‘‘आप सब अदालत को बताना, हमें भी आप के कारनामे बताने हैं. जो बाप रातें क्लबों में बिताता हो, कई बार जेल भी जा चुका हो, जिस की अंगरेज पत्नी अपने किसी और दोस्त के साथ रह रही हो, उसे कोई मां अपना बच्चा कैसे दे सकती है?’’ यश ने कहा तो सुधांशु दांत पीसता रह गया.
‘‘मैं देख लूंगा तुम्हें,’’ सुधांशु जातेजाते वह धमकी दे गया.
अदालत ने बिट्टू का निर्णय मानसी के हक में दे दिया और मानसी को
बड़ी हैरानी इस बात पर हुई कि सुधांशु ने अदालत में उस पर किसी तरह का घटिया आरोप नहीं लगाया. वैसे कोर्ट ने उसे बिट्टू से मिलने का हक दे दिया.
शुरूशुरू में वह 1-2 बार बिट्टू से मिलने आया, फिर पता चला वह वापस अमेरिका चला गया है. मानसी ने चैन की सांस ली. वहां से वह कभीकभी बिट्टू से फोन पर बात करता रहता. सब नौर्मल चल रहा था.
6 महीने बाद सुधांशु के फिर आने की खबर ने मानसी को डिस्टर्ब कर दिया. बिट्टू की छुट्टियां थीं. सुधांशु आया तो बड़ी शराफत से उस ने 5 दिन के लिए बिट्टू को घुमाने की अनुमति मांगी. मानसी मना नहीं कर पाई. मानसी ने महसूस किया बिट्टू भी घूमने जाना चाहता है सुधांशु के साथ. सुधांशु बिट्टू को ले गया.
बिट्टू के जाने के बाद घर में सन्नाटा सा
छा गया. सब से ज्यादा बोर यश हो रहा था.
अभी उस की भी छुट्टियां थीं और नया काम शुरू होने में समय था. सारा दिन आशाजी और मानसी से बिट्टू की बातें करता रहता. बिट्टू सचमुच यश के जमीन का एक महत्त्वपूर्ण भाग बन चुका था.