कितने दोहरे चेहरे थे दिशा की जिंदगी में, किसी ने शराफत का मुखौटा पहना हुआ था तो किसी ने अपनेपन का. आखिर एक अंबर ही तो था जो सच्चा और निश्छल था उस के प्रति.