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मीरा और सुजाता रोज पार्क में सैर करने जाती थीं. एक दिन मीरा की तबीयत खराब होने की वजह से वह सैर पर न आ सकी और सुजाता की मुलाकात सोमनाथजी से हो गई. धीरेधीरे सुजाता और सोमनाथजी एकदूसरे से खुल गए. पति कुणाल के बाद सुजाता की जिंदगी में आया खालीपन भी धीरेधीरे भरने लगा था. मगर इस रिश्ते को कोई नाम मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे थे.
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गोवा जाने के लिए छोटी लग्जरी बस का इंतजाम किया गया था, जिस में कुल मिला कर जाने वालों की संख्या 12 थी. तय हुआ कि बस सुजाता के घर पर आ जाएगी और सोमनाथजी भी वहीं से बैठ जाएंगे.
सुबह के 7 बजे के करीब सोमनाथजी ने एक छोटे से ट्रौली बैग के साथ सुजाता के घर में प्रवेश किया.
‘‘अरे वाह, आज तो आप कमाल के लग रहे हैं... गजब की डैशिंग पर्सनैलिटी है आप की,’’ कह सुजाता उन्हें देखती ही रह गई.
औफव्हाइट टीशर्ट और ब्लू जींस में सोमनाथजी वाकई बहुत हैंडसम लग रहे थे. अपने आधे काले आधे सफेद बालों पर उन्होंने स्टाइलिश गौगल लगा रखा था.
‘‘सब आप की संगत का असर है,’’ सोमनाथजी ने मुसकराते हुए कहा.
बस में सुजाता ने सोमनाथजी का सभी से परिचय करवाया. कुछ देर में सोमनाथजी सभी से ऐसे घुलमिल गए जैसे वर्षों की पहचान हो. गोवा के इस सुहाने सफर ने दोनों के बीच की रहीसही हिचक को भी मिटा दिया. पूरे सफर के दौरान सोमनाथजी और सुजाता ने एकदूसरे का पूरा खयाल रखा. सुजाता यहां एक नए सोमनाथजी को देख रही थी.