अंकल से बात करते समय विनिता ने सुना कि पंखुड़ी एक मल्टी नैशनल कंपनी में ऐग्जीक्यूटिव पद पर है. वह अंकल से कह रही थी, ‘‘देखिए मेरे वर्किंग आवर्स फिक्स नहीं हैं, शिफ्टों में ड्यूटी करनी पड़ती है. मेरे आनेजाने का समय भी कोई निश्चित नहीं है, कभी देर रात आती हूं तो कभी मुंह अंधेरे निकल जाती हूं. कभीकभी तो टूअर पर भी जाना पड़ता है 2-3 दिनों के लिए. आप को कोई आपत्ति तो नहीं?
‘मैं इस बात को पहले ही पूछ लेना चाहती हूं, क्योंकि अभी जहां मैं रह रही हूं उन्हें इस बात पर आपत्ति है... लोग लड़की के देर रात घर आने को सीधे उस के करैक्टर से जोड़ कर देखते हैं... एकदम घटिया सोच,’’ कह कर वह चुप हो गई.
इस के बाद क्या हुआ, यह पता नहीं. विनिता वहां से अपने घर चली आई. उसे वह लड़की बहुत तेजतर्रार और बिंदास लगी.
उस शाम निशांत काफी देर से घर लौटा. खापी कर तुरंत सो गया. पंखुड़ी के बारे में पूछने का मौका ही नहीं मिला विनिता को. अगले शनिवार की शाम जब देर रात विनिता परिवार सहित शौपिंग कर के लौटी तो देखा खाली पड़े फ्लैट की लाइट जल रही है. शायद कोई नया किराएदार आ गया है. नीचे सीढ़ी का दरवाजा बंद कर के विनिता हैलो करने की नीयत से मिलने गई तो देखा ताला लगा था.
रात करीब 12 बजे घंटी की आवाज से विनिता की नींद खुली. उस ने निशांत को
उठाया और नीचे यह सोच कर भेजा कि अंकलआंटी को कुछ जरूरत तो नहीं?
थोड़ी देर में निशांत वापस आया और सोने लगा तो विनिता ने पूछा, ‘‘कौन था?’’