी के पैसा जा भी रहा है तो सतर्क रहें. किसी भी तरह के संदेहास्पद लेनदेन होने पर जानकारी बैंक को दें.

url बार में लौक का निशान देखें

अपने इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल्स को इंटर करते वक्त ध्यान में रखें कि यूआरएल बार में लौक का निशान आ रहा है या नहीं. अगर लौक का निशान नहीं है तो उस पेज पर अपना अकाउंट लौकइन ना करें. ये निशान वेबसाइट की गोपनीयता और सुरक्षा का सूचक है.

फर्जी ई-मेल्स से रहें सावधान

जब कोई फ्रौड व्यक्ति या संस्था आपको फर्जी ई-मेल भेजती है तो इसे फिशिंग कहते हैं. इस ई-मेल के माध्यम से अगला इंसान आपके बैंक से जुड़ी गोपनीय जानकारियां लेने की कोशिश करता है. इन जानकारियों में बैंक अकाउंट नंबर, लौगइन पासवर्ड, पिन जैसी जानकारियां होती हैं. इस तरह  के ई-मेल के किसी भी लिंक पर क्लिक ना करें.

किसी से भी शेयर ना करें गोपनीय जानकारियां

किसी भी सूरत में किसी भी व्यक्ति से अपने बैंक  से जुड़ी गोपनीय जानकारियां शेयर ना करें. इससे आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है. अगर आपने मोबाइल से पेमेंट के दौरान अपने कार्ड की जानकारी सेव कर दी है तो ध्यान रखें कि मोबाइल लौक रहे और किसी गलत व्यक्ति के हाथों में न जाए.

बचत करने के लिए इन बातों को ध्यान में रखें महिलाएं

घर के वित्तीय मामलों में घर की औरतों का खासा दखल होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वो घर की वित्तीय कार्यों को पुरुषों से बेहतर ढंग से संभाल लेती हैं. उनमें प्रबंधन और बचत की भावना भी पुरुषों की अपेक्षा बेहतर रहती है. ऐसे में हम महिलाओं के लिए कुछ जरूरी टिप्स ले आए हैं जो उन्हें इन बातों में खासा मदद करेंगे और इन मामलों में उनकी समझ को और अधिक विकसित करने में मदद करेंगे.

सोचें निवेश के बारे में

पैसों के बचत के लिए जरूरी है कि आप निवेश जरूर करें. पैसा बचा कर घर में रखने से कोई लाभ नहीं होता. बेहतर होगा कि आप उसे बाजार और पौलिसी में निवेश करें. इससे आपका पैसा भी सुरक्षित रहेगा और निवेश से पैसों में बढ़ोत्तरी होगी.

वित्तीय मामलों की समझ

एक महिला के लिए ये बेहद जरूरी है कि वो वित्तीय मामलों के बारे में समझ अच्छी रखे. इसके लिए आप चाहें तो फाइनेंशियल प्लानर की मदद ले सकती है.

जरूरत की चीजों की करें खरीदारी

जो भी चीजें जरूरी हैं उसे खरीदने से पीछे ना हटें पर गैर जरूरी खर्चों से दूर रहें. अगर आप शौपिंग करने जा रहीं और आपको अचानक कुछ खरीदने का मन होने लगा तो खुद से पूछें कि क्या आपको उस सामान की जरूरत है. क्या जरूरत है उस सामन की आपको?  इसके बाद भी अगर आपको लगता है कि आपको सामान खरीदना चाहिए तो खरीदें नहीं तो छोड़ दें.

ध्यान रखें कहां और कितना करना है खर्च

जहां भी आपको पैसे खर्च करने हैं उसकी पूरी जानकारी रखें. बेहतर होगा कि आप अपने खर्चों को नोट करते रहें. ध्यान रखें कि जहां और जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करें.

कई बैंकों में खाते होने के हैं ये नुकसान

कई कारणों से लोगों के कई बैंकों में खाते खुल जाते हैं. कई लोग बिजनस पर्पज या सैलरी अकाउंट की प्राइवेसी बनाए रखने के लिए कई खाते खोल लेते हैं. एक ओर कई बैंकों में खाते के कुछ फायदे हैं वहीं इसके बहुत से नुकसान भी होते हैं. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कई बैंकों में खाते खोलने के कौन से मुकसान होते हैं.

