अचानक तिपाही पर रखा आर्यन का मोबाइल बज उठा. ‘वंशिका कौलिंग’ देखा तो याद आया यह सुरभि दीदी की बेटी का नाम है. वान्या ने फ़ोन उठा लिया. उसके हैलो कहते ही किसी बच्चे की आवाज़ सुनाई दी, “पापा कहां है?”
दीदी के बच्चे तो बड़े हैं. यह तो किसी छोटे बच्चे की आवाज़ है, सोचते हुए वान्या बोली, “किस से बात करनी है आपको? यह नंबर तो आपके पापा का नहीं है. दुबारा मिलाकर देखो, बच्चे!”
“आर्यन पापा का नाम देखकर मिलाया था मैंने....आप कौन हो?” बच्चा रुआंसा हो रहा था.
वान्या का मुंह खुला का खुला रह गया. इससे पहले कि वह कुछ और बोलती आर्यन बाथरूम से आ बाहर आ गया. “किसका फ़ोन है?” पूछते हुए उसने वान्या के हाथ से मोबाइल ले लिया और तोतली आवाज़ में बातें करने लगा.
निराश वान्या कपड़े हाथ में लेकर बाथरूम की ओर चल दी. ‘किसने किया होगा फ़ोन? आर्यन भी जुटा हुआ है उससे बातें करने में. क्या आर्यन की पहले शादी हो चुकी है? हां, लगता तो यही है. तलाक़ हो चुका है शायद. मुझे बताया भी नहीं....यह तो धोखा है!’ वान्या अपने आप में उलझती जा रही थी.
आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस कमरे के आकार का बाथरूम जिसके वह सपने देखती थी, उसकी निराशा को कम नहीं कर रहा था. एअर फ्रैशनर की भीनी-भीनी ख़ुशबू, हल्की ठंड और गरम पानी से भरा बाथटब! जी चाह रहा था कि अभी आर्यन आ जाये और अठखेलियां करते हुए उसे कहे कि ‘फ़ोन उसके लिए नहीं था, किसी और आर्यन का नंबर मिलाना चाहता था वह बच्चा. मुझे पापा कब बनना है, यह तो तुम बताओगी....!’ वान्या फूट-फूट कर रोने लगी.