‘‘बच्चों को तो रजत से ज्यादा शायद ही कोई और खुश रख सके अपूर्वा और फिर रजत कोई अल्हड़ छोकरा नहीं, परिपक्व पुरुष है. वह ऐसी गैर जिम्मेदाराना हरकतें नहीं करेगा जिस से बच्चों को या तुम्हें तकलीफ हो.’’
‘‘लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए मां कि रजत की यह पहली शादी होगी, उस से संयम की अपेक्षा करना उस के साथ ज्यादती होगी और यह उम्मीद रखना कि रजत के साथ न्याय करने में मैं बच्चों के साथ अन्याय करूंगी मेरे साथ ज्यादती होगी,’’ अपूर्वा ने समझाने के स्वर में कहा, ‘‘मेरे लिए तो आप बगैर बालबच्चे वाला दुहाजू ही देखिए.’’
मां अपूर्वा के तर्क को काट तो नहीं सकीं लेकिन रजत के जैसे सर्वगुण संपन्न दामाद को खोने का लोभ भी संवरण न कर सकीं. उन्होंने विद्याभूषण से बात की.
‘‘अपूर्वा बिलकुल ठीक कह रही है, शांति. और फिर इस बात की भी क्या गारंटी है कि रजत यहां अपूर्वा के लिए ही आता है, बच्चों में अपना खोया बचपन ढूंढ़ने नहीं. कभी तुम ने यह भी सोचा है कि 30 के ऊपर हो जाने के बाद भी रजत कुंआरा क्यों है? हो सकता है, शादी न करने की कोई मजबूरी हो.’’
शांति कुछ सोचने लगीं.
‘‘मजबूरी होती तो वह मुझ से कहता नहीं कि मैं उस से शादी करने को कह कर तो देखूं.’’
‘‘तो कह कर देखतीं क्यों नहीं?’’
‘‘अगर उस ने अपूर्वा का हाथ मांगा तो क्या कहूंगी?’’
‘‘वही जो अपूर्वा ने तुम से कहा है. अगर उसे अपूर्वा से शादी करनी है तो वह उस की इस शंका का निवारण करना चाहेगा और इस में मैं उस की मदद कर दूंगा.’’