यूजर नेम और पासवर्ड याद रखना होगा

आपके जितने बैंक खाते होंगे उतने ही क्रेडेंशियल्स होंगे. ऐसे में सबके पिन, युजरनेम, पासवर्ड को याद रखना एक मुश्किल काम है. अगर आप एक भी पासवर्ड भूलते हैं तो आपको काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. कई बार गलत पासपृवर्ड डालने से आपका खाता भी बंद हो सकता है.

आयकर की रडार पर  आसकती हैं आप

अगर आप इनकम टैक्स भरती हैं तो आपको सारे खातों की जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी. किसी भी खाते की जानकारी ना देने की सूरत में आयकर विभाग से आपको नोटिस भी मिल सकता है.

सबमें रखना होगा मिनिमम बैलेंस

आपके जितने भी बैंक खाते होंगे सबमें मिनिमम बैलेंस रखना आपकी मजबूरी होगी. आपके पैसे बिखरे रहेंगे. आपको बता दें कि हालिया सरकारी निर्देश के बाद सभी बैंक खातों में एक निश्चित न्यूनतम राशि रखना जरूरी है. ऐसा ना करने की सूरत में आपको जूर्माना भरना पड़ सकता है.

डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का शुल्क

ज्यादा बैंक खाता यानि उतने ही डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स. इन सारे कार्ड्स से बैंक चार्जेस वसूलते हैं. बिना किसी कारण आपको ज्यादा चार्जेस देने पड़ेंगे.

ट्रांजेक्शन अलर्ट के चार्जेज

आपको बता दें कि बैंक के ग्राहकों को कई तरह के चार्जेज देने पड़ते हैं. इन चार्जेज में वार्षिक मेनटेंस, मंथली स्टेटमेंट चार्ज, एसएमएस अलर्ट चार्ज आदि शामिल हैं. आपके पास जितने भी खाते हैं उन सभी खातों पर बैंक आपसे ये चार्जेज वसूलते हैं.

मैडम खर्चीली न बनें

रीमा के हाथ में शौपिंग बैग देख कर प्रमोद के माथे पर बल पड़ गए. पति को समय पर घर आया देख कर रीमा बड़ी अदा से मुसकराते हुए बोली, ‘‘अजी, आप आ गए, पता होता तो…’’

रीमा की बात बीच में ही काटते हुए प्रमोद लगभग दहाड़ते हुए बोला, ‘‘हां, हां, पता होता कि मैं अभी नहीं आने वाला हूं तो क्या सारा बाजार ही उठा लातीं, मेम साहब. अरे, मैं तो तंग आ गया हूं तुम्हारी इस खरीदारी की खर्चीली आदत से…बीवी हो या आफत. मौत भी नहीं आती कि इस आफत नाम की खर्चीली बीवी से जान छूटे.’’

रीमा भौचक्की सी कभी पति को तो कभी अपनी कुलीग प्रेमा को देखती, जिसे वह दफ्तर से अपने साथ ले आई थी. थोड़ी हिम्मत कर रीमा ने पति से पूछा, ‘‘अजी, आप की तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘क्यों? क्या हुआ मेरी तबीयत को,’’ प्रमोद घूर कर देखते हुए बोला.

‘‘नहीं, यों ही पूछा था…यह अचानक…’’

‘‘क्या अचानक तबीयत कभी बिगड़ नहीं सकती? पर तुम्हें क्या…मैं मरूं या जिंदा रहूं…तुम्हें अपनी साडि़यों की खरीदारी से फुरसत मिले तब न. करो, करो…खूब खर्च करो. बाप की दौलत है न, लुटाओ…पति जाए भाड़ में.’’

पति महोदय किस बात की भड़ास निकाल रहे थे. क्या यह पत्नी की ओर से महज की गई खरीदारी को ले कर थी या इस की जड़ में और भी कुछ था. आमतौर पर पतियों को यही शिकायत रहती है कि उन की बीवियां बहुत ही फुजूलखर्च होती हैं. जब देखो बनावशृंगार और घर के रखरखाव के नाम पर हर महीने अच्छा- खासा पैसा खर्च कर आती हैं. यही नहीं कुछ पतियों को यह शिकायत रहती है कि किफायत नाम का शब्द इन की डिक्शनरी में नहीं रहता. बाजार से बनाबनाया खाना, फास्ट फूड सेंटर से पिज्जा का वक्तबेवक्त आर्डर आदि वाहियात बातों पर तमाम पैसा जाया करती हैं. यही शिकायत घर की सजावट को ले कर भी रहती होगी.

