तय हुआ, सब अपने घर जल्दी ही इस पर बात कर लेंगी. धारा ने जब यह प्रोग्राम अकेले में अजय को बताया, तो वह खिलखिला कर हंसा, बोला, ‘‘अच्छा, तुम्हें मुझ से ब्रेक चाहिए?’’
‘‘नहीं, बस यों ही रूटीन से ब्रेक चाहिए, दोस्तों के साथ, एक बार दोस्तों के साथ हो आऊं, फिर हम चारों चलेंगे, सोच रही हूं, मां को ले जाऊं.‘‘
‘‘डार्लिंग, फिर तो तुम जा चुकीं,‘‘ अजय हंसा. सुनते ही सुधा ने कहा, ‘‘हमारे यहां ऐसा नहीं होता, धारा, कि घर के पुरुष घर में बैठे हों और औरतें होटलों में घूमती फिरें.‘‘
पर विनय को लग रहा था कि अगर सुधा थोड़ा बाहर निकलेगी और धारा के साथ अकेले में समय बिताएगी, तो दोनों की बौंडिंग बहुत अच्छी हो सकती है. किसी भी तरह से उन्होंने सुधा से हां करवा ही ली.
कविता और नेहा की सासें भी थोड़ा नखरा दिखाने के बाद तैयार हो ही गईं. सीमा और नीता को घर से परमिशन नहीं मिली.
धारा ने अपनी मम्मी से चलने के लिए पूछा, तो उन्होंने खुशीखुशी हां कर दी और वे भी अपनी बैस्ट फ्रैंड रेखा के साथ चलने को तैयार हो गईं. रात को अकेले में अजय ने पूछा, ‘‘डार्लिंग, मेरे बिना जाओगी?‘‘
‘‘तुम्हें अपने मन की बात बताती हूं, अजय, मुझे मां से कोई शिकायत नहीं, जबकि वे हर समय यही कहती हैं कि हमारे यहां ऐसा नहीं होता, वे मुझे मेरे मन की एक बात भी नहीं करने देती, मैं उन्हें गलत नहीं ठहराती. उन्होंने इस घर के सिवा, परंपराओं और अपने संस्कारों से आगे दुनिया देखी ही नहीं. जो चलता आ रहा है, उन्होंने उसी को सही मान लिया है.