आज इस करोड़पति इनसान का इकलौता बेटा 2 कमरों के एक साधारण से किराए वाले फ्लैट में अपनी पत्नी शिखा के साथ रह रहा था. नर्सिंग होम से सीधे घर न जा कर मैं उसी के फ्लैट पर पहुंचा.
नवीन और शिखा दोनों मेरी बहुत इज्जत करते थे. इन दोनों ने प्रेम विवाह किया था. साधारण से घर की बेटी को चोपड़ा ने अपनी बहू बनाने से साफ मना कर दिया, तो इन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली थी.
चोपड़ा की नाराजगी को नजरअंदाज करते हुए मैं ने इन दोनों का साथ दिया था. इसी कारण ये दोनों मुझे भरपूर सम्मान देते थे.
चोपड़ा को दिल का दौरा पड़ने की चर्चा शुरू हुई, तो नवीन उत्तेजित लहजे में बोला, ‘‘चाचाजी, यह तो होना ही था.’’ रोजरोज की शराब और दौलत कमाने के जनून के चलते उन्हें दिल का दौरा कैसे न पड़ता?
‘‘और इस बीमार हालत में भी उन का घमंडी व्यवहार जरा भी नहीं बदला है. शिखा उन से मिलने पहुंची तो उसे डांट कर कमरे से बाहर निकाल दिया. उन के जैसा खुंदकी और अकड़ू इनसान शायद ही दूसरा हो.’’
‘‘बेटे, बड़ों की बातों का बुरा नहीं मानते और ऐसे कठिन समय में तो उन्हें अकेलापन मत महसूस होने दो. वह दिल का बुरा नहीं है,’’ मैं उन्हें देर तक ऐसी बातें समझाने के बाद जब वहां से उठा तो मन बड़ा भारी सा हो रहा था.
चोपड़ा ने यों तो नवीन को पूरी स्वतंत्रता से ऐश करने की छूट हमेशा दी, पर जब दोनों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हुई तो बाप ने बेटे को दबा कर अपनी चलानी चाही थी.