आजकल भले ही पतिपत्नी दोनों कामकाजी हों, पत्नी कमाऊ हो तो भी पतियों की सोच में लगता है ज्यादा बदलाव नहीं आया है. गुड़गांव के एक मशहूर फैशन हाउस में काम कर रही सुधा गुगलानी ने बताया, ‘‘दरअसल, व्यक्तिगत खर्चे अकसर पतियों को नागवार गुजरते हैं क्योंकि उन की निगाह में यह नाजायज खर्च है. उन्हें लगता है कि औरतें अपने रखरखाव, चेहरे के आकर्षण, सुडौल शरीर और सुंदर दिखने के लिए पार्लर व ब्यूटी केयर के नाम पर जो कुछ खर्च करती हैं उन्हें फुजूलखर्च लगते हैं. यदि मैं फैशन हाउस में काम करती हूं और बनसंवर कर, जिम या हेल्थ क्लब में जा कर खुद को फिट रखना चाहती हूं तो पति को क्यों लगता है कि मैं फुजूलखर्च करती हूं. मोटी सी तोंद ले कर और बिखरे बालों के साथ किसी विदेशी ग्राहक से क्या मैं बात कर पाऊंगी? अपना आत्म- विश्वास बढ़ाने के लिए और उस आत्मविश्वास के स्तर को बनाए रखने के लिए मुझे तो ये खर्चे जरूरी लगते हैं. मेरे लिए ये खर्चे कोई शौकिया नहीं, काम की मांग हैं.’’

पति कब चूकने वाले थे, झट बोले, ‘‘यह भी क्या काम की मांग हुई, मैचिंग के नाम पर दर्जनों चप्पल, सैंडल, जूते और भी न जाने क्याक्या. इतना तो कमाती नहीं जितना खर्च कर डालती हो. मैं तो इसे मैडम खर्चीली कहता हूं.’’

इन के घर में खाने की टेबल पर कैसा हंगामा. नहीं, चुपकेचुपके सुनने की जरूरत नहीं, गली में हर आताजाता इन की बातें साफसाफ सुन सकता है.

‘‘सुधा आज फिर…’’ तभी घंटी बजती है, ‘‘अजी, जरा देखना तो दरवाजे पर कौन है,’’ पति दहाड़ते हुए बोले, ‘‘यह मिस्टर कोई और नहीं, तुम्हारा पिज्जा वाला होगा.’’

‘‘प्लीज, क्या कर रहे हो, जरा खोल दो न किवाड़, बेचारा कहीं लौट न जाए.’’

‘‘सुनो, तुम अपना अकाउंट नंबर उस पिज्जे वाले को क्यों नहीं दे देतीं. तुम्हारे व्यक्तिगत खर्चे का बिल भुगतान के लिए बैंक में जाता ही है, साथ में उस का भी चला जाएगा.’’

‘‘क्या है जी, बच्चों की कुछ भी फिक्र नहीं आप को तो.’’

‘‘बच्चों की बात मत करो, खुद को खाना न बनाना पड़े इसलिए झट से आर्डर दे दिया और हो गया मेरा कबाड़ा. मैडम खर्चीली, जागो, फ्री होम डिलीवरी के नाम पर अच्छाखासा पैसा लुटा डालती हो तुम. कभी यह भी सोचा कि बच्चों के स्वास्थ्य पर इस का क्या असर पड़ेगा. पर नहीं, तुम्हें क्या? तुम्हें तो अपनी झूठी शान, झूठी आधुनिकता का मुखौटा कुछ करने ही नहीं देता.’’

दरवाजा खोलने के नाम पर पति ने अपने मन के कपाट ही खोल डाले. बच्चों को फास्ट फूड अच्छा लगता है. उन के स्कूल में, बाहर सब जगह ही तो इस का चलन है, सभी खाते हैं, फिर हम क्या इतने गएगुजरे हैं कि बच्चों की इतनी छोटी सी मांग भी पूरी न कर पाएं. आफ्टर आल, दोनों किस के लिए कमाते हैं, बच्चों के लिए ही न. तो फिर इतना आसमान क्यों सिर पर उठा रखा है.

