छोटे भैया भी तब तक वहां भाभी को खोजते आ पहुंचे थे. मुझे इस हालत में देख सब को हंसाने के लिए बोले, ‘‘क्यों बीनू, कल की शादी देख मन मचल गया क्या? खूब भाभी को मसका लग रहा है.’’
उन की बात सुन मैं और जोर से रो पड़ी. छोटी भाभी ने उन्हें इशारे से बुलाया व सारी बात समझाई. सुनते ही भैया बड़ी भाभी के कमरे में पहुंचे. यह तो अच्छा था कि मां पूजा पर बैठ चुकी थीं और डेढ़ घंटे तक उन के उठने की कोई संभावना न थी. छोटी भाभी के साथ मैं भी भैया के पीछेपीछे बड़ी भाभी के कमरे में पहुंची.
नैकलैस ढूंढ़तेढूंढ़ते भाभी को अपने लौकर की चाबी मिल गई. मुझे देख उन्होंने कहा, ‘‘बीनू, यदि तुम्हारा नैकलैस नहीं मिला तो मैं अपना नैकलैस तुम्हें दे दूंगी, तुम चिंता मत करो,’’ उन की आवाज बता रही थी कि उन्हें भी नैकलैस न मिलने का गहरा दुख है.
उन्होंने सब के सामने लौकर खोला तो चक्कर खा कर गिर पड़ीं. भैया ने उन्हें बिस्तर पर लिटाया. छोटी भाभी मुझे छोड़ उन की तरफ लपकीं और मैं पानी लेने दौड़ पड़ी. यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ सोचने का होश ही नहीं रहा.
छोटे भैया ने देखा कि लौकर खाली पड़ा है. तब तक भाभी को भी होश आ गया. वे जोरजोर से रोने लगीं. छोटे भैया इस मौके को कहां छोड़ने वाले थे. बड़ी भाभी को आड़े हाथों लिया.अंत में यह फैसला हुआ कि मां और पिताजी को कुछ न बताया जाए. पिताजी दिल के मरीज हैं, शायद इस सदमे को बरदाश्त न कर सकें. सभी आगे की योजना बनाने लगे कि तभी बड़े भैया मजे से सीटी बजाते कमरे में दाखिल हुए.