अपराजिता एक ऐसे रिश्ते से बंधी थी जहां विलासिता की चीजें तो थीं मगर न तो किसी का स्नेह था और न ही अपनापन. वह इस खुदगर्जी और स्वार्थ भरे रिश्ते से खुद को आजाद करना चाहती थी और फिर एक दिन...