नमिता किस मुसीबत में फंस गई थी? क्या करे, क्या न करे? वह रातदिन सोचती रहती. जब से भूषण राज ने उस की पीठ को सहलाना शुरू किया था और उस के गालों को उंगलियों के बीच फंसा कर कभी धीरे से तो कभी जोर से चिकोटी काट लेता था, तब से वह और ज्यादा डरने लगी थी.
भूषण राज जब इस तरह की हरकतें करता तो नमिता अपने शरीर को मेज पर टिका देती कि कहीं उस के हाथ उस गोलाइयों को न लपक लें. वह हर मुमकिन कोशिश करती कि भूषण राज उस के साथ कोई गलत हरकत न करने पाए, पर शिकारी भेडि़ए के पंजे अकसर उस के कोमल बदन को खरोंच देते.
एक दिन तो हद हो गई. भूषण राज ने उस के दोनों गालों पर हाथ फिराते हुए आगे की तरफ से ठोढ़ी और गरदन को सहलाना शुरू कर दिया, फिर धीरेधीरे हाथों को आगे बढ़ाते हुए उस के गालों की तरफ झुक आया. जब उस की गरम सांसें नमिता के बाएं गाल से टकराईं तो वह चौंकी, झटके से बाईं तरफ मुड़ी तो भूषण राज का मुंह सीधे उस के होंठों से जा लगा.
उस ने भूखे भेडि़ए की तरह नमिता के दोनों होंठ अपने मुंह में भर लिए. इसी हड़बड़ी में उस के हाथ नमिता की छाती को मसलने लगे. पलभर के लिए वह हैरान सी रह गई. जब उस की समझ में आया तो उस ने झटका दे कर अपनेआप को छुड़ाया और धक्का दे कर उसे पीछे किया.
भूषण राज पीछे हटते हुए मेज से टकराया और गिरतेगिरते बचा.