कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘नैक्स्ट.’’

राहुल ने अपनी फाइल उठाई और इंटरव्यूकक्ष में प्रवेश कर गया. प्रवेश करने वाले को देख कर बोर्ड की चेयरपर्सन प्रभालता चौंक गईं. हालांकि उन्होंने अपनी हैरानी को अन्य लोगों पर जाहिर नहीं होने दिया पर उन की नजर आने वाले पर जड़ी रही. राहुल भी उस नजर को भांप गया था, इसलिए वह भी असहज हो रहा था. वह बोर्ड के सामने पहुंचा तब मैडम बोलीं, ‘‘सिट डाउन,’’ और वह बैठ गया.

‘‘तुम्हारा नाम?’’

‘‘राहुल वर्मा.’’

‘‘पिता का नाम?’’

‘‘राज वर्मा.’’

आमतौर पर माता का नाम नहीं पूछा जाता लेकिन चेयरपर्सन शायद उस का पूरा इतिहास जानना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने पूछ ही लिया, ‘‘माता का नाम?’’ जैसे छोटे बच्चे से अध्यापक पूछता है.

‘‘प्रभालता.’’

चेयरपर्सन की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी साथ ही उन के चेहरे की चमक भी बढ़ती जा रही थी. बाकी लोग सवालजवाब को सुन रहे थे, चुप थे.

‘‘तुम्हारे पिता क्या करते हैं?’’

‘‘जी, मेरे पिता मेरे जन्म से पहले ही मां को छोड़ कर चले गए.’’

‘‘क्या कोई अपनी गर्भवती पत्नी को छोड़ कर जाता है?’’

‘‘मेरे पिता और मां ‘लिव इन रिलेशन’ में थे. मां के अनुसार, वे जल्दी ही शादी करने जा रहे थे.’’

‘‘पर यह बात बताते समय क्या तुम्हारे मन में यह विचार नहीं आया कि तुम्हारी नौकरी की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है क्योंकि अभी हमारा समाज इतना आधुनिक नहीं हुआ है.’’

‘‘जो सच है उसे छिपाने का क्या फायदा? यदि बाद में पता चले तब वह शायद ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है.’’

‘‘तुम बहुत अच्छा सोचते हो. वैसे तुम को इस पद का कोई अनुभव है?’’

‘‘नहीं, अभी कहीं काम नहीं कर रहा हूं. मैं कुछ ट्यूशन पढ़ा लेता हूं.’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...