SUBSCRIBE
Login
⚲
Hindi
Bangla
Gujarati
Kannada
Malayalam
Marathi
⚲
सब्सक्राइब
Search
ऑडियो
कहानी
ब्यूटी
फिल्म
फूड
हेल्थ
रीडर प्रौब्लम
सोसाइटी
लाइफस्टाइल
कहानी
ब्यूटी
फूड
हेल्थ
फिल्म
लाइफस्टाइल
सोसायटी
रीडर्स प्रौब्लम
ऑडियो
सब्सक्राइब करें
लॉग इन
कहानी
ब्यूटी
फूड
हेल्थ
फिल्म
लाइफस्टाइल
सोसायटी
रीडर्स प्रौब्लम
ऑडियो स्टोरी
About Us
Contact Us
Copyright Policy
Privacy Policy
Terms and Conditions
Write for Us
फैमिली स्टोरी
शेष जीवन: विनोद के खत में क्या लिखा था
विनोद का पत्र पढ़ कर सुमन गहरी वेदना में क्यों डूब गई?
Digital Team
,
Oct 30, 2021
भाग - 1
तुम्हीं लायक बन जाते उन के लिए.’’ ‘‘लायक होता तो तुम्हारी लताड़ सुनता. आजकल सब रुपयों के भूखे हैं. न मेरे पास रुपए थे, न ही परिवार वालों ने हमें तवज्जुह दी.
भाग - 2
मम्मी,’’ रेखा ने डांटा, ‘‘आइंदा इस तरह की बातें कीं तो मैं आप से बात नहीं करूंगी,’’ उस ने बातचीत का विषय बदला, ‘‘जयपुर जा रही हूं,’’ रेखा के स्वर से खुशी स्पष्ट थी.
भाग - 3
अब मुझ से काम नहीं होता. 70 साल की अवस्था हो गई है. रोजाना 10-12 किलोमीटर साइकिल चला कर कचहरी जाना संभव नहीं. सोचता हूं कि घर बैठ जाऊं पर घरखर्च कैसे चलेगा.
गृहशोभा डिजिटल सब्सक्राइब करें
मनोरंजक कहानियों और महिलाओं से जुड़ी हर नई खबर के लिए सब्सक्राइब करिए
सब्सक्राइब करें
×
सबस्क्राइब करें
डिजिटल
+ प्रिंट
एडिशन
गिफ्ट पाने वाले की डिटेल
गिफ्ट देने वाले की डिटेल
पहले से रजिस्टर्ड?
यहां लॉगिन करें.
×
लॉग इन करें
डिजिटल एडिशन
Resend OTP
एक्सेस नहीं है?
यहां रजिस्टर करें.
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिए
सब्सक्राइब करें