अखिल फिर बोले, ‘‘आप शायद नहीं जानते कि यह आप लोगों को कितना प्यार करती है? आप लोग सोचते हैं कि इस ने आप की इच्छा के खिलाफ शादी की है तो यह आप लोगों की भूल है. यह आप लोगों को उतना नहीं, उस से भी कहीं ज्यादा प्यार करती है, जितना हमारी शादी से पहले करती थी.
‘‘यह पिछले 2 साल से मेरे साथ रह रही है. मैं इसे भरपूर प्यार देता हूं, कभी किसी बात की तकलीफ नहीं होने देता, फिर भी कभीकभी यह आप लोगों की याद में इतनी बेचैन हो जाती है कि रोने लग जाती है और खानापीना छोड़ कर खुद अपने को आप का गुनाहगार मानती है. कहने को यह आप लोगों से दूर है, पर इस का दिल, इस का मन तो आप लोगों के पास ही है.
‘‘मैं आप सभी से माफी चाहता हूं कि गुस्से व भावना में आ कर मैं आप लोगों को न जाने क्याक्या कह गया. पर मैं क्या करूं...मैं मजबूर था. मैं बीना की बेइज्जती होते नहीं देख सकता क्योंकि मैं बहुत प्यार करता हूं इसे, बहुत ज्यादा. अच्छा, हम चलते हैं...बिन बुलाए आए और आप की खुशियों में खलल डाला इस के लिए माफी चाहते हैं,’’ अखिल बोले और मेरी ओर देख कर कहा, ‘‘चलो, बीना.’’
हम दोनों चलने के लिए मुड़े ही थे कि शैलेंद्र भैया, जो इतनी देर से चुपचाप अखिल को बोलते देखे जा रहे थे, बोले, ‘‘ठहरो,’’ फिर घर वालों की ओर मुखातिब हो कर बोले, ‘‘पापा, ताऊजी, मैं जानता हूं कि यह बीना का दोष है कि इस ने हमारी इच्छा के खिलाफ जा कर हमारी जाति से अलग जाति के लड़के से शादी की है, पर इस का दोष इतना बड़ा तो नहीं कि हम इसे मरा समझ लें. आखिर इस ने जो भी किया, अपनी खुशी, अपनी जिंदगी के लिए किया. इस ने अपने लिए जो लड़का पसंद किया है वैसा तो शायद आपहम भी नहीं ढूंढ़ सकते थे.