वैसे बड़ेबुजुर्गों का और मनो- चिकित्सकों का भी यही मानना है कि बच्चों को अधिक लाड़ करना, अधिक आइसक्रीम, जंक फूड कैंडीस की आदत डालना फिर उस आदत को पालना बिलकुल नाजायज है.

सवाल यह उठता है कि क्या बच्चों के लिए कई खर्चे जरूरी हैं? हां, स्कूल के खर्चे हैं, जेबखर्च है, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कुछ खर्चे हैं, ये सभी आवश्यक हैं और इन के लिए सीमाएं तो मांबाप दोनों को ही तय करनी हैं. हां, ध्यान रहे, रिश्तों में खटास न आए. मनमुटाव होना भी लाजिमी है, क्योंकि विचारधारा मेल नहीं खाती. हो सकता है बच्चे के लिए कोई खास गेम खरीदने के लिए बीवी की जिद सही हो, उस से बच्चे का बौद्धिक विकास हो रहा हो, लेकिन एक शब्द है ‘नीड’ यानी जरूरत और दूसरा शब्द है ‘डिजायर’ यानी इच्छा. इन दोनों में अंतर करना जब जान लेंगे तो न पतिदेव कंजूस रहेंगे न बीवी मैडम खर्चीली. इसलिए इच्छाओं के घोड़ों की लगाम अपने हाथों में रखें और जरूरतों के दास न बनें.

मिनिमम बैलेंस से कम राशि पर कौन सा बैंक लेता है कितना जुर्माना

देश के सभी बैंकों ने ग्राहकों को अपने नियमित बचत खाते में मासिक औसत बैलेंस बनाए रखने के लिए नए नए प्रावधान लाते हैं. जो भी ग्राहक अपने खाते में मिनिमम राशि नहीं रखते उनसे जुर्माना के रूप में निश्चित रकम वसूला जाता है. इस खबर में हम आपको दो बैंकों के मिनिमम बैलेंस संबंधित जानकारी देंगे. और ये बैंक हैं भारतीय स्टेट बैंक और एचडीएफसी. तो आइए जाने कि इन दोनों बैंकों में निश्चित मिनिमम बैलेंस ना रखने पर कितने जुर्माने का प्रावधान है.

भारतीय स्टेट बैंक

भारतीय स्टेट बैंक या कहें तो एसबीआई ने अपने सभी ग्राहकों को उनके खाते में न्यूनतम राशि रखना अनिवार्य कर दिया है. आपको बता दें कि एसबीआई में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता शाखाओं के आधार पर अलग-अलग होती है. एसबीआई की शाखाओं को मेट्रो, ग्रामीण, शहरी और अर्ध शहरी में बांटा गया है.

मेट्रो और शहरी इलाकों में एसबीआई शाखाओं में ग्राहकों को अपने खाते में कम से कम 3000 रुपये की औसत राशि अपने खाते में रखनी है. अर्ध शहरी इलाकों के लिए ये लिमिट 2000 रूपये की है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ये राशि 100 रुपये है. मेट्रो और शहरी क्षेत्र की बैंक शाखाओं में जो ग्राहक खातों में 1500 रुपये या उससे कम का बैलेंस रखते हैं उनपर 10 रुपये प्रति महीना और जीएसटी लगता है. अगर उनका बैलेंस निर्धारित सीमा से 50-75 फीसद से कम है तो उन्हें 12 रुपये और जीएसटी पेनाल्टी के रूप में देना होगा. वहीं अगर बैलेंस 3000 रुपये के 75 फीसद से कम है तो पेनाल्टी राशि 15 रुपये होगी और साथ में जीएसटी भी देना होगा.

एचडीएफसी बैंक

मेट्रो और शहरी क्षेत्र में स्थित एचडीएफसी बैंक में बचत खातों में ग्राहकों को औसत मासिक 10,000 रुपये रखने का प्रावधान है. वहीं अर्धशहरी क्षेत्रों के लिए ये न्यूनतम औसत राशि 5000 रुपये है. ग्रामीण क्षेत्र के शाखाओं में ये राशि 2,500 रुपये हैं. अब बात करते हैं औसत बैलेंस से कम राशि होने पर लगने वाले फाइन के बारे में. मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के शाखाओं में न्यूनतम औसत बैलेंस ना रखने पर 150 रुपये प्रति महीने जुर्माना है.

वहीं 5,000 से 7,500 रुपये तक के बैलेंस पर 300 रुपये का जुर्माना है. 2,500 से 5000 रुपये तक के बैलेंस पर 450 रुपये का जुर्माना और 0 से 2500 रुपये तक के बैलेंस पर 600 रुपये प्रति माह जुर्माना का प्रावधान है. इसके अलावा अर्ध शहरी क्षेत्रों में 2,500 से 5000 रुपये तक के बैलेंस पर 150 रुपये और 0 से 2500 रुपये तक के बैलेंस पर 300 रुपये का जुर्माना प्रति महीना देना पड़ता है.

कैश से बेहतर है डिजिटल लेनदेन

देशभर में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ऐसे में सरकार भी इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर लग के काम कर रही है. इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है यूपीआई. सरकार लोगों को डिजिटल पेमेंट के लिए लोगों को जागरुक भी कर रही है. जागरुकता फैलाने के लिए सरकार विज्ञापनों की फेहिस्त लाई है, इनके सहारे वो जनता को डिजिटल ट्रांजेक्शन के फायदों के बारे में बता रही है. इसके साथ ही कैश को छोड़ डिजिटल मनी की ओर रुख करने की जानकारी लोगों को दी जा रही है.

इसी क्रम में हम आपको बताने वाले हैं कि डिजिटल लेनदेन क्यों जरूरी है, क्यों लोगों को कैश से इतर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना चाहिए.

सुरक्षित होता है डिजिटल लेनदेन

कैश रखना सुरक्षित नहीं माना जात. आए दिनों पर्स का चोरी होना, चोरी, लूट मार जैसी चीजें आम हो गई हैं. ऐसे में ई-मनी एक सुरक्षित स्थान है. डिजिटल ट्रांजेक्शन करने के लिए आपके पास पैसा फिजिकल स्टेट में होने की जरूरत नहीं है. बैंक खाते से सीधे आपके मनमुताबिक जगह पर पैसा जा सकता है.  अगर आपका कार्ड गुम हो जाता है तो इसे तुरंत ब्लौक भी कराया जा सकता है. इसके अलावा अपने लेनदेन पर आप दावा भी कर सकती हैं. अगर किसी तरह की गड़बड़ी हुई है तो उस पैसे के लिए आप दावा भी ठोंक सकती हैं.

सुविधाजनक है डिजिटल ट्रांजेक्शन

डिजिटल लेनदेन बेहद सुविधाजनक है, इससे लेनदेन बेहद आसान हो जाता है. कैश का टेंशन दूर हो जाता है और लेनदेन का पूरा रिकार्ड सुरक्षित रहता है.

कई वित्तीय लाभ मिलते हैं

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बहुत से बैंक्स और पेमेंट कंपनियां अगल अगल और आकर्षक औफर्स के साथ बाजार में मौजूद हैं. इन औफर्स में से पेमेंट करने पर पेट्रोल खरीदने पर छूट, रेल टिकट पर छूट, बीमा खरीदने जैसे कई छूट शामिल हैं. ई-वालेट कंपनियां कैशबैक औफर, रिवार्ड पौइंट्स भी देती हैं.

क्रेडिट कार्ड लेते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

क्रेडिट कार्ड आज बहुत से लोगों की जरूरत बन गई है. कई बार क्रेडिट कार्ड हमारे बुरे वक्त का सहारा भी बनता है. जब आपके पास बैलेंस ना हो और आपको पैसों की बेहद जरूरत है ऐसे में क्रेडिट कार्ड काफी काम आता है. बाजार में कई तरह के क्रेडिट कार्ड्स हैं. जरूरी है कि अपनी जरूरतों को जान कर, परख कर हम सही कार्ड का चुनाव करें. कई बार इसकी जानकारी के अभाव में क्रेडिट कार्ड से हमें नुकसान भी होता है. आम तौर पर लोग जो खरीदारी के काफी शौकीन होते हैं, हाई लिमिट वाला कार्ड लेते हैं पर ये एक बुरा विकल्प है. ये गलती आपको कर्ज में डाल देती है.

जब भी आप क्रेडिट कार्ड का चुनाव करें, जरूरी है कि अपनी भुगतान क्षमता को अच्छे से जाने, इसमें लापरवाही आपका नुकसान करती है. इस खबर में हम आपको कुछ जरूरी टिप्स बताने वाले हैं जिन्हें ध्यान में रखने से आप अपने लिए बेहतर कार्ड का चुनाव कर सकेंगी.

नकद निकासी के नियम

क्रेडिट कार्ड से एटीएम के जरिए कैश निकाल सकते हैं. पर इस पर कुछ शुल्क और ब्याज देना होता है. ऐसे में कार्ड का चुनाव करते वक्त ध्यान रखें कि कार्ड आपको कितना शुल्क और ब्याज दर दे रही है.

रिवार्ड प्वाइंट

कार्ड से पेमेंट या कहें तो खर्च के हिसाब से बैंक अपने ग्राहकों को रिवार्ड प्वाइंट्स देती है. इन्हें मौनिटरी और नौन मौनिटरी गिफ्ट्स में बदला जा सकता है. कार्ड के प्रकार पर प्लाइंट्स निर्भर करते हैं.

डिस्काउंट और कैशबैक

ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड से शौपिंग, खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बैंक तरह तरह के औफर्स देते हैं. इन औफर्स में शौपिंग पर कैशबैक, मूवी टिकट पर कैशबैक जैसे औफर्स होते हैं. ऐसे में कार्ड का चुनाव करने से पहले इस तरह की पूरी जाकारी रख लें.

कस्टमर केयर सर्विस

क्रेडिट कार्ट लेने से पहले बैंक की कस्टमर केयर सुविधाओं के बारे में पहले ही सुनिश्चित हो लें. अगर भविष्य में इससे जुड़ी समस्या आती है तो आप इसे कस्टमर केयर से बात कर के सुलझा सकती हैं.

क्रेडिट कार्ड फी

क्रेडिट कार्ड कंपनियां ज्वाइनिंग फी के साथ साथ सलाना फी भी वसूलती हैं. वहीं बहुत सी कंपनियां पहले साल की फी नहीं वसूलती. ऐसे में ऐसे कार्ड का चुनाव करें जो कम ज्वाइनिंग फी और सलाना फी वसूलते हैं.

क्रेडिट लिमिट से  सापेक्ष लोन की सुविधा

आपको कभी भी पैसे की जरूरत आ सकती है. ऐसे में क्रेडिट कार्ड आपको सापेक्ष लोन लेने की सुविधा देता है. इस लोन को आप ईएमआई पर चुका सकती हैं. इस पर ब्याज दर भी देना होता है, ऐसे में उसी कार्ड का चुनाव करें जो कम ब्याज दर लेती हो.

आयकर से रिफंड पाना है तो आज ही कराएं ये काम

अगले महीने से आयकर विभाग विभाग इलेक्ट्रौनिक मोड से करदाताओं के खाते में रिफंड ट्रांसफर करेगा. इसके लिए जरूरी शर्त है कि करदाताओं को अपने बैंक खाते से पैन कार्ड को लिंक करना होगा.

आयकर विभाग का कहना है कि जैसे ही रिफंड जारी किया जाएगा रकम को सीधे करदाताओं के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. आयकर विभाग मार्च 2019 के ई-रिफंड जारी करेगा. विभाग की ओर से बुधवार को जारी की गई पब्लिक एडवाइजरी में कहा गया कि अपना रिफंड सीधे, आसान और सुरक्षित तरीके से प्राप्त करने के लिए अपने पैन नंबर को बैंक खाते से लिंक करा लें. एडवाइजरी में कहा गया है कि बैंक अकाउंट सेविंग (बचत), करेंट (चालू), नकद या ओवरड्राफ्ट खाता हो सकता है.

वर्तमान स्थिति की बात करें तो आयकर विभाग करदाताओं का रिफंड बैंक खाते में या चेक के माध्यम से देता है. विभाग ने वेबसाइट पर जानकारी दी कि करदाता विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/ पर लौग इन करके यह पता कर सकते हैं कि उनका बैंक खाता पैन से जुड़ा है या नहीं. जनकारी में ये भी कहा गया है कि जिन लोगों का पैन खात से नहीं लिंक है वो नजदीकी शाखा में जा कर अपने बैंक खाते को पैन कार्ड से लिंक कर लें और इसे आयकर विभाग की ई-फाइलिंग की वेबसाइट पर जा कर वैलिडेट कर लें.

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