सुनंदा ने ड्रैसिंगटेबल के शीशे में खुद पर एक नजर डाली, खुश हुई. लगा वह अच्छी लग रही है, अपने शोल्डर कट बालों पर कंघी फेरी, मनपसंद परफ्यूम लगाया, टाइम देखा, 5 बज रहे थे. किट्टी पार्टी में जाने का टाइम हो रहा था. अपने बैग में अपना फोन, घर की चाबी रखी, अपने नए कुरते और चूड़ीदार पर फिर एक नजर डाली.
यह ड्रैस उस ने पिछले हफ्ते ही खरीदी थी अपने लिए. आज उस का जन्मदिन है. उस ने सोचा किट्टी पार्टी में जाते हुए एक केक ले कर जाएगी और किट्टी की बाकी सदस्याओं के साथ काटेगी और भरपूर ऐंजौय करेगी.
वह अपनी किट्टी की सब से उम्रदराज सदस्या है. खुद ही उसे हंसी आ गई, उम्रदराज क्यों, 50 की ही तो हो रही है आज, यह इतनी भी उम्र नहीं है कि वह अपने को उम्रदराज सम झे. वह तो अपनेआप को बहुत यंग और ऊर्जावान महसूस करती है. उम्र से क्या होता है. चलो, कहीं देर न हो जाए. उस ने जैसे ही पर्स उठाया, डोरबैल बजी.
‘इस वक्त कौन है, सोचते हुए उस ने दरवाजा खोला, तो सामने दिल धक से रह गया. सामने बूआसास सुभद्रा, जेठानी रमा और उस की अपनी बड़ी बहन अलका खड़ी थी.
सुनंदा के मुंह से कोई बोल नहीं फूटा, तो सुभद्रा ने ही कहा, ‘‘अरे, मुंह क्या देख रही है, अंदर आने के लिए नहीं कहेगी?’’
‘‘हांहां, अरे, आइए न आप लोग,’’ कहते हुए उस ने सुभद्रा के पैर छुए. तीनों ने उसे जन्मदिन बिश करते हुए गिफ्ट्स दिए.
रमा बोली, ‘‘आज बहुत अच्छे दिन तुम्हारा बर्थडे पड़ा है, सुबह ही देवीमंदिर में बाबाजी आए हैं. पहले उन का प्रवचन होगा फिर कीर्तन, चलो, हम लोग तुम्हें लेने आए हैं.’’