कमल के चेहरे पर कालिमा सी उतर आई थी, ‘‘चांदनी चलो, अब कल खेलना.’
‘‘चांदनी, कल पर भरोसा कायर करते हैं,’’ अब की बार सूरजा बोली, ‘‘अभी भी वक्त है, तुम चाहो तो हारी हुई बाजी जीत सकती हो, एक ही दांव में सबकुछ तुम्हारा हो सकता है.’’
‘‘मगर अब दांव लगाने को मेरे पास है ही क्या दीदी,’’ चांदनी के होंठों पर फीकी मुसकान उभर आई.
‘‘चांदनी... अभी भी तुम्हारे पास एक ऐसी चीज है जिस का औरों के लिए चाहे कोई मूल्य न हो मगर मेरे लिए उस की काफी कीमत है. बोलो, लगाओगी दांव.’’
‘‘मगर मैं समझी नहीं दीदी... वह चीज...’’
‘‘उस चीज का नाम है कमल,’’ सूरजा की मुसकराती नजरें कमल पर टिक गईं.
‘‘सूरजा,’’ कमल चीख कर खड़ा हो गया.
‘‘बोलो, लगाओगी एक दांव, एक तरफ कमल होगा दूसरी तरफ ये हजारों रुपएगहने, यहां तक कि बाहर खड़ी मेरी कार भी... मैं सबकुछ दांव पर लगा दूंगी, बोलो है मंजूर.’’
‘‘सूरजा इस से पहले कि मेरी सहनशक्ति जवाब दे दे अपनी बकवास बंद कर लो,’’ कमल चीखा.
‘‘मैं आप से बात नहीं कर रही मिस्टर कमल, एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को खेलने के लिए उकसा रहा है और यह कोई जुर्म नहीं. जवाब दो चांदनी.’’
‘‘चांदनी, चलो यहां से,’’ कमल ने चांदनी का हाथ पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश की.
‘‘सोच लो चांदनी, मैं अपनी एक फैक्ट्री भी तुम्हारे लिए दांव पर लगा रही हूं, यदि तुम जीत गई तो रानी बन जाओगी और यदि हार भी गई तो तुम्हारे दुखदर्द का प्रणेता तुम्हारे काले अंधेरे का सूरज तुम से दूर हो जाएगा.’’
‘‘चांदनी, इस की बकवास पर मत ध्यान दो. यह बहुत गंदी जगह है, चलो यहां से,’’ कमल ने हाथ पकड़ लिया था.