भवानी प्रसाद पत्नी को चुप कराने लगे फिर समीक्षा से बोले," असल में इन की भाभी इन्हें देखने आना चाहती थीं पर इन्होने भाभी से मिलने से इंकार कर दिया. अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि जो भाभी इन के दिल के इतनी करीब रही हैं उन से ही यह मिलना क्यों नहीं चाहती. रो भी रही है और मिलना भी नहीं है."
"पिताजी आप मम्मी जी से आराम से बात कर लो, मैं बाहर चली जाती हूं. शायद वह आप से रोने का कारण शेयर कर लें," कह कर समीक्षा कमरे से बाहर निकल गई.
भवानी प्रसाद ने जब अकेले में पत्नी से वजह पूछी तो कामिनी रोती हुई बोली,"आज मुझे बहुत पछतावा हो रहा है. मैं ने समीक्षा और उस के निर्दोष भाईबहन के साथ जो किया वह माफी योग्य भी नहीं."
"यानि तुम ने जानबूझ कर..... ""हां मैं ने जानबूझ कर उन पर इल्जाम लगाया था. पर यह सब मेरे दिमाग की उपज नहीं थी. सच मानो मैं ने वह सब अपनी भाभी के कहने पर किया था. उन्होंने ही मुझे सलाह दी थी कि यदि तुम समीक्षा को घर से निकलवाना चाहती हो तो उस के घरवालों पर इल्जाम लगाओ. उन्हें बेइज्जत करो...." कहतेकहते वह फिर से रोने लगीं.
भवानी प्रसाद आश्चर्य से उस का चेहरा देखते रह गए."हां भाभी ने ही मुझे कहा था कि बहू को मयंक और अपने पति के मन से उतारने के लिए उस के घरवालों पर चोरी का इल्जाम लगा दो. बहू खुद ही शर्मसार हो कर घर छोड़ देगी. मयंक भी पत्नी से झगड़ा करेगा और समीक्षा के घर वाले भी फिर दोबारा इधर का रुख नहीं करेंगे. "