विहान का मन विरक्त हो रहा था. उसे कल सुगंधा की कही हुई बातें याद आने लगीं. विहान की तारीफ कर उसे तरहतरह से खुश करते हुए वह काम निबटाने में उस की मदद लेना चाह रही थी. सुगंधा पर एक हिकारत भरी नजर डाल वह मन ही मन खिन्न हो उठा.
घर आ कर भी वह स्वयं को उपेक्षित सा महसूस करता रहा. रात को जूही से वीडियो कौल करने का मन हुआ. उस समय जूही सोने की तैयारी कर रही थी. कौल कनैक्ट हुई तो जूही को अपने कमरे में स्किन कलर की औफ शोल्डर नाइट ड्रैस में बैठे देख विहान की सांस ठहर गई. जूही का गोरा तन ऐसा लग रहा था जैसे संगमरमर की कोई प्रतिमा हो. विहान ने सुगंधा वाली घटना बताने के लिए वीडियो चैट करने का निर्णय लिया, लेकिन मंत्रमुग्ध सा वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था, ‘‘आज तुम बोलती रहो, मैं सिर्फ सुनूंगा,’’ कहते हुए वह अपलक उस के रूपलावण्य को निहारता ही रहा.
चैट के बाद सोते हुए वह सोच रहा था कि जिस निगाह से सुगंधा को देखा था, उस नजर से शायद मैं ने जूही को कभी देखा ही नहीं था. जूही तुम कितनी खूबसूरत हो.
उधर जूही विहान के चले जाने से अकेली पड़ गई थी. मन लगाने के लिए एक दिन उस ने सहेलियों के साथ घूमने का कार्यक्रम बना लिया. मौल में घूमते हुए खूब मस्ती हो रही थी, फिर भी विहान उसे याद आ ही जाता था. किसी शौप में कोई भी आकर्षक सामान देख विहान को बताने की इच्छा होती.