ऐसी मोटीमोटी बूंदें बरसने लगे कि नीला का स्कूटी चलाना मुश्किल हो गया. कहीं भीग न जाए इसलिए वह अपनी स्कूटी सहित एक घने पेड़ के नीचे यह सोच कर खड़ी हो गई कि जैसे ही बारिश रुकेगी स्कूटी से फुर्र हो जाएगी. मगर यह मुई बारिश तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. ‘‘अंदर आ जाइए, मैं आप को आप के घर तक छोड़ दूंगा,’’ अचानक एक चमचमाती गाड़ी नीला के सामने आ कर रुकी और खिड़की से ?ांकते हुए एक सुदर्शन नौजवान बोला तो नीला कुछ पल उसे देखती रह गई.
‘‘हैलो मैडम, कहां खो गईं आप? मैं ने कहा अंदर आ जाइए बारिश तेज है भीग जाएंगी आप,’’ जब उस नौजवान ने फिर वही शब्द दोहराए, तो नीला सचेत हो गई. ‘‘नो थैंक्स, मैं चली जाऊंगी,’’ उड़ती सी नजर उस शख्स पर डाल नीला ऊपर आसमान की तरफ देखने लगी जहां अभी भी कालेकाले बादल मंडरा रहे थे. इस का मतलब था बारिश अभी रुकने वाली नहीं है. एक मन हुआ उस की गाड़ी में बैठ जाए, लेकिन फिर लगा न बाबा भले ही भीगते हुए घर जाना पड़े पर किसी अनजान की गाड़ी में नहीं बैठेगी.
‘‘कहीं आप मु?ो उस टाइप का लड़का तो नहीं सम?ा रहीं?’’ वह नौजवान बोला तो नीला और सतर्क हो गई. ‘‘घबराइए नहीं, मैं आप को जानता हूं. आप महाराजा सयाजी राव यूनिवर्सिटी में पड़ती हैं न? मैं भी वहीं पढ़ता हूं. लेकिन आप से 1 साल सीनियर हूं,’’ बोल कर वह हंसा तो नीला ने उसे गौर से देखा. हां, याद आया. इस ने इसे महाराजा सयाजी राव यूनिर्वसटी में देखा तो है. ‘तो क्या हो गया,’ सोच नीला ने मुंह बनाया. ‘उस यूनिवर्सिटी में कितने ही लड़केलड़कियां पढ़ते हैं तो क्या सब मेरे दोस्त हो गए? और इस का क्या भरोसा, मदद के नाम पर ही यह मेरे साथ कुछ ऐसावैसा कर दे तो? न बाबा न, मैं इस के साथ नहीं जाऊंगी.