अमन की बातें सुन कर श्रेया का दिमाग घूम गया, वह होंठों ही होंठों में बुदबुदाई, ‘‘हूं, अमीर बाप की औलाद, अपनेआप को समझता क्या है? आप का एकांत, म्यूजिक, ड्रिंक और आराम आप को मुबारक.’’
‘‘मिस श्रेया, एक मिनट. आप को मुझ से बात न करनी हो, तो कोई बात नहीं. लेकिन जाने से पहले मेरी एक बात जरूर सुन लीजिए.’’
दोनों हाथ कमर पर रख कर श्रेया बोली, ‘‘बोलो.’’
‘‘मिस श्रेया, मैं ने आप से जो कहा, शायद उस से आप ने मुझे पैसे वाले बाप का बिगड़ा बेटा समझ लिया. आप सोच रही हैं कि यह फार्महाउस मेरे बाप का है और मैं उन के पैसे पर ऐश कर रहा हूं. यही सोच है न आप के दिमाग में मेरे लिए.’’
श्रेया ने कोई जवाब नहीं दिया. वह होंठ चबाते हुए यही सोच रही थी कि इस का कहना सच है. यही धारणा थी उस के मन में उस के प्रति.
श्रेया को चुप देख कर अमन आगे बोला, ‘‘श्रेया, ऐसी बात नहीं है. फौर योर काइंड इन्फौरमैशन, 2 साल पहले मैं लंदन से पढ़ाई पूरी कर के दिल्ली आया हूं. वहां 4 साल पढ़ाई करने के बाद जीतोड़ मेहनत कर के जो कमाया है, कुछ वह रकम और कुछ बैंक से कर्ज ले कर यह फार्महाउस खरीदा है. यह फार्महाउस मैं पार्टियों के लिए किराए पर देता हूं और खुद भी पार्टियां करता हूं. बाप की एक पाई भी इस में नहीं लगी है. आप जैसे ग्राहकों की मेहरबानी से मैं इस फार्महाउस से मोटी कमाई कर रहा हूं. उम्मीद है कि अगले साल तक मैं इस में रैस्टोरैंट और डिस्कोथिक भी शुरू कर दूंगा. इस के अलावा ऐंटरटेनमैंट के बिजनैस में मोटी रकम लगाने का इरादा है. जस्ट विश मी ए लक, आप ने मुझे जो समय दिया, उस के लिए धन्यवाद. चलिए